chapter 5
recap
पिछले चैप्टर में हम ठक्कर खानदान के बारे में पढ़ते हैं। दूसरी तरफ पल्लवी अपनी जॉब के लिए परेशान थी।
तभी उसे मैसेज आता है जिसे देखकर वह हैरान रह जाती है ।।
अब आगे।
पल्लवी नाश्ता कर रही थी तभी उसका फोन बज उठता है जिसे देखकर वह अपने फोन के पास जाती है और खोलती है - तो उसे एक मैसेज दिखता है तो वह उसे मैसेज को क्लिक करती है जैसे ही मैसेज खुलता है तो मैसेज को पढ़कर हैरान ! रह जाती है ।
उसे ऐसे हैरान! देख कर नानी पूछती है... क्या हुआ पल्लवी, ऐसा क्या आय फोन में - जिसे देखकर तू इतनी हैरान क्यों है... इस वक्त उनके चेहरे पर भी परेशानी आ गई थी।
अपनी नानी का सवाल सुनकर पल्लवी उछलते खुश होते हुए अपनी नानी को गोल-गोल घूमते हुए बोली... नानी मुझे प्रमोशन मिला है ,मेरी जॉब नहीं जाएगी ।इस वक्त पल्लवी बहुत ही ज्यादा खुश !थी ,वह कल रात से कान्हा जी को परेशान कर कर रख चुकी थी।
उसकी बात सुनकर शकुंतला जी भी बहुत ही ज्यादा खुश! हो जाती है।। वह पल्लवी को रोकते हुए बोली रुक-रुक मुझे चक्कर आ रहे हैं इतना घुमा क्यों रही है अपनी नानी की बात सुनकर पल्लवी एकदम से रुक जाती है क्योंकि वह भूल गई थी अपनी खुशी में की नानी की उम्र नहीं है ऐसे घूमने की।
पल्लवी नानी को एक चेयर पर बिठाती है और उनके हाथों में पानी देती हुए अपने कान को पकड़ते हुए बोली...' आई एम सो सॉरी नानी, मैं तो इतनी खुश हो गई थी कि मैं भूल !गई थी कि आपकी उम्र हो गई है इतना बोलकर वह हंसने लगती है'।
पल्लवी की बात सुनकर शकुंतला जी झूठा गुस्सा दिखाते हुए बोली... बुढ़ी हो गई तेरी नानी -मैं नहीं मैं अभी जवान हूं!
उनकी बात सुनकर समीक्षा बोली दादी पल्लवी ने भी सेम कहा है। और खुद मुंह दबाकर हंसने लगती है।
पल्लवी अपने फोन पर म्यूजिक चलाती है ,और समीक्षा के साथ मिलकर डांस करने लगती है। क्योंकि उसके सर से इतना बड़ा बोझ हल्का हो चुका था।
कुछ देर ऐसे ही मस्ती करने के बाद पल्लवी और समीक्षा अपने कॉलेज के लिए निकल जाते हैं।
दोनों पल्लवी के स्कूटी पर बैठ जाते हैं क्योंकि समीक्षा की बाइक सर्विसिंग के लिए गई थी। ।
समीक्षा जब यह देखती है ,कि पल्लवी ने स्कूटी को कॉलेज की तरफ नहीं किसी ,और रास्ते की तरफ मोड़ तो, वह उससे पूछती है...' यार हम कहां जा रहे हैं हमारे कॉलेज जाने का तो रास्ता वहां है- ना तो यहां कहां जा रही हैं '?
जिस पर पल्लवी खुश! होते हुए बोली... तेरे लिए एक सरप्राइज है! और तू चुपचाप बैठ ना ,,मैं जहां ले जा रही हो चुपचाप चल इतना बोलकर वह स्कूटी की स्पीड थोड़ी सी बढ़ा देती है।
कुछ देर बाद वह लोग एक रेलवे स्टेशन पर पहुंचते हैं जिसे देखकर समीक्षा को समझ नहीं आता कि वह लोग रेलवे स्टेशन क्यों आए हैं ,आखिर रेलवे स्टेशन में ऐसा क्या सब प्राइस होगा!?
