💖 कहानी: तेरे बिना अधूरी
इंदौर की शाम
इंदौर शहर हमेशा चहल-पहल से भरा रहता है। चप्पन दुकान की रौनक, सराफ़ा बाज़ार की मिठाइयाँ और राजवाड़ा चौक की भीड़—हर जगह एक अलग ही रंग बिखेरता है। इसी शहर में रहती थी आरज़ू। 23 साल की मास्टर ऑफ आर्ट्स की स्टूडेंट, हंसमुख, चुलबुली और बेहद खूबसूरत। उसे किताबों से जितना प्यार था, उतना ही इंदौर की सड़कों पर घूमने से।
दूसरी ओर था आयान। 25 साल का, इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर चुका और अब अपने पिता के बिज़नेस में हाथ बँटा रहा था। शांत स्वभाव, लेकिन दिल से बेहद भावुक।
दोनों की दुनिया अलग थी, लेकिन किस्मत ने उनकी कहानी को एक मोड़ देने की ठान ली थी।
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पहली मुलाक़ात
वो रविवार की शाम थी। आरज़ू अपनी सहेलियों के साथ चप्पन दुकान पर आई थी। गोलगप्पों की महक, पावभाजी की खुशबू और भीड़ का शोर पूरे माहौल में घुला था। वह दोस्तों के साथ हँसती-खिलखिलाती गोलगप्पे खा रही थी कि तभी अचानक किसी ने पीछे से टकराकर उसका हाथ पकड़ लिया।
"ओह, सॉरी!"—आवाज़ आई।
वह आयान था। हाथ में मोबाइल और दूसरी तरफ़ दोस्तों के साथ हँसते हुए चल रहा था कि अचानक आरज़ू से टकरा गया। आरज़ू ने गुस्से से कहा—
"देखकर नहीं चल सकते? मेरा सारा पानी गिर गया!"
आयान ने शर्मिंदा होकर तुरंत कहा—
"माफ़ करना… सच में ध्यान नहीं रहा। आपकी ड्रेस गंदी तो नहीं हुई?"
आरज़ू ने भौंहें चढ़ाते हुए कहा—
"अगली बार रास्ते में मोबाइल देखना कम करिए।"
उसकी आँखों में गुस्सा था, लेकिन होंठों पर हल्की-सी मुस्कान भी छिपी थी। आयान कुछ कह पाता, उससे पहले उसकी सहेलियाँ हँसते हुए खींच ले गईं।
वो छोटी-सी मुलाक़ात दोनों के दिल में कहीं गहरी छाप छोड़ गई।
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दोस्ती की शुरुआत
किस्मत ने फिर खेल दिखाया। दो हफ़्ते बाद आरज़ू अपने कॉलेज की लाइब्रेरी में बैठी थी। तभी दरवाज़ा खुला और अंदर आया वही चेहरा—आयान।
"तुम?"—आरज़ू चौंकी।
"हाँ, मैं… लगता है किस्मत बार-बार मिलवा रही है।"
असल में, आयान के एक दोस्त का भी वही कॉलेज था और उस दिन वह उसे लेने आया था। दोनों की फिर बातें शुरू हुईं। धीरे-धीरे छोटी-छोटी मुलाक़ातें दोस्ती में बदलने लगीं।
कभी राजवाड़ा चौक पर इकट्ठा होकर बातें करना, कभी सराफ़ा बाज़ार में रात को जलेबी-गर्म दूध खाना, तो कभी 62 ऑफिसेस रोड पर लंबी वॉक करना—इंदौर की गलियों में उनकी दोस्ती खिलने लगी।
आरज़ू हँसते हुए कहती—
"तुम बहुत सीरियस रहते हो, थोड़ा मस्ती करना सीखो।"
आयान मुस्कुराता—
"और तुम बहुत ज्यादा मस्ती करती हो, थोड़ा सीरियस होना सीखो।"
उनकी यह नोकझोंक ही धीरे-धीरे प्यार का रूप लेने लगी।
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इज़हार का पल
एक दिन दोनों राजवाड़ा के पास शाम को खड़े थे। हल्की बारिश हो रही थी। भीगी सड़कों पर पीली रोशनी टिमटिमा रही थी।
आयान ने हिम्मत जुटाकर कहा—
"आरज़ू, मुझे लगता है मैं अब तुम्हारे बिना रह नहीं पाऊँगा। तुम्हारी बातें, तुम्हारी मुस्कान, सब मेरी ज़िंदगी का हिस्सा बन चुकी हैं।"
आरज़ू की धड़कनें तेज़ हो गईं। उसने धीरे से कहा—
"आयान, ये जो एहसास है न… मैं भी हर दिन महसूस करती हूँ। पर मुझे डर लगता है… कहीं हम अधूरे न रह जाएँ।"
आयान ने उसका हाथ थामते हुए कहा—
"जब तक मैं हूँ, तुम्हें अधूरा महसूस होने ही नहीं दूँगा।"
उस पल दोनों की आँखें भीग गईं, और दिल एक हो गया।
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संघर्ष और जुदाई
लेकिन हर कहानी सीधी नहीं होती। आरज़ू के घरवालों ने जब यह रिश्ता जाना तो उन्होंने साफ़ मना कर दिया।
"लड़का बिज़नेसमैन है, पर हमारे समाज से अलग है। हमें अपनी बिरादरी में ही रिश्ता करना है,"—उसके पिता ने गुस्से में कहा।
आरज़ू ने लाख समझाने की कोशिश की, पर दीवारें और ऊँची होती गईं। उधर आयान के घर में भी सवाल उठने लगे—
"लड़की नौकरी करेगी या घर संभालेगी?"
