जैसे ही डॉक्टर रोली उसे शख्स को देखती हैं तो एक राहत की सांस लेती है ,क्योंकि यह शख्स उनका पुराना पेशेंट होता है।
खुशी जी ,अंकिता जी की बातें सुनकर संवि के वार्ड में आने की बजाय वहां से कहीं जाती है और किसी को कॉल लगाकर कुछ बोलती है और उसके बाद कॉल कट कर कर वह बच्चों के वार्ड में आ जाती है।
उन्हें वहां देखकर बच्चे खुश हो जाते हैं।
कार्तिक शिवाय और दुर्गा एक कमरे में
दुर्गा और कार्तिक डॉक्टर रोली को लेकर परेशान होते हैं, और बहकी बहकी बातें करने लगते हैं।
जिसे सुनकर शिवाय उन दोनों पर चिल्लाता है। उसका चिल्लाना सुनकर दोनों खामोश होकर उसे किसी मासूम बच्चे की तरह देखने लगते हैं।
शिवाय, दुर्गा को शांत करते हुए बोला डॉक्टर होली सच्चाई बताएं या ना बताएं, लेकिन तुम अपने बाड बोले पान में सब कुछ उगाल कर बैठ जाओगी। इस वक्त उसके बातों में गुस्सा साफ-साफ झलक रहा था।
शिवाय की बात सुनकर दुर्गा शिवाय को घूरते हुए बोली क्या कहा तुमने मैं अपने बाड बोले पन में सब कुछ उगाल दूंगी, तुम्हें सच में ऐसा लगता है क्या? अपनी नाक पर उंगली को फिरते हुए बड़े एटीट्यूड से बोली अगर ऐसा होता तो इतना बड़ा सच में 5 साल से अपने पेट में लेकर घूमती नहीं होती।
दुर्गा की बात सुनकर कार्तिक धीरे से बड़बड़ आया... हमेशा इसी डर में रहता हूं कि बातों बातों में तुम किसी को सच्चाई ना बता दो, उसका बड़बड़ाना शिवाय ने तो सुन लिया था पर दुर्गा नहीं सुन पाई। जिसकी वजह से इतनी परेशानी में भी शिवाय के चेहरे पर हल्की मुस्कान आती है।
जिसे देखकर दुर्गा और ज्यादा चीड़ जाती है और कार्तिक से सवाल करती है क्या कहा तुमने एक बार फिर से बताना, मैंने सुना नहीं?
दुर्गा की बात सुनकर कार्तिक नकली मुस्कान देते हुए बोला... मैंने कुछ भी नहीं कहा है ,लगता है तुम्हारे कान बज रहे हैं। उसकी बात सुनकर दुर्गा उसकी तरफ अपनी आंखों को बड़ी-बड़ी कर कर देखने लगती है । जिसे देखकर कार्तिक डर के मारे झूठ बोलता है मैं बस तुम्हारी तारीफ कर रहा था कि तुमने अपने बाड बोले पन में एक बार भी किसी को इतना बड़ा सच नहीं बताया है।
उसकी बात सुनकर दुर्गा के चेहरे पर एक मुस्कान आती है जिसे देखकर कार्तिक राहत की सांस लेता है, पर यह तीनों इस बात से अनजान थे कि कोई बहुत देर से इन तीनों की बातें बाहर सुन रहा था।
शिवाय उनके तू तू -मैं मैं को रोकते हुए बोला... कुछ देर के लिए तुम लोग अपना सर्कस साइड में रख सकते हो क्या? (कार्तिक की तरफ देखते हुए) मैंने तुम्हें पहले ही कहा था ना की डॉक्टर को यहां से दूर भेजना और मुंह मांगी पैसे देना.।
सारे डॉक्यूमेंट सारे सबूतों को मिटा देना?
