chitti jo Kabi Beji nahi gyi in Hindi Motivational Stories by kajal Thakur books and stories PDF | चिट्ठी जो कभी भेजी नहीं गई

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चिट्ठी जो कभी भेजी नहीं गई

1. वो अनसुनी आवाज़

बचपन में आदित्य को हमेशा लगता था कि उसके पापा उससे दूर रहते हैं।ना कभी गोद में उठाया, ना कभी स्कूल छोड़ने आए, ना कभी उसके दोस्तों के सामने मुस्कराए।

बस एक ही बात कहते थे —"मर्द बनो, रोना बंद करो।"

आदित्य ने सोचा, शायद पापा को उससे प्यार नहीं...2. अकेलेपन की दीवार

एक रात आदित्य बुखार में तड़प रहा था। माँ हॉस्पिटल में थी।वो रो रहा था, पर चुपचाप।

तभी दरवाज़ा खुला।

पापा थे।

उनके हाथ में अदरक वाली चाय और कांपते हुए हाथों में थर्मामीटर।"बुखार है... मैं हूँ न।"पर अगले दिन वो फिर वैसे ही सख़्त हो गए।3. चिट्ठी का सच

सालों बाद, आदित्य अब खुद बाप बन चुका था। अपने बेटे को वो हर वो चीज़ देता था, जो उसे कभी नहीं मिली।

पापा की तबीयत बहुत बिगड़ गई थी।

एक दिन अलमारी साफ करते हुए उसे एक पुराना डिब्बा मिला —जिसमें थी "उसके पापा की लिखी चिट्ठियाँ" — हर साल, हर जन्मदिन, हर दर्द पर।

एक चिट्ठी यूँ थी:

_"आदित्य,जब तू पहली बार स्कूल गया था, मैंने पूरे रास्ते तुझे बाइक से छोड़ा — छिपकर।क्योंकि तुझे शर्म आती थी...

जब तेरा दिल टूटा था, मैंने तुझे रातभर सोते देखा, तकिए में मुँह छुपाए।और मैं खिड़की से देखता रहा —क्योंकि मुझे रोना आता था, लेकिन मर्द रोते नहीं।

बेटा, मैं प्यार करता था — हर रोज़, हर पल…पर कह नहीं पाया।अगर कभी तू ये पढ़े… तो जान लेना,मैं वो दरख़्त था जो छाँव देता रहा,पर कभी फूल नहीं बना।तुम्हारा सख़्त, पर सबसे प्यार करने वाला बाप।"_4. Father's Day की सबसे दर्दनाक रात

उस रात आदित्य पहली बार रोया, अपने बेटे को सीने से लगाकर।

उसने धीरे से कहा —“मैं तुझे हर रोज़ बताऊँगा बेटा,कि मैं तुझसे कितना प्यार करता हूँ…ताकि तुझे कभी चिट्ठियाँ न ढूँढनी पड़ें।”अंतिम पंक्तियाँ

"बाप वो दरख़्त है जो चुपचाप छाँव देता है,लेकिन खुद धूप में ही जड़ें फैलाता है।

वो कह नहीं पाता,पर हर दिन तुम्हें देखता है — और खुद से कहता है:

'तू ठीक है न, मेरे बच्चे?

Part 2 —पहला भाग जहाँ खत्म हुआ था, वहीं से इस बार हम शुरू करेंगे…अब कहानी और गहराई में जाएगी — आँसू, पछतावा और एक आख़िरी मौका…💔 चिट्ठी जो कभी भेजी नहीं गई –

Part 2: “आख़िरी बार… पापा”

1. पुरानी आवाज़ें, नया डर

आदित्य अब हर रोज़ अपने बेटे से "आई लव यू बेटा" कहता है,पर अपने पापा से कहने की हिम्मत… अब भी नहीं हो पाती।

पापा ICU में हैं। साँसें मशीनों से चल रही हैं।डॉक्टर्स कहते हैं — “ज़्यादा वक़्त नहीं है।”

आदित्य हर रोज़ हॉस्पिटल जाता है, लेकिन सिर्फ देखता है…बोल नहीं पाता।

2. अधूरी माफ़ी

एक दिन नर्स उसे बुलाती है —“आपके पापा होश में आए हैं, पर बहुत कमज़ोर हैं…कुछ कहना चाह रहे हैं।”

आदित्य भागकर पापा के पास जाता है।पापा की आँखों में आंसू होते हैं।

धीरे से कहते हैं —“बेटा… तू नाराज़ था न मुझसे?मैंने तुझसे कभी गले नहीं लगाया… माफ़ कर दे।”

आदित्य की आँखें भर आती हैं।गले लगकर रोते हुए कहता है —“पापा, मैं नाराज़ नहीं… मैं तो बस आपसे कहना चाहता था…कि मैं आपसे बहुत प्यार करता हूँ।पर कभी कह नहीं पाया…”

3. आख़िरी चिट्ठी

पापा उसी रात सोते हुए चले जाते हैं।एकदम शांत, मुस्कुराते हुए।

अगले दिन आदित्य को उनके तकिए के नीचे एक चिट्ठी मिलती है —“चिट्ठी जो इस बार भेज दी गई…”

_“बेटा,तू अब खुद बाप बन गया है…तू मुझसे बहुत बेहतर है।

मैंने तुझसे सीखा कि प्यार छुपाकर नहीं,खुलकर दिखाना चाहिए।

मुझे माफ कर देना,पर याद रखना —मैं हमेशा तुझे देख रहा हूँ…जब भी तुझे लगे तू अकेला है,तो मेरी चिट्ठी पढ़ लेना।

तेरा सख़्त मगर टूटा हुआ बाप।”

_4. आख़िरी पन्ना

Father’s Day पर आदित्य अब अपने बेटे को सिर्फ गिफ्ट नहीं देता —वो उसे एक चिट्ठी लिखता है हर साल,ताकि जब कभी वो उसे खो दे —तो बेटे को कभी अधूरी बातें न रह जाएं।अंतिम पंक्तियाँ:

"जो चिट्ठियाँ कभी भेजी नहीं गईं,वही सबसे गहरी मोहब्बत की गवाह होती हैं।

कभी समय रहते कह देना…‘पापा, मैं आपसे बहुत प्यार करता हूँ।’

वरना बाद में सिर्फ चिट्ठियाँ बचती हैं… और आँसू।”


Kajal Thakur 😊