"हमारे बिज़नेस में रुचि नहीं रखेगी तो कैसे चलेगा?"
दोनों के रिश्ते पर संकट के बादल छा गए। आरज़ू रो-रोकर दिन काटने लगी। आयान बेचैन हो उठा।
एक दिन सराफ़ा चौक पर मिलकर दोनों ने आँखों में आँसू लिए कहा—
"शायद हम एक-दूसरे के लिए बने ही नहीं हैं।"
और दोनों चुपचाप अपनी-अपनी राह चल दिए।
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जादुई मिलन
लेकिन सच्चा प्यार जुदाई नहीं मानता। तीन महीने बाद इंदौर की गणेश चतुर्थी पर दोनों परिवार राजवाड़ा चौक पर पहुँचे। भीड़ के बीच अचानक आरज़ू और आयान की नज़रें मिलीं।
दोनों की आँखों से आँसू बह निकले। इस बार परिवारों ने भी उनकी तड़प देखी और दिल पिघल गया।
आयान के पिता ने कहा—
"अगर तुम दोनों एक-दूसरे से इतना प्यार करते हो, तो हमें क्यों आपत्ति होगी? शादी हमारी खुशियों का नाम है, और खुशियाँ तभी मिलेंगी जब तुम दोनों साथ रहोगे।"
आरज़ू के पिता ने भी गहरी साँस लेकर हामी भर दी।
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सुखद अंत
कुछ ही महीनों बाद राजवाड़ा के पास बने एक बड़े हाल में शादी हुई। आरज़ू दुल्हन बनी तो आयान दूल्हा। जब दोनों ने सात फेरे लिए, तो पूरा इंदौर जैसे उनके प्यार का गवाह बन गया।
शादी के बाद भी उनका प्यार पहले जैसा ही रहा—कभी सराफ़ा में रात की जलेबी, कभी चप्पन दुकान का पावभाजी, और कभी 62 ऑफिसेस रोड पर लंबी ड्राइव।
आरज़ू ने एक दिन आयान से कहा—
"तुम्हारे बिना मैं अधूरी थी।"
आयान मुस्कुराया—
"और तुमने मुझे पूरा कर दिया।"
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🌹 उपसंहार
इंदौर की गलियों में आज भी लोग कहते हैं—
"सच्चा प्यार वही है जो हर मुश्किल को पार कर ले। आरज़ू और आयान की मोहब्बत उसी की मिसाल है।"
✨ तेरे बिना अधूरी – भाग 2 ✨
(आरज़ू और आयान की शादी के बाद की प्रेमकथा – इंदौर की पृष्ठभूमि पर)
सुबह की पहली किरण खिड़की से झाँकते ही पूरे कमरे में सुनहरी रोशनी फैल गई थी। आरज़ू धीरे-धीरे अपनी पलकें खोलती है। हल्की सी मुस्कान उसके चेहरे पर आ जाती है—क्योंकि सामने ही उसकी ज़िंदगी का सबसे खूबसूरत सपना, आयान, अब उसकी हक़ीक़त बन चुका था। शादी के बाद की यह पहली सुबह थी।
आयान भी पास ही लेटा था। जब आरज़ू ने उसे देख कर धीमे से मुस्कुराया तो आयान ने आँखें खोलते हुए शरारत भरे अंदाज़ में कहा—
“क्या बात है, बीवी जी! आज सूरज से भी ज़्यादा चमक रही हो।”
आरज़ू शर्मा गई। हल्की सी चादर ओढ़ते हुए बोली—
“बस कीजिए, किसी ने सुन लिया तो?”
