My name was in your silence in Hindi Love Stories by Priyanka Singh books and stories PDF | तेरी चुप्पी में मेरा नाम था

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तेरी चुप्पी में मेरा नाम था

यह कहानी है आरव और अनन्या की — दो अनजानों की मुलाक़ात जो ज़िंदगी की सबसे खूबसूरत मोहब्बत बन गई। पर किस्मत ने उन्हें मिलाकर भी जुदा कर दिया। एक अधूरी प्रेमकथा जो दिल को तोड़कर भी उसमें बस जाती है।

भूमिका


"कभी-कभी लोग एक ही मुलाक़ात में दिल में बस जाते हैं। कभी मोहब्बत चुप रहकर भी अमर हो जाती है… और कभी मौत भी उस मोहब्बत को मिटा नहीं पाती। यह कहानी है आरव और अनन्या की — एक अधूरी मोहब्बत की जो दिल में दर्द बनकर बस जाती है।"


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पहली मुलाक़ात – सफर में शुरू हुआ सफर

दिल्ली की ठंडी सर्दियों की सुबह थी। ट्रेन प्लेटफ़ॉर्म पर धुआँ-धुआँ फैलाए खड़ी थी। भीड़ के शोर के बीच एक लड़का चुपचाप अपनी सीट पर बैठा था — आरव मेहरा। उसके हाथ में पुरानी डायरी थी और आँखों में एक अनकही बेचैनी।

ट्रेन में चढ़ते ही उसकी नज़र पड़ी — एक लड़की, नीले सलवार-कुर्ते में, सफेद दुपट्टा हवा में लहराता हुआ। उसकी आँखों में मासूमियत थी और होंठों पर हल्की सी मुस्कान। वह थी अनन्या वर्मा।

अनन्या आरव के सामने वाली सीट पर बैठी। सफर शुरू हुआ और खामोशी के बीच सिर्फ़ ट्रेन की आवाज़ गूंज रही थी। आरव ने चुपके से डायरी खोली और लिखने लगा —

"शायद यह सफर मुझे कुछ नया दे जाए… शायद यह लड़की मेरी अधूरी दुआओं का जवाब हो…"


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बातचीत – शब्दों का पुल

पहले कुछ घंटों तक खामोशी रही, फिर अनन्या ने खिड़की से बाहर झाँकते हुए कहा,
"बारिश का मौसम कितना अच्छा होता है न… सब कुछ धुल सा जाता है।"

आरव मुस्कुरा पड़ा,
"हाँ, पर कभी-कभी बारिश पुरानी यादें भी ताज़ा कर देती है।"

धीरे-धीरे बातों का सिलसिला शुरू हुआ। किताबों से लेकर सपनों तक, दोनों ने सब बाँट लिया। अनन्या को कहानियाँ लिखने का शौक था, और आरव को गाने का। सफर के इन घंटों में जैसे दोनों एक-दूसरे के लिए ही बने थे।


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अनकहा एहसास

सफर खत्म हुआ, लेकिन दिलों का सफर अब शुरू हुआ था। दोनों ने नंबर एक्सचेंज किए, बातें शुरू हुईं और दोस्ती कब मोहब्बत में बदल गई, पता ही नहीं चला।

आरव और अनन्या रोज़ घंटों बातें करते। कविताएँ, गीत, सपने — सब कुछ एक-दूसरे के साथ बाँटते।

पर अनन्या के दिल में एक डर था। उसके पिता गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे और घर की जिम्मेदारियाँ उसके कंधों पर थीं। वह जानती थी कि उसका जीवन आसान नहीं था।


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बिछड़ने का मोड़

एक दिन अचानक अनन्या का फ़ोन बंद हो गया। न कोई संदेश, न कोई खबर। आरव बेचैन हो उठा। हफ़्तों बाद उसे पता चला कि अनन्या के पिता का देहांत हो गया और वह गाँव लौट गई।

आरव ने उसे खोजने की कोशिश की, पर हर बार असफल रहा।

दो साल बीत गए। आरव अब भी उसे भूल नहीं पाया था। उसकी हर कविता, हर गीत में अनन्या का नाम था।


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फिर से मुलाक़ात

एक साहित्यिक कार्यक्रम में, आरव ने भीड़ के बीच अनन्या को देखा। वही आँखें, वही मुस्कान… लेकिन चेहरे पर और भी गहरी थकान।

आरव उसके पास गया।
"अनन्या…?"

वह चौंकी, फिर हल्का सा मुस्कराई,
"आरव… तुम?"

दोनों की आँखें भीग गईं। उन्होंने घंटों बातें कीं। अनन्या ने बताया कि वह अब शहर में काम करती है, पर ज़िंदगी पहले जैसी नहीं रही।


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प्यार का इज़हार

उस रात आरव ने अनन्या को अपनी डायरी दी। उसमें लिखा था:

"तुमसे पहली मुलाक़ात के बाद से मेरी हर कविता में सिर्फ़ तुम हो। मैंने कभी कहा नहीं… पर मेरी हर चुप्पी में तुम्हारा नाम था।"

अनन्या की आँखों से आँसू बह निकले। उसने भी स्वीकार किया कि वह आरव से प्यार करती है।

दोनों ने एक-दूसरे को गले लगाया। लगा जैसे सारी दुनिया थम गई हो।


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किस्मत का क्रूर खेल

पर किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था। कुछ ही दिनों बाद अनन्या की तबीयत अचानक बिगड़ गई। जाँच में पता चला — उसे हृदय की गंभीर बीमारी है और अब ज्यादा समय नहीं बचा।

अनन्या ने यह बात आरव से छुपाई। वह चाहती थी कि आरव उसे हँसते हुए याद रखे।


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अंतिम क्षण – दर्द का आलिंगन

एक शाम बारिश हो रही थी। आरव ने अनन्या को वही स्टेशन ले जाकर बैठाया, जहाँ वे पहली बार मिले थे। दोनों चुप थे, पर दिल बहुत कुछ कह रहे थे।

अनन्या ने धीरे से कहा,
"अगर अगला जन्म हुआ… तो मैं फिर से इस सफर वाली सीट पर बैठूँगी… तुम्हारे सामने।"

आरव ने उसका हाथ थाम लिया,
"और मैं फिर वही डायरी खोलूँगा… जिसमें सिर्फ़ तुम्हारा नाम होगा।"


अचानक अनन्या की साँसें धीमी पड़ गईं। उसके होंठों पर मुस्कान थी और आँखों में शांति।

बारिश रुक गई थी, पर आरव की आँखों में आँसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे।


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समापन – अमर मोहब्बत

अनन्या की मौत के बाद भी आरव ने उसे कभी नहीं भुलाया। उसकी कविताएँ, उसके गीत — सब अनन्या के नाम रहे। लोग कहते हैं कि आरव की आवाज़ में दर्द है… पर वह दर्द ही उसकी पहचान बन गया।

"कुछ मोहब्बतें अधूरी रहकर भी पूरी लगती हैं… क्योंकि वे यादों में अमर हो जाती हैं।"
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