***कभी यादों में आओ ❤️ ( मुक्ति )*** ( अंततः मुक्ति )
एसीपी का नाम आग्नेय है अगर किसी को भी कन्फ्यूजन है तो जान लिजिए बाकि कहानी के अंदर मैं एसीपी या आग्नेय दोनों इस्तेमाल करने वाली हूं तो कन्फ्यूज ना होना ! और हां! कमेंट कर देना स्टोरी पर सब ।
**********
एप्सन हॉस्पिटल
मुंबई
वो एक कमरा था जहां दो बैड लगे हुए थे । एक बैड पर अभिक लेटा था जिसके हाथ पर एक ड्रिप लगी थी और चेहरे पर ऑक्सीजन मास्क !
दूसरे बैड पर आग्नेय लेटा था। उसका भी कुछ ऐसा ही हाल था बस फर्क इतना था कि उसका पूरा शरीर पट्टीयों से ढका था !
दोनों लड़कों कि आंखें बंद थी । उनके पास ही सक्षम और सानवी खड़े थे जो इनके होश में आने का इंतजार कर रहे थे । तभी आग्नेय में मूवमेंट हुई ! सानवी ने उसे देखा तो वो सीधी होकर खड़ी हो गई । उसने एसीपी के सर पर हाथ रखा और फिर उसका हाथ पकड़ लिया जो हिल रहा था ।
उसने पलट कर सक्षम को देखा जो फ़ोन पर किसी से जरूरी बात कर रहा था । सानवी ने गहरी सांस ली और एसीपी का हाथ धीरे से बेड पर रख दिया और उसके सर पर हाथ फेर जल्दी से डॉक्टर को बुलाने चली गई ।
अगले कुछ मिनट में वो डॉक्टर के साथ कमरे में वापस दाखिल हुई ।
डॉक्टर ने एसीपी को देखा और जल्दी से उसकी तरफ बढ़ गई । सक्षम ने एक भंव उठाकर सानवी को देखा !
" वो मूव कर रहे थे तो मैंने डॉक्टर को बुला लिया ..! " सानवी बोली ।
सक्षम ने हां में सर हिला दिया । वो सानवी के पास आया और उसके कान में कुछ बोला जिसे सुनकर सानवी की आंखें चमक गई और चेहरे पर मुस्कान आ गई । वो जल्दी से सक्षम के गले लग गई !
*********
दो दिन बाद
कश्यप मैंशन
हॉल में एसीपी शॉक होकर बैठा था ! वो टीवी पर एक न्यूज देख रहा था जिसे देख कर उसकी हवाइयां ही उड़ गई थी ...!
टीवी पर खबर आ रही थी कि इतने दिनों से शहर में हो रहे एक्सिडेंट या यूं कहें प्रेगनेंट लेडी के कत्ल करने वाला जल्लाद पकड़ा जा चुका है । पुलिस को उसके खिलाफ कई ऐसे सबूत मिले हैं जो ये साबित करता है कि अभ्युदय दायमा ही इन सभी कत्ल के पीछे था । शहर में अभ्युदय दायमा के खिलाफ लोग धरने पर बैठ गए हैं । लोगों में गुस्सा उबल रहा है! खासकर उन लोगों में जिनके परिवार कि औरतों को इस जल्लाद ने मौत के घाट उतार दिया ...!
पर एसीपी हैरान इसलिए नहीं था कि अभ्युदय को जेल में डाल दिया गया । बल्कि उसे हैरानी तो इस बात की थी की सबको उसके खिलाफ सबूत कहा से मिले ..!
वो उठा और उसने एक पैनी निगाह अपने सामने बैठे तीन लोगों पर डाली ! उसके सामने सक्षम , सानवी और अभिक बैठे थे ।
" कैसे किया ये सब ? ",, एसीपी ने पूछा
तीनों में से कोई नहीं बोला । वहां आवाज आ रही थी तो बस न्युज एंकर के चिल्लाने कि ..!