आयान हँसते हुए उठ बैठा।
“अब मिस्टर और मिसेज़ आयान खान के बीच कोई रोक-टोक थोड़े ही है। पूरा इंदौर गवाह है कि अब तुम सिर्फ मेरी हो।”
🌸 इंदौर का नया सफ़र
शादी के बाद दोनों का नया घर इंदौर के राजवाड़ा के पास था। बालकनी से शहर की हलचल, ट्रैफिक की आवाज़ें और दूर से आती पोहे–जलेबी की खुशबू सब कुछ उनके नए जीवन को खास बना देती थीं।
पहली बार जब दोनों साथ चप्पन दुकान गए, आरज़ू बच्चों की तरह हर ठेले पर रुक रही थी। कभी इटालियन पास्ता, कभी गरमा–गरम पकोड़े, कभी कुल्फी। आयान उसे देखता और मुस्कुराता रहता।
“इतना मत खाओ, बीमार पड़ जाओगी,” आयान ने टोका।
“तो क्या करूँ? इंदौर की गलियों का स्वाद अगर मिस कर दिया, तो शादी का मज़ा अधूरा रह जाएगा।”
“अधूरा तो मैं हूँ तुम्हारे बिना,” आयान ने उसके कान में धीरे से कहा।
आरज़ू शरमा कर उसकी बांहों में सिमट गई।
🌸 छोटी–छोटी नोकझोंक
कुछ दिन बाद असली शादीशुदा ज़िंदगी शुरू हुई। सुबह जल्दी उठना, घर के काम, ऑफिस की भागदौड़। एक दिन आरज़ू नाश्ता बनाने में देर कर बैठी। आयान पहले से ऑफिस के लिए लेट हो रहा था।
“आरज़ू! तुम समझती क्यों नहीं? टाइम पर न हो तो पूरा दिन खराब हो जाता है,” आयान ने गुस्से में कहा।
आरज़ू की आँखें भर आईं।
“मैं कोशिश तो करती हूँ आयान… पर सब कुछ नया है, थोड़ा समय लगेगा।”
आयान ने उसकी आँखों में आँसू देखे तो तुरंत उसे अपने गले से लगा लिया।
“सॉरी जान, मुझे तुम पर गुस्सा नहीं करना चाहिए था। तुम मेरी दुनिया हो।”
उनकी नोकझोंक कभी ज़्यादा देर टिकती ही नहीं थी, क्योंकि प्यार हमेशा जीत जाता था।
🌸 परिवार और समाज का दबाव
लेकिन शादी की ज़िंदगी सिर्फ रोमांस से नहीं चलती। आयान के घरवाले चाहते थे कि आरज़ू घर पर ज़्यादा समय दे। वहीं आरज़ू अपने करियर को भी छोड़ना नहीं चाहती थी।
एक दिन घर में बड़ी बहस हो गई।
“बहू, अब घर संभालना तुम्हारी ज़िम्मेदारी है। बाहर की नौकरी में क्या रखा है?” सास ने ताना मारा।
आरज़ू चुप रही लेकिन आयान को बुरा लगा। उसने माँ से कहा—
“अम्मी, आरज़ू की खुशियों से बड़ी कोई चीज़ नहीं। अगर वो काम करना चाहती है तो मैं उसका साथ दूँगा।”
आरज़ू की आँखें गर्व और प्यार से भर गईं। वह जानती थी कि आयान उसका सबसे बड़ा सहारा है।
🌸 जुदाई का पल
लेकिन किस्मत ने उन्हें परीक्षा में डाल दिया। आयान की जॉब की ट्रांसफ़र लेटर आया—मुंबई।
आरज़ू का दिल बैठ गया।
“आयान… क्या हम इंदौर छोड़ देंगे? हमारी सारी यादें यहीं तो हैं।”
आयान ने उसका हाथ पकड़कर कहा—
“आरज़ू, शहर बदल जाए, जगह बदल जाए… लेकिन हमारा रिश्ता कभी नहीं बदलेगा। तुम साथ रहो, तो पूरी दुनिया इंदौर जैसी लगेगी।”
आरज़ू ने उसे गले लगा लिया लेकिन उसके दिल में डर था—क्या सच में दूरियाँ उनके बीच दरार न डाल दें?
