रीकैप
पिछले चैप्टर में हम पढ़ते हैं कि दुर्गा खुशी जी को मानती है दूसरी तरफ कौरव बोलता है कि बुआ आपने मेरे लिए गिफ्ट नहीं लाया दुर्गति तीनों बच्चों को गले लगा कर उन्हें गिफ्ट देती है।
बाकी सब डाइनिंग टेबल पर बैठकर अपना अपना संडे प्लान करते हैं जहां बच्चे पिकनिक के लिए पार्क जाने वाले थे इंद्रजीत वनराज ऑफिस के लिए जाने वाले हैं शशांक राम जी और सिद्धार्थ जी ऑफिस मीटिंग के लिए चले गए बाकी लेडिस शादी की तैयारी के बारे में बात करना चाहते हैं।
अब आगे
इस वक्त सुबह के 10:00 बज चुके थे और सभी भी लोग अपना-अपना नाश्ता खत्म कर कर अपने-अपने काम के लिए निकल चुके थे।
दुर्गा तीनों बच्चों से बोली जाओ जल्दी से तीनों रेडी होकर आओ हम पार्क जाएंगे।
वनराज , शिवाय जी से बोला तुम भी जाओ रेडी होकर आओ हमें भी चलना है शिवाय, वनराज के बातों में हम ही भर कर वहां से बच्चों के साथ ऊपर चला जाता है।
इशिता जी सर्वेंट से बोलती है यह सब साफ करो और गार्डन में सबके लिए चाय और काफी लाओ।
इतना बोलकर वह भी गार्डन की तरफ चली जाती है क्योंकि बाकी सब लोग वहीं बैठे थे जिसमें रमन जी, अर्णव जी,जया जी और उनके पति, जी भी थी
पालकी और आरोही भी पालकी के रूम में चले गए थे।
वनराज अपने रूम में चला गया था क्योंकि उसे भी ऑफिस जाना था शिवाय को लेकर।
अब बस हाल में दुर्गा और कार्तिक ही बचे थे
दुर्गा वहां से अपने कमरे में जा रही थी कि तभी किसी ने दुर्गा का हाथ खींच कर उसे दीवार के सहारे लगा दिया था।
दुर्गा तो पहले ही सदन एक्शन से घबरा जाती है फिर वह अपने सामने देखती है तो गुस्से से लाल होती है।
क्योंकि उसके सामने कार्तिक खड़ा हुआ था इस वक्त कार्तिक ने दुर्गा को दिवार पर एकदम साटा दिया था।
दुर्गा कार्तिक से बोली यह क्या बदतमीजी कर रहे हो छोड़ो मुझे वरना मैं तुम्हें नहीं छोडूंगी।
कार्तिक शरारती स्माइल से बोला मैं चाहता ही नहीं कि तुम मुझे छोड़ो चलो अच्छे से पकड़ो मुझे।
दुर्गा कार्तिक के पैरों पर जोर से मारती है जिसकी वजह से कार्तिक दुर्गा से अपना हाथ खींच लेता है और अपने पैरों पर हाथ रखकर दुर्गा से बोला अरे क्या तुम जब देखो तब मुझे मारती क्यों रहती हो। आखिर कब बंद करोगी मुझे यू मारना।
दुर्गा इट - लाते हुए बोली तब जब तुम मेरा रास्ता रोकना बंद करोगे जब जब तूम मेरा रास्ता रुकोगे तो यूं ही तुम्हें मार पड़ेगी।
वहां से जाने लगती है तो कार्तिक उसका हाथ खींच कर अपने करीब लाता है।
कार्तिक के यु खींचने से दुर्गा संभाल नहीं पाती है और कार्तिक के सीने से टकरा जाती है।
कार्तिक दुर्गा के कमर पर हाथ रखकर उसे और अपने करीब लाता है जब दुर्गा यह महसूस करती है कि कार्तिक ने उसके खुली कमर पर अपने ठंडे हाथ रख तो वह एकदम सीयर जाती है।
और कार्तिक से दूर होने की कोशिश करती है पर कार्तिक की मजबूती इतनी थी कि वह उसे दूर नहीं हो पाती है।