दोनों स्कूटी को पार्किंग में लगाकर स्कूटी से उतर जाते हैं ,और रेलवे स्टेशन के अंदर जाते हैं -पहले पल्लवी टिकट काउंटर के पास जाती है और वहां से एक मुंबई जाने वाली टिकट लेती है। टिकट लेने के बाद वह उसे प्लेटफार्म पर जाती है ,जहां पर मुंबई जाने वाली ट्रेन आने वाली थी।
(समीक्षा यह सब बस देख रही थी उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह टिकट किसके लिए खरीद रही है आखिर क्यों खरीद रही है, वह पल्लवी से सवाल करना चाहती थी पर पल्लवी उससे मुंह खोलने से पहले ही उसे मुंह बंद करने का इशारा कर देती थी।)
वह लोग उसे प्लेटफार्म के पास जाकर ठहते हैं, कुछ देर बाद समीक्षा यह देखती है कि सोनल प्रिया शशि और रितिका आ रही थी। उन लोगों को देखकर समीक्षा को लगा कि उन लोगों में से कोई यह मुंबई जा रहा है क्योंकि चारों के चारों यहां सिर्फ पढ़ने आए थे।
पर तभी, उन चारों के पीछे एक और लड़की आ रही थी यह रिया थी समीक्षा की हुआ राधिका की बेटी यह समीक्षा को सच में अपनी बड़ी बहन मानती थी और यही अकेली उसे घर में थी जो समीक्षा के साथ बुरा व्यवहार नहीं करती थी।। इस वक्त रिया के हाथों में लगेज था जिसे देखकर समीक्षा और भी ज्यादा कंफ्यूज हो जाती है।
जैसे ही वहां सभी लोग आते हैं ,तो वह लोग समीक्षा को घेरते हुए, एक साथ चिल्लाते हैं। सरप्राइज....!
उन सब को ऐसे चिल्लाते देखकर समीक्षा को समझ नहीं आता है कि यह लोग क्या सरप्राइज के बारे में बात कर रहे हैं तभी पल्लवी उसके एक्सप्रेशंस को समझ कर उसके करीब आती है और वह टिकट उसके हाथों में देते हुए बोली.... यह रहा तुम्हारा टिकट -अब तुम्हें कोई नहीं रोक सकता. अपनी सपनों का उड़ान भरने के लिए।
अभी भी समीक्षा को कुछ समझ नहीं आता है तो सोनल बोली.... क्या तुझे क्या लगा तू हमें अपनी कंपटीशन का रिजल्ट छुपा लेगी तो ,हमें पता नहीं चलेगा क्या?
सोनल की बात सुनकर समीक्षा के चेहरे पर परेशानी ! के भाव आ जाते हैं।
शशि बोली... तुझे पता है हमें तो पहले ही रिजल्ट पता चल चुका था ।पर हम वेट कर रहे थे -कि तू कब आकर हमें बताएगी। कब हम लोग पार्टी करेंगे पर तूने बताया नहीं?
