कमलेश रात को अपने कमरे में सोया हुआ हैं ।उसकी खिड़की से एक लड़की रूम के अंदर आ रही हैं। उसके पैरों की आवाज से कमलेश जग गया । देखा तो शालिनी थी । शालिनी उसके क्लास में साथ पढ़ने वाली लड़की थी जो शांत और सुलझी हुई लड़की थी जो कम बात करने वाली लड़की हैं । अचानक से आने से कमलेश ने पूछा कि वो यहां क्या कर रही हैं ।
शालिनी: अरे वो तुम से बात करनी थी तुम फोन उठा नहीं रहे थे । तो यहां आई पर तुम तो सो रहे हो।
कमलेश: ठीक हैं तो सुबह भी तो बात हो सकती हैं ना अभी तो रात होगीए हैं तो जाओ और मुझे वैसे भी बात नहीं करनी तुम से।
शालिनी: अरे सोरी ना । मुझे तो थोड़ी पता था कि यह गेम में मुझे तुम को थप्पड़ मारने को बोला जाएगा ।
कमलेश : वहां पे इतने सारे लोग थे उसमें से कोई भी नहीं में ही मिला । क्यों? ऐसा क्या किया हैं मैने ।
शालिनी: अरे पर यह तो एक गेम था ना जिसमें सिर्फ हसी मजाक होता हैं
कमलेश : चलो छोड़ो । मुझे तुम से कुछ नहीं बोलना । तुम यहां से जाओगी या में यहां से जाऊ।
शालिनी: में जाती हूं लेकिन तुम प्लीज मुझे माफ करदो।
कमलेश नज़ीदक आते हुवे: में तुमसे नाराज़ हु या खुश तुमसे इससे क्या ? तुम्हारा उर मेरा क्या रिश्ता हैं । क्या फर्क पड़ता हैं में रहूं या ना रहूं
शालिनी ( रोते हुवे) : फर्क पड़ता हैं । इसे मत बोलो। तुम मेरे लिए खास हो।
कमलेश : अरे छोड़ो । जाओ यहां से वरना वो रोहन अपनी नस काट लेगा अगर मुझे तुम्हारे साथ देखे गा तो।
कहानी फ्लैशबैक में : रोहन और कमलेश दो दोस्त हैं २ साल की साथ पढाई में दोनों पके दोस्त बन गए। अंतिम वर्ष की पढाई में दोनों अलग विषय के चलते अलग हुवे और दोनों के बीच शालिनी आई। शालिनी भोली और सुलझी हुई लड़की । रोहन को उसपर पहले से आकषर्ण था । और यह आकषर्ण प्यार में कैसे बदला पता ही नहीं चला
एक दिन रोहन और कमलेश एक कैफे में बैठे थे। सामने से शालिनी चल के आ रही थी उसको देख के रोहन उसको बुलाता हैं यहां जगा खाली हैं । कमलेश कुछ खास ध्यान दिए बिना बैठा हैं । शालिनी की मुलाकात अब रोहन ने कमलेश से करवाई।
रोहन : भाई , यह शालिनी हैं । मेरे क्लास में पढ़ती हैं । कमलेश: हेलो। मेरा नाम कमलेश ।
शालिनी ( कमलेश की और देख के ) : हेलो! में शालिनी
रोहन : कमलेश तुझे कोई काम हैं क्या ? हो तो कर के आ ( उसको यह से जाने को मनाता हैं )
कमलेश: हा में तो वैसे भी हर बार बीच में ही आता हूं । एक बात बता देता हूं दोस्ती सबसे ऊपर होती हैं । बाकी तेरी मर्जी।
शालिनी : सही कहा । मुझे भी क्लास में जाना हैं बाद में मिलते हैं ।
रोहन : अरे क्लास नहीं हैं तब तक बैठो। भाई तू भी बैठ जा बस।
कमलेश : नहीं भाई मुझे कोई काम नहीं यह पे। में जा रहा हूं ।
यहाँ आपके प्लॉट के अनुसार मैं **इस भाग का पूरा क्लाइमैक्स** लिख रहा हूँ जो भावनात्मक रूप से गहराई से जुड़ता है, साथ ही सभी किरदारों के अंदर चल रही उलझनों, भावनाओं और बदलावों को भी दर्शाता।
कमलेश और रोहन एक बेंच पर बैठे हैं, चुपचाप।
**रोहन (मुस्कुराते हुए):** भाई, आज मैंने शालिनी को भी बुलाया है। टाइम पास अच्छा रहेगा तीनों का।
**कमलेश (भीतर से चौंकते हुए, पर चेहरे पर कुछ नहीं):** ओह... अच्छा।
कमलेश की आंखें नीचे झुकी हैं। वो रोहन की आंखों में नहीं देख पा रहा। अंदर ही अंदर एक अजीब-सी खटास महसूस कर रहा है। कुछ तो बदल गया है… **दोस्ती की जगह अब कोई तीसरा आ बैठा है।**
कुछ ही देर में शालिनी गार्डन में आती है। रोहन उठकर खुशी से उसका स्वागत करता है। कमलेश वहीं बैठा रह जाता है।