दुर्गा कार्तिक से बोली छोड़ो मुझे
कार्तिक बोला छोड़ने के लिए नहीं पकड़ा है। अब यह साथ तभी छूटेगा जब मेरे सांसों में सांस नहीं रहेगा।
दुर्गा कार्तिक के मुंह पर हाथ रख कर बोली दादी कितनी बार बोलती हैं की अशूभ बातें नहीं करते।
कार्तिक मुस्कुरा देता है और दुर्गा के बाल उसके कानों के पीछे करते हुए बड़ी सेडक्टिव आवाज में बोला तुमने झूठ क्यों बोला कि मैंने तुम्हें शिवाय और बच्चों के बारे में बताया है।
मैंने तो तुमसे पिछले 1 महीने से बात भी नहीं की है तो मैं तुम्हें कब बताऊंगा कि यहां शिवाय आया है और उसके साथ दो बच्चे भी।
कार्तिक की बात सुनकर जो दुर्गा अब तक उसे छूटने के लिए स्ट्रगल कर रही थी वह स्ट्रगल करना छोड़ देती है और प्यारी सी स्माइल के साथ बोलती है अगर दादी को पता चला कि मुझे शिवाय के बारे में सब कुछ पता है तो वह मुझ से नाराज हो जाती।
और मैं उन्हें नाराज नहीं करना चाहती हूं ना ही किसी घर वालों को।
तुम जानते हो ना इस परिवार ने मुझ पर कितने एहसान किए हैं।
कार्तिक दुर्गा से बोलता है अगर किसी दिन सबको सच पता चला तो तब क्या करोगी।
नहीं जानती बस भगवान से यही प्रार्थना करते हो कि वह दिन जिंदगी में कभी ना आए।
कार्तिक बोलता है पर तुम जानती हो ना सच को जितना छुपाने की कोशिश करो फिर भी सच एक न एक दिन बाहर आता है।
दुर्गा कार्तिक से बोलती है नहीं जानती क्या करना चाहिए इतना बोलकर वह कार्तिक से अलग हो जाती है क्योंकि इस वक्त कार्तिक की पकड़ दुर्गा पर हल्की थी।
जैसे दुर्गा कार्तिक से दूर होती है वह कार्तिक से बोली डॉक्टर साहब आपको हॉस्पिटल जाना चाहिए आपके पेशेंस वेट कर रहे हैं इतना बोलकर वह वहां से चली जाती है।
दुर्गा के जाते ही कार्तिक मन में बोलता है मैं भी यही दुआ मांगता हूं कि सच कभी किसी के सामने ना आए अगर आया तो सब कुछ बिखर देगा सारे रिश्तों को उलझा देगा, दिल के बंधनों को तोड़ देगा आई होप की जो सच हम लोग 5 साल से छुपा रहे हैं वह जिंदगी भर के लिए छुपा रहे जाए।
कुछ ही देर में सब लोग हाल में इकट्ठा होते हैं शिवाय पालकी और दुर्गा को बच्चों के बारे में समझा रहा था कि उन्हें क्या खेलने देना चाहिए कितनी देर के लिए खेलने देना चाहिए उन्हें क्या खिलाना चाहिए क्या नहीं।
और उन्हें कब तक घर आना चाहिए और बार-बार शिवाय को कॉल कर कर दोनों बच्चों की अपडेट देने के लिए बोल रहा था।
आरोही शिवाय की बातें सुनकर बोली देखो शिवाय हमें भी पता है क्या करना चाहिए क्या नहीं तुम ऐसे समझा रहे हो हम लोगों को जैसे हम खुद छोटे बच्चे हो।।
शिवाय बोला इसमें समझाने वाली क्या बात है तुम तीनों उम्र और शरीर से तो बड़े हो गए हो पर दिमाग से अभी भी बच्चे ही हो।
शिवाय प्रणय को बुलाता है और बोलता है मैं इन सब की जिम्मेदारी तुमने दे रहा हूं सबका ख्याल रखना।।
