Bandhan - 20 in Hindi Fiction Stories by Maya Hanchate books and stories PDF | बंधन (उलझे रिश्तों का) - भाग 20

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बंधन (उलझे रिश्तों का) - भाग 20

रीकैप

पिछले चैप्टर में हमने यह पढ़ा की किस तरह घर आकर कार्तिक और शिवाय अपने पिछले जिंदगी के बारे में बात करते हैं आरोही को बच्चों को देखकर अजीब  सी बेचैनी हो रही थी जो उसे समझ में नहीं आ रही है।।

 शेखर जी, कपाड़िया एस की खुशियां देखकर ,अपना शुद्ध बुद्ध खोते  हैं। और शराब पर शराब पिए जा रहे थे पर उनकी बीवी मोहिनी जी जब उन्हें रोकते हैं तो उन्हें पहले फिजिकल टॉर्चर करते हैं फिर उन्हें सेक्सुअल ह्रास करते हैं वह मोहिनी जी के साथ तब तक जबरदस्ती करते रहते हैं जब तक वह बेहोश ना हो चुकी है बेहोश होने के बाद भी उन्होंने मोहिनी जी को नहीं छोड़ा।

अब आगे। 

कपाड़िया हाउस 

सुबह के 6:00 मोहिनी जी को होश आता ।है वह धीरे-धीरे से अपनी पलके जपकार अपनी आंखें खोलती है। उन्हें कुछ समय लगता है यह समझने के लिए उनके साथ क्या हुआ है जैसे उन्हें एहसास होता है कि कल रात शेखर जी ने उनके साथ क्या-क्या किया है तो उनके आंखों से आंसू की धारा बाह निकलती है।

वह धीरे-धीरे उठने की कोशिश करती है पर उन्हें इतना दर्द होता है कि वह अपनी जगह से भी नहीं हिला सकती है। 

उन्हें इतना दर्द होता है कि वह अपनी आवाज तक बाहर नहीं निकाल पाती है कल रात वह इतना चिल्ला चुकी थी कि अब उनके गले से आवाज ही नहीं आ रही है। 

बाजू में सोए हुए शिखर जी को अपने बेड पर इतनी हलचल महसूस होता है ,तो उनकी भी नींद टूट जाती है और वह मोहिनी जी की हालत देखकर एक पल के लिए शौक रह जाते हैं फिर उन्हें सब कुछ याद आता है तो अपने वह चेहरे पर एक क्रीपी स्माइल लाते हुए बोले लगता है बीवी मैंने तुम्हें पूरा सेटिस्फैक्शन कर दिया है जिसकी वजह से तुम उठ भी नहीं पा रही हो।।

शेखर जी की बातें मोहिनी जी को ऐसा लग रहा था किसी ने उनके शरीर पर ग्राम लोहा डाल दिया हो। 

वह उनकी बातें सुनकर अपना मुंह दूसरी तरफ कर देती है जिसे देखकर शेखर जी बोले लगता है बीवी तुम्हें फिर से सेटिस्फाई करना होगा तब जाकर तुम मानोगी। 

मोहिनी जी उनकी तरफ अपने दया भरी नजरों से ना में इशारा करती है पर शेखर जी उनकी बात सुने बिना उन्हें उठाकर बाथरूम की तरफ ले जाते हैं। 

मल्होत्रा विला 



सिद्धार्थ जी अखबार पढ़ते हुए चाय पी रहे थे, उनके साथ उनके पिता यश मल्होत्रा और माता जय मल्होत्रा भी चाय पी रही थी । तभी तरुण अपनी जॉगिंग कर कर सोफे पर जया जी के बाजू बैठता है और उनसे पूछता है कि दादी बाकी सब कब आने वाले हैं आपने सबको बता दिया है की शादी की डेट कब की है। 