🌸 इम्तिहान और मोहब्बत
मुंबई जाने के कुछ ही दिनों बाद, काम के बोझ से आयान आरज़ू से कम बात करने लगा। आरज़ू अकेलापन महसूस करने लगी। एक रात उसने फोन पर रोते हुए कहा—
“आयान, मुझे लगता है तुम मुझसे दूर होते जा रहे हो।”
आयान चुप रहा। उसे अपनी गलती समझ आई। अगले ही दिन वह बिना बताए इंदौर पहुँचा। सराफ़ा बाज़ार में खड़े होकर अचानक आरज़ू की आँखों पर हाथ रख दिया।
“कौन?” आरज़ू चौंकी।
“वही, जो तेरे बिना अधूरा है,” आयान ने कानों में फुसफुसाया।
आरज़ू पलट कर उसकी बाहों में दौड़ गई। पूरा बाज़ार उनकी मोहब्बत का गवाह बन गया।
🌸 एक रोमांटिक अंत
उस रात राजवाड़ा की सीढ़ियों पर बैठकर दोनों देर तक बातें करते रहे। रोशनी से जगमगाती हवेलियों के बीच, आयान ने उसका हाथ पकड़ कर कहा—
“आरज़ू, इंदौर से लेकर मुंबई तक, इस दुनिया से लेकर अगले जहाँ तक… तुम मेरी जिंदगी की सबसे खूबसूरत हक़ीक़त हो। मैं वादा करता हूँ कि चाहे हालात जैसे भी हों, तुम्हारा साथ कभी नहीं छोड़ूँगा।”
आरज़ू की आँखों से आँसू बह निकले लेकिन चेहरे पर मुस्कान थी।
“आयान, तेरे बिना मैं अधूरी हूँ… और तेरे साथ पूरी दुनिया मेरी है।”
दोनों एक-दूसरे के करीब आए और इंदौर की ठंडी हवाओं में उनका प्यार और भी गहरा हो गया।
✨ तेरे बिना अधूरी – भाग 3 ✨
(आरज़ू और आयान की शादी के कुछ साल बाद की मोहब्बत और नई ज़िंदगी – इंदौर की पृष्ठभूमि पर)
🌸 नई सुबह, नई ज़िंदगी
शादी को पाँच साल हो चुके थे। इंदौर की वही रौनक, वही गलियाँ, वही सराफ़ा का स्वाद—लेकिन अब आरज़ू और आयान की ज़िंदगी बिल्कुल बदल चुकी थी।
सुबह के सन्नाटे को तोड़ती एक मासूम हँसी गूँजी। नन्हा सा बच्चा, आरहान, जो अभी-अभी तीन साल का हुआ था, पूरे घर में भाग-दौड़ कर रहा था। आरज़ू रसोई से आवाज़ लगाती—
“आरहान! ज़रा धीरे भागो, गिर जाओगे।”
आयान अख़बार पढ़ रहा था, लेकिन उसकी नज़रें बार-बार बेटे पर जा रही थीं।
“उसे गिरने दो, तभी तो संभलना सीखेगा। वैसे भी मम्मी उसे ज़्यादा ही डाँटती हैं।”
आरज़ू नाराज़ होकर बोली—
“और पापा उसे ज़्यादा ही बिगाड़ते हैं।”
दोनों की यह प्यारी नोकझोंक घर में मिठास भर देती।
🌸 मोहब्बत में ज़िम्मेदारियाँ
पहले जहाँ दोनों सिर्फ एक-दूसरे में खोए रहते थे, अब उनकी दुनिया बेटे के इर्द-गिर्द घूमती थी। लेकिन ज़िम्मेदारियों के बीच भी उनका प्यार कम नहीं हुआ था।
एक शाम आयान ने आरज़ू को सरप्राइज़ दिया।
“चलो, आज हम दोनों अकेले डिनर पर चलते हैं।”
आरज़ू चौंकी—
“अकेले? और आरहान?”