जिस पर कार्तिक अपने गले पर हाथ रखते हुए बोला कसम से यार मैं सारे डाक्यूमेंट्स से लेकर डॉक्टर को तक ठिकाने लगा दिया था पर पता नहीं यह वापस क्यों आई है, यहां तक कि मैं उन्हें धमकी दिया था कि -अगर वह कभी इंडिया लौटेगी या कभी सच्चाई बताने की कोशिश करेगी तो ,मैं उन्हें और उनके परिवार को दुनिया से गायब कर दूंगा। इतना बोलने के बावजूद भी वह यहां आई है तो इसमें मेरी क्या गलती है।
यहां तक कि मैं अस्पताल से सारे रेकॉर्ड्स भी मिटा दिया था।
दुर्गा उन दोनों की तरफ देखते हुए परेशानी से बोलती है... यार बात वह यहां आई है, यह नहीं है बात यह है कि आरोही और वह एक ही अस्पताल में है और वह दोनों कहीं ना कहीं कभी ना कभी टकरा ही जाएंगे आज तो मैं दोनों को बात करते-करते रोक दिया था पर आगे हम यहां रहेंगे नहीं तो कैसे उन दोनों को मिलने से या बात करने से रोक सकते हैं? ऊपर से मैं आज डॉक्टर की एक्सप्रेशंस देखी थी जो आरोही को देखकर एकदम डर गई थी , उसे वक्त तो आरोही ने डॉक्टर पर शक नहीं किया था लेकिन अगर कभी और वह दोनों मिले और डॉक्टर इसी तरह से बिहेव करने लगी तो ना जिसे शक नहीं होगा उसे भी शक हो जाएगा।
जिस पर कार्तिक शिवाय के तरफ देखते हुए बोला यार यह बोल तो सही रही है हम लोग 24 घंटे थोड़ी ना उन दोनों पर नजर रखेंगे।
वह दोनों बात कर ही रहे थे की दुर्गा बीच में बोली शिवाय मैंने खुशी दादी से सुना है कि सच को कितना भी छुपाने की कोशिश करो वह छुपाया नहीं छुपता है अगर किसी को सच्चाई पता चली तो क्या होगा?
उसकी बात सुनकर शिवाय और कार्तिक दोनों के पास कोई जवाब नहीं होता है।
तभी उन तीनों को वनराज की आवाज सुनाई देती है ... आखिर क्या छुपा रहे हो तुम तीनों ।किस सच्चाई के बारे में बात कर रहे हो?
वनराज की बात सुनकर तीनों एक दूसरे की शक्ल देखने लगते हैं जहां पर शिवाय और कार्तिक के एक्सप्रेशंस ना के बराबर थे तो दुर्गा के चेहरे पर घबराहट साफ-साफ देखी जा सकती थी। वनराज उन तीनों के पास चलते हुए आता है।
उसकी अपनी तरफ आते देखकर कार्तिक दुर्गा अपनी सांसों को रोकते हैं।
शिवाय वनराज से पूछता है... भाई आप यहां, आप तो बच्चों के पास थे ना?
जिस पर वनराज उल्टा शिवाय से ही सवाल करता है... यह सवाल में भी तुमसे पूछना चाहता हूं कि तुम तो डिस्चार्ज की फॉर्मेलिटी पूरी करने गए थे। तो तुम यहां कैसे ,वह भी इन दोनों के साथ और यह दुर्गा किस सच्चाई के बारे में बात कर रही है।
इस समय दुर्गा ,कार्तिक ,शिवाय, वनराज की बातों में शक को साफ महसूस कर सकते थे।
जिस पर शिवाय बोला... कुछ नहीं भाई आप तो जानते हो ना इसे कुछ ना कुछ बोलना रहता है, और ऊपर से कोई ना कोई गड़बड़ कर देती है। वह उसी के बारे में बात कर रही थी। (इस वक्त शिवाय ने हीं वनराज से साफ-साफ झूठ बोला था, जो वनराज कहीं ना कहीं समझ रहा था।)
जिस पर वह अपना सर को ना में हिलाते हुए कार्तिक को देखते हुए पूछता है कि तुम यहां क्या कर रहे हो तुम्हें तो इस वक्त अपने हॉस्पिटल में होना चाहिए।
कार्तिक अपने एक्सप्रेशंस को ठीक करते हुए बोला वह क्या है ना भाई मुझे आज पता चला कि संवि को डिस्चार्ज मिलने वाला है तो मैं यहां उसे मिलने आया था और ऊपर से सांची ,मिस्टर, शर्मा और मल्होत्रा को भी मिलने आया था और साथ में उनकी हाल-चाल पूछने आया था। वह पापा ने कहा था कि एक बार मिस्टर शर्मा और मल्होत्रा की चेकअप कर लो।।
वनराज कार्तिक की बात सुनकर बोला तो यह बात तुम नॉर्मल भी बोल सकते हो इतना हड़बड़ा क्यों रहे हो।
कार्तिक से पहले जवाब दे पाता शिवाय, वनराज से पूछता है... भाई आपने बताया नहीं कि आप यहां क्या कर रहे हो!
