Aur Humari Adhuri Dosti - 4 in Hindi Drama by Writer Veeru books and stories PDF | और हमारी अधूरी दोस्ती - 4

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और हमारी अधूरी दोस्ती - 4


जब वो 'online' आई, पर मेरे दिल में 'offline' हो चुकी थी।
 आर्यन: "आज फिर वही रात है"
"वही तकिया, वही अंधेरे कमरे की छत है"
"पर आज आवाज़ तेरी नहीं आती है"

मैं स्क्रीन को घूरता हूँ...
WhatsApp खोला।
Instagram खोला।
फिर से WhatsApp , 
हर बार दिल ये कहता है, “शायद इस बार उसकी chat पर ‘typing’ दिखे।”

पर कुछ नहीं।

उसकी DP हट चुकी है।
और उस silence में एक चीख है।
जिसे मैं सिर्फ अपने अंदर सुन सकता हूँ।

पाँच महीने पहले, जो लड़की आर्यन की ज़िन्दगी की धड़कन बन गई थी।
आज उसकी धड़कनों से जैसे कोई तार टूट चुका था।
हर सुबह, हर रात… वो सिर्फ आशी को ही याद करता था।

अब वो लड़की जो सबसे पहले “Good Morning” भेजती थी, वो अब seen करके भी जवाब नहीं देती।

“मैंने कुछ गलती की क्या?”
“क्या मैं ज़्यादा care करने लगा?”
“पर मैंने तो बस दोस्त बनकर protect किया उसे…”
“क्या वो गलत था ?”
“क्या मैं गलत था ?”

आर्यन की आँखें फोन पर लगी थीं,
पर दिल आशी की यादों में उलझा था।

सुबह की 4:13 AM हो चुकी थी।
पर उसे नींद नहीं आती।

उसे आशी की हँसी याद आती है…वो voice note, जिसमें आशी ने हँसते हुए कहा था:

“तू सबसे अलग है आर्यन… मुझे तुझसे डर नहीं लगता…”

आज वही लड़की, आर्यन से दूर हो गई थी , बिना कोई वजह बताए।

Flashback : 
कभी जो ‘online’ आने पर मुस्कुरा देता था।
आज उसी online ने सबसे ज़्यादा तड़पाया मुझे।

कभी जिस ‘last seen’ को देखकर दिल चैन पाता था।
आज वो भी नहीं दिखता… शायद ‘privacy’ बदल दी है उसने।

आर्यन का कमरा अब एक बंद कोठरी सा लगता था।
दीवारें गूंगी थीं, और रातें स्याह।

Radio चलाने की कोशिश की पर हर गाना जैसे उसी की यादें खुरचने लगता…

🎵 Tera Yaar Hoon Main
🎵 Agar Tum Saath Ho
🎵 Yeh Dosti Hum Nahi Todenge
🎵Barsaat
हर गाना उसे तोड़ देता…

आर्यन : “मैंने तो हर बार उसका साथ दिया ,
              वो रोई, मैं चुप रहा ,
              वो टूटी, मैं छांव बना ,

             फिर भी क्यों उसने....,
             उसने मुझे ही ‘toxic’ कहा ?”


आर्यन की Flashback 
 वो late night calls ,  
वो memes share करना ,
 वो “तेरा दिन कैसा गया?” पूछना , 
और उसका कहना.... तेरे बिना मेरा दिन अधूरा लगता है" अब बस एक illusion था।

अब तो आर्यन अपने ही सवालों का जवाब खुद बनाता है।


आर्यन :
“कभी तुमने कहा था ,
‘तेरी फ़िक्र बहुत सुकून देती है’
आज वही फ़िक्र तुम्हें ज़ंजीर सी लगने लगी है”


24 जुलाई :
आज उसका last seen और online off देखा ,
 उसने कुछ नहीं कहा ,
मैं इंतज़ार करता रहा।

जैसे कोई दरवाजे पर खड़ा रहता है,
कि कोई आएगी और गले लगा लेगी।

पर कोई आई ही नहीं ,
और शायद अब आएगी भी नहीं।”


फोन नोटिफिकेशन Sound: पर आशी का नहीं !

आर्यन की उम्मीदें अब हर notification में टूट जाती थीं।
कभी-कभी वो खुद को बहलाने के लिए सोचता...“शायद उसे भी मेरी याद आती हो”

पर फिर अगले ही पल दिल बोल पड़ता...“नहीं आर्यन वो तो अब किसी और की बातें सुन रही होगी…”

आर्यन : "शायद मेरी सबसे बड़ी गलती थी उसे उस वक़्त समझना जब वो खुद भी खुद को नहीं समझ रही थी"

"मैंने कभी कुछ माँगा नहीं उससे, बस… उसका साथ चाहता था।"

"पर अब वो साथ भी अधूरा है, जैसे हमारी दोस्ती एक अधूरी किताब बन गई हो जिसके आख़िरी पन्ने बिना लिखे ही फाड़ दिए गए।"


कुछ रिश्ते बेआवाज़ टूटते हैं,
न कोई शोर, न कोई इल्ज़ाम।
बस एक खामोशी,
जो ताउम्र दिल में गूंजती रहते है।

आर्यन की आंखे नम हो चुकी थी..." वो बस चुप था और खुद से कहे जा रहा था: " 
तू चली गई , 
पर तन्हाई छोड़ गई।
और मैं अब उस तन्हाई का नाम रख चुका हूँ : 
"आधूरी दोस्ती”