शशि की बात सुनकर समीक्षा और ज्यादा गिल्टी फील करती है।
समीक्षा को ऐसे देखकर पल्लवी आगे आते हुए बोली......आई एम सॉरी : जान तूने यह सब मेरे वजह से किया है ना? तो मुझे यहां अकेला छोड़कर नहीं जाना चाहती थी इसलिए तूने इतनी बड़ी बात छुपाई । तुम मुझसे इतना प्यार करती है कि मेरे लिए अपना सपना तक छोड़ना भी मंजूर था। तुम्हें आई एम सो सॉरी तुम मेरी बहुत अच्छी दोस्त बन गई पर मैं तुम्हारी दोस्त बन नहीं पाई अगर बन जाती तो तुम्हें अपना, सपना सैक्रिफाइस करना की जरूरत नहीं पड़ती। इस वक्त पल्लवी की आंखें नम हो चुकी थी ,गला रूंध गया था।।
पल्लवी की बात सुनकर समीक्षा पल्लवी को गले लगाती है और बोलती है शट अप इडियट ऐसा कुछ नहीं है तेरे लिए अपना सपना तो क्या अपनी जान दे सकती हूं ,आखिर तू ही तो है दुनिया में जो मुझे से प्यार करती है मुझे अपना परिवार मानती है तू ही तो है जिसकी वजह से मैं टूट कर बिखर नहीं गई तू ही तो है जिसकी वजह से मुझे हिम्मत मिलती है।
उन दोनों की ऐसी बात सुनकर वहां पर खड़ी है। रितिका शशि सोनल प्रिया रिया आंखें भी नाम हो जाती है।।
ऐसे इमोशनल मोमेंट देखकर प्रिया बोली ....बस करो बेवकूफों .. अब मेरा मेकअप खराब कर कर ही मानोगे क्या?
उसकी बात सुनकर समाचार पल्लवी एक दूसरे से अलग हो जाते हैं और मुस्कुरा देते हैं उनके साथ बाकी सब भी मुस्कुराते हैं तभी उन्हें ट्रेन आने की अनाउंसमेंट सुनाई देती है।
जिसे सुनकर रिया लगेज पल्लवी की तरफ देती है तो पल्लवी वह लगेज लेकर समीक्षा को देते हुए बोली इसमें ना तेरी सारी जरूरत की चीजें है ।तेरी डॉक्यूमेंट से लेकर तेरे कपड़ों तक। तुझे परेशान होने की जरूरत नहीं है ,बस तू अपने सपनों पर ध्यान दे ,और रही बात यहां की तो -मैं सब संभाल लूंगी ।अंकल की भी टेंशन मत लेना ।मैं हूं उनके लिए, और नानी भी तो है ,अंकल का ध्यान रख लेंगे।
पल्लवी की बात सुनकर समीक्षा अपना सर हमें हिलती है, तभी प्रिया बोली वहां जाकर कॉल कर देना और अपनी जेब से एक चाबी निकलते हुए बोली यह रहा मेरे फ्लैट का चाबी, वैसे भी कंपटीशन वेन्यू में तुम्हारे लिए रूम बुक रहेगा लेकिन वह लोग उसके चार्ज लेंगे तो इससे अच्छा तुम मेरे रूम में रहना।
समीक्षा वह चाबी लेती है।
तब तक वहां ट्रेन आ जाता है तो वह लोग ट्रेन के अंदर जाकर समीक्षा का सारा लगेज सीट नंबर के अकॉर्डिंग सेट कर देते हैं उसके बाद पल्लवी अपने बैग में से टिफिन निकलते हुए बोलिए ना नानी ने तेरे लिए बनाया है, रास्ते में खा लेना यहां वहां उतरना मत तेरे बैग में सब कुछ है और जैसे ही पहुंचेगी वैसे कॉल करना।
इस समय पल्लवी , समीक्षा को एक मां की तरह हिदायत दे रही थी।
तभी समीक्षा की नजर रीय की तरफ जाती है तो वह रीया को थैंक यू बोलती है।
जिसे सुनकर रिया अपना नजरों को नीचे करते हुए बोली आपको थैंक यू बोलने की जरूरत नहीं है दी बल्कि मुझे और मेरे फैमिली को आपसे और मामा जी से माफी मांगनी चाहिए। इतने सालों से वह लोग आपके साथ बुरा कर रहे हैं और मैंने कुछ नहीं किया आई एम सो सॉरी दी।
उसकी बात सुनकर समीक्षा मुस्कुरा कर बोली इसमें तुम्हारी गलती नहीं है, जो होना तो हो गया तुम अपना ख्याल रखना।।
तब तक ट्रेन छुटने की आवाज आती है जिसे सुनकर बाकी सब लोग नीचे प्लेटफार्म पर आते हैं और समीक्षा डोर के पास खड़े होकर उन सबको बाय बोलते हैं और उन सबको अपना-अपना ख्याल रखने के लिए बोलता है।।
कुछ देर बाद वहां से ट्रेन चला जाता है।
ट्रेन के जाते ही अब तक जो माहौल इमोशनल और खुशी से भरा था वह एकदम से गंभीर और परेशान हो जाता है।
रिया पल्लवी को देखते हुए बोली दीदी जब नानी और बाकी सब घर वालों को यह पता चलेगा की समीक्षा दी यहां से चली गई है - तो उन्हें कैसे संभालेंगे?
