dekhe ja rang in Hindi Love Stories by kajal Thakur books and stories PDF | धोखे का रंग

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धोखे का रंग


नेहा – एक सीधी-साधी और सच्चा प्यार करने वाली लड़की

विवेक – एक आकर्षक मगर चालाक लड़का

रिद्धिमा – विवेक की असली मंशा का चेहराकहानी:

नेहा ने कभी किसी को दिल से नहीं चाहा था, जब तक उसकी ज़िंदगी में विवेक नहीं आया। कॉलेज की पहली मुलाक़ात में ही कुछ ऐसा हुआ कि दिल ने उसे अपना मान लिया।

विवेक भी खूब मीठी बातें करता, हर रोज़ गुलाब लाता, और नेहा की हर बात को दिल से सुनता। नेहा को लगता, उसे अपना सच्चा प्यार मिल गया है।

धीरे-धीरे दोनों एक-दूसरे के बहुत क़रीब आ गए। नेहा ने अपने हर राज़, हर ख्वाब, हर डर विवेक से बांट लिए।

लेकिन…

वक़्त के साथ विवेक बदलने लगा।फोन कॉल्स कम, जवाबों में बेरुख़ी ज़्यादा।नेहा ने कई बार पूछा, "सब ठीक है ना?"और हर बार जवाब होता – "बस बिज़ी हूं थोड़ा…"

फिर एक दिन, नेहा को कॉलेज में विवेक और रिद्धिमा को साथ देखकर कुछ चुभ गया।वो मुस्कराहट, वो नज़दीकियाँ…वो सब तो नेहा की थी ना?

नेहा ने हिम्मत कर विवेक से पूछा –"क्या मैं तुम्हारे लिए अब कुछ नहीं?"विवेक ने नज़रे फेर लीं और बोला –"नेहा, तुम बहुत अच्छी हो… लेकिन शायद हम एक-दूसरे के लिए नहीं बने।"

बस… इतना कहकर वो चला गया।

नेहा टूटी, बिखरी, मगर टूटी नहीं।उसे समझ आया –प्यार करने से ज़्यादा ज़रूरी है, ख़ुद से प्यार करना।

अब नेहा अकेली नहीं है,वो खुद के साथ है…और ये सबसे मजबूत साथ होता है।अंत में…

"कभी किसी की झूठी मोहब्बत को अपनी सच्चाई मत बनाओ,जो चला गया उसे शुक्रिया कहो… क्योंकि वो तुम्हें खुद से मिलवाने आया था।"

भाग 2: नई शुरुआत"(नेहा की ज़िंदगी का नया मोड़)

पिछले भाग का सार:

विवेक की बेवफाई ने नेहा को अंदर तक तोड़ दिया था, मगर उसने हार नहीं मानी। अब वो अपने आँसुओं को ताक़त बनाकर एक नई ज़िंदगी की ओर बढ़ रही है।कहानी जारी है…

ब्रेकअप के बाद नेहा ने खुद को एक कमरे में बंद नहीं किया।उसने खुद से वादा किया –"अब रोऊंगी नहीं, सिर्फ़ मुस्कराऊंगी… अपने लिए!"

उसने अपने सपनों पर काम शुरू किया।डिज़ाइनिंग का कोर्स जॉइन किया, जहां वो पहले डरती थी बोलने से – अब हर किसी को इम्प्रेस कर रही थी।उसकी मेहनत रंग लाई –एक मल्टीनेशनल कंपनी में उसे इंटर्नशिप मिल गई।

इसी दौरान उसकी मुलाकात हुई आदित्य से –एक शांत, समझदार और दिल से सच्चा लड़का।

आदित्य ने कभी नेहा को बदलने की कोशिश नहीं की,बल्कि उसे वैसा ही अपनाया जैसा वो थी –टूटी हुई, मगर हिम्मत से भरी।

धीरे-धीरे, आदित्य उसकी ज़िंदगी में वो भरोसा बन गया जो विवेक ने तोड़ा था।नेहा ने एक दिन आदित्य से पूछा –"अगर मैं तुम्हें अपनी सच्चाई बताऊं, तो क्या तुम दूर हो जाओगे?"आदित्य ने मुस्कराकर कहा –"जिसने दर्द देखा है, वही सच्चा साथ निभाता है।"

वो पल था, जब नेहा को फिर से प्यार पर यकीन हुआ।कहानी का मोड़:

एक दिन नेहा की कंपनी में एक प्रेज़ेंटेशन था – और guess what?वहाँ विवेक भी किसी क्लाइंट के तौर पर आया।

नेहा उसे देखकर चौंकी नहीं, बल्कि मुस्कराई।

विवेक उसकी आँखों में वो चमक देख रहा था, जो पहले उसके लिए थी।मगर अब…वो किसी और के लिए थी।

विवेक कुछ बोलने ही वाला था,तभी आदित्य ने आकर नेहा का हाथ थाम लिया।

नेहा ने पहली बार बिना रोए, बिना डरे, सिर्फ़ शांति से कहा –"शुक्रिया विवेक… तूने मुझे तोड़ा नहीं, मुझे खुद से मिला दिया।"अंत में…

"कभी-कभी जो लोग हमें छोड़ जाते हैं,वो हमें उस रास्ते पर छोड़ते हैं जहाँ हम खुद को पाते हैं।और खुद को पाना, किसी भी प्यार से कहीं ज़्यादा खूबसूरत होता है।"

 मैं इसका तीसरा और आखिरी भाग भी लिखूं, जिसमें नेहा की शादी, सफलता और पूरी ज़िंदगी की झलक हो? 🌸



Kajal Thakur 😊