तभी सानवी उठी और उसने टीवी बंद कर दिया । फिर वो मुंह बना कर बोली ,,,"" पकड़ लिया ना उसे ! ये इतना क्यूं चिल्ला रही है ? ""
" तुम रिपोर्टर लोग ऐसे ही बजते रहते हो जब देखो ! ",, एसीपी ने कहा ।
सानवी अपनी कमर पर हाथ रख गुस्से से बोली ,,,"" बजते रहते हैं से मतलब क्या है आपका ! हम लोग क्या चिल्लाते ही रहते हैं ! "
एसीपी अपने कानों में उंगली डाल बोला ,,, "" और नहीं तो क्य अब भी चिल्ला ही रही हो तुम लाउड स्पीकर की तरह ..! ""
" यू" सानवी ने सोफे पर रखा तकिया उठाया और एसीपी कि तरफ फेंक दिया । लेकिन एसीपी ने उसे पकड़ लिया और एक तिरछी मुस्कान दे दी ।
सानवी का खून ही जल गया उसकी मुस्कान देख । वो मुंह बनाकर सक्षम के पास गई और उसका हाथ पकड़ उठाते हुए बोली ,,,"" चल यहां से ..! ""
"हम्म!! " सक्षम उठते हुए बोला । उसका मन नहीं था जाने का पर वो सानवी कि बात अगर अभी टालता तो वो उसे पीट देती ..!
तभी अभिक सक्षम का हाथ पकड़ नीचे बैठाते हुए बोला ,," हम्म क्या ! कही नहीं जा रहे तुम दोनों । "
अभिक ने आदेश देते लहजे में बोला जिसे सुनकर सक्षम तो बैठ गया पर सानवी मूंह बना ली । वो बाहर चली गई और थोड़ी देर में चिल्लाते हुए वापस अंदर आई !
वो सक्षम के पास आई और बोली ,," भूत आ गया ! "
" क्या ...! " तीनों ने एक साथ बोला ।
सानवी ने दरवाजे कि तरफ इशारा किया तो तीनों सर उसी तरफ घूम गए ।
उन्हें दरवाजे से अंदर आता हार्दिक दिखाई दिया । उसे देख कर एसीपी कि आंखें हैरानी और दर्द दोनों के भाव से भर आई ! खाऔर एक आंसू उसकी आंख से बह चला ।
वहीं अभिक और सक्षम मुस्कुरा दिए और सानवी डर कर सक्षम का हाथ कसकर पकडे बैठी थी ।
हार्दिक जल्दी से भागकर एसीपी के पास आया और बोला ,," सर ... सर ! क्या हुआ ! आप रो क्यों रहे ? "
एसीपी ने कसकर अपनी आंखें बंद करी फिर हार्दिक को गले से लगा लिया । उसका सबकुछ जा चुका था अब बस उसका बच्चा और अभिक और हार्दिक ही रह गए थे उसके पास परिवार के नाम पर । ऐसे में जब उसे हार्दिक कि मौत कि खबर मिली तो वो सदमे में चला गया था। साथ ही गुस्सा उफान मार रहा था उसके अंदर.!
एसीपी उसे से अलग हुआ और एक तमाचा हार्दिक के मुंह पर झड़ दिया । अभिक और सक्षम हैरान रह गए और सानवी ने अपने मुंह पर हाथ रख लिया !
सानवी ने मन ही मन सोचा,,'' आग्नेय सर तो बहुत हिम्मत वाले हैं उन्होंने भुत को थप्पड़ मार दिया ! अब से इन से कभी पंगा नहीं लूंगी ..!"
इधर हार्दिक गिरने को हुआ तो सक्षम ने आकर उसे पकड़ लिया ।
हार्दिक अपने गाल पर हाथ रखे जमीन पर पड़ा हुआ आग्नेय को देखता रहा । उसकी आंखों में आसूं झिलमिला गए ..!
" स.र ..! "
" क्या सर ! क्या ड्रामा था ये ? तुम्हारी तो मौत हो गई थी ना ! तो फिर यहा मेरे सामने कैसे खड़े हो ? "
हार्दिक का कॉलर पकड़ एसीपी चीखा ,,, "" जवाब दो !! ""
तभी सानवी उठ कर आई और उसने एक झटके से एसीपी को हार्दिक से अलग कर दिया । आग्नेय हाफ रहा था और उसका इतना गुस्सा करना ठीक नहीं था ! ये बात सानवी जानती थी ।
उसने आग्नेय को सोफे पर बिठाया और पानी का गिलास थमा दिया ।
आग्नेय ने गहरी सांस भरी मानो अपना गुस्सा कंट्रोल कर रहा हो ! और एक ही सांस में सारा पानी पी गया । अब उसे थोड़ी शांति मिली लेकिन वो बराबरी से अपने सामने खड़े तीनों लड़कों को घूर रहा था ।
उसने गिलास सानवी को थमाया और उसका हाथ पकड़ खड़ा हुआ । वो अब भी कमजोर था बहुत टॉर्चर किया था अभ्युदय ने उसे ...!
