"जब अधर्म अपने चरम पर होगा..."" जब सत्य को कुचल दिया जाएगा..." "जब कलियुग की रात अंधकार में सब कुछ निगल जाएगी..." "तब वह आएगा... एक घोड़े पर सवार..." "श्वेत वज्र की तरह तेज़, और क्रोध की ज्वाला जैसा प्रचंड..." "न वह सिर्फ योद्धा है... न ही सिर्फ देवता..." "वह है — समय का अंतिम न्याय!" "वह है — कल्कि!"
प्रस्तावना - कल्कि भागवान के एक आवतार कि कथा है जो अभी नही हुई है जो होने वाली है। जो एक महाकव्यात्मक है। उसी के विषय में ये बुक को लिखा हुँ। ये बुक को लिखने का माध्यम हमारा सिर्फ मनोरजन के लिए है भविष्य में होने वाली घटना से हमारा कोई वास्ता या बुक का वास्ता नही है। जो एक ये बुक मे दिये गए स्थान और समय घटना पुरी तरहा से कल्पनिक है अगर ये बुक से किसी जात-पात या धर्म को ठेस पहुंचती है तो मै क्षमा चाहता हूँ।
धन्यवाद
लेखक-अनुज श्रीवास्ताव
बुक का संक्षिप परिचय
जब ब्रम्हाड के सारे नियम टूटने लगें जब धर्म की आखिरी सांस भी अंधकार में डूबने लगे तब समय की राख से जन्म होता है- कल्कि का। यह कहानी भविष्य की है जब तकनीक एलियन सभ्यताएं तंत्र और विज्ञान मिलकर एक नए युग की शुरूआत करते है.....लेकिन इस बार युद्ध सिर्फ पृथ्वी पर नही है देवताओं और अधोलोक के राक्षसों के बीच है। यह मल्टीवर्स आकाशीय यह अतिंम समय है। यह कलयुग का अंत है। यह कल्कि अंतिम युद्ध है।
अध्याय 01 अतिंम भविष्यवाणीस्थान
हिमालय के नीचं एक गुप्त आश्राम कालश्रृंग आश्रामवर्ष 3099 ईस्वीबर्फ की चादर से ढँकी दुनिया के सबसे उचे शिखर के नीचे एक गुफा है महर्षि वेदग्न जिसे पिछले हजारों वर्षो से कोई नही जानता वही बैठा था 312 वर्ष का एक ऋषि जिसने समय की रेखा पढ ली थी। अचानाक गुफा कापंने लगी आकाश में बिजली चमकी शंख की आवाज गूंजी बिना किसी के फूके। महर्षि वेदग्न की आखे खुलीं उन्होने भविष्य की रेखा में जो देखा वो पहले कभी किसी ने नही देखा था। जब सूर्य रक्त हो जाएगा जब चंद्रमा चुप रहेगा तब धरती को न कृष्ण बचा सकेगा ना राम तब अवतरित होगा अंतिम अस्त्र कल्कि और यह पृथ्वी या तो नवजीवन पाएगी या पूर्ण समाप्ति । तभी गुफा की दीवार पर अचानक जल उठे अक्षर काल लौट आया है धरती सूख चुकि है पानी का नामो निशान नही है गंगा सुख चुकि है भगवान अपने धाम वापस जा चुके है मदिर टुट चुके है इंसान अब धर्म छोड अर्धम अपना चुके है वही धरती कि आखरी शहर काशी ही बचा है।कल्कि
जन्म-
स्थान संभाला भारत
तरीख 21 मार्च 3150
धरती अब बंजर हो चुकि थी उसी बिच धरती पर और एक बच्चा जन्म ले रहा था। बच्चे जब रोटा है तब पुरा शहर शांत हो जाता है। बिजली चली जाती है बारिश बहुत तेज हो रही थी तभी उस अंधेरे में एक घोडा दिखता है उसपे बैठा एक देव नाम कल्कि तभी एक बच्चा जन्म लेता है उसका नाम आरव गया आरव बाल्यकाल शक्ति की छाया आरव बंचपन में शात था पर कभी-कभी गुस्में में उसकी आंखे चमकने लगती बंचपन में ही उसने बिजली को छूकर जला दिया था।
कल्कि और पाँच चिंरजीवी