उसकी बात पर वनराज जवाब देता है मैं तो यहां तुम्हें बुलाने आया था क्योंकि डिस्चार्ज फॉर्मेलिटी करने के लिए तुम दोनों बहुत देर से गायब हो गए थे जब मैं रिसेप्शन के पास जा रहा था तो मुझे यहां दुर्गा की आवाज सुनाई दी तो मैं यहां चला आया और फिक्र मत करो बच्चों के पास आरोही और अंकित आंटी है वह क्या है ना कौरव के स्कूल से कॉल आया था जिसकी वजह से रुचिता स्कूल के लिए गई है और मुझे ऑफिस जाने के लिए लेट हो रहा था ,इसलिए मैं तुम्हें ढूंढ रहा था।
ऊपर से करने में कॉल कर कर परेशान कर दिया है कि तुम लोग और संवि को लेकर कब आओगे वह घर पर बच्चों का इंतजार कर रही है।
उसकी बात पर शिवाय पहले तो जल्दी ना आने के लिए माफी मांगता है फिर वहां से सब लोग जाने लगते हैं।
जैसे ही वह लोग वार्ड के अंदर आते हैं तो देखते हैं कि दोनों बच्चे आरोही के साथ बड़े अच्छे से खेल रहे थे जिसे देखकर शिवाय को कुछ देर के लिए सुकून तो मिलता है पर कुछ याद आते ही वह परेशान हो जाता है।
संवि अपने पापा को आते ,देखकर जल्दी से शिवाय की तरफ दौड़ती है जिसे देखकर पहले सभी लोग घबरा जाते हैं ,शिवाय , संवि से बोला धीरे बच्चा, भाग क्यों रही हो?(इतना बोल कर वह जल्दी से उसे अपने गोद में उठा लेता है)
संवि शिवाय से सवाल करती है dad हम लोग घर कब जाएंगे मैं कितना परेशान हो गई हूं , यहां रहे रहे कर और वह गंदी सी दवाई खाकर (इस वक्त उसने अपने मुंह को बड़े अजीब तरीके से बना लिया था )जिसे देखकर सभी लोग मुस्कुरा देते हैं ।
उसका सवाल सुनकर शिवाय बोला अभी चलेंगे बच्चा पर इससे पहले हम लोग बुआ,राम अंकल और सिद्धार्थ अंकल को बाय बोलकर जाएंगे ओके.
शिवाय की बात सुनकर संवि अपने सर को हां में हिलती है और वही तो जल्दी चलो हम उन्हें जल्दी से बाय बोलकर जाएंगे मुझे अभी हॉस्पिटल में नहीं रहना है । और ना ही वह गंदी गंदी दवाई खानी है।
उसकी बात सुनकर शिवाय हां मैं कर ही लाता है, और वहां से संवि को ले जाता है उनके पीछे आरोही आर्य को लेकर चल रही थी कार्तिक और वनराज पहले से ही वहां से चले गए थे। उनके साथ सिर्फ दुर्गा थी जो उन चारों को ऐसे एक दूसरे के साथ चलते देखकर मन में कुछ सोच रही थी। (इस वक्त वह चारों एक पिक्चर परफेक्ट फैमिली की तरह लग रहे थे)
सांची की वार्ड में
इस वक्त सांची की वार्ड में कश्यप ,अद्वित थे। कश्यप की चोट भर चुकी थी पर इतने भी नहीं कि हु सेड डिस्चार्ज मिल सके। सांची के तो हाथ पैर माथे पर पट्टी बंधी हुई थी, उसका तो हिलान ही मुश्किल हो रहा था।
वह तीनों भाई बहन बात कर ही रहे थे कि उन्हें वार्ड के अंदर किसी के आने का महसूस होता है तो वह दरवाजे की तरफ देखते हैं, तो उन्हें दरवाजेकी तरफ दुर्गा शिवाय दोनों बच्चों के साथ दिखाई देते हैं जिसे देखकर सांची खुश होती है पर अद्वित और कश्यप को कुछ समझ नहीं आता है।