" तो ! अब बिना पिटे मुहं खोलोगे तीनों या मुझे खुलवाना पड़ेगा ..! ",, आग्नेय अपने पुलिसिया अवतार में आता हुआ बड़े ही खतरनाक लहजे में बोला ।
आग्नेय को देख तीनों लड़कों ने अपना थूक निगला और बस एक ही जगह झड़ होकर खड़े रहे ..!
वहीं सानवी उसके इस लहजे को देख उस से थोड़ा दूर जाकर खड़ी हो गई ।
" ये तो बाहुबली बनते जा रहे हैं धीरे-धीरे..! इनसे दूर ही रह सानवी ! " सानवी बुदबुदाई ।
" क्या बुदबुदा रही हो ? ",, आग्नेय ने उसे से पुछा ।
" कुछ भी तो नहीं ! आप इन तीनों पर ध्यान दिजीए। " ,, साध्वी ने सकपका कर कहा ।
आग्नेय ने हां में सर हिला दिया और तीनो लड़कों को देखने लगा।
वो तीनों उसे हैरानी से देखा रहे थे । वो आग्नेय को ऐसे देख रहे थे जैसे उसके सिर पर सिंग उग आए हो !
" अब क्या मेरा मुंह ही ताकते रहोगे या कुछ बोलोगे भी !",, आग्नेय खीज कर बोला ।
तीनो सिटपिटा कर इधर उधर देखने लगे । फिर अभिक ही हिम्मत करके आगे आया और गहरी सांस भरकर उसने बोलना शुरू किया ।
" ये सब मेरा प्लान था । सक्षम को पता चला था कि हार्दिक पर हमला होने वाला है तो उसने पहले ही हार्दिक को हमले के बारे में बता दिया । तुम्हारा फोन नहीं लग रहा था इसलिए तुम्हें नहीं बता पाए । जैसा कि सक्षम को पता चला था वैसा ही हुआ । हार्दिक पर हमला हुआ था पर वो तैयार था ! उसने तुम्हें अपनी लाईव लोकेशन भी भेजी थी । हार्दिक लगभग बेहोश हो गया था तब मैं उसे लेकर चला गया ।
उसके बाद ट्रीटमेंट लेकर हार्दिक को बाहर ना आने का बोला फिर सक्षम ने ऐसे रयुमर्स फैलाए कि हार्दिक कि डैथ हो चुकी है ! "
" लेकिन एक दिक्कत हो गई थी अभ्युदय ने तुम्हें किडनैप कर लिया था । ये हमारे प्लैन के बाहर था । "
इतना बोलकर अभिक चुप हो गया । उसका गला सूख गया था तो सक्षम ने उसे पानी पिलाया ।
आग्नेय उसकी सारी बात सुन रहा था । लेकिन कोई था जिसके चेहरे पर उलझन देखी जा सकती थी । वो सानवी थी ।
सानवी उलझन भरे भाव से बोली ,," तो फिर हार्दिक सर कि वो डैड बॉडी कहा से आई ? "
उसकी बात सुन आग्नेय ने भी आंखें सिकोड़ते हुए तीनों लड़कों को देखा ।
वो तीनों मुस्कुरा दिए ।
सक्षम बोला ,,"" वो कोई लाश नहीं थी ! उस वक्त बेड पर हार्दिक सर ही लेटे थे ।
सानवी आंखें फ़ाड़ बोली ,,,"" क्या...!!!!! """,,,
हार्दिक मुस्कुराकर ,,"" हां! और तुम कैसे खड़ी थी वहां ! देख कर लग रहा था कि शॉक लगा गया है ..! ,,,""
" शॉक की बात तो है सर ! और आप इतने अच्छे एक्टर होंगे लगा तो नहीं था । " ,, सानवी मुंह बनाकर बोली ।
