अनंत और शानवी की अनोखी कहानी(एक भावनात्मक प्रेम कहानी)
दोस्तों,
मेरा नाम अनंत है।
मैं उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव में जन्मा, जहां सुबह की शुरुआत होती है घर के पास के मंदिर की घंटियों से और रातें ढलती हैं चमकते सितारों की चांदनी के बीच। वहीं पला बढ़ा। गांव की मिट्टी में खेलते हुए, मेरी रूह में एक सादगी बस गई थी।
लेकिन जब पढ़ाई का वक्त आया, तो मेरा सफर मुझे दिल्ली ले आया। ये शहर मेरे लिए नया था, भीड़ से भरा, लेकिन मुझे सपनों की भीड़ में अपना रास्ता बनाना था।
मै शर्मीले स्वभाव वाला लड़का था ना किसी बात करना बस अपनी ही धुन में खोया रहता।
दिनभर की क्लास, नोट्स, असाइनमेंट्स और रात को स्टडी… इस रूटीन में एक ही चीज़ मुझे सुकून देती थी — वो था लिखना।
शायरी, कविताएं, छोटी प्रेम कहानियां — ये सब मेरी रूह की आवाज़ थीं।
मैंने एक पोएट्री ऐप पर लिखना शुरू किया। कुछ लोगों ने मेरी रचनाएं पसंद कीं, सराहा। फिर एक दिन किसी ने मुझसे कहा, "क्यों न तुम अपनी कविताएं किसी किताब में छपवाओ?"
मैं थोड़ा घबरा गया था… मुझे नहीं पता था ये सब कैसे होता है। लेकिन मैंने हिम्मत की। अपनी एक कविता दी और जब वो किसी बुक में प्रकाशित हुई, तो जो खुशी मिली, वो शब्दों में नहीं कह सकता।
वहीं से दिल में एक सपना जागा — अपनी खुद की किताब।
मैंने कुछ राइटर्स से संपर्क करना शुरू किया — एक सच्चे साथी की तलाश में, जो शब्दों को समझे।
और यहीं से मेरी कहानी में एक मोड़ आया…
उसका नाम था — शानवी।
जब मैंने उसका सरनेम “पांडेय” देखा, तो एक अनजानी सी खुशी हुई। क्योंकि मैं भी एक ब्राह्मण परिवार से था, तो एक अपनापन महसूस हुआ।
उसने मेरी पुस्तक में अपनी कविता दी यही से हमारी कहानी की शुरुआत हुई।
वो मेरे मैसेज का जवाब देर से देती थी, लेकिन जब एक दिन खुद उसने मुझे मैसेज किया — “क्या आप मेरी बुक में मदद कर सकते हैं?”
तो मानो मेरा दिल एक पल को रुक गया।
मैंने झट से “हाँ” कहा… और शायद उस दिन मेरे दिल ने भी किसी को चुपचाप चुन लिया।
शुरुआत हुई शब्दों की, लेकिन आगे बढ़े दिल के एहसास।
हमारी बातचीत सिर्फ बुक से जुड़ी होती थी, लेकिन उसके हर मैसेज में मुझे एक अपनापन महसूस होने लगा।
वो शांत थी, शालीन थी। बहुत ज़्यादा नहीं बोलती थी, लेकिन उसके लफ़्ज़ों में गहराई थी।
फिर एक दिन उसकी प्रोफाइल में एक ब्लैक एंड वाइट फोटो दिखी —
थोड़े घुंघराले बाल, गहरी आंखें, और एक मासूम मुस्कान।
उस एक तस्वीर ने जैसे मेरे दिल पर एक नक्शा बना दिया।
वो तस्वीर आज भी मेरे दिल में वैसी ही बसी है, जैसे उस दिन।
मैं कई बार उसे मैसेज करना चाहता था — "कैसी हो?"
लेकिन हिम्मत नहीं होती थी। डर था… कहीं वो बुरा न मान जाए।
वो बहुत शांत थी, जिम्मेदार… जैसे किसी अपनेपन से बंधी हुई हो।
धीरे-धीरे, वो मेरे लिए एक एहसास बन गई।
उसकी बातें कम थीं, पर असरदार।
उसकी फिक्र करने लगा था मैं…
अगर वो एक दिन भी रिप्लाई न करे, तो लगता कुछ अधूरा सा है। और मन ही मन सोचता था कि ये रिप्लाई क्यों नहीं कर रही।
वो छत्तीसगढ़ से थी — एक ऐसी जगह जहां से एक संस्कारी, आत्मनिर्भर लड़की आई थी।
वो पढ़ाई और काम में डूबी रहती थी, और परिवार के लिए समर्पित।
बाहर से कठोर लगती थी, लेकिन अंदर से नर्म दिल की, मासूम सी।
जैसे एक बच्ची जो सबकी खुशी में अपनी खुशी ढूंढती है।
मै एक ऐसा लड़का था जो किसी को मैसेज करे और वो रिप्लाई न दे तो दोबारा कभी उसे बात न करूं।
लेकिन मैं उसके लिए खुद ही खुद समझाने लगा था कि नहीं ऐसा नहीं है बिजी होगी काम होगा।
मै उसके लिए बेचैन होने लगा था।
एक दिन पहली बार उसकी आवाज़ सुनी…
लगा जैसे थोड़ा रूठी हुई हो।
डर लगा… कहीं मैंने कुछ ग़लत तो नहीं कहा?
वो कुछ कहती नहीं थी, लेकिन मैं उसके अंदर की खामोशी पढ़ने लगा था।
वक्त के साथ उसकी आवाज़ में भी मुझे अपनापन सुनाई देने लगा। वो ज्यादा कुछ बोलती नहीं थीं।
उसकी सादगी में था कुछ जादू।
वो कम बोलती थी, लेकिन हर बार जब वो कुछ कहती —
मुझे लगता जैसे वो सिर्फ मुझसे कह रही हो।
उसकी आंखें… उसकी वो मासूमियत…
मैं चाहकर भी खुद को रोक नहीं पाया…
शायद मैं प्यार करने लगा था।
आज भी जब वो रिप्लाई करती है,
तो मेरे चेहरे पर वो अनजानी मुस्कान आ जाती है।
और जब नहीं करती,
तो दिल बेचैन हो जाता है।
वो शायद नहीं जानती कि
उसका एक मैसेज "कैसे हो?" मेरे लिए पूरी दुनिया से बढ़कर होता है।
शायद वो अब भी संकोच करती है,
शायद वो अपने जज़्बात नहीं कह पाती,
पर मैं उसके दिल की धड़कनों को अब पढ़ने लगा हूं।
क्या ये प्यार है? या कोई अधूरी दुआ?
मैं नहीं जानता कि इस कहानी का अंत क्या होगा।
शायद हम मिलेंगे, शायद नहीं।
शायद वो जान पाएगी मेरे दिल का हाल, शायद नहीं।
लेकिन इतना जरूर जानता हूं…
कि जब तक ये दिल धड़कता रहेगा,
उसका नाम "शानवी" मेरी हर धड़कन में बसा रहेगा।
मै उसे कभी भूल नहीं पाऊंगा।
मै सोचता हूँ पहले उसके काबिल बन जाऊ फिर कभी उसे अपने दिल का हाल बताऊंगा ताकि वो भी गर्व से सबको बता सकें कि हा ये एक पागल सा लड़का हैं जो मुझे पसंद करता हैं जिसके अंदर एक मासूम बच्चा छुपा हुआ है।
दोस्तों, ये कहानी अधूरी है, लेकिन सच्ची है।
देखते हैं कि किस मोड़ पर आकर ये कहानी मुकम्मल होती है….
मैं कभी उसे सब कह पाऊंगा या नहीं ---------See you soon......