**शालिनी (धीरे से):** हाय कमलेश...
**कमलेश (जवाब दिए बिना, बस सिर हिला देता है):**
शालिनी थोड़ी असहज हो जाती है, पर नजरें उस पर ही टिक जाती हैं।
**शालिनी सोचती है:**
*ये लड़का सबसे अलग है। ना दिखावा, ना जबरन की बातें। बस... सीधा-सच्चा। मगर आज कुछ तो बात है। ये मुझसे नजर क्यों नहीं मिला रहा?*
रोहन और शालिनी हँसते हैं, बातें करते हैं, जबकि कमलेश खुद में ही खोया है। मन में सवाल गूंजता है:
**"क्या अब मैं रोहन के लिए जरूरी नहीं रहा? क्या शालिनी के आने से सब कुछ बदल गया?"**
धीरे-धीरे ये ख्याल **ईर्ष्या में** बदलने लगता है। कमलेश को लगने लगता है कि **शालिनी उसकी दोस्ती छीन रही है।** और वही ग़लतफ़हमी अब **नफरत का रूप** लेने लगती है।
शाम होते-होते तीनों उठते हैं। रोहन कमलेश को गले लगाता है, लेकिन कमलेश का मन उस तरह से नहीं जुड़ पा रहा। वो बस मुस्कराकर बात टाल देता है।
**रास्ते में चलते हुए, शालिनी धीरे से बोलती है:**
**"कमलेश... तुम पहले जैसे नहीं रहे। कुछ बदले-बदले से लगते हो। क्या मैंने कुछ गलत किया?"**
**कमलेश (कड़वाहट से):**
**"अगर मैं कुछ नहीं कहूं तो बेहतर होगा। वैसे भी, अब तुम्हारे और रोहन के बीच मेरी कोई जगह नहीं रही।"**
**शालिनी (धीरे से):**
**"अगर ऐसा होता, तो मैं तुम्हें इतनी बार देखती क्यों? तुम्हारे लिए इतनी फीलिंग क्यों होती?"**
कमलेश पहली बार उसकी आंखों में देखता है। कुछ पल दोनों के बीच खामोशी रहती है।
**कमलेश (मन ही मन):**
*क्या मैं उसे गलत समझ रहा था? क्या वो सिर्फ रोहन की वजह से नहीं, मेरे लिए भी आती है?*
लेकिन तभी, अगले ही दिन…
**रोहन कमलेश को बताता है कि वो शालिनी को अपने घरवालों से मिलवाने वाला है।**
**"भाई... सोच रहा हूं अब बात आगे बढ़ाऊं। मम्मी-पापा से मिलवाऊंगा उसे। सीरियस हूं मैं।"**
कमलेश की सांस रुक जाती है।
**अब बात सिर्फ दोस्ती की नहीं थी। अब वो लड़की जिससे शायद कमलेश खुद को जोड़ने लगा था… वो रोहन की जिंदगी बनने वाली थी।**
उस रात, कमलेश अकेले अपने कमरे में बैठा था। मोबाइल स्क्रीन पर शालिनी का नाम चमक रहा था।
**"Call incoming: Shalini"**
कमलेश ने **फोन काट दिया।**