" क्या मतलब है नहीं लगा था ! "
" मतलब एक पुलिस वाला और एक्टर ! बात हजम नहीं होती । ,,"
"तुम्हे तो कुछ भी हजम नहीं होता तभी पेट खराब हो जाता है ..! ",, सक्षम ना में सर हिलाता हुआ बोला ।
सक्षम कि बात सुन सभी कि हंसी छुट गई । सानवी ने अपनी आंखें खोल घुमाई और पाऊट बनाया फिर उसने सक्षम को दौड़ा लिया ।
उन्हें देखकर माहौल थोड़ा हल्का हुआ । थोड़ी देर बाद सब शांति से सोफे पर आकर बैठ गए ।
सानवी जिसके दिमाग में अभी बहुत कुछ घुम रहा था और वो बहुत कुछ पुछना भी चाहती थी वो इतनी खामोशी बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी । उसके अंदर का रिपोर्टर उच्छल उच्छल के बाहर आ रहा था ।
" मुझे कुछ पुछना था ! "
चारों सर उसकी तरफ घुम गए । चारों लड़के उसे देखने लगे ।
" ये अभ्युदय के खिलाफ सबूत कहा से मिले ? हमारे पास तो नहीं थे ! ",, सानवी ने पुछा ।
इसपर हार्दिक बोला ,,"" जब आप लोग अभ्युदय के साथ उलझे हुए थे तब में उसके खिलाफ सबुत इकट्ठा कर रहा था । उसका घर जंगल के बीच में है और उसके कमरे से एक दरवाजा जाता है जो शायद बेसमेंट में खुलता है । पहले तो यही लगा पर जब उस रास्ते से नीचे गया तो हैरान रहा गया ! वो एक बड़ा सा कमरा भर था जहां बस अंधेरा था । कमरे कि एक दीवार सफेद पर्दे से ढकी थी तो मैंने पर्दा हटाया तो दीवार सभी एक्सीडेंट कि तस्वीर थी ! सभी विक्टिम । उनके डरे हुए चेहरे! भागते हुए कदम , और खौफ से फटी आंखे ..! और उस कमरे में भी एक गाना गुंज रहा था । "
तभी सानवी तपाक से बोली ,,"" कभी यादों में आऊं ! "
हार्दिक ने हां में सर हिला दिया । इतना सुनते ही अभिक और आग्नेय के चेहरे पर दुख के भाव उभर आए !
सक्षम ने उन्हें देखा और पुछा ,, "" आप दोनों को क्या हुआ ? इतने दर्द में क्यू लग रहे ? "
आग्नेय बोला ,,"" ये गाना अनामिका का फेवरेट था । अभ्युदय अनामिका के लिए पागल था पर अफसोस वो अनामिका के लिए एक जानवर साबित हुआ ! "
सब चुप हो गए ।
दोबार सानवी ने ही बोलने कि शुरूआत करी ।
सानवी ,,"" हार्दिक सर आपको और क्या-क्या मिला उस कमरे से ? "
" वहां मुझे एक इंसान कि लाश मिली ! "
"क्या ...!!!! ",, अभिक, आग्नेय और सानवी तीनो के मुंह से एक साथ निकला । वो भोच्चके रह गए थे ये सुनकर !!!
इस बारे में तो अभिक और सक्षम भी नहीं जानते थे ।
" ल..ल..आ..श! लाश मिली !! ",, सानवी ने सदमे में कहा । अचानक से उसके ऊपर डर हावी होने लगा । उसे दोबारा एक औरत कि मेरी हुई लाश दिखने लगी , एक आदमी पंखे से लटका दिखने लगा । उसके शरीर ने झुरझुरी ली !