तरुण को इतना उतावला होकर शादी के बारे में पूछते देख सिद्धार्थ जी बोले देखिए मां आजकल के बच्चों को ना शर्म ही नहीं है अपने ही बड़ों के सामने अपनी शादी के ऐसी बातें कर रहे हैं। 

जया जी बोली नालायक वह अपनी शादी के बारे में बात कर रहा है किसी और कि नहीं और वह शर्म क्यों करें जो कर शर्म उसके फूटे करम। जैसे मेरे फूटे थे तेरे बाप के साथ शादी कर कर मेरी एक भी ख्वाहिश पूरी नहीं की। जया जी ऐसा मुंह बनाकर बोल रही थी। 

यश जी डिफेंसिव होते हुए बोले क्या बोल रही है आप जया जी उसे जमाने में हमारी शादी में करीबन 3000 के लोग आए थे और आप बोल रही हो कि आपकी कोई ख्वाहिश पूरी नहीं हुई है। 

जया जी बोली आप जानती हूं जमाने में 3000 लोग शादी में आए हैं पर शादी में आपके घर वालों ने मुझे अपनी पसंद के जोड़ा तक पहने नहीं दिया और 3000 लोगों का खर्चा मेरे घर वालों ने दिया है बड़े आए 3000 के लोग आए हमारे शादी में खाने वाले। 

यह इन दोनों के रोज़ का नोक झोक है। 



जया जी तरूण की तरफ देख बोली देख बेटा तेरी शादी में 3000 लोगों की जरूरत नहीं है 3000 की जगह 30 लोग भी आएंगे ना अच्छा ही है मगर आरोही की हर ख्वाहिश पूरी करना क्योंकि शादी पहले और आखरी बार होता है जिंदगी में तू समझ रहा है ना। 

तरुण अपनी दादी की हाथों को चूमते हुए बोला जानता हूं दादी इसलिए तो हम सब ने मिलकर ही शादी की तैयारी करने की सोची है तो आप डॉन'टी वरी हम लोग संभाल लेंगे। 

सिद्धार्थ जी बोले की मां तरुण सही बोल रहा है शादी की सारी तैयारियां बच्चे ही देख रहे हैं बस आप उन्हें इंस्ट्रक्शन दीजिए कि उन्हें क्या-क्या करना है बस वह करते जाएंगे। 

उन तीनों की बात सुनकर यश जी बोले घोर कलयुग घोर कलयुग एक जमाना था जहां हमारे मां-बाप हमारे जीवन साथी के बारे में कुछ नहीं बताते सीधा रिश्ता तय कर कर शादी के मंडप में ही उनके चेहरे को देखना पड़ता था। 

जया जी बोली इसलिए तो मैं अपने बच्चों को कह रही हूं कि वह अपनी शादी अपनी मर्जी से करेगा जिस तरह उसकी दादी ने गलती की है वह ना करें। 

जया जी की बात सुनकर सिद्धार्थ जी और तरुण दोनों अपना पेट पकड़ कर हंसने लगते हैं वही यश जी  जय जी को घर कर देख रहे थे। 

यश जी बोले अब बोलना क्या चाहती है हो जया जी आप हमसे शादी कर कर पछता रही हो। 

जया जी अपनी आंखों को रोल करते हुए बोली देखी मैंने तो ऐसा कुछ नहीं कहा है। पर कहते हैं ना सच छुपाए नहीं छुपता इतना बोल कर वा वहां से निकल जाती है।

यश जीबी उनके पीछे-पीछे जाते हैं उन पर चिल्लाते हुए।

तरुण अपने डैड से बोलता है डैड रावि दिखाई नहीं दे रही है कहां गई है वह कल रात पार्टी में भी नहीं आई है और ना ही सुबह से दिख रही है। 

सिद्धार्थ जी बोले वह अपने एग्जाम की तैयारी कर रही है तुम जानते हो ना उसका सपना है डॉक्टर बनना तो उसके पढ़ने में बिजी थी इसलिए वह कल पार्टी में नहीं आई और अभी लगता है सो गई होगी जा उठा दे और सबको बोल जल्दी से तैयार हो जाए हमें कपाड़िया मेंशन भी जाना है। 

