कभी यादों में आओ ❤️ ( मुक्ति )
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एप्सन हॉस्पिटल ( काल्पनिक )
मुंबई
आशी मशीनों से घिरी आधी बेहोशी कि हालत में लेटी थी । कुछ देर पहले उसे नींद का इंजेक्शन दिया गया था पर उसका असर आशी पर बिल्कुल नहीं हुआ । वो सुनी आंखों से कमरे कि छत को निहार रही थी । नींद उस पर हावी हो रही थी पर वो तो सोना ही नही चाहती थी ।
आशी का एक हाथ उसके पेट पर था और एक अपनी बगल में ...!
दोनों ही जगह उसके हाथ कुछ ढुंढ रहे थे । वो कभी अपनी बगल में कुछ टटोलती तो कभी अपने पेट पर हाथ फेर कुछ महसूस करने कि कोशिश करती ।
उसे ये भरोसा ही नहीं हो रहा था कि उसका बच्चा इस दुनिया मे नहीं रहा । बार-बार ये सोच उसकी आंखों से आंसू बह जाते ..!
कितने सपने संजोए थे उसने अपनी बच्चे को लेकर ... सब.. सब तबाह हो गया !!!
धीरे धीरे वो नींद के आगोश में चली गई ।
वो कोमा में चली गई थी फिर पता नहीं अचानक से क्या हुआ उसे एक तेज झटका आया और आशी कि आखे अपने आप खुल गई । डॉ हैरान थी कि ये एक दम से क्या हुआ ...! पर सबने इसे बागवान का चमत्कार ही समझा। ।
आशी के वार्ड के बाहर पुलिस तैनात थी । उसका पति एसिपि से कुछ बात कर रहा था । वो भी बच्चे को खोने के दुख को बर्दाश नहीं कर पा रहा था , पर अगर वो ही हिम्मत हार लेगा तो आशी को कौन संभालेगा ।
आशी के होश में आने कि खबर पाते ही एसिपि हॉस्पिटल आ गया था । लेकिन यहां आते ही उसने आशी को तड़पते देखा अपने बच्चे के लिए ..!
वो तो जैसे पागल ही हो गई थी । बड़ी मुश्किल से उसे उसके पति ने संभाला ....!
एसिपि आशी से बहुत कुछ पुछना चाहता था पर हालात को देखते हुए उसने अभी यहां से जाना ही सही समझा ।
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एसिपि बिना किसी भाव के कार ड्राइव करें जा रहा था । तभी उसका फोन बजा !!! सक्षम का मैसेज आया था । उसने एक पिक सेंड करी थी । एसिपि कार साइड में लगा फोन चैक करता है , तो उस पिक को देख थोडा असमंजस कि स्थिति में चला जाता है ।
फोटो में एक आदमी जो पुरी तरह से सफेद कपड़ों में ढका था । उसकी सिर्फ आंखें दिख रही थी जो गहरी काली थी ...!
एसिपि सोचने लगा कि ये आखिर है कौन ????
उसने सक्षम को कॉल लगा दिया । दो रींग जाने के बाद ही सक्षम ने फोन उठाया ।
" कौन है ये ????? " एसिपि ने पूछा
" रॉकी ने जो कुछ बताया और जो हुलिया बताया , उससे बस ये ही मेल खाता है !!! "
" अगर ये वो ना हुआ जिसे हम ढुंढ रहे हैं तो !!!!! " एसिपि ने संशय से कहा
" आप सानवी जैसे है । उसने भी यही सवाल किया था
। " सक्षम मुस्कुराते हुए बोला
एसिपि ठंडे लहजे में बोला " मैं किसी के जैसा नहीं ...! "
" हार्दिक सर ने भी पता लगाया था और हम दोनों ही इस इंसान तक पहुंचे हैं । तो...अब तो आपको भरोसा हो गया ना सर ! " सक्षम ने कहा
" हम्म !! " एसिपि बस इतना ही कहता है लेकिन वो अब भी पुरी तरह से संतुष्ट नहीं हुआ था । और ये बात सक्षम समझ गया था ।
इसलिए उसने कुछ फोटोग्राफ्स ओर भेजी एसिपि को ।
ये वही फोटोग्राफ्स थी जिन्हे सबसे पहले सानवी और सक्षम ने एसिपि को दिखाया था ।
उन तस्वीरों को देखकर एसिपि का दिमाग खटका !!! क्योंकि इनमें वहीं इंसान नजर आ रहा था जिसकी तस्वीर थोड़ी देर पहले सक्षम ने उसे भेजी थी । और हर तस्वीर में वो शख़्स उन सभी महिलाओं के आस पास नजर आ रहा था जिनका भी कत्ल हुआ था , सिवाय एक के !!!!
एसिपि बिना कुछ कहे फोन रख देता है । वो कार को अपने घर कि तरफ मोड़ देता है ।
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एसिपि ने दरवाजा खटखटाया !!! सामने से एक औरत ने दरवाजा खोला । वो लगभग पैंतालीस साल कि होगी । एसिपि को देख उनकी आंखें भर आईं !!!
