the silent call in Hindi Short Stories by Vivek Singh books and stories PDF | मौन कॉलर

Featured Books
Categories
Share

मौन कॉलर


मौन कॉलर

रात के दो बज रहे थे। पूरा शहर गहरी नींद में डूबा हुआ था। सड़कों पर सन्नाटा पसरा था, जैसे सबकुछ ठहर गया हो।

विक्रम अपनी मेज पर झुका काम कर रहा था। उसे देर रात तक फाइलें निपटाने की आदत हो गई थी। उसकी मेज पर जली टेबल लैंप की मद्धम रोशनी में एक पुराना फोन रखा था। ये फोन उसने कुछ महीने पहले ही एक एंटीक दुकान से खरीदा था।

ठीक दो बजे अचानक उस फोन की घंटी घनघना उठी।

ट्रिन… ट्रिन… ट्रिन…

विक्रम का दिल जोर से धड़कने लगा। इतनी रात को कौन फोन करेगा?

उसने हिम्मत जुटाई और रिसीवर उठा लिया।

“ह… हेलो?” उसकी आवाज कांप रही थी।

दूसरी तरफ से कोई नहीं बोला। बस किसी की सांसों की धीमी आवाज आ रही थी।

“क… कौन है?” विक्रम ने दुबारा पूछा।

कोई जवाब नहीं। वही भारी, ठंडी सांसें।

उसने फोन पटक दिया और अपनी धड़कनें संभालने की कोशिश की। “शायद किसी ने मजाक किया है,” उसने खुद को समझाया।

लेकिन अगले दिन भी ठीक दो बजे वही कॉल आया। फिर वही सांसें। तीसरे दिन भी। चौथे दिन भी।

अब विक्रम की नींद उड़ चुकी थी। वो हर रात उस सांसों की आवाज को सुनता, जो अब धीरे-धीरे साफ होने लगी थी—जैसे कोई बोलना चाहता हो, पर बोल नहीं पा रहा हो।

एक रात उसने तय किया कि इस रहस्य का सामना करेगा। उसने अपने मोबाइल से उस एंटीक शॉप के मालिक को फोन किया।

“आपने जो फोन मुझे बेचा था… क्या उसके साथ कुछ…”

दूसरी तरफ बूढ़े दुकानदार ने लंबी सांस ली।

“तुमने…वो फोन रख लिया?” उसकी आवाज काँप रही थी।

“हाँ, लेकिन…”

“उसे फेंक दो। उस फोन पर पिछले मालिक की आत्मा अटकी है। पांच साल पहले उसने खुदकुशी की थी, और मरने से पहले इसी फोन से अपनी पत्नी को आखिरी कॉल किया था। उसकी रूह अब भी उसी फोन से हर रात बात करने की कोशिश करती है…”

विक्रम की रूह तक सर्द हो गई।

“अगर वो आवाज पूरी हो गई…अगर उसने तुमसे बात कर ली…तो तुम भी…”

फोन कट गया।

विक्रम के हाथ से रिसीवर गिर पड़ा। उसकी नजर घड़ी पर पड़ी—रात के 1:59 हो रहे थे।

वो भागकर फोन से दूर हुआ। मगर तभी फोन ने फिर घंटी दी—

ट्रिन… ट्रिन… ट्रिन…

इस बार वो और ज्यादा तेज बज रहा था। जैसे कोई चीख रहा हो।

विक्रम ने दीवार से सटकर आंखें भींच लीं। मगर घंटी बंद नहीं हुई।

अचानक सन्नाटा छा गया। उसने डरते-डरते आंख खोली। फोन की जगह खाली थी।

तभी उसकी गर्दन के पास किसी की ठंडी सांस महसूस हुई।

“अब…सुनोगे मेरी बात…”

विक्रम की चीख पूरे मकान में गूंज उठी।

उस रात के बाद विक्रम कभी नजर नहीं आया। लोग कहते हैं, अगर किसी ने वो पुराना फोन पाया, तो आधी रात को वो भी वही मौन कॉलर बन जाता है
उस रात के बाद विक्रम तो गायब हो गया, लेकिन वो पुराना फोन आज भी उसकी मेज पर रखा है।

कहते हैं, जो भी उस फोन को छूता है, रात के ठीक दो बजे उसे एक कॉल आता है।
कोई आवाज नहीं होती — सिर्फ धीमी, ठंडी साँसें।

पिछले तीन महीने में उस फोन को छूने वाले तीन लोग लापता हो चुके हैं।

अब वो फोन म्यूज़ियम में शीशे के बॉक्स में रखा है, लेकिन कोई भी रखवाला एक हफ्ते से ज्यादा टिक नहीं पाता।

कहते हैं… अगला कॉल शायद आपके लिए हो…