“आरहान नानी के पास रहेगा। और वैसे भी हमें भी तो कभी-कभी अपने लिए वक्त निकालना चाहिए।”
उस रात दोनों राजवाड़ा के पास एक छोटे से रेस्तराँ में बैठे थे। हल्की रौशनी, बैकग्राउंड में बजती धीमी धुन और सामने उनका प्यार। आरज़ू बोली—
“आयान, सच कहूँ… माँ बनने के बाद मैंने खुद को कहीं खो दिया था। पर आज तुमने मुझे फिर से वही आरज़ू बना दिया, जो सिर्फ तुम्हारी थी।”
आयान ने उसका हाथ पकड़ लिया—
“तुम हमेशा वही आरज़ू हो। मेरी मोहब्बत, मेरी दुनिया… बस अब हमारी कहानी में एक नया किरदार आ गया है।”
🌸 संघर्ष और सपने
लेकिन ज़िंदगी सिर्फ रोमांस नहीं होती। आयान की नौकरी का दबाव बढ़ गया था। अक्सर देर रात घर लौटता। कई बार आरज़ू इंतज़ार करते-करते सो जाती।
एक रात जब आयान घर आया तो देखा कि आरज़ू बालकनी में अकेली बैठी है। आँखों में आँसू थे।
“क्या हुआ जान?”
आरज़ू ने धीमी आवाज़ में कहा—
“आयान, मुझे लगता है अब हम दूर होते जा रहे हैं। पहले हम हर बात शेयर करते थे, अब बस काम ही रह गया है।”
आयान के दिल को चोट लगी। वह पास बैठा और बोला—
“सच कहूँ तो मैं भी खुद को तुमसे दूर महसूस करता हूँ। पर ये सब हमारे सपनों के लिए है। मैं चाहता हूँ कि आरहान और तुमको वो ज़िंदगी दूँ, जिसका तुमने हमेशा सपना देखा।”
आरज़ू ने उसका हाथ थाम लिया—
“मुझे सपनों से ज़्यादा तुम्हारा साथ चाहिए, आयान।”
उस पल आयान ने वादा किया कि चाहे कितना भी काम हो, वो आरज़ू और आरहान के लिए वक्त ज़रूर निकालेगा।
🌸 इम्तिहान का दौर
कुछ महीनों बाद आरज़ू बीमार पड़ गई। डॉक्टर ने कहा—
“उन्हें आराम की ज़रूरत है। स्ट्रेस और थकान की वजह से शरीर कमजोर हो गया है।”
आयान का दिल बैठ गया। उसने तुरंत फैसला किया कि ऑफिस से लंबी छुट्टी लेगा।
“पैसे कमाने से बड़ी मेरी आरज़ू की ज़िंदगी है,” उसने खुद से कहा।
उन दिनों आयान ने घर के सारे काम संभाले। आरज़ू ने पहली बार देखा कि आयान सिर्फ उसका पति ही नहीं, बल्कि उसका सबसे बड़ा सहारा है।
आरज़ू मुस्कुराते हुए बोली—
“आयान, मुझे लगता है अल्लाह ने मुझे सबसे खुशनसीब औरत बनाया है।”
आयान ने हँसते हुए कहा—
“खुशनसीब तो मैं हूँ, जो मुझे आरज़ू जैसी बीवी और आरहान जैसा बेटा मिला।”
🌸 एक नया सपना
धीरे-धीरे सब ठीक हो गया। और अब उनकी ज़िंदगी में एक और खुशखबरी आने वाली थी—आरज़ू माँ बनने वाली थी, फिर से।
जब उसने आयान को बताया तो उसकी आँखों में खुशी के आँसू थे।
“यानी हमारी मोहब्बत का एक और तोहफ़ा…!”
आरहान ने मासूमियत से पूछा—
“पापा, मुझे खेलने के लिए भाई मिलेगा या बहन?”
