कभी यादों में आओ ❤️ ( मुक्ति)
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नंदिता स्टुडियो से बाहर निकल एसिपि को किसी का कॉल आया । नंबर अननोन था तो उसने उठाया नहीं ! लेकिन फिर बार बार आने लगा तो उसने चिढ़ कर उठा ही लिया ।
सामने फोन पर सानवी थी और उसे एसिपि से मिलना था । एसिपि ने ' हम्म ' कह कर फ़ोन रख दिया ।
थोड़ी देर बाद वो सानवी के बताए पते पर पहुंच गया । वो एक छोटा सा घर था सफेद रंग में रंगा । एसिपि अंदर चला गया । घर सिर्फ बाहर से सफेद था बाकि अंदर से ग्रे था पुरा का पुरा । सामने चेयर पर एक आदमी बंधा हुआ था । उसके साइड में सानवी खड़ी थी और उसकी बगल में सक्षम जो फोन में कुछ तो कर रहा था ।
एक तरफ कैमरा सेट था ।
एसिपि जाकर सानवी के सामने खड़ा हो जाता है । सानवी उसे देख हल्के से अपना सर झुका लेती है । फिर ऊपर कर उस आदमी को देखती है । ऐसिपि भी सानवी कि नजरों का अनुसरण करता है । उस आदमी को देख एसिपि के माथे पर बल पड़ जाते हैं ।
वो पलकें झपकाते हुए उस आदमी को देखता है ।
" रॉकी ... ये केस के बारे में कुछ ना कुछ तो जानता है पर बता नहीं रहा ! इसलिए हमने आपको बुलाया । " सानवी ने कहा
" हम्म... " एसिपि ने एक संक्षिप्त सा उत्तर दे दिया ।
आगे बढ़कर उसने रॉकी के मुंह से टेप हटा दी । रॉकी के होंठों से खून बह रहा था ।
एसिपि सर्द निगाहों से रॉकी को देखा! फिर आराम से उसके चारो तरफ घूमने लगा । चलते वक्त वो अपना सर कभी दाईं तरफ टेढ़ा करता तो कभी बाईं तरफ!!
उसको ऐसा करते देख सानवी चिढ से अजीब सा चेहरा बनाने लगी । उसको एसिपि का व्यवहार पागलों वाला लगा । वहीं सक्षम के चेहरे पर तिरछी मुस्कान आ गई थी वो जानता था आगे क्या देखने को मिलने वाला है ।
एसिपि ने एक दम से चेयर पर लात मारी दि ! रॉकी धड़ाम से गिर पड़ा !!! , हैरत से सानवी कि आंखे फैल गई थी !!! सक्षम स्थिर खड़ा था उसे तो पता था इस बारे में ; आखिर वो अंधभक्त था एसिपि का ।
एसिपि जमीन पर एक घुटनें के बल बैठ गया । और बड़ी शांती से रॉकी कि आंखों में देखने लगा । रॉकी, जो जमीन पर पड़ा हुआ था उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि एसिपि आंखों के जरिए उसके अंदर तक झांक रहा था । रॉकी को अपनी रीढ़ की हड्डी में सिहरन महसूस हुई!! वो खुद में सिमटने कि कोशिश करने लगा लेकिन बंधे होने के कारण कर ना पाया ।
" अपने आप बोलोगे या मुझे बुलवाना पड़ेगा....!! " एसिपि ठंडे लेकिन सर्द लहजे में बोला ।
एसिपि कि आवाज कर्कश और भारी थी । उसकी आवाज सुन सानवी भी घबरा गई ।
सक्षम अब अपने फोन पर दोबारा कुछ करने लगा ।
रॉकी हकलाते हुए बोला " मै... मैं कुछ न..ही जानता !! मुझे जा..ने दो । "
एसिपि " ठीक है ! जाओ..!! "
उसने रॉकी की रस्सियां खोल दी । सानवी ये देख बोखला गई ।
सानवी " ये आप क्या कर रहे हैं । उसे जाने क्यो दे रहे हैं । "
ऐसिपि ने कोई जवाब नहीं दिया । सानवी चिढ गई ।
वो रॉकी को पकड़ने के लिए जाने लगी जो यहां से भाग रहा था । लेकिन उसे एसिपि ने उसका हाथ पकड़ रोक दिया । सानवी ने मुड़ कर उसकी तरफ देखा तो एसिपि ने कुछ ना करने का इशारा किया ।
तभी रॉकी के चीखने कि आवाज आई । हार्दिक उसे घसीटते हुए अंदर लेकर आ रहा था । उसने रॉकी को लाकर सबके सामने फेंक दिया ।
रॉकी बस कहरा सकता था बाकि कोई भी मूमैंट नहीं कर पा रहा था । उसने उठने कि कोशिश करी तो पाया उसके पैर काम नहीं कर रहे थे और ना ही उसके हाथ ।
" मैंने मौका दिया था...!!! अब तुम ही उसे लपक नहीं पाए तो इसमें मेरी गलती नहीं । " एसिपि ने बड़े आराम से कहा ।
रॉकी उसे देखे जा रहा था ।
" ओओओ... एक बात तो बताना भूल ही गया!! तुम्हारा कोई भी अंग कुछ घंटे के लिए काम नहीं करेंगे । "
रॉकी आंखें बड़ी कर उसे देखने लगा । साथ ही सक्षम और सानवी भी ।
एसिपि अचानक से दहकते ज्वाला मुखी कि तरह आगे आया और अपनी जेब से एक पॉकेट नाइफ निकाल लिया । उसने बिना समय गंवाए रॉकी के दाएं हाथ की नस काट दी ।
रॉकी दर्द से चिल्लाने लगा । कलाई से पानी कि तरह खून बह रहा था । सानवी ने कसकर अपनी आंखे बंद कर ली ।