एसिपि उस औरत को एक नजर देखता है फिर साइड से निकल जाता है ।
घर बहुत सुंदर था !!!!! सफेद और नीले रंग में रंगा था । एक तरफ डाइनिंग टेबल रखी थी उस से थोड़ा आगे जाये तो दाएं तरफ किचन था ।
हॉल में सोफा रखा था उसके बाजु में एक छोटी टेबल थी जिसपर गुलाब के फूल का फूलदान रखा हुआ था ।
यहां से आगे जाए तो एक तरफ सिडिया़ँ बनी थी और उसके सामने बना था एक बड़ा सा मंदिर , जिस में शिव - पार्वती कि मूर्ती रखी थी । मंदिर से लगती दीवार पर एक औरत कि तस्वीर टंगी थी जिस पर गेंदे के फुलों कि माला लगी हुई थी । वो औरत देखने में बहुत सुंदर थी ।
एसिपि एक नजर हर जगह डालता है फिर चुपचाप सिडियो से होते हुए अपने कमरे में चला जाता है ।
उसका कमरा भी बड़ा सुंदर था । हल्के और गहरे ब्राऊन रंग मे रंगा ।
इस कमरे कि एक दीवार पर कुछ म्युजिकल इंस्ट्रुमेंट्स लगे हुए थे जो एक खास पैट्रन में सजे थे । सामने बेड से लगती दीवार पर एसिपि की खुद की तस्वीर लगी थी ।
एक दीवार पर एसिपि और उसके साथ एक औरत कि कई सारी तस्वीरें लगी थी ।
एसिपि उस तस्वीरो से घिरी दीवार कि तरफ बढ़ जाता है । उन तस्वीरों को देख एसिपि के आंखों के कोर गीले हो जाते हैं । वो एक पिक्चर पर हाथ रखता है । उसमें वहीं औरत मुस्कुराती नजर आ रही थी जिसकी तस्वीर पर हार चढ़ा था ।
ये एसिपि कि पत्नी थी!!!! और उस अंजान कातिल कि पहली शिकार भी....!!!
एसिपि अपनी पत्नी कि यादों में खोता कि उसे एक आवाज अपने कानों में सुनाई पड़ी । वो अपने आंसू पोंछ बेड पर चला जाता है जहां उसकी जान उसका बच्चा लेटा हुआ था....!
एसिपि का बच्चा चार महीने का था । और इस वक्त मुस्कुराते हुए एसिपि कि तरफ हाथ कर रहा था साथ ही प्यारी प्यारी आवाजें निकाल रहा था ।
अपने बच्चे को देख एसिपि तो एक बार के लिए सब भूल गया । उसने बड़े आराम से बच्चे को गोद में लिया और अपने सीने से लग लिया ।
थोड़ी देर में बच्चा सो गया । एसिपि उसे बेड पर लेटा कर अपने कबर्ड के पास चला जाता है । वो कबर्ड का दरवाजा बड़े आराम से खोलता है। एसिपि सामने रखी एक फाइल को उठाता है और उसके पन्ने पलटने लगता है ।
वो पन्ने पलट ही रहा था कि उसका हाथ एक तस्वीर पर आकर रूक जाता है ।
इस तस्वीर में एक आदमी जो रेड कोट , वाइट शर्ट एंड रेड पेंट पहने खड़ा था । उसके बगल में एक औरत खड़ी थी जिसने वाइट कलर का गाउन पहना था जिसके बोर्डर पर लाइट एंड डार्क रेड कलर के पैटर्न बने थे । पुरे गाउन पर हल्के शेड के रेड कलर के मोती जड़ें थे ।
देखने भर से ही ये कपल लग रहे थे ।
इनके साथ एसिपि और उसकी पत्नी , अभिक और उसकी पत्नी , कुछ और दम्पत्ती और आशी खड़े थे ।
इस तस्वीर को ध्यान से देखें तो पता चलेगा कि इसमें जितनी भी औरतें खड़ी थी सभी मारी जा चुकी थी अपनी गर्भावस्था में... सिवाय आशी के !!
एसिपि जल्दी से अपना फोन निकालता है और सक्षम के भेजे गए पिक्चर्स को देखता है । वो बड़े ध्यान से पिक्चर्स में दिख रहे सफेद कपड़ों में ढके आदमी को देखता है और अपने हाथ मे रखी फाइल में जो तस्वीर दिख रही थी उसमें खड़े रेड कोट पेंट पहने आदमी को !!!
अचानक से एसिपि फाइल झटके से बंद करता है और गुस्से से अपना फोन पटक देता है !!!!!!!!