सिद्धार्थ जी की बात सुनकर तरुण हाँ मे सर हिला देता और वहां से चला जाता है। 

शर्मा निवास में 



एक हैंडसम सा लड़का आईने के सामने तैयार होकर अच्छे से अपने बाल सेट कर कर अपने रूम से बाहर निकलता है तो अंकिता जी बोली शशांक आरती लो बेटा इतना बोलकर वह शशांक के पास जाकर आरती की थाली डेट से उसका तिलक करती है और उसे प्रसाद देती है। 

प्रसाद देने के बाद बोले बेटा जाकर  रु को भी उठा दे  उसे याद दिला कि हमें कपाड़िया हाउस भी जाना है। 

शशांक हाँ में सार हिलता है आरोही के कमरे की तरफ बढ़ जाता है। 

शशांक दिखने में बहुत ही ज्यादा हैंडसम है उसका रंग थोड़ा सा सावला है कद काटिए काफी अच्छी है और उसकी फिजिक्स तो बस फर्स्ट क्लास है। 

शशांक आरोही के रूम में जाता है तो देखा है कि आरोही एक टेडी को गले लगाए सोई हुई थी वह इस वक्त बहुत ही ज्यादा प्यारी लग रही है। 

शशांक उसे उठना है रू उठा जाओ हमें कपाड़िया मेंशन जाना है मामा ने कहा है जल्दी से तैयार हो जाओ वरना वह तुम्हें घर पर ही छोड़कर चली जाएगी। 

शशांक की बात सुनकर आरोही जल्दी से उठकर बोली ना भाई मैं जल्दी तैयार होती हूं इतना बोलकर वह अपने भाई को गले लगा कर बोले गुड मॉर्निंग भाई। 

शशांक आरोही को  गुड मॉर्निंग विश करता है और कमरे से बाहर जाकर बोला जल्दी से रेडी हो जाओ हमें कपाड़िया मेंशन जाना है। 

आरोही हमें सर हिला देती है और वॉशरूम की तरफ चली जाती है। 

आरोही के दिल में इस वक्त अजीब सी एक्साइटमेंट और बेचैनी दोनों है वह दोनों बच्चों को देखना चाहती थी। 

उसे उन दोनों बच्चों के साथ अपनापन लग रहा था पता नहीं उसे इतनी खुशी क्यों फील हो रही है उन दोनों बच्चों को देखकर। 

आरोही रेडी होकर नीछे आ जाती है जहां शशांक जी अंकिता जी और राम जी उसका इंतजार कर रहे थे,
उसके बाद। 

वह चारों लोग कार में बैठ जाते हैं, आरोही तरुण को मैसेज पर पूछती हैं कि क्या वह लोग निकल चुके हैं।
जिस पर तरुण उसे हां में रिप्लाई देता है कि वह सब लोग निकल चुके हैं। 

कपाड़िया मेंशन 

कपाड़िया मैंशन के बाहर तीन गाड़ियां आकर रूकती है जिसमें से पहले गाड़ी में आरोही शशांक अंकित जी राम जी निकलते हैं। 

दूसरे मैं यश जी जय जी सिद्धार्थ जी निकलते हैं। तीसरे और आखिरी गाड़ी में तरुण और अभी बाहर निकलते हैं। 

क्या होगा जब सब लोग आएंगे कपाड़िया मेंशन में। 

क्यों हो रहा है आरोही को उन बच्चों से लगाव। 

क्या होगा तीनों परिवार का एक साथ आने पर। 
आखिर क्यों डर रहा है शिवाय।

स्पॉइलर अलर्ट 




वनराज और रीडर को पता चलेगा कि‌ आर्य और संन्नवि की मां कौन है।।