📖 Chapter 6: जिस दिन रूह ने किस किया
> _"शरीर छूता है तो एहसास होता है, लेकिन जब रूह किस करती है… तो आत्मा जलने लगती है।"
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🌘 Scene: रात 2:59 AM – बिजली गुल, कमरा धुएँ से भरा
शेखर की आँखें लाल थीं। पलकें झपकती नहीं थीं अब। उसकी साँसें भारी और बेकाबू थीं, जैसे किसी ने फेफड़ों में आग भर दी हो।
वो बिस्तर पर अकेला था – लेकिन एहसास? किसी के होंठ उसके गले पर चल रहे थे। किसी के बाल उसके सीने पर थे। किसी के नाखून उसकी रीढ़ की हड्डी के नीचे तक उतर रहे थे।
पर कोई नहीं था।
कोई शरीर नहीं… सिर्फ एक रूह थी।
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🩸 "आज मेरी बारी है"
दीवार से आवाज़ आई — धीमी, पर कामुक।
"शेखर… आज तू कुछ मत कर। आज सब कुछ मैं करूंगी।"
शेखर की आँखें पलटीं — वो हिल नहीं पा रहा था। बदन सुन्न, लेकिन खून गर्म… बहुत ज़्यादा गर्म।
और तभी — उसके होंठ खुले। खुद-ब-खुद। और किसी ने… किसी चीज़ ने… उसके होंठों को चूम लिया।
न कोई तापमान… न कोई साया… पर वो किस गहराई तक उतरता गया। जैसे रूह उसकी साँसों में समा रही हो।
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🖤 Flashback – एक आखिरी किस
चांदनी की मौत से एक दिन पहले:
बारिश हो रही थी। बिजली कड़क रही थी। शेखर खिड़की के पास खड़ा था — और चांदनी उसके पीछे आई।
"अगर मैं मर गई… तो तू किसी और को चूमेगा?"
शेखर ने हँसकर कहा — "मैं तुझसे ही लिपटा रहूँगा, मरने के बाद भी।"
चांदनी की आँखें डबडबा गई थीं। उसने गालों पर हाथ रखा और कहा —
"तब मैं तुझमें समा जाऊँगी… तेरी हर साँस में… हर स्पर्श में… हर किस में।"
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💀 वर्तमान में वापसी – जब होंठ जले
शेखर की साँसें अब कांप रही थीं। उसके होंठ लाल नहीं — अब काले पड़ चुके थे। जैसे किसी ने कोयले से जलाकर चूमा हो।
मोबाइल अपने आप चालू हुआ। कैमरा ऑन।
कैमरे में वो अकेला नहीं था। पीछे, गले से लिपटी चांदनी की रूह — पूरी तरह नंगी, बाल खुले, आँखें जलती हुई।
और उसने कहा:
"जब तू किसी और को चूमेगा — मैं तेरी ज़ुबान काट दूंगी।"
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🧠 देवा का डर
सुबह देवा कमरे में आया। शेखर बिस्तर पर बेसुध पड़ा था — और उसके होंठों पर पट्टी बंधी हुई थी।
देवा चिल्लाया — "भाई! ये क्या हाल कर रखा है?"
शेखर ने इशारा किया मोबाइल की ओर। देवा ने जैसे ही वीडियो प्ले किया — स्क्रीन पर वही आत्मा दिखी।
वो देवा की तरफ देखकर बोली —
"तेरी ज़ुबान तो बहुत चलती थी ना… अब तुझे बोलने की ज़रूरत नहीं।"
और उसी पल मोबाइल फट गया। देवा की उंगलियाँ झुलस गईं।
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🩸 Ritual of Blood Kiss – डायरी से पन्ना मिला
शेखर ने चांदनी की पुरानी डायरी का एक जला पन्ना खोला। लिखा था:
> "जिस दिन रूह पहली बार चूमेगी, वो आखिरी दिन होगा इंसानी होठों का। क्योंकि उसके बाद प्यार नहीं, बस प्यास होगी – खून की।"
अब शेखर को समझ आ गया था — ये सिर्फ आत्मा नहीं… वो एक पिशाचनी बन चुकी थी। जो अब मोहब्बत नहीं, सिर्फ मिलन चाहती थी – रूह से, खून से, और हर बार... बिना शरीर के।
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🔚 अंतिम दृश्य:
कमरा अंधेरा था। आईने में फिर वही झलक थी — चांदनी और शेखर एक-दूसरे में लिपटे हुए।
लेकिन बाहर… बिस्तर पर कोई नहीं था। बस एक होंठों की लकीर थी… और वहाँ से खून बह रहा था।
> "रूह ने किस किया
था… और अब वो रुकने वाली नहीं। क्योंकि जिस प्यार में शरीर की जरूरत ना हो… वहाँ सिर्फ जलना बाकी रहता है।"