सक्षम ने उसके हाथ पर हाथ रखा और हल्के से दबा दिया ।और आंखों से शांत रहने का इशारा किया । सानवी ने अपने ऊपर काबू किया और हार्दिक को सुनने लगी ।
" लाश ही थी वो और बहुत निशान थे उसके शरीर पर । पेट फटा पड़ा था और आंखें खौफ से भरी हुई थी ।
मैंने वो लाश उठाई और सारे सबूत लिए और निकल गया वहां से ..! तब तक आप लोग अभ्युदय को लेकर निकल चुके थे । "
" मैंने बॉडी फॉरेंसिक जांच के लिए दी तो पता चला उसके शरीर में ऐसे केमिकल इंजेक्ट किए गए थे जो दिमाग को सुन्न कर देता है और खून कि उल्टी और अंदर से आंतें काटने लगता है ..! "
" साले ने बहुत बुरी मौत दी उसे ! " अभिक ने नफरत से कहा ।
फिर सक्षम बोला ,," हार्दिक सर ने उन सबूतों के आधार पर अभ्युदय दायमा को अरेस्ट किया और अब उसे फांसी होने वाली है । "
" मुझे जिंदा देखकर झटका लगा था उसे ! " हार्दिक ने कहा ।
आग्नेय बड़े गौर से सब सुन रहा था साथ ही उसका ध्यान सानवी के लाश के बारे में पता चलने पर रिअक्शन पर भी गया था ।
" हम्म ..! "
आग्नेय इतना बोलकर उठा और हार्दिक को गले से लगा लिया । अभिक भी उनके गले लग गया ।
सक्षम सानवी उन्हें देख रहे थे । आग्नेय ने हाथ देकर दोनों को बुलाया तो वो दोनों भी मुस्कुराते हुए तीनों के गले लग गए ।
****
" अभ्युदय दायमा को फांसी दी जा चुकी है । आज एक जल्लाद इस दुनिया से जा चुका है वो शहर में खुशी कि लहर दौड रही है ! "
सर न्यूज चैनल पर ये दिखाया जा रहा था ।
आज अभ्युदय को सजा हो गई थी । एक हफ्ता लग गया फैसला आने में पर अंत में सच कि जीत हुई !
सानवी टीवी पर ये देख रही थी । आज जाकर उसे सुकून मिला था। वो लोग अभी भी कश्यप मैंशन में थे अभिक ने उन्हें जाने ही नहीं दिया ।
" तुम इतनी खुश क्यो नजर आ रही हो इस खबर से ? " आग्नेय उसकी बगल में बैठता हुआ बोला ।
सानवी ने उसे देखा तो आग्नेय हैरान रह गया ।
" तुम रो क्यो रहुं हो ? ",, आग्नेय उसका चेहरा अपने हाथों में भर कर बोला ।
" मेरी फैमली पहला शिकार थी उस जानवर का ! मेरी भाभी अपने नोवे महीने में थी जब उन्हें जानवरों कि तरह मार दिया गया । डॉक्टर, बच्चे और मां दोनों को ही नहीं बचा पाए ! भाई ये सदमा बर्दाश्त नहीं कर पाए और उन्होने फांसी लगा ली ...! मैंने .. मैने उन्हें लटकते हुए देखा था। भाभी को खून से लथपथ देखा थ ..! "
इतना बोलकर वो फुट फुट कर रोने लगी । आग्नेय ने उसे अपनी बाहों में भर लिया और उसका सर सहलाने लगा ।
" बस चुप हो जाओ ! बहुत हुआ । तुम्हारे भाई भाभी को न्याय मिल चुका है । "
सानवी ने सुबकते हुए हां में सर हिला दिया ।
आग्ने के गले लगने से उसे एक झटका सा महसूस हुआ था ।
एक अनकहा सा एहसास उसके दिल में अभ्युदय के लिए उगने लगा था । वो " कुछ " भावनाएं उसे बहुत परेशान कर रही थी ।
वो चुपचाप बैठी रही और सोचती रही कि कब आग्नेय के लिए उसके मन में ये भावनाएं जाग गई । पर अब कुछ नहीं कर सकते क्योंकि वो जानती थी आग्नेय उसे नहीं अपनाएगा ।
~