कुछ दृश्य उसकी आंखों के सामने कौंध गए । हर तरफ फैला खून , चीखते - चिल्लाते लोग , कटी फटी लाशें और एक कोने में दुबकी हुई छः साल की लड़की ।
सक्षम ने सानवी के कंधे पर हाथ रखा । सानवी ने झट से अपनी आंखें खोल ली । वो घर से बाहर आ गई । वहां रुकना सानवी के लिए दुर्भर हो रहा था । बाहर आकर उसने अपने सीने पर हाथ रखा और अपनी सांसो पर और धड़कनों पर नियंत्रण करने कि कोशिश करने लगी ।
उसने मुड़कर मकान कि तरफ देखा । अंदर से चीखने कि आवाज आ रही थी । फिर वो आवाज़ थोड़ी देर के लिए बंद हो गई । कुछ देर बाद एक ओर चीखने कि आवाज आई और सब शांत हो गया ।
सानवी ने कसकर आंखें बंद कर ली ।
थोड़ी देर में अंदर से हार्दिक और सक्षम बाहर आए । एसिपि रूमाल से हाथ पोछते हुए आया ।
खून से भरा रुमाल देख सानवी को उल्टी आने लगी ।
सानवी ने चिढ़ कर कहा " क्या किया आप लोगो ने उसके साथ ? "
एसिपि " बस ' मुक्ति ' दी है उसे । बहुत पाप कर चुका था तो आज भुगतान तो करना ही था । "
सानवी कि आंखे बड़ी हो गई । वो अपने सामने खड़े तीनों आदमियों का मुंह देखती रह गई ।
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रात का समय
मुंबई
इन काली अंधेरी रातों में कोई तो सहारा हो,
मेरी डुबती जिंदगी की धारा का कोई तो किनारा हो ,
अन्यास ही उसके मुंह से ये बोल फुट पड़े । ' वो '!सड़क पर अकेले चल रहा था । उसने ऊपर देखा तो आसमान अंधेरे में ढका पाया, जिसके बीच में से चांद झांकता हुआ नजर आ रहा था । अंधेरा तो था पर आसमान में तारे जगमगा रहे थे । आसमान को देखने पर एक बार को तो लगता जैसे मोतियों से जड़ी साड़ी बिच्छी हुई हो...! लेकिन जब चांद देखते तो लगता एक काली थाली में बड़ा सा सफ़ेद रसगुल्ला रखा हुआ हो और चांद कि चांदनी मानो रसगुल्ले कि चासनी बन गई हो ।
ये दृश्य बड़ा लुभावना था ।
कोई और होता तो इस मनोरम दृश्य में खो जाता । खोता नहीं तो ज्यादा से ज्यादा दो पल रूक कर इस दृश्य को अपने नेत्रों में कैद जरूर करता । पर उसे तो इस दृश्य में कुछ और ही सूझ रहा था ।
उसने आसमान देखा और बोला " गर्भ में बसी उम्मीद को बाहर ना आने देना ...!! , धीरे से पास जाकर गर्भ ही खत्म कर देना !! "
वो पुरा सफेद कपड़ों में ढका था । हां...! ये वही था !! , जिसकी तलाश एसिपि को है । वो कातिल जो गर्भवती स्त्रियों को अपना शिकार समझ बेरहमी से मार रहा है ।
उसने सामने देखा तो उसे सड़क का अंत दूर दूर तक नहीं दिखाई दे रहा था । सब अंतहीन था !! उसे ऐसा लग रहा था जैसे ये सड़क उसकी जिंदगी है जिसकी कोई मंजिल नहीं ! ' वो ' सहारा चाहता था लेकिन उसके पास तो कोई भी नहीं था ।
अभी कुछ समय पहले ही तो आया था वो यहां । ना जाने कब से चल रहा था , उसका कोई ठिकाना नहीं था ।
ये सब सोचते हुए ही उसके मुंह से वो बोल फुट पड़े थे । वो किनारा चाहता था । पर जो दूसरी के अंत का कारण हो उसे कैसे कोई सहारा मिल सकता है । कैसे एक नया आरंभ मिल सकता है ।
' उसकी ' आंखों में एक दर्द दिख रहा था ना जाने किसका दर्द था वो ! तभी जैसे उसे होश आया हो , उसने अपना सर झटका और सारे विचार बाहर निकाल फेंके ..!
उसने बड़े गुस्से से कहा " अब इन यादों का बसेरा केवल मेरा मन नहीं !! अब ये बहुतों की जिंदगी की कहानी है , उनके दर्द कि दास्तां है !!! अब केवल मैं नहीं सब तड़प रहे हैं ...! "
उसने अपने द्वारा किए गई सारे खून और उनके परिवार के बारे में सोचते हुए कहा " इन यादों ने अब तक मुझे सताया है अब ये तुम सबको भी सताएगी ! मैं बर्बाद हुआ हूं तो तुम सब भी आबाद नहीं रहोगे ...!!!! "
उसकी आंखे मुस्कुरा दी ।
उसने अपना फोन निकाला और उसमें वहीं गाना चला दिया -
कभी यादों में आऊं,
कभी ख्वाबों में आऊं
तेरी पलकों के साये
में आकर झिलमिलाऊं
मैं वो खुशबू नहीं जो
हवा में खो जाऊं
ऊं ऊं ऊं ऊं
हवा भी चल रही है
मगर तू ही नहीं है
फिजा रंगीन वहीं है
कहानी कह रही है
मुझे जितना भुलाओ
मैं उतना याद आऊं
कभी यादों में आऊं
कभी ख्वाबों में आऊं
क्रमशः
इस भाग में बस इतना ही ।