रचना: बाबुल हक़ अंसारी
". भाग 6 धुन जो अब रुकती नहीं"
पिछले अध्याय की कुछ पंक्तियाँ —
"अब ये कहानी सच में मुकम्मल होने लगी है…",
आदित्य के इन शब्दों ने जैसे तीनों की ज़िंदगी के बीते पन्नों पर नई स्याही फेर दी थी।
अगले दिन सुबह का सूरज गंगा के पानी पर हल्के-हल्के थिरक रहा था।
आयशा, अब डायरी बंद नहीं कर रही थी —
बल्कि हर पन्ना खुद से बोलने लगा था।
स्टूडियो में नया सत्र शुरू हुआ —
इस बार अयान और आयशा साथ थे,
और आदित्य ने उन्हें पहली बार एक साथ देखा — "जैसे दो अधूरी आवाज़ें अब संगत बन चुकी हों।"
अनकही चिट्ठियाँ" का नया एपिसोड प्रसारित हुआ:
ये चिट्ठी उस मोहब्बत के नाम है
जो कभी शब्दों में नहीं आई,
पर हर धड़कन में गूँजती रही।
वो मोहब्बत…
जो किसी एक की नहीं थी,
बल्कि तीन रूहों की साझी तपिश बन गई थी…"
आयशा की आँखों से आंसू नहीं,
सुकून बह रहा था।
अयान की आवाज़ में पछतावे की जगह अब प्रायश्चित की ठहरी गरिमा थी।
"अब मैं गिटार नहीं छोड़ूँगा," अयान ने कहा,
"क्योंकि ये सुर अब मेरी नहीं,
आर्यन की यादों की ज़िम्मेदारी हैं।"
स्टूडियो के बाहर भीड़ बढ़ने लगी थी —
लोग अब चिट्ठियाँ नहीं,
अपने अधूरे इश्क़ों की उम्मीदें छोड़ने आने लगे थे।
"तुम दोनों ने मोहब्बत को एक आवाज़ दी है,
अब कोई अकेला नहीं गाएगा…" —
एक बुज़ुर्ग श्रोता ने कहा।
"धुन अब रुकती नहीं,
क्योंकि मोहब्बत ने अपना आख़िरी सुर पा लिया है…"
– ये पंक्तियाँ अब पोस्टरों पर छप रही थीं।
और रेडियो की उस रात्रि को
जब तीनों ने पहली बार मिलकर
"आर्यन की आखिरी रचना" को गाया —
तो ऐसा लगा जैसे उसका साया घाट की सीढ़ियों पर बैठा मुस्कुरा रहा हो।
: "वो रूह जो अब लौट आई"
अयान और आयशा अब ग़म से नहीं, वफ़ा से गा रहे थे।
लेकिन एक सवाल अब भी आदित्य को भीतर से कुरेदता रहा —
"क्या किसी की रूह सच में लौट सकती है?"
स्टूडियो में एक अजीब-सी घटना घटी।
उस रात रिकॉर्डिंग के दौरान
जब अयान ने आर्यन की अधूरी धुन को पूरा किया,
तो माइक के सामने कोई दूसरी आवाज़ भी रिकॉर्ड हो गई —
जो वहाँ मौजूद नहीं था।
"मैं अधूरा नहीं हूं,
मैं बस तुम्हारी मोहब्बत में सिमट गया हूं…"
आदित्य ने जब ये सुना,
तो उसके रोंगटे खड़े हो गए।
आयशा और अयान सन्न।
"ये… ये आर्यन की आवाज़ है!"
आयशा का चेहरा सफेद पड़ गया।
अगले दिन घाट पर एक बूढ़े बाबा मिले,
जिनकी आँखें किसी देखे हुए अतीत में डूबी थीं।
उन्होंने सिर्फ एक बात कही:
रूहें तब लौटती हैं
जब उनकी मोहब्बत अधूरी नहीं,
बल्कि मुकम्मल हो जाए…
और ये मुकम्मल तभी होती है
जब याद करने वाला रुकता नहीं।"
अनकही चिट्ठियाँ" का विशेष एपिसोड निकाला गया —
जिसका नाम था:
"रूह जो लौट आई — आर्यन की अंतिम आहट"
इस एपिसोड में पहली बार
आर्यन की असली आवाज़, अयान की धुन और आयशा की चुप्पी
तीनों को एक साथ बजाया गया।
लोगों ने रेडियो नहीं,
जैसे अपने अधूरे रिश्ते सुने।
उस रात, घाट पर एक दिया जलता रहा।
कोई दिखा नहीं,
पर आयशा को ऐसा लगा —
जैसे कोई आराम से सिर रख कर उसकी गोद में सो गया हो।
"अयान," आयशा ने धीमे से कहा,
"अब आर्यन लौट आया है,
लेकिन अब वो किसी एक का नहीं…
वो हर उस धुन में है जो वफ़ा से निकली हो।"
(…जारी है – अगला भाग: "जब शब्द नहीं थे, सुर बोले थे")