प्यार की वो पहली शुरुआत— Part 2
"जहां शब्द नहीं, सिर्फ एहसास बोलते हैं....
उस दिन गर्मी के मौसम में तेज बारिश हो रही थी।
दिल्ली की सड़कों पर गाड़ियों की आवाज़ें भी गूंज रही थीं, और मेरी खिड़की के बाहर टपकती बूंदों में बस एक ही नाम गूंज रहा था — शानवी
वो हर पल मेरे ख्यालों में बसती जा रही थी मै हर पल उसकी यादों में डूबा हुआं था।
मैंने उसके नाम की कोई डायरी नहीं बनाई थी,
लेकिन मेरे हर लफ्ज़, हर कविता में अब वो बस उसी के लिए होती थीं।
उस रात बहुत सोचने के बाद,
मैंने पहली बार दिल से एक मैसेज लिखा —
“तुम कैसी हो शानवी?”
उंगलियों में कंपन थी…. दिल में एक अजीब सा सैलाब था कि भेजना था या नहीं, ये फैसला करना सबसे मुश्किल था।
लेकिन भेज दिया.…
उस एक मैसेज में मैं अपनी सारी बेचैनी खो चुका था।
कुछ घंटे बीते…. रिप्लाई नहीं आया।
मन में एक बेचैन सन्नाटा फैल गया.…
क्या मैंने कुछ गलत कह दिया?
क्या वो मुझे गलत समझेगी?
क्या मैं उसे खो दूंगा?
लेकिन फिर, रात के करीब 11 बजे,
उसका जवाब आया —
“मैं ठीक हूं, आप कैसे हो?”
एक सीधी, सादी लाइन।
लेकिन उस लाइन में जो मिठास थी,
वो मुझे किसी बच्चे जैसी खुशी दे गई।
उस रात मेरी नींद भी मुस्कुरा रही थी।
मैं खुशी से उछल रहा था कि उसने मुझसे पहली बार पूछा
की आप कैसे हो।
धीरे-धीरे हमारी बाते बढ़ने लगी।
अब सिर्फ किताब की बातें नहीं होती थीं,
कभी-कभी वो पूछती,
“आज क्या लिखा?”
“तुम्हारी कविताओ बहुत गहराई और विनम्रता होती हैं….”
ये उसकी तरफ से पहला इमोशनल अपनापन था।
और मेरे लिए — जैसे मेरी भावनाओं को पहली बार उसने पढ़ा था।
मैंने धीरे-धीरे उससे अपनी कुछ कविताएं शेयर कीं.…
जो सिर्फ उसके लिए ही थी।
जो कभी किसी को नहीं दिखाई थीं।
और उसने वो कविताएं ऐसे पढ़ीं…
जैसे कोई मेरी रूह को छू गया हो।
एक दिन मैंने हिम्मत करके कह ही दिया,
“शानवी, तुम्हारी मुस्कान…. तुम्हारी सादगी.… वो सब मुझे बहुत पसंद है, मै तुम्हारे बारे में ही सोचता रहता हूं”
कुछ देर तक जवाब नहीं आया।
फिर उसका मैसेज आया —
“अनंत, मैं बहुत साधारण लड़की हूं.… एक साधारण परिवार से हूं और बहुत उलझी भी हूं। मैं नहीं जानती कि मैं किसी की जिंदगी का हिस्सा बन भी सकती हूं या नहीं।”
उसके इन शब्दों में न कोई इनकार था, न कोई स्वीकार।
बस एक खामोश दिवार थी.… जो किसी दर्द से बनी थी।
मैंने लिखा —
“मैं तुम्हें बदलना नहीं चाहता, न तुम्हें किसी दुविधा में देखना चाहता हूं।
बस चाहता हूं कि जब मैं कुछ लिखूं,
तो वो तुम्हें महसूस हो जाए।”
फिर एक दिन मैने उसे एक कविता भेजी
वो पल.... जब उसने पहली बार मेरी कविता पर रोया।
उसने एक बार लिखा —
“तुम्हारी ये पंक्तियां…. मुझे मेरे बचपन की याद दिला देती हैं।
तुम्हारे शब्द जैसे मेरे दिल को चुपचाप थपथपा जाते हैं।”
मुझे उस दिन समझ आया कि मेरा प्यार सिर्फ एकतरफा
नहीं था,
बल्कि उसकी खामोशी भी मुझसे कुछ कहती थी।
वो प्यार नहीं कहती थी, लेकिन महसूस करती थी।
अब हमारी बातचीत हर दिन होती थी,
लेकिन फिर एक दिन.… वो अचानक से कही चली गई।
ना कोई मैसेज, ना कोई रिप्लाई।
मैंने हज़ारों बार मैसेज किया,
लेकिन कोई जवाब नहीं आया।
दिल डरने लगा….मन में कई तरह के सवाल उठने लगे।
कि कहीं सब कुछ खत्म तो नहीं हो गया?
फिर कुछ दिन बाद,
उसका एक लंबा सा मैसेज आया —
“माफ करना अनंत…. मैं कुछ फैमिली कारणों से बहुत परेशान थी।
मेरा भाई ICU में हैं, उसकी तबियत बहुत खराब है
और मैं बिल्कुल टूट गई हूं।”
मैं पढ़ते-पढ़ते रो पड़ा….
मेरी शानवी, जो खुद दूसरों के लिए दीवार बन जाती थी,
आज खुद एक टूटे हुए पत्थर की तरह बन गई थी।
मैंने सिर्फ इतना लिखा —
“मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूं।
चुपचाप…. तुम्हारे दुख में साथ खड़ा हूं,
बिना कुछ कहे, बस तुम्हारे पास हूं।”
उस दिन, शायद पहली बार,
उसने मुझे अपनी जिंदगी का हिस्सा मान लिया।
उसने लिखा —
“तुम शायद नहीं जानते….
तुम्हारी मौजूदगी मेरे लिए एक मेरा साहस है।
शब्दों में नहीं कह सकती, लेकिन महसूस कर सकती हूं।”
मेरे लिए ये किसी "आई लव यू" से कम नहीं था।
दिल में अलग सा बवंडर चलने लगा था पर वो बहुत
परेशान थी,
उसे देख कर मुझे उसकी फिक्र हो रही थीं।
दोस्तों, हमारी कहानी अब बदलती जा रही थी….
लेकिन क्या ये रिश्ता कभी एक नाम पा पाएगा?
क्या मैं कभी उसके सामने खड़ा होकर ये कह पाऊंगा —
“शानवी, मैं तुमसे प्यार करता हूं।”
मैं अपनी सारी ज़िंदगी तुम्हारे साथ बिताना चाहता हूं
तुम्हारा हर ख़्वाब पूरा करना चाहता हूं।
या फिर ये कहानी भी रह जाएगी
एक अधूरी किताब की तरह.…
See you soon 🔜.. Next Part Soon 🔜