जिसे सुनकर सोनम बोली उन्हें ना पता चले इसलिए तो हमने तुम्हें यह सब बताया था और समीक्षा को कुछ नहीं बताया था।
सोनल की बात पर प्रिया बोली सच में अगर समीक्षा के घर वालों को पता चलता तो वह उसकी चुड़ैल बूआ, कुछ ना कुछ तिगड़ाना लगाकर समीक्षा को मुंबई जाने ही नहीं देती। उनके साथ वह डायन पिशाचिनी रिंकी भी देती मिर्च मसाला लगाकर प्रिया यह भूल चुकी थी कि वह रिया भी खड़ी है।
तो रितिका प्रिया को इशारा कर कर रीया की तरफ देखने को बोलती है। जैसे ही प्रिया रिया को देखती है ,तो वह अपनी जीभ को दांतो तले काट दिया।
प्रिया की बात सुनकर रितिका बोली आई एम सो सॉरी दिया प्रिया की तरफ से मैं तुमसे माफी मांगती हूं वह ना भावनाओं में भाकर को ज्यादा ही बोल गई है।(प्रिया अभी अपनी गर्दन रितिका के बातों में हमें हिलती है)
उन लोगों की बात सुनकर रिया बोली आप लोगों को माफी मांगने की जरूरत नहीं है वैसे भी यह सच्चाई है कि मेरे घर वाले समीक्षा दी को बहुत परेशान करते हैं तो इसमें बुरा मानने वाली बात नहीं है। वह इतना बोल कर अपनी नज़रें नीचे कर लेती है क्योंकि उसे शर्म भी आ रही थी।
तभी पल्लवी बोली अभी हम सब लोग अपने कॉलेज जाते हैं पहले से ही बहुत देर हो गया है आखिरी के दो ही लेक्चर बच्चे हैं।
जिसे सुनकर शशि बोली यार हम तो कॉलेज अटेंड कर लेंगे लेकिन समीक्षा का क्या वैसे भी यह आखरी साल है कॉलेज का?
उसकी बात सुनकर सोनल टपली मारते हुए बोली बेवकूफ हमने तो पहले से ही कॉलेज से परमिशन लिया था कि वह सीधा जाकर एग्जाम दिएगी कॉलेज अटेंड नहीं कर पाएगी और प्रिंसिपल मैडम ने तो परमिशन भी दे दिया है सच तू बेवकूफ हो की बेवकूफी रहेगी।
उसकी बात पर शशि अपने सर को सहलाते हुए बोली इसमें करने वाली क्या बात थी तू सीधा मुंह से बोल नहीं सकती थी।
ऐसे ही वह लोग लड़ते झगड़ते हंसते मुस्कुराते हुए स्टेशन से बाहर चले जाते हैं।
अब क्या होगा समीक्षा की नई जिंदगी का।?
समीक्षा के घर वालों का रिएक्शन क्या होगा सबको पता चलेगा की समीक्षा मुंबई चली गई है जाने के लिए पड़ी अगला चैप्टर ।।की न्यू ट्विस्ट एंड टर्न्स
यार कमेंट्स और रेटिंग देना मत भूलना।।
प्लीज प्लीज प्लीज रेटिंग दे देना यार।🙏🙏🙏