वक्त पंख लगाकर कब उड़ गया किसी को पता ही नहीं चला । एक साल बीत गया था इस केस को हुए । अब सक्षम और सानवी , आग्नेय और अभिक से मिलने आते रहते थे । अच्छे दोस्त बन गए थे । और इस बीच आग्नेय ने सबको अपने बच्चे से भी मिलवाया जो कुछ कुछ शब्द बोलने लगा था और क्रोल करके चलने लगा था । सानवी को उस पर बड़ा प्यार आता था । आधे से ज्यादा वक्त तो बेबी सानवी के पास ही रहता था क्योंकि आग्नेय को बहुत काम रहते थे। और कई बार वो रात भर पुलिस स्टेशन में रहता था ।
सब अच्छा चल रहा था ।
सक्षम को सानवी ने एसीपी के प्रति अपनी भावनाओं के बारे में बता दिया था और ये बात अभिक को भी पता चल गई थी क्योंकि उसे सक्षम ने बता दिया था । अब दोनों मिलकर सानवी को बता रहे थे कि वो कैसे एसीपी को अपने दिल कि बात बताएगी ।
आज वो दिन था । अभिक ने अपने घर पर ही एक जगह डेकोरेट करवा दी थी । सानवी ने एक गहरे गुलाबी रंग कि साड़ी पहन रखी थी । कानों में झुमके डाल रखे थे और बालों को खुला छोड़ रखा था । हाथ में चार चार चुडिया और गले में एक सोने कि चैन पहन रखी थी जिसमें गुलाब बना हुआ था ।
वो झूले पर बैठी थी । उसे सक्षम ने मैसिज कर दिया था कि उन्होंने आग्नेय को उसके पास भेज दिया है तो वो नर्वस ना हो और खुलकर अपने मन कि बात बोल सके ।
वो अपनी सोच में इतनी गुम थी कि उसे पता ही नहीं चला आग्नेय कबका आकर उसके सामने खड़ा उसे ही देख रहा था ।
" कहा खोई हुई हो ? "
अचानक से किसी के बोलने पर वो चिहुंक कर खड़ी हुई और साड़ी में पैर फंसने के कारण एक दम से गिरने को हुई लेकिन आग्नेय ने पकड़ लिया । सानवी कि आंखें डर से फैल गई थी । और वो हांफने लगी थी ।
आग्नेय ने उसे झूले पर बिठाया और उसकी पीठ सहलाने लगा क्योंकि वो बुरी तरह हांफ रही थी ।
थोड़ी देर बाद उसे आराम मिला ।
" क्या हो गया था तुम्हें ? " आग्नेय ने पुछा ।
साध्वी चिढ़ कर बोली ,,"" आपको अचानक से बोलने कि क्या जरूरत थी ? ,,""
" तुम पता नहीं कहां गुम थी! और ये झूला इतना सजा हुआ क्यो है ? और तुम ऐसे तैयार होकर क्यू बैठी हो ? " आग्नेय ने एक साथ इतने सवाल दाग दिए ।
उसकी बात सुनकर सानवी को याद आया कि वो यहां क्या कर रही है । उसने आग्नेय को देखा और कुछ बोलने को मुंह खोला पर उसे शब्द ही नहीं मिल रहे थे ।
आग्नेय बस उसे देखे जा रहा था ।
सानवि ने गहरी सांस भरी और बोली ,,"" मुझे आपसे कुछ कहना है ? "
आग्नेय ने अपनी एक आइबरो ऊपर कर उसे देखने लगा ।
" मै आपसे ..मैं .आप से ..",,, साध्वी से बोला ही नहीं जा रहा था ।
" मैं आपसे क्या ? "
" मैं आपसे प्यार करती हूं !! ",, सानवि ने जल्दी से बोला और कसकर आंखें बंद कर ली ।
" सानवि ..! " ,, आग्नेय ने उसे पुकारा । ये पहली बार था जो उसने सानवि का नाम लिया था ।
सानवि ने आग्नेय को देखा ।
" देखो सानवि मैं तुम्हें हर्ट नहीं करना चाहता पर मैं निशा कि जगह किसी को नहीं दे सकता ! "
" निशा !! "
" हां! मेरी बीवी! मैं उसकी जगह किसी को नहीं दे सकता । जानता हूं तुम मेरे लिए क्या महसूस करती हो पर उन भावनाओं को तुम्हें भुलाना होगा । क्योंकि जो तुम चाहती हो वो मैं नहीं कर सकता ! "