सभी हँस पड़े।
🌸 रोमांटिक अंत
कुछ महीने बाद, आरज़ू आयान के साथ राजवाड़ा की सीढ़ियों पर बैठी थी। आसमान में चाँद चमक रहा था। आयान ने उसके कंधे पर सिर रखकर कहा—
“देखो आरज़ू, पाँच साल पहले मैंने तुमसे वादा किया था कि कभी
तुम्हारा साथ नहीं छोड़ूँगा। आज भी वही वादा है… और जब तक साँसें चलेंगी, वही रहेगा।”
आरज़ू की आँखों से आँसू बह निकले, लेकिन चेहरा मुस्कुराता रहा।
“आयान, तुम्हारे बिना मैं अधूरी थी… और तुम्हारे साथ पूरी दुनिया मेरी है।”
उस रात इंदौर की हवाओं ने फिर से उनकी मोहब्बत का राज़ अपने दामन में समेट लिया।
✨ तेरे बिना अधूरी – भाग 4 ✨
(आरज़ू और आयान – अब अपने बच्चों के साथ नई ज़िम्मेदारियों और मोहब्बत से भरी ज़िंदगी में)
🌸 बच्चों की नई दुनिया
समय पंख लगाकर उड़ चुका था। अब आरहान आठ साल का हो गया था और उसकी नन्ही बहन अलीना पाँच साल की। घर में हर वक्त उनकी मासूम आवाज़ें गूँजतीं।
आरहान हमेशा अपनी बहन को पढ़ाने की कोशिश करता—
“अलीना, देखो ये A for Apple होता है।”
अलीना ज़िद्दी लहजे में बोलती—
“नहीं! A for Ayaan पापा होता है।”
दोनों बच्चों की नोकझोंक देखकर आरज़ू और आयान हँस पड़ते।
🌸 माँ-बाप की चिंता
लेकिन बच्चों की परवरिश आसान नहीं थी। एक दिन स्कूल से आरहान की शिकायत आई—
“आपका बेटा पढ़ाई में ध्यान नहीं देता, हमेशा क्रिकेट खेलता रहता है।”
आरज़ू परेशान हो गई। रात को उसने आयान से कहा—
“अगर आरहान ऐसे ही करेगा तो उसका भविष्य क्या होगा?”
आयान ने मुस्कुराकर कहा—
“अरे पगली, अभी तो वो बच्चा है। खेल-कूद भी ज़रूरी है। हम उसे प्यार से समझाएँगे, डाँटकर नहीं।”
आरज़ू बोली—
“तुम्हें हर चीज़ आसान लगती है। जिम्मेदारी सिर्फ मेरी नहीं है।”
उसकी आँखें भर आईं। आयान ने पास आकर उसका हाथ थाम लिया—
“आरज़ू, ये सफ़र हमारा है। बच्चों की परवरिश में तू अकेली नहीं है, मैं तेरे साथ हूँ।”
🌸 रिश्तों की गर्माहट
गर्मी की एक शाम, सब लोग छत पर बैठे थे। इंदौर की हवाएँ चल रही थीं। आरहान पतंग उड़ा रहा था और अलीना उसके पीछे-पीछे दौड़ रही थी।
आरज़ू बोली—
“आयान, कभी-कभी सोचती हूँ… पहले हम सिर्फ अपनी मोहब्बत में खोए रहते थे। अब हमारी मोहब्बत इन बच्चों के ज़रिए और भी गहरी हो गई है।”
आयान ने मुस्कुराकर कहा—
“बिलकुल। हमारी मोहब्बत का असली रूप यही है—हमारा परिवार।”
उसने धीरे से आरज़ू के गाल पर हाथ रखा। बच्चों की खिलखिलाहट के बीच उनकी आँखों में वही पुरानी चमक थी।
🌸 इम्तिहान और सीख
एक दिन अलीना तेज़ बुखार से बीमार हो गई। डॉक्टर ने कहा—
“कुछ दिन ध्यान रखना होगा।”
आरज़ू बहुत घबरा गई। रातभर जागकर बेटी का माथा सहलाती रही। आयान ने भी दफ़्तर की छुट्टी ली और पूरी तरह घर पर रहा।
आयान बोला—
“आरज़ू, जब तुम बीमार थी, तब मैंने तुम्हें संभाला। अब हमारी बेटी को भी वैसे ही साथ मिलकर संभालेंगे।”
उनकी देखभाल से अलीना जल्द ही ठीक हो गई। उस रात बच्चों के सो जाने के बाद आरज़ू ने आयान से कहा—
“कभी-कभी लगता है कि अल्लाह ने हमें इन इम्तिहानों के ज़रिए और करीब ला दिया है।”
आयान ने प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरा—
“हाँ, मोहब्बत तभी सच्ची होती है जब वो मुश्किल वक़्त में भी मज़बूत रहे।”
🌸 सपनों की उड़ान
धीरे-धीरे बच्चे बड़े होने लगे। आरहान ने क्रिकेट में अपना हुनर दिखाना शुरू कर दिया। उसे स्कूल की टीम में चुन लिया गया। आरज़ू अभी भी थोड़ी चिंतित थी—
“पढ़ाई का क्या होगा?”
