📖 Story Teaser / Trailer for "सज़ा या साथ?"
> जब दो अजनबी एक हादसे में टकराते हैं, तो क्या वो टकराव सिर्फ एक इत्तेफाक होता है?
या फिर कोई अधूरी कहानी... जिसे फिर से जीने का मौका दिया गया हो?
"सज़ा या साथ?" एक ऐसे रहस्य से भरी प्रेम कहानी है जो नफरत और मोहब्बत के महीन धागों से बुनी गई है।
नायरा — एक सीधी-सादी, मगर मजबूत इरादों वाली लड़की।
और
रहान — एक शांत लेकिन रहस्यमय लड़का, जिसके अतीत ने उसे पत्थर बना दिया है।
जब दोनों की राहें टकराईं, तो ना सिर्फ़ दिल धड़कें — बल्कि कुछ अधूरे राज भी करवट लेने लगे।
क्या यह मुलाक़ात साथ का इशारा है?
या फिर कोई ऐसी सज़ा... जिसकी कीमत दोनों को अपने जज़्बातों से चुकानी होगी?
जानिए एक ऐसी कहानी जिसमें रोमांस, भावनाएँ और रहस्य सब कुछ एक साथ पिरोया गया है —
"सज़ा या साथ?" by InkImagination
हर शुक्रवार को एक नया part, और हर पार्ट में 2000+ शब्द — एक cinematic अनुभव।
K-drama की तरह feel, लेकिन पूरी तरह अपनी ज़ुबान में।
Part-1
Part 1: वो टकराव... या शुरुआत?
शहर की ट्रैफिक और नई ज़िंदगी के बीच की जंग में, नायरा का चेहरा पसीने और उम्मीद से भरा हुआ था। वो एक छोटे से कस्बे से आई थी, और इस बड़े शहर में अपनी जगह बनाने के लिए पूरी कोशिश कर रही थी। उसके पास न कोई बड़ा सपना था, न ही कोई बड़ा सहारा — बस एक जिद थी, अपनी पहचान खुद बनाने की।
नायरा को एक इंटर्नशिप मिली थी एक नामी गेम डेवलपमेंट कंपनी में। उसकी आँखों में कुछ कर दिखाने का जुनून था, लेकिन नए माहौल और नए लोगों से वो थोड़ी घबराई भी हुई थी।
आज उसका पहला दिन था। वो समय से पहले ही ऑफिस पहुंच गई थी, लेकिन इस अजनबी शहर की तेज़ रफ्तार और भीड़भाड़ ने उसे जैसे चारों तरफ से घेर लिया था। वो जल्दी-जल्दी चल रही थी, जब अचानक एक मोड़ पर उसकी टक्कर किसी से हो गई।
कुछ पेपर उसके हाथ से गिर गए और वो थोड़ा लड़खड़ा गई।
"सॉरी!" नायरा झुकी और पेपर उठाने लगी।
"देख के नहीं चल सकती क्या?" एक ठंडी, गहरी आवाज़ उसके कानों में पड़ी।
वो चौंकी। सामने एक लड़का खड़ा था — लम्बा, आकर्षक लेकिन चेहरा भावहीन। आँखों में अजीब सी उदासी और ठंडापन था।
"मैंने माफ़ी मांग ली है," उसने धीरे से कहा।
"माफ़ी से सब ठीक नहीं हो जाता," उसने रूखे अंदाज़ में कहा और चला गया।
नायरा उसे घूरती रह गई।
'अजीब है!' उसने मन ही मन सोचा।
ऑफिस पहुंचते ही उसे पता चला कि उसी लड़के का नाम 'रहान' है — और वो उसी कंपनी का को-फाउंडर भी है। नायरा की आँखें फटी रह गईं।
‘जिससे मेरी टक्कर हुई थी, वो मेरा बॉस है?’
उसके दिल की धड़कनें तेज़ हो गईं।
रहान ऑफिस में सबके लिए रहस्य था। वो किसी से ज़्यादा बात नहीं करता था, काम में परफेक्ट था लेकिन हमेशा अकेला रहता था।
कुछ हफ़्तों में नायरा और रहान के बीच कुछ छोटी-छोटी बातों का सिलसिला शुरू हुआ। कभी-कभी हल्की बहस, कभी नज़रें टकराना... और कभी वो खामोशी जो बहुत कुछ कह जाती थी।
लेकिन एक दिन कंपनी के लिए एक क्लाइंट मीटिंग में, सबके सामने एक अजीब सिचुएशन आ गई। कंपनी को एक ऐसे कपल की ज़रूरत थी जो उनकी लव-स्टोरी बेस्ड गेम को प्रमोट कर सके। टाइम कम था और मॉडल नहीं मिले।
बॉस ने मज़ाक में कह दिया — "रहान और नायरा, तुम दोनों अच्छे लगोगे साथ में।"
सब हँस पड़े। लेकिन रहान ने पहली बार कुछ कहा — "ठीक है, हम करेंगे।"
सन्नाटा छा गया। नायरा चौंक गई। वो तो मज़ाक समझ रही थी।
"पर मैं...?"
"अगर तुम ना चाहो तो बात अलग है," रहान ने बिना उसकी तरफ देखे कहा।
नायरा के सामने एक मौका था — कंपनी में अपना असर छोड़ने का, खुद को साबित करने का।
उसने हाँ कह दी।
फिर शुरू हुआ एक झूठा रिश्ता — जो अब सच से ज़्यादा असली लगने लगा था।
लेकिन रहान के चेहरे पर जो खामोशी थी, वो किसी गहरे राज़ की परछाई थी।
और नायरा को ये एहसास नहीं था कि जो रिश्ता उसे आगे ले जा रहा है, वो शायद उसे उस रास्ते पर मोड़ देगा — जहाँ से वापसी नामुमकिन होगी...
(Part 2 coming below...)
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