शिवाय बच्चों को तीनों के पास ले आता है जहां पर सांची बच्चों को देखकर बहुत ही ज्यादा खुश होती है, बच्चे भी साची को देखकर खुश होते हैं क्योंकि वह लोग पहले से ही एक दूसरे से मिले हुए थे लेकिन बच्चे शिवाय की तरफ देखते हुए कश्यप और अद्वित्य को देखते हैं , सांची दोनों बच्चों को अपने भाइयों को यूं देखते-देखकर मुस्कुराते हुए बच्चों को कश्यप और अद्वितीय से इंट्रोड्यूस करते हुए बोली बच्चों यह ना आपके बड़े चाचू कश्यप की तरफ उंगली करते हुए कश्यप है और यह जो कलरफुल कोट पहनकर आए हैं वह आपके छोटे चाचू अद्वितीय है। और अपने भाइयों की तरफ देखते हुए बोली भैया यह शिवाय भैया के बच्चे हैं जिसे सुनकर वह दोनों पहले चौक जाते हैं पर अपने एक्सप्रेशंस को बच्चों के सामने नॉर्मल करते हैं।
सांची की इंट्रोडक्शन सुनकर दोनों बच्चे पहले दोनों को ग्रीट करते हैं, संवि कश्यप को देखते हुए बोली हेलो क्यूट चाचू, उसके बाद आदित्य की तरफ देखते हुए बोली हेलो हैंडसम चाचू। मेरा नाम संवि है आप दोनों से मिलकर मुझे बहुत अच्छा लगा।
आर्य भी बिल्कुल राटू तोते की तरह संवि की कॉपी करता है।
वह दोनों भी बच्चों को बड़े प्यार से वापस ग्रीट करते हैं। और उनसे बात करना शुरू करते हैं।
अद्वितीय चाहे कितना रूड हो पर उसे इतनी समझ थी कि बड़ों की नफरत को बच्चों में नहीं लाना चाहिए वह शिवाय या किसी और से बात नहीं करता था पर बच्चों के लिए उसके मन में कोई भी बैर नहीं था।
रात के समय डॉ होली के घर पर
अपने घर जाकर एक गहरी सांस लेती है वह दिन भर पेशेंस की चेकअप कर कर कर पर थक गई थी वह अपने सोफे पर बैठकर थकान मिटा रही थी कि एकदम से उनके घर का लाइट चल जाता है जिसे देखकर वह एक पल के लिए घबरा जाती है क्योंकि वह एक बड़े से अपार्टमेंट पर रहती थी जहां पर लाइट जाना नामुमकिन ही था अगर गलती से किसी कारण वजह की वजह से लाइट जाती तो जनरेटर चालू हो जाता था लेकिन इस वक्त उनका पूरा घर अंधेरे से भरा हुआ था जिसे देखकर वह कैंडल जलने के लिए अपने फोन का टॉर्च खोलती है और किचन की तरफ जाने लगती है पर उन्हें अपने दरवाजे पर खटखटाना की आवाज आती है जिसे सुनकर वह पहले से ही डरी हुई थी और डर जाती है। क्योंकि वह इस शहर में अकेली रहती थी और ऊपर से उनका कोई दोस्त भी नहीं है जो उन्हें इतनी रात को परेशान करें।
जिसकी वजह से वह दरवाजा नहीं खोलता है और अंदर से ही डरते हुए पूछता है कौन है इतनी रात को दरवाजा क्यों खटखटा रहे हो?
लेकिन उन्हें कोई भी जवाब नहीं आता है।
आखिर कौन आया है डॉक्टर रोली के घर पर , क्या उनकी जान खतरे में है जाने के लिए पड़ी अगला चैप्टर।
थैंक यू यहां तक एपिसोड पढ़ने के लिए और हां प्लीज कमेंट करना ना भूले।