प्रणव अपना सर हम हिलता है और बोलता है जी सर में सबका ख्याल रखूंगा।
शिवाय संन्नवि को इंस्ट्रक्शंस देता है कि ज्यादा भागा दौड़ी नहीं उछल-कूद नहीं करना है आर्य के साथ रहना है, टाइम तो टाइम पानी पीना है। और आर्य से बोलता है डी का ख्याल रखना वह ज्यादा भागे दौड़े नहीं यह देखना की नहीं चीखें चिल्लाई। और हां सबसे इंपोर्टेंट बात अपने चेहरे का मास्क उतारना मत।
तब तक वनराज भी आ जाता है और शिवाय को बोलता है शिवाय यह सब बच्चे नहीं है और प्रणय को भी अपने साथ लेकर चलो उसे भी तो पता होना चाहिए अपने बॉस की कंपनी के बारे में।
शिवाय वनराज की बातों को सुनकर बोलता है पर भाई....... शिवाय इतना बोला ही था कि ,वनराज उसे रोकते हुए बोला बच्चे कहीं दूर नहीं जा रहे हैं सोसाइटी के पार्क में जा रहे हैं।
इतना चिंता मत करो।
वनराज की बात मानकर शिवाय प्रणय को भी कंपनी साथ आने के लिए बोलता हैं ।
प्रणय इस बार भी कुछ नहीं बोलता है और अपना सर हिला देता है।
कार्तिक प्रणय को देखते हुए बोला या शिवाय तेरे असिस्टेंट को सिर्फ सिर हिलाना ही आता है क्या जब से आया हो तब से देख रहा हूं यह बस अपना सर हां या ना में ही लाता है बोलना तो आता है या नहीं।
शिवाय कार्तिक से बोला उसे बोलना आता है या नहीं मैं तुझे बाद में बताऊंगा पहले तुम बताओ कि तुम्हें हॉस्पिटल जाना है या नहीं या फिर से अंकल से डांट खानी है
शिवाय की बात सुनकर कार्तिक बोलता है नहीं यार मैं चलता हूं इतना बोलकर वह सबको गले लगा कर वहां से चला जाता है।
शिवाय आर्य और कौरव सन्नवी का ध्यान रखने के लिए बोलता है और संन्नवि को कौरव और आर्य के ध्यान रखने के लिए बोलता है।
उसके बाद वह वनराज और प्रणय ऑफिस के लिए निकल जाते हैं।
जैसे तीनों लड़कियां तीनों बच्चों को लेकर पार्क ले जाने वाले थे तभी दुर्गा को कॉल आता है तब वह देखतीं है कि यह कौल हॉस्पिटल से आया है।
दुर्गा कॉल उठाती है और बोलती है हेलो सर बोलिए दूसरी तरफ से आवाज आता है दुर्गा हॉस्पिटल आओ अर्जेंट कैसे आया है।
दुर्गा कॉल पर बोलती है ओके सर मैं अभी आती हूं इतना बोलकर वह कॉल कट कर देती है।
दुर्गा पालकी और आरोही से बोली तुम दोनों ही बच्चों को लेकर जाओ मुझे हॉस्पिटल से कॉल आया है की इमरजेंसी केसा आया है।
वहां से चली जाती है
पालकी और आरोही बच्चों को लेकर पार्क में चले जाते हैं।
कहानी में आगे क्या होगा जाने के लिए बढ़िया अगला चैप्टर।
न्यू स्टोरी प्मो
यह कहानी है इंद्रजीत और माया की इंद्रजीत जहां साइको बिजनेस मैन कहलाता है वहीं दूसरी तरफ़ माया एक आत्मविश्वासी चंचल लड़की है । क्यों कह सकते हैं कि एक आग है तो दूसरा पानी ।
जब यह दोनों मिलेंगे तो क्या होगा जाने के लिए पढ़ीए ।
❤️❤️❤️इश्क की लाइब्रेरी ❤️❤️❤️ उन पॉकेट एफएम