आग्नेय ने एक सांस में अपनी बात कह दी ।
सानवि मुस्कुराई और बोली,,"" ये आपसे किसने कहा कि मैं आपकी पत्नी कि जगह लेना चाहती हूं ! "
आग्नेय ने उसे हैरानी से देखा ।
सानवि ने आगे बोलना जारी रखा ।
" आपकी पत्नी कि जगह लेने वाली मैं कौन होती हूं! और उनकी जगह कोई ले भी नहीं सकता । और आपको देनी भी नहीं चाहिए। मैं आपके दिल में अपनी एक अलग जगह बनाना चाहती हूं किसी को हटाना नही अपनी जगह बनानी है आपकी जिंदगी में ..! "
" मुझे वक्त चाहिए ! ",, आग्नेय ने कहा । उसे राहत थी कि सानवि निशा कि जगह नही लेना चाहती । बाकि शायद अभी तक आग्नेय ने अपने दिल के दरवाजे उसके लिए खोले नही थे ।
सानवि ने उसकी बात सुनकर हां में सर हिला दिया ।
" हम दोस्त तो बन सकते हैं ना ? " सानविक। ने पुछा ।
" हां ज़रूर ! "
सानवि के चेहरे पर बड़ी सी मुस्कराहट आ गई ।
दोनों ने थोड़ी देर बात करी फिर अभिक और सक्षम के पास चले गए ।
उन्होंने सारी बात दोनों लड़कों को बताई जिसे सुनकर अभिक ने आग्नेय को घूर कर देखा लेकिन सक्षम मुस्कुरा दिया सानवि कि समझ पर !
अब सब ठीक हो गया था ।
ये केस इन चारों कि जिंदगी में हमेशा याद बनकर रहेगा । साथ ही एक दर्द बन कर भी । और इस केस की याद उन्हे दिलाता रहेगा ये गाना ।
दुनिया के किसी भी कोने में रहा
तुमसे कितना भी फासला रहा
यकीन मानो बचपन से आजतक
हर पल हर मोड़ तुम्हे साथ पाया
समझ नहीं आता इस रिश्ते को क्या कहूँ
यार तुम कहो तोह आज इसे एक नाम दूं
कभी यादों में आऊं
कभी ख्वाबों में आऊं
कभी यादों में आऊं
कभी ख्वाबों में आऊं
तेरी पलकों के साये में आकर झिलमिलाऊं
मैं वो खुश्बू नहीं जो हवा में खो जाऊं
हवा भी चल रही है
मगर तू ही नहीं है
फ़िज़ा रंगीन वही है
कहानी कह रही है
मुझे जितना भुलाओ
मैं उतना याद आऊं
कभी यादों में आऊं
कभी ख्वाबों में आऊं
जो तुम ना मिलती
खोता ही क्या ढूंढ लाने को
जो तुम ना मिलती
खोता ही क्या ढूंढ लाने को
जो तुम ना होती
होता ही क्या हार जाने को
मेरी अमानत थी तुम
मेरी अमानत थी तुम
मेरी मुहब्बत हो तुम
तुम्हें कैसे मैं भुलाऊं
कभी यादों में आऊं
कभी ख्वाबों में आऊं
तेरी पलकों के साये में आकर झिलमिलाऊं
तड़प रहे हो
ज़माने से मुस्कुराने को
तड़प रहे हो
ज़माने से मुस्कुराने को
तरस रहे हो
ज़माने से पास आने को
तेरी धड़कनों में बस कर
तेरी धड़कनों में बस कर
तेरी साँसों में रह रह कर
तुम्हें हर पल सताऊं
कभी यादों में आऊं
कभी ख्वाबों में आऊं
तेरी पलकों के साये में आकर झिलमिलाऊं
मैं वो खुश्बू नहीं जो हवा में खो जाऊं
Come on यार हम तोह दोस्त तहेरे
यार की हर ख़ुशी दोस्त की खुशी
" कभी यादों में आओ ❤️ ( मुक्ति ) "
समाप्त ।
ये कहानी खत्म हो चुकी है । बहुत अच्छा और रोमांचक सफर था इसे लिखना । पहली बार कुछ सस्पेंस और खून खराबे से भरा लिखा था । ये कहानी खत्म हुई । सारे रहस्य से पर्दा उठाता ये भाग कहानी को अपने साथ खत्म करता है ।
प्लीज लास्ट पार्ट है इस पर कमेंट कर देना आप लोग । कम से कम इस पर ही बता देना कहानी कैसी थी और इसका अंत कैसा लगा ।