BLOOD BALL in Hindi Thriller by NBV Novel Book Universe books and stories PDF | BLOOD BALL

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BLOOD BALL

प्रस्तावना - खेल वही होता है जिसमें हारने का मतलब सिर्फ हार नहीं मौत होती है। - जोसेफ एक कमरा दीवारो पर खून के छीटे फर्श पर चिथडे-चिथडे कपडे और कोने में बैठा एक बच्चा जोसेफ उम्र सात साल कम में रोशनी नहीं बस एक लाल बल्ब जल रहा है। वहीं सामने एक आदमी खडा है- नकाब में और उसके हाथ में एक डॉल है। जोसेफ तुम फिर रोंए? रोने वालों को खेलने नहीं देते जोसेफ ने डॉल को घूरा उसके चेहरे पर चोटों के निशान थें। सिर में टाके लगे थे जोसेफ ने मुस्कुरा दियासालों बाद अब जोसेफ बडा चुका था पर खेल नहीं बदला बस अब वो बच्चे को चुनता था उन्हें जैसा बनाता था और हर गेम में खून से सनीBLOOD BALL - एक खेल जिसमें हर बार एक बच्चा हारता है और मरता है।लेखक-अनुज श्रीवास्तावअध्याय 1 खून से भरा मैदानवो सिर्फ एक बॉल थी जब त उसने लाश की ओर लुढकना शुरू नही किया।गर्मी की छुट्टियाँ खत्म होने के बाद स्कूल में पहला दिन था सेंट एडविन स्कूल दिल्ली सुबह 7:50 बजें। बच्चे मैदान में खेल रहे थे कुछ क्रिकेट कुछ फुटबबूल और कुछ बस एक-दूसरे को देख हँस रहे थे। कबीर 9 साल का कक्षा चार का छात्र अपने दोस्तों के साथ भाग रहा था। हँसता हुआ। उसके जूते धूल से भर चुके थे लेकिन चेहरा चमक रहा था। तभी एक लाल रंग की बॉल मैदान की बाउंड्री से लुढकते हुए आई-एकदम नई नही लेकिन चमकदार जैसे अभी किसी ने उस पर पेनट पोता हों किसकी बॉल है ये? कबीर ने पूछा।बच्चे ने सिर हिलाया किसी ने नही लाई थी।कबीर ने बाल उठाई वो हल्की थी लेकिन ठंडी भी जैसे अभी फ्रीजर से निकाली गई हो। उसी पल एक लाल कोट पहना आदमी स्कूल की बाउंड्री के उसा पार खडा दिखा उसकी आखें सीधी कबीर पर थी उसने हाथ हिलाया कबीर मुस्कुराया और धीरे-धीरे उसकी ओर बढा किसी ने नहीं देखा कबीर कैसे उस बाउंड्री की झाडियों के पीछे गायब हो गया।6 घंटे बाद........दोपहर 2 बजे। छुट्टी हो चुकी थी लेकिन एक बच्चा अब तक नही लौटा।कबीर खो गया था।अभी तक कबीर घर नही पहुचा उसके घर वाले स्कूल में पुछने पहुंचे पुलिस आई पूछताछ हुई सीसीटीवी फुटेज देखा गया कुछ नही मिला करीब शाम 5 बजे थे स्कूल के पीछे के गार्डन में एक माली को कुछ अजीब लगा। एक डॉल पडी थी लाल ड्रेस पहने चेहरा सफेद और मुस्कुराता हुआ... और बगल में रखी थी वही खून से सनी बॉल।माली ने जैसे ही बालें उठाई बगल की मिट्टी हिली।वहाँ कबीर की लाश थी।पुलिस आई और कबीर कि बॉडी को चेक किया इतने खतरनाक तरीके सें किसी बच्चे को मारना ये कोई आम आदमी नही कर सकता।Dead Body Status:ऑखे खुली थी चेहरा मुस्कुरा रहा था।गर्दन पर रस्सी के निशान थे।शरीर पर चोटें थी बनी थी। बिल्कुल वैसी ही जैसे पास में रखी डॉल परपुलिस अर्जुन सिन्हा ने बॉल को घूरते हुए पूछा किसने किया होगा ।अध्याय 2 - पोस्टमार्टम रिपोर्टरात के 10:15 बजे ।डॉ संजीव मेहरा देश के जाने-माने फारिसिक एक्सपर्ट अपनी मेज पर बैठे फाइल पलट रहे थे। तभी एक बाडी स्ट्रेचर पर लाई गई कबीर उम्र 9 साल कमरे का तापमान ठंडा था लेकिन कबीर की आखें अब भी खुली थी और मुस्कुरा रही थी। बच्चे के चेहरे पर ये एक्सप्रेशन बहुत कम देखने को मिलते है मौत के वक्त ।पोस्टमार्टम ऑब्जर्वेशन1 मौत का कारण गर्दन पर गहराई से रस्सी के निशान2 चेहरे पर मुस्कान विचलित कर देने वाली3 छाती और पीठ पर जलने के हल्के निशान4 हाथ में एक प्लास्टिक डाल का सिर दबा हुआ था।5 अंगूठे की त्वचा में सुई के निशानसंजीव ने धीरे से स्ट्रेचर के पास खडे अर्जुन की ओर देखा। सर ये मर्डर प्लान है और करने वाला कोई आम कातिल नही है उसे बच्चे की शारिक और मानसिक बनावट की पूरी समझ हैपुलिस को ये खबर नही थी कि ये एक मर्डर नही है ये तो सुरूवात है और ये केस खतम हुआ ही नही था कि एक और खबर आती है कि स्कूल कि छात्रा का शव स्कूल के गार्डन में मिला सेम मर्डर जैसे उस बच्चे कबीर को मारा था वैसे ही इसको भी और सेम डॉल पर भी बना था जैसे उसके फेस पर बना था।अगली सुबह - दिल्ली पुलिस हेडक्वार्टरअर्जुन फाइल में डूबा था कि उसके फोन की घंटी बजी ।इसी दौरान - टीवी चैनल स्टूडियोंरिया बख्शी न्यूज इंडिया लाइव की एंकर कैमरे के सामने थीदिल्ली की सडको पर अब बॉल नही मौत लुढक रही है ब्लड बॉल के नाम से वायरल हो चुके इस केस में अब तक एक मासूम की जान जा चुकी है क्या हमारा सिस्टम सो रहा है क्या अगला नंबर आपके बच्चे का है?जोसेफ..... एक छोटे फलैट में ये सब टीवी पर बैठ कर देख रहा था। उसने टेबल पर पडी एक नई लाल बॉल उठाई और धीमे से फुसफुसाया चलो खेलते है।अध्याय 3 दिमाग का खेललोदी रोड दिल्ली - क्रिमिनल बिहेवियर यूनिट सुबह 9:20 बजे।डॉ अन्नया रॉय देश की सबसे तेज Criminal Psychologist अपने आफिस में बैठी थी सामने टेबल पर कबीर केस फाइल खुली थी। पोस्टमार्टम तस्वीरें डॉल की तस्वीरें पुलिस रिपोर्टस फैली थी।डॉ अन्नया का Analysisकातिल बच्चों को पहले Guilt में डालता है फिर उन्हे एक गेम खेलने को कहता है गेम का नाम Bllod Ball है खेल में हारना मौत और मौत को वह एक डॉल और बॉल से करता है पोस्मार्टम में मिले सुई के निशान दिखाते है कि बच्चो को पैरेलिसस इंजेक्शन देता है जिससे वो मारने के समय हिले नही डॉल वही पोजिशन में तैयार की जाती है जो मरे हुए बच्चे की हो मानव डॉलदिल्ली पुलिस हेडक्वार्टर मीटिंग रूमACP Arjun, Dr Anaya और केस की टीम एकत्र थे अन्नया ने व्हाटवोड पर र्कीमनल की प्रोफाइल बनानी शुरू कीCriminal Profilleउम्र 25-35बचपन में किसी बोर्डिंग स्कूल या अनाथालय मेंबच्चों के बीच खुद कभी टारगेट रहा होगाहर मर्डर में मेंसेज छोडता है गेम बेसेद अर्जुन ने कहा अगर ये गेम है तो हमें उससे एक चाल आगे चलना होगाMenanwhile - A New School ....सेंट पीटर्स स्कूल द्वारका।एक क्लासरूम में बच्चे बैठे थे जब एक अजनबी टीचर ने एंट्री ली। डसका नाम जोसेफ बताया गया। क्लास के बच्चे में एक बेंच के नीचे लाल रंग की बॉलल लुढक रही थी.....अध्याय 4 अगली मौत मीडिया का प्रेशर स्थान सेंट पीटर्स स्कूल द्वारका दिन सोमवारसमय दोपहर 12:15 बजेलंच ब्रेक के बाद क्लास 5 की मॉनिटर रिया चौहान ने स्टाफ रूम में शिकायत दर्ज करवाई"सर, क्लास में एक अजनबी टीचर आए थे पर हमारे स्कूल में वो कभी नहीं दिखे।"स्टाफ कंफ्यूज था।कोई भी Joseph नाम के शिक्षक को नहीं जानता था। जब CCTV देखा गया तब जो वीडियो मिला, उसने सबको चौंका दियाः क्लास में एक लाल कोट पहना हुआ आदमी घुस रहा है। बच्चों के पास जा कर वो एक बॉल फेंकता है, और सब बच्चे चिल्लाते हैं -No! No! We dont want to playअगले ही सीन में कैमरा ब्लर हो जाता है।6 बजे शाम को...स्कूल की कैंटीन के पीछे एक सफेद चादर में लिपटी लाश मिली...नामः तुषार रावत उम्रः 10 सालबगल में वही लाल बॉल पड़ी थी और एक कागज जिसमें लिखा थाःBlood Ball - Round 2 Over^^ Tushar couldnt play wellACP अर्जुन ने बॉल उठाई, हाथ में खून लगा।Postmortem Report Dr- Sanjeevमौत का कारणः दम घुटनाशरीर पर electrical probe के burn marksचेहरे पर फिर वही मजबूर मुस्कानहाथ में एक बटन डॉल से टूटा हुआडॉ. संजीव ने कहा"ये कातिल बच्चों के चेहरे से मौत को भी मासूम बना रहा है। ये मनोरोगी है पर बहुत सटीक है।"मीडिया का बम रात 9 बजे, News India LiveAnchor Ria Bakshi पूरी जनता के सामने चीख रही थी"दिल्ली का मासूम बचपन अब BLOOD BALL खेलने को मजबूर है!कातिल अब तक 2 बच्चों को मार चुका है, और पुलिस बस पोस्टमार्टम रिपोर्ट पढ़ रही है!'"क्या अब तीसरी बॉल लुढ़कने का इंतजार है?"Meanwhile - जोसेफ का फ्लैटटीवी की आवाज म्यूट कर जोसेफ ने दीवार पर अपनी "स्कोरबोर्ड" देखी।1. Kabir - Dead2- Tushar - Dead3-_?उसने एक नई डॉल उठाई, एक सुई निकाली... और फुसफुसायाःGame is still on---Lets make it 3अध्यया 5: डॉ. अनाया का विश्लेषण और जोसेफ के बचपन की पहली झलकस्थानः क्रिमिनल बिहेवियर यूनिट, दिल्लीसमयः सुबह 8:00 बजेDr-Anaya Roy ने केस वॉल पर दो बच्चों की तस्वीरें चिपकाई कबीर और तुषार। दोनों की मौत का पैटर्न लगभग एक जैसा थाःखेलने की लाल बॉलगला घोंटकर हत्याडॉल में वही पोजशरीर पर टॉर्चर के निशानचेहरों पर 'मुस्कान'फिर वो ACP अर्जुन से बोलीSir ये महज मर्डर नहीं है३ ये re enactment है।कातिल किसी बचपन की पीड़ा को रिवाइव कर रहा है बार-बार। हर बच्चा उसका शिकार नहीं उसकी याद है।"ACP अर्जुन ने पूछा"तो हमें उसका अगला शिकार जानने के लिए क्या करना होगा?"Dr-Anaya"हमें उसके अतीत में उतरना होगा"डॉ. अनाया का प्रोफाइलिंग नोट्स (Voice Recording Entry 05) उसका गुस्सा मासूमियत पर है शायद वो खुद भी एक मासूम था, जिसे बचपन में control किया गया, psychologically tortured किया गया।"Every blood ball... is a way to erase that memory or maybe] relive it again and againFLASHBACK (जोसेफ का बचपन)स्थानः "क्रॉस एंड होप" अनाथालय, दिल्ली (1998)एक अंधेरा कमरा। 6 साल का जोसेफ, डरा हुआ, घुटनों के बल। सामने एक Father Elijah नाम का सनकी पादरी खड़ा है।"पापी बच्चों को खेल से सुधारा जा सकता है""आज Blood Ball Day Joseph"तैयार हो?"कमरे में दीवार पर एक डॉल टंगी है एक बच्चे की शक्ल जैसी। नीचे फर्श पर खून के छींटे हैं और एक लाल बॉल लुढ़कती है। जोसेफ रोते हुए कहता है "मैं अच्छा बच्चा हूँ प्लीज मत..."Father Elijah उसकी आंखों में देखता है"तो जीत कर दिखाओ Blood Ball."वर्तमान Dr- Anaya dh Conclusion"हमारा कातिल वही खेल दोहरा रहा है, जो उससे बचपन में जबरन खिलवाया गया था। फर्क बस इतना है तब वो खिलाड़ी था अब रिफरी भी वो है, और जल्लाद भी।"अर्जुन ने सिर झुकाया"तो हमें उस अनाथालय को ढूंढना होगा जहां Blood Ball का पहला राउंड खेला गया था।"Meanwhile... जोसेफ अपनी दीवार पर एक पुरानी तस्वीर देख रहा था'क्रॉस एंड होप - Year 1998"उसमें एक डॉल टंगी है और पास में एक बच्चा खड़ा है मुस्कुराता हुआ। जोसेफ ने कहाःGame over तभी होगा... जब आखिरी डॉल भी गिराई जाएगी।"Lets go back... homeChapter 6: क्रॉस एंड होप खून से सना अतीतस्थानः उत्तरी दिल्ली एक वीरान इलाकासमयः दोपहर 3:10 बजेअर्जुन Dr- Anaya और टीम एक पुराने खंडहर जैसी इमारत के बाहर खड़े थे। जर्जर बोर्ड पर faded अक्षरों में लिखा थाCross Hope Orphanage - Established 1976"20 साल से बंद पड़ा था ये अनाथालय। दरवाजा जंग खा चुका था, लेकिन ताला नया था। "किसी ने हाल ही में इसे खोला है," अर्जुन ने कहा।भीतर प्रवेश-जैसे ही टीम अंदर घुसी, एक बदबूदार सड़ांध ने उनका स्वागत किया। दीवारों पर बच्चों की टेढ़ी-मेढ़ी ड्रॉइंग्स,कुछ डॉल्स उलटी लटक रही थीं, और फर्श पर एक अजीब सी खून से बनी रेखा जैसे किसी गोल घेरे का हिस्सा हो। Dr-Anaya ने धीमे स्वर में कहा"ये कोई साधारण जगह नहीं... यहाँ किसी Ritual का अभ्यास होता था।" फाइल रूम की खोजअर्जुन और उनकी टीम ने तहखाने में एक पुरानी लोहे की अलमारी तोड़ी। अंदर थीं ढेर सारी फाइलें कृ बच्चों के नाम, जन्मतिथि, और उनका 'मनोविकास रिकॉर्ड'।एक फाइल पर नाम लिखा थाJoseph N- Subject No- 17रिपोर्ट का अंशःSubject Joseph shows dissociative behavior- Highly resistant- Requires reconditioning via Blood Game-Recommendation Assign to Father Elijah for special correctional therapyDr-Anaya की आंखें भर आईं।"ये बच्चा मानसिक रूप से बीमार नहीं था बीमार बनाया गया।" एक कमरा और एक वीडियो कैमरा एक कमरे की दीवार पर कैमरा सेटअप था और सामने लकड़ी की कुर्सी। अर्जुन ने वहां पड़ी एक पुरानी VHS Vsi उठाई नाम लिखा थाः Blood Ball - Session 4 Joseph प्ले किया गया।स्क्रीन पर 6 साल का जोसेफ बंधा हुआ था। सामने Father Elijah बॉल उछालता हुआ बोल रहा थाः Say it Joseph I deserve pain जोसेफ कांपते हुए बोलता है:I deserve pain Good boy- Now lets playवर्तमान में जोसेफ... कहीं दूर, एक पुरानी डॉल को जोसेफ सुई से सी रहा है। पास में एक बच्चा बेहोश पड़ा है। जोसेफ धीमे से बड़बड़ा रहा है: Cross & Hope ने मुझे जन्म दिया... अब वहीं से खेल खत्म होगा." Next round--- The Final Round---Chapter 7: Final Roundमासूमियत का जनसंहार स्थानः दिल्ली एक अज्ञात स्कूल की बिल्डिंग (अब बंद पड़ी)समयः रात 11:45 बजेजोसेफ ने टेबल पर एक नया बोर्ड बिछा रखा था उस पर 6 बच्चों की तस्वीरें थीं तीन मर चुके थे, दो लापता और एक बच्चा अब जोसेफ के सामने बेहोश पड़ा था आठ साल का आरव । जोसेफ ने रेडियो चालू किया Attention Delhi... Blood Ball dk Final Round शुरू हो चुका है."दिल्ली पुलिस कंट्रोल रूम पैनिक मोड जोसेफ की रिकॉर्डिंग वायरल हो चुकी थी। टीवी चौनलों पर ब्रेकिंग न्यूजः "साइको किलर जोसेफ ने दी धमकी Blood Ball dk Final Round आज रात ।" अर्जुन टेबल पर मुट्ठी मारते हुए चिल्लाया "हमें वो स्कूल चाहिए अभी के अभी !"Dr-Anay की आखिरी प्रोफाइलिंग "जोसेफ अब Hero बन चुका है उसके अंदर अब pain नहीं, power है। Final Round में वो बच्चों के साथ भीड़ को भी इस्तेमाल करेगा।पब्लिक, मीडिया सबको witness बनाना चाहता है।" "उसका मकसद अब सिर्फ मारना नहीं, दुनिया को अपना दर्द दिखाना है लाइव।" लोकेशन ट्रैक होती है AI ट्रेसिंग से टीम को पता चलता है पुरानी स्कूल बिल्डिंग St- Marys International जिसे पिछले साल बंद किया गया था।अर्जुन, डॉ. अनाया, और स्पेशल टीम रेडी होती है।Final Showdown Midnight St- Marys Schoolबिल्डिंग में प्रवेश करते ही दीवारों पर बच्चे के खून से बने हाथों के निशान दिखते हैं। क्लास रूम के अंदरबत्तियाँ जलती हैं। जोसेफ सामने है लाल कोट में, हाथ में बॉल और माइक। पास में 6 बच्चों को बंधक बनाया गया है, और कैमरे ऑन ।जोसेफःWelcome to the Grand Finale of Blood Ball---एक ऐसा खेल जिसमें बचपन हारेगा३ और पाप जीतेंगे।"अर्जुन और जोसेफ आमने-सामने Dr-Anay ने जोसेफ से बात शुरू की।Joseph... तुम बच्चे नहीं मार रहे, तुम अपने अंदर के Father Elijah को मार रहे हो बार-बार।जोसेफ का चेहरा हिलने लगा उसकी आंखों में आंसू थे। "मुझे भी मुस्कुराते हुए मरना था ना... जैसे उन्होंने सिखाया?"अर्जुन धीरे से करीब आया और PULLS THE TRIGGER- गोली सीधी जोसेफ के कंधे में लगी बच्चे आजाद ।Final Sceneजोसेफ गिरा खून में सना। उसके हाथ में एक अंतिम डॉल थी जिसका चेहरा था जोसेफ के बचपन जैसा ।Finally--- I win...Blood Ball--- Game OverTV स्क्रीन पर अगले दिनAnchor Ria Bakshi"जोसेफ मरा नहीं, मानसिक अस्पताल भेजा गया है लेकिन देश को याद रहेगा वो नाम जिसने मासूमियत को शिकार बनाया।" "Blood Ball अब बंद हो चुका है... पर क्या हमारे सिस्टम की आंखें खुली हैं?"

       THE END   

                                                                      -अनुज श्रीवास्ताव (लेखक)....