Pheli Barish ka Pyaar in Hindi Love Stories by kajal Thakur books and stories PDF | पहली बारिश का प्यार

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पहली बारिश का प्यार


बारिश उस दिन कुछ ज़्यादा ही खास लग रही थी... जैसे बादल भी उनकी मोहब्बत के गवाह बनना चाहते हों।

आरव ने आद्या की ओर देखा — वो हल्की-सी भीग रही थी, उसके बाल उसके गालों से चिपक रहे थे और आँखों में वो वही शर्मीली मासूमियत थी जिसने उसे पहली बार देखने पर आरव का दिल चुरा लिया था।

"तुम्हें सर्दी लग जाएगी..." आरव ने उसकी ओर छाता बढ़ाया।

आद्या मुस्कुराई, "पहली बारिश है... और तुम साथ हो, अब सर्दी भी खास लगने लगी है।"

आरव चुप रहा, उसकी आँखें आद्या के चेहरे पर टिक गईं। उसके लफ्ज़ जैसे दिल की गहराइयों से निकले थे।

कुछ कदम आगे बढ़ते हुए, दोनों एक पुराने मंदिर की सीढ़ियों पर बैठ गए, सामने से बहती सड़क और टप-टप गिरती बारिश की बूँदें।

"आरव," आद्या ने धीरे से कहा, "तुम्हें कभी डर लगता है? जैसे... मैं कहीं दूर चली जाऊँ?"

आरव ने उसका हाथ थाम लिया, "हाँ लगता है... पर उससे ज़्यादा यकीन है कि तुम मेरा साथ कभी नहीं छोड़ोगी।"

आद्या की आँखों में हल्की नमी आ गई।

"एक बात कहूँ?" उसने पूछा।

"हमेशा," आरव ने जवाब दिया।

"इस बारिश में मैं एक दुआ माँग रही हूँ — कि अगले साल भी, और उससे अगले साल भी, हर पहली बारिश में तुम मेरे साथ हो।"

आरव ने उसका हाथ अपने दिल पर रखा, "जब तक ये दिल धड़कता है, हर बारिश में तुम्हारे साथ रहूंगा। वादा रहा।"

बारिश थम रही थी, लेकिन उनकी मोहब्बत की बूँदें अब भी हवा में महक रही थीं।

मंदिर की घंटियाँ धीरे-धीरे बज रही थीं — जैसे ऊपरवाला भी उनकी दुआओं में शामिल हो गया हो।

और उस शाम, पहली बारिश की उस महक में, एक नया रिश्ता भीगकर और भी मजबूत हो गया।

पहली बारिश का प्यारअध्याय 8: "तेरा नाम मेरी साँसों में"

बारिश के बाद की वो सुबह कुछ अलग थी। हवा में अब भी भीनी-भीनी गीली मिट्टी की खुशबू थी, और आद्या की मुस्कान में बीती शाम की मिठास।

वो कॉलेज पहुँची, पर आरव नहीं दिखा। दिल थोड़ा बेचैन हुआ। दिनभर उसका इंतज़ार करती रही, लेकिन वो नहीं आया।

शाम को जब वो घर लौटी, दरवाज़े पर एक डाकिया खड़ा था।

"आद्या शर्मा?"

"जी, मैं..."

"ये आपके लिए है।"

उसने एक सफेद लिफ़ाफा पकड़ा दिया — उस पर सिर्फ़ लिखा था: "पहली बारिश की रानी के नाम..."

आद्या का दिल ज़ोर से धड़क उठा। लिफ़ाफा खोला तो अंदर एक छोटा-सा कार्ड और एक टिकट मिला।

"कल सुबह, 7 बजे। वहाँ आना जहाँ हमने पहली बार बारिश महसूस की थी...एक अधूरी बात पूरी करनी है।– आरव"

आद्या की आँखों में चमक लौट आई। अगली सुबह, उसी पुराने पुल के पास, जहाँ बारिश में दोनों ने पहली बार एक-दूसरे का हाथ थामा था — आरव खड़ा था, हाथ में एक छोटा सा नीला डिब्बा लिए।

"तुम्हें याद है, तुमने कहा था हर बारिश में साथ रहोगे?" आद्या ने मुस्कुरा कर पूछा।

आरव ने डिब्बा खोला — अंदर एक नाज़ुक सी चाँदी की अंगूठी थी, उस पर उकेरे थे दो शब्द: "A&A"

"ये सिर्फ़ पहली बारिश का नहीं, हर मौसम का वादा है, आद्या।"

उसने घुटनों के बल बैठकर कहा —"क्या तुम मेरी ज़िन्दगी की हर बारिश बनोगी?"

आद्या की आँखें भर आईं।

"हाँ, आरव... हर पहली बारिश की तरह, मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहना चाहती हूँ।"

आसमान में फिर हल्के बादल घिरने लगे थे, जैसे उन्हें आशीर्वाद देने आए हों।

और वहीं, उस भीगी सुबह में, मोहब्बत ने एक नया नाम ले लिया — पहली बारिश का प्यार अब सच्चाई बन गया था।