मुख्य पात्र:रिवा: 17 साल की एक शांत, ख्वाबों में खोई रहने वाली लड़की।यश: 19 साल का एक प्रैक्टिकल, जिम्मेदार और थोड़ा चुप-सा लड़का
🌙 अध्याय 1: जब ख्वाबों ने दस्तक दी
रिवा को बचपन से ही सपनों में जीने की आदत थी। किताबें, कहानियाँ, बारिश की बूँदें — ये उसकी दुनिया थे। स्कूल में सब उसे "ड्रीम गर्ल" कहते थे, क्योंकि वो अक्सर क्लास में बाहर देखती रहती — किसी अदृश्य कहानी को जीती हुई।
एक दिन स्कूल के पुस्तकालय में उसकी मुलाक़ात हुई यश से। यश वहाँ नए आए थे। शांत, समझदार और किताबों से प्यार करने वाले। वो पहली बार था जब रिवा ने किसी को अपने जैसे किताबों में खोया हुआ देखा।🌦 अध्याय 2: पन्नों के बीच प्यार
धीरे-धीरे किताबें बाँटते-बाँटते रिवा और यश की दोस्ती बढ़ी। यश उसे ज़मीन पर टिके रहने की बातें करता, और रिवा उसे उड़ना सिखाती। वो एक-दूसरे के अधूरे हिस्सों को पूरा करने लगे।
एक दिन बारिश हो रही थी, और लाइब्रेरी की खिड़की से बाहर देखते हुए रिवा ने पूछा —"तुम्हें क्या लगता है, सपनों में जीना गलत है?"
यश ने मुस्कुराते हुए कहा —"अगर ख्वाबों में तुम हो, तो वो सबसे सही जगह है जीने के लिए।"💔 अध्याय 3: सच्चाई की दीवार
उनकी दुनिया में तूफान तब आया जब रिवा के पापा का ट्रांसफर किसी और शहर हो गया। विदाई के दिन रिवा ने यश से पूछा —"क्या तुम मुझे भूल जाओगे?"
यश चुप रहा। कुछ कहने से पहले बस उसका हाथ थामा और एक पन्ना उसे दिया —"अगर तुम्हारे ख्वाबों की चौखट पर फिर कभी दस्तक दूँ, तो दरवाज़ा खोल देना।"🕰️ अध्याय 4: सालों बाद...
पाँच साल बाद, एक बुकस्टोर के सामने रिवा खड़ी थी। उसके हाथ में एक किताब थी —"ख्वाबों की चौखट - लेखक: यश मल्होत्रा"
किताब के पहले पन्ने पर लिखा था:"इस किताब को उस लड़की के नाम जो ख्वाबों में जीती थी, और जिसने मुझे भी सपने दिखाना सिखाया..."
और ठीक उसी पल, पीछे से एक आवाज़ आई —"अब दरवाज़ा खोलोगी?"
रिवा ने मुस्कुरा कर कहा —"तुम अब तक ख्वाबों में ही थे... अब हकीकत में आ जाओ।"
✨ अंत नहीं, शुरुआत है
जब रिवा और यश फिर से मिले हैं, तो कहानी का दूसरा भाग शुरू होता है —"ख्वाबों की चौखट – भाग 2: हकीकत की राहें"एक ऐसी यात्रा, जहाँ ख्वाब अब सच्चाई से टकराते हैं...
💠 ख्वाबों की चौखट – भाग 2: हकीकत की राहें
💠🌇 अध्याय 1: दोबारा शुरुआत
बुकस्टोर के बाहर की उस मुलाक़ात के बाद, रिवा और यश ने कुछ चाय की चुस्कियों के साथ बीते सालों की बातें साझा कीं।
यश: "तुम्हारे बिना लिखा हर शब्द अधूरा लगता था, रिवा।"रिवा: "तुम्हारे बिना जिया हर दिन, जैसे किताब हो... पर बिना पन्नों के।"
अब दोनों ने तय किया — कुछ समय साथ बिताएंगे, अपनी ज़िंदगी की रफ्तार को फिर से मिलाएंगे।
🏙️ अध्याय 2: शहर की गलियाँ, दिल की बातें
रिवा अब एक आर्ट गैलरी में काम करती थी, और यश अब एक मशहूर लेखक बन चुका था।दोनों दिन में अपनी-अपनी दुनिया में रहते, पर शाम को एक-दूसरे के लिए वक़्त निकालते।
एक दिन रिवा ने कहा —"हम फिर से एक कहानी लिख सकते हैं क्या?"यश मुस्कराया: "हमारी कहानी तो चल रही है... बस अब पन्ने सच्चाई के हैं।"
💔 अध्याय 3: असमंजस
पर अब वो प्यार एक नए मोड़ पर था।
रिवा को एक ऑफर मिला — पेरिस में आर्ट एक्सिबिशन का।यश को एक बुक टूर पर जाना था छह महीनों के लिए यूएस।
दोनों के सपने रास्ता मांग रहे थे... पर क्या एक ही रास्ता?
रिवा: "क्या हमारे ख्वाब हमें जुदा कर देंगे?"यश: "शायद... पर अगर हमारा प्यार सच्चा है, तो रास्ते फिर मिलेंगे।"📩 अध्याय 4: एक खत...
विदा से पहले यश ने रिवा को एक चिट्ठी दी —
"अगर कभी भी अपने ख्वाबों में मेरी आवाज़ सुनो, तो समझ लेना… मैं अब भी इंतज़ार कर रहा हूँ।"
"तुमसे जुड़ी हर चीज़ मेरी कहानी का हिस्सा है, और मैं चाहता हूँ कि आखिरी पन्ना हम दोनों मिलकर लिखें..
"📅 अध्याय 5: छह महीने बाद...
रिवा की आर्ट गैलरी में एक स्पेशल प्रदर्शनी थी – "Unfinished Dreams"और वहाँ, एक कोना यश के नाम था – उनकी लिखी नई किताब के लिए।
रिवा को भी नहीं पता था कि यश आएगा।
पर जैसे ही उसने वो किताब खोली, पहले पन्ने पर लिखा था —"ये कहानी अब खत्म नहीं होगी, क्योंकि मैं लौट आया हूँ... हमेशा के लिए।"
पीछे से यश की आवाज़ आई —"ख्वाब पूरे तभी होते हैं, जब तुम उन्हें थामे रहो… ठीक वैसे जैसे मैं तुम्हें।"
रिवा की आँखें भर आईं, और उसने कहा —"अब दरवाज़ा नहीं बंद होगा, यश... क्योंकि ये घर अब हमारा है।"✨ "ख्वाब अब घर बन चुके हैं..."
कैसा लगा ये पार्ट 2, अगर चाहो, तो मैं इसका तीसरा और आखिरी भाग भी लिख सकती हूँ – शादी, संघर्ष और सच्चे प्यार की कसमें वाला। आप बताना सोचकर अच्छे से लिखोगी please बताना