भाग 2
आदित्य की प्रोफेशनल लाइफ आसमान छू रही थी, लेकिन पर्सनल फ्रंट पर शादी की अड़चनें परिवार के लिए एक चिंता का सबब बन चुकी थीं। खासकर मृणालिनी इस बात से बेहद परेशान रहती थीं।
"पंडित जी कहते हैं, आदित्य की कुंडली में कुछ दोष है। बार-बार शादी टूट जाती है," मृणालिनी अक्सर दादी से कहतीं।
दादी मुस्कुरातीं, "चिंता मत कर मृणालिनी। हमारे कुल के पंडित जी हैं, जो कहते हैं, वही होता है। करवा लो कोई पूजा पाठ, सब ठीक हो जाएगा।"
मृणालिनी ने तुरंत पंडित जी को बुलाया और घर में ग्रहों की शांति के लिए एक विशेष पूजा का आयोजन किया। पूजा के दौरान भी मृणालिनी का मन अशांत था। बुआ ने उन्हें परेशान देखकर प्यार से छेड़ा, "अरे भाभी, इतनी चिंता क्यों करती हो? पता है मुझे, अपने बेटे की शादी की बहुत ज़्यादा चिंता है तुम्हें। अरे हो जाएगा सब, जब आदित्य ने हाँ कर दी तो बात बन ही जाएगी।" बुआ की आवाज़ में प्यार और शरारत दोनों थी, और मृणालिनी भी उन्हें देखकर थोड़ा मुस्कुरा देतीं।
इस बीच, आदित्य की ज़िंदगी में एक नई बहार आई थी। अपनी नई फिल्म की शूटिंग के दौरान उसकी मुलाक़ात सारा कपूर से हुई। सारा न केवल उसकी को-एक्टर थी, बल्कि अपनी मासूमियत और समझदारी से उसने आदित्य का दिल जीत लिया था। पहली बार, आदित्य को किसी लड़की के साथ ऐसा गहरा जुड़ाव महसूस हुआ था। यह सिर्फ़ आकर्षण नहीं, बल्कि सच्चा प्यार था। सारा भी उसकी सादगी और खुले दिल पर फ़िदा हो चुकी थी। वे घंटों बातें करते, शूट के बाद भी अक्सर साथ समय बिताते।
एक शाम, शूटिंग से लौटते हुए आदित्य अपनी गाड़ी में सारा के बारे में सोच रहा था और उसके चेहरे पर एक अलग ही मुस्कान थी। वह आज बेहद खुश था। तभी, एक तेज़ रफ़्तार ट्रक अचानक कहीं से आया और उसकी गाड़ी की तरफ़ बेकाबू होकर बढ़ा। आदित्य ने फुर्ती से स्टीयरिंग घुमाया और ट्रक से बच निकला, लेकिन उसकी गाड़ी नियंत्रण खोकर डिवाइडर से जा टकराई।
आदित्य को हल्की चोटें आईं और वह दर्द में कराहते हुए बाहर निकला। ट्रक वाला बिना रुके तेज़ी से भाग गया। घर पहुँचते ही परिवार के लोग उसे देखकर चिंतित हो उठे।
"हे भगवान! बेटा, ठीक तो है न तू?" मृणालिनी ने घबराकर उसे गले लगा लिया।
"मैंने कहा था न, ग्रह खराब चल रहे हैं। ये सब उसी का असर है। शुक्र है भगवान का तू बच गया," दादी ने चिंता से कहा।
बुआ और उनके पति भी तुरंत पास आ गए। "अरे आजकल के ड्राइवर भी बस... कहीं भी घुस जाते हैं। तेरी गाड़ी तो ठीक है न, बेटा?" बुआ के पति ने गाड़ी की तरफ़ देखते हुए पूछा।
"कोई बात नहीं बेटा, "गाड़ी भी एक तरह की मशीन ही होती है ,कभी भी बिगड़ सकती है " बुआ ने सांत्वना दी।
आदित्य ने कंधे उचका दिए। "हां, बस वही। किस्मत अच्छी थी, बच गया।" वह अभी भी अपनी नई मिली खुशी और सारा के ख्यालों में डूबा हुआ था।
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