" तू अभी भी बाज नहीं आया!!!!! ग़लत किया जो तुझे जिंदा छोड़ा !!! " एसिपि दहकते हुए बोला
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वो एक जंगल से घिरा इलाका था जिसके बीचों-बीच एक घर बना हुआ था । उस घर से एक गाने के बोल सुनाई दे रहे थे जो जंगल और घर दोनों का ही माहौल बड़ा डरावना बना रहे थे ।
घर में काम करने वाले नोकर जल्दबाजी में अपना काम ख़त्म कर रहे थे । उनके चेहरों पर खौफ नजर आ रहा था
। वो लोग कैसे भी करके बस यहां से निकलना चाहते थे ।
हॉल में एक आदमी कि लाश पड़ी थी । उस आदमी की आंखे खौफ से फटी हुई थी !!!! उसका पेट फटा पड़ा था जिसमें से खून रीस रहा था । आदमी का चेहरा भी खून से भरा था । लाश के आसपास खून फैला हुआ था ।
लाश के सामने रखे सोफे पर एक आदमी बैठा हुआ था । वो पुरा सफेद कपड़ों में ढका था । ये वही था!!!!!!
घर में होने के बावजूद भी उसने अपना चेहरा ढक रखा था पर फिर भी ये साफ़ साफ़ दिखाई दे रहा था कि आदमी का चेहरा खून से सना है ।
उसके दोनों हाथ खून से भरे थे । उसने एक हाथ में लोहे कि रोड पकड़ी हुई थी जिसपर लगा खून आदमी के जुतो पर टपक रहा था । वो जुते भी सफेद रंग में रंगे थे लेकिन रोड से टपक रही खून कि बुंदे जुतो पर अपनी छाप छोड़ रही थी । आदमी के सफेद कपड़ों पर खून के धब्बे पड़े हुए थे ।
इस आदमी कि आंखों में एक नशा दिख रहा था । और वो नशा था लोगों को मुक्ति देने का!!!!!!!!!
सोफे के पास रखी टेबल पर म्युजिक सिस्टम पर वही गाना बज रहा था ' कभी यादों में आओ। '
ये गाना बार बार लूप पर चल रहा था ।
उस गाने को सुनते हुए ' वो ' जुनुन से बोला " शैतानी करना तुम्हारा काम है और मुक्ति देना मेरी जिम्मेदारी !!!! "
" तड़प मै भी रहा हूं तो तड़पना तुम्हें भी पड़ेगा !!! जीना मैं छोड़ रहा हूं तो मरना तुम्हें भी पड़ेगा !!! "
" अब तक तो तुम्हें पता चल चुका होगा मेरे बारे में । तुम्हें लग रहा है कि तुम ने मुझे ढूंढा है पर मेरे यार !!!! पकड़ा तो मैंने तुझे है !! "
इतना बोलकर वो जोर जोर से हंसने लगता है । उसको देखकर सारे नोकर डर से कांप रहे थे !!!
वो लोग जल्दी से घर से निकल गए ।
गाना के बोल सभी को सुनाई दे रहे थे । जो सबके अंदर खौफ पैदा कर रहा था ।
कभी यादों में आऊं
कभी ख्वाबो में आऊं
तेरी पलकों के साये
में आकर झिलमिलाऊं
मैं वो खुशबू नहीं
जो हवा में खो जाऊं
ऊं ऊं ऊं ऊं ऊं
हवा भी चल रही है
मगर तू ही नहीं है
फिजा रंगीन वहीं है
कहानी कह रही है
मुझे जितना भुलाओ
मैं उतना याद आऊं
कभी यादों में आऊं
कभी ख्वाबों में आऊं
ऊं ऊं ऊं
ऊं ऊं ऊं
कभी यादों में आऊं
कभी ख़्वाबों में आऊं
तेरी पलकों के साये
में आकर झिलमिलाऊं
मैं वो खुशबू नहीं जो
हवा में खो जाऊ
ऊं ऊं ऊं ऊं
ऊं ऊं ऊं ऊं
जो तुम ना मिलती
खोता ही क्या ढूंड लाने को
जो तुम ना मिलती
खोता ही क्या ढूंड लाने को
जो तुम ना होती
होता ही क्या हार जाने को
मेरी अमानत थी तुम
मेरी अमानत थी तुम
मेरी मोहब्बत हो तुम
तुम्हे कैसे मैं भुलाऊं
ऊं ऊं ऊं ऊं
कभी यादों में आऊं
कभी ख़्वाबों में आऊं
तेरी पलकों के साये
में आकर झिलमिलाऊं
तडप रहे हो जमाने से मुसकुराने को
तडप रहे हो जमाने से मुसकुराने को
तरस रहे हो जमाने से पास आने को
तेरी धड़कनो में बस कर
तेरी धड़कनो में बस कर
तेरी साँसों में रह रह कर
तुम्हे हर पल सताऊं
ऊं ऊं ऊं ऊं
कभी यादों में आऊं
कभी ख़्वाबों में आऊं
तेरी पलकों के साये
में आकर झिलमिलाऊं
मैं वो खुशबू नहीं जो
हवा में खो जाऊ
ऊं ऊं ऊं ऊं
ऊं ऊं ऊं ऊं
ऊं ऊं ऊं ऊं
क्रमशः
इस भाग में बस इतना ही । कुछ भी गलती हो तो माफ़ करना 🙏🏻