आयान ने कहा—
“पढ़ाई ज़रूरी है, लेकिन अगर उसका दिल क्रिकेट में है तो हमें उसके सपनों का साथ देना चाहिए।”
इसी तरह अलीना को ड्रॉइंग और पेंटिंग का शौक़ था। उसकी तस्वीरें देखकर टीचर्स भी हैरान रह जाते।
आरज़ू ने महसूस किया कि बच्चों की दुनिया उनकी अपनी है, और माँ-बाप का फर्ज़ है कि वो उन्हें सपने देखने और जीने दें।
🌸 रोमांटिक पल
एक रात जब सब सो गए, आयान और आरज़ू बालकनी में बैठे थे। चाँदनी रात, इंदौर की ठंडी हवा और चारों तरफ सन्नाटा।
आयान ने धीरे से कहा—
“याद है आरज़ू, जब हम शादी के बाद पहली बार यहाँ बैठे थे? तब हमने सिर्फ अपनी मोहब्बत के सपने देखे थे। और आज देखो… हमारी मोहब्बत दो छोटे-छोटे फरिश्तों की हँसी में बदल गई है।”
आरज़ू की आँखें नम हो गईं। उसने कहा—
“आयान, मुझे डर लगता है… कहीं वक्त हमारी मोहब्बत को कम न कर दे।”
आयान ने उसका चेहरा अपनी हथेलियों में थाम लिया—
“पगली, वक्त चाहे जितना भी गुज़र जाए… तुझसे मेरा प्यार कभी कम नहीं होगा। मोहब्बत वक्त से नहीं, दिल से चलती है।”
उनकी आँखों में वही चमक थी जो सालों पहले पहली मुलाक़ात में थी।
✨ तेरे बिना अधूरी – भाग 5 ✨
(आरहान और अलीना की नई ज़िंदगी के फैसले, और आरज़ू–आयान का साथ)
🌸 सपनों की राह
वक़्त गुजरते-गुज़रते आरहान अब 17 साल का हो चुका था। उसके अंदर क्रिकेट का जुनून खून की तरह दौड़ता था। वो इंदौर के होलकर स्टेडियम में रोज़ प्रैक्टिस करता। बैट हाथ में आते ही उसकी आँखों में चमक आ जाती।
एक दिन उसने माँ–बाप के सामने ऐलान कर दिया—
“पापा, मैं क्रिकेटर बनना चाहता हूँ। पढ़ाई करूंगा, लेकिन मेरा सपना इंडिया टीम तक पहुँचना है।”
आरज़ू सन्न रह गई।
“बेटा, ये खेल है… इसमें बहुत मेहनत और किस्मत लगती है। अगर ये सपना अधूरा रह गया तो?”
आयान ने बेटे की आँखों में वही चमक देखी, जो कभी उसने आरज़ू से पहली बार मिलने पर अपनी आँखों में देखी थी।
“आरज़ू, हमें अपने बेटे को रोकना नहीं चाहिए। सपने देखना और पूरा करना उसका हक़ है। मैं इसके साथ हूँ।”
आरज़ू ने गहरी साँस ली। माँ का दिल हमेशा डरता है, लेकिन पति की नज़रों का भरोसा देखकर उसने भी हामी भर दी।
🌸 अलीना की कला
दूसरी तरफ अलीना अब 14 साल की थी। उसका शौक़ पढ़ाई से ज़्यादा पेंटिंग में था। उसकी ड्रॉइंग्स को स्कूल में अवार्ड मिलते।
एक दिन उसने दीवार पर पूरा इंदौर शहर पेंट कर दिया – राजवाड़ा, सराफा की गलियाँ, छप्पन दुकान, सब रंगों में।
आरज़ू उसकी कला देखकर हैरान रह गई।
“अलीना, ये हुनर तो तुम्हें बहुत आगे ले जाएगा।”
अलीना मासूमियत से बोली—
“मम्मी, मैं चाहती हूँ कि लोग मेरी पेंटिंग्स से इंदौर की खूबसूरती देखें।”
आयान ने बेटी के सिर पर हाथ रखकर कहा—
“मेरी नन्ही कलाकार, तेरे रंग दुनिया बदल देंगे।”
🌸 घर की जिम्मेदारियाँ
अब घर का माहौल अलग हो गया था। सुबह आरहान प्रैक्टिस के लिए निकल जाता, शाम तक थका हुआ लौटता। अलीना अपनी पेंटिंग्स में खोई रहती।
आरज़ू अक्सर शिकायत करती—
“आयान, पहले बच्चे हमारे साथ वक्त बिताते थे, अब अपने-अपने सपनों में खोए रहते हैं।”
आयान हँसकर बोला—
“अरे, यही तो वक्त है जब हमें उन्हें संभालना है। हम दोनों का रिश्ता इन बच्चों के सपनों से और मज़बूत होगा।”
आरज़ू उसे देखती और सोचती कि चाहे हालात कैसे भी हों, आयान की मुस्कुराहट उसे हमेशा हिम्मत देती है।
🌸 पहला इम्तिहान
आरहान का सिलेक्शन इंदौर अंडर-19 टीम में हो गया। पूरे मोहल्ले में मिठाई बाँटी गई। लेकिन असली चुनौती तब आई जब उसे भोपाल जाकर कैंप करना पड़ा।
आरज़ू की आँखें भर आईं—
“बच्चा पहली बार घर से दूर जा रहा है। पता नहीं खा-पी पाएगा या नहीं।”
आयान ने उसका हाथ पकड़कर कहा—
“याद है आरज़ू, जब तू पहली बार मुझे छोड़कर मायके गई थी, मैं भी यूँ ही बेचैन था। लेकिन मोहब्बत का मतलब भरोसा है। हमें अपने बेटे पर भरोसा करना होगा।”
🌸 बेटी का प्रदर्शन
उधर, अलीना की पेंटिंग्स को इंदौर आर्ट गैलरी में जगह मिली। जब उसकी तस्वीरें दीवारों पर सजीं तो आरज़ू की आँखों से आँसू निकल पड़े।
“मेरी बेटी तो सच में चमकता सितारा है।”
अलीना ने कहा—
“मम्मी, ये सब आपकी दुआओं से हुआ है।”
आयान ने मज़ाक में कहा—
“और पापा की जेब से खरीदे गए रंगों से भी।”
सब हँस पड़े।
🌸 आरज़ू–आयान का रोमांस
एक रात बच्चे अपने-अपने कमरों में थे। आयान और आरज़ू छत पर बैठे थे। इंदौर की ठंडी हवा चल रही थी।
आरज़ू बोली—
“आयान, हम भी कितने बदल गए हैं ना? पहले सिर्फ एक-दूसरे में खोए रहते थे, अब बच्चों में अपनी मोहब्बत ढूँढते हैं।”
आयान ने उसकी आँखों में गहराई से देखा—
“मोहब्बत बदलती नहीं, बस और गहरी हो जाती है। पहले तू मेरी दुनिया थी, अब तू और हमारे बच्चे… मेरी पूरी कायनात हो।”
आरज़ू का चेहरा शर्म से लाल हो गया। वो पास झुककर बोली—
“तुम्हारी बातें आज भी दिल को धड़कने पर मजबूर कर देती हैं।”
आयान ने उसके गाल पर किस किया। उसी पल उनकी मोहब्बत फिर से जवां हो उठी।
🌸 नई चुनौतियाँ
कुछ दिनों बाद आरहान का मैच था। पूरा परिवार भोपाल गया। स्टेडियम खचाखच भरा था। जब आरहान ने छक्का मारा, तो भीड़ में सबसे तेज़ आवाज़ आरज़ू और अलीना की थी। आयान की आँखें गर्व से भर गईं।
मैच के बाद आरहान दौड़कर आया और बोला—
“पापा, मम्मी… आपके भरोसे ने मुझे ये जीत दिलाई।”
आरज़ू ने उसे गले से लगा लिया।
“बेटा, हमें तुम पर गर्व है।”
वहीं, अलीना की पेंटिंग्स अब इंदौर से निकलकर भोपाल और दिल्ली तक पहुँचने लगीं।
🌸 मोहब्बत की जीत
एक शाम घर में सब साथ बैठे थे। बच्चे अपने सपनों की बातें कर रहे थे। आरज़ू और आयान चुपचाप उन्हें देख रहे थे।
आरज़ू ने धीरे से कहा—
“आयान, हमने कभी सोचा नहीं था कि हमारी मोहब्बत इतनी बड़ी होगी। अब ये सिर्फ तू-मैं नहीं, बल्कि हमारे बच्चों के सपनों और मुस्कुराहटों में ज़िंदा है
।”
आयान ने उसका हाथ थामकर कहा—
“आरज़ू, मोहब्बत की यही असली जीत है—जब वो पीढ़ियों तक जिए।”
दोनों ने बच्चों को देखा, और उनकी आँखों में वही चमक थी जो बरसों पहले पहली मुलाक़ात में थी।
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