Ek Aurat ki Khamosh Udaan - 1 in Hindi Spiritual Stories by Mohini books and stories PDF | एक औरत की ख़ामोश उड़ान - 1

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एक औरत की ख़ामोश उड़ान - 1

अध्याय 1: तन्हाईयों की छाँव में

कुछ कहानियाँ ज़ोर से नहीं बोली जातीं, बस चुपचाप जी जाती हैं। ये कहानी भी कुछ वैसी ही है — एक ऐसी स्त्री की, जिसने जीवन को सिर्फ निभाया नहीं, बल्कि हर दिन एक नयी लड़ाई की तरह जिया।

उसके जीवन के शुरुआती सालों में सपने भी थे और कुछ नियम भी — कि शादी एक पवित्र रिश्ता होगा, जिसमें वो पूरी तरह समर्पित रहेगी, और अपने पति से बेपनाह