जब भागवान भी भ्रम में हो जब चीरंजीवी मार्गर्शन करते है। स्थान महाभारत के मैदान के नीचे छिपा हुआ एक प्राचीन रहस्य समय तीर्थ
समय 3182 ईस्वी आरव अब 32 वर्ष का हो चुका था उसने देखा था मशीनों द्वारा मंदिरो का जलाया जाना और कैसे कली मनुष्य की सोच को प्रभवीत करता है। लेकिन उसे अब भी पता नही था कि वह कौन है नारायण की अतिंम पुकार सुनाई दी थी ब्रम्हाड की गूंज बन कर । कलियुग अब अपनी चरम सीमा पर था। पाप अधर्म और लालच ने मानवता को ग्रस लिया था। परशुराम हिमालय की एक बर्फीली कंदरा में तपस्या पर थे जब एक तेंज प्रकाश उनके सामने उभरा। उठो परशुराम समय आ गया है.... काली जाग चुका है। पाचं चिंरजीवी हनुमान अश्वत्थता परशुराम विभीषण और कृपाचार्य सभी अपने स्थानों से निकल पडे ये पॉच जिनका काम समय को पराजित करना का वरदान था अब अतिंम अवतार का मार्गदर्शन करने को तैयार थे।अश्वत्थामा की आँखो में आग अश्वत्थामा जो शापित थे अमरता के लिए कल्कि से पहली बार उज्जैन के उजडे मंदिर में मिले। उनकी आखों में हजारों वर्षों का आक्रोश दुख और पश्याताप था। कल्कि ने उनका मस्तक छुआ और समय के संतुलन को महसुस किया दो युगो कि आत्मा एक साथ टकराई। अतिंम अध्याय कल्कि बनाम काली दुनिया की हर सीमा टूट चुकी थी महासागर काले पड चुके थे। आकाश पर राक्षसी उडन मंडरा रही थी। काली जो मानवता को खतम करना चहता था। कल्कि के अपने घोडे पर सवार थे आर उनके साथ 5 चिंरजीवी थे
काली ने कल्कि से कहा कल्कि मै जानता हु इन मनुष्यों को मुझसे बचाने आया है लेकिन में रावण या कंस नही जो मार देगा मै मनुष्य की सोच हु कैसे मारे गा।
कल्कि - मै परब्रम्ह हुँ और तुझे मारना ही मेरा धर्म है जीत सत्य की होगी।
कहा जाता है राक्षसों के गुरू शुकचारय ने मनुष्यों को श्राप दिया था कि वो खुद के हि दुश्मन बन जाऐगेकाली और कल्कि के बीच महा युद्ध हुआ प्रलय से कम नही था।
काली ने और कल्कि ने जब एक दुसरे पर प्रहार करते तो ऐसा लगता की मानो दुनिया खतम हो रही है हर तरफ तबाही मच गई। कली ने अंतिम प्रहार किया तब कल्कि ने उसे अपने भीतर प्रवेश कर बाहर फेंक दिया तभी कली को हराया जा सकता है।अंत में सब कुछ शांत हो गया केवल एक नवजात बालक बचा और पाचं चिरंजीवी । पुरा संसार जल में डूब गया और एक यूनिवर्स का अंत हो गया जो एक बडे से ब्लैक होल में समा गई भगवान कल्कि और बकि अपने धाम को लौट गये फीर एक नये युग कि शुरूवात में नये ब्रम्हाड को बनाने में।
हमे लगता है कि एक ही समय हर यूनिवर्स में चल रहा है लेकिन नही कहा जाता है कि समय सीमा सब युनिवर्स में अलग-अलग है किसी में अभी दुनिया बनी है और कही खतम हुई या अभी कुछ ओर अंत में सिर्फ एक चेतना बचती है। और कुछ नही। ये एक महाकव्य है जिसे हम बुक के माध्यम से आप तक पहुंचा रहे है इसे हमारा सत्य / असत्य से कोई नाता नही है सासार के प्ररभ में चार युग बाताए गये है और कलयुग अतिंम है और अंत निश्चीत है।
जो कलयुग के अतं में होगी।
THE END
लेखक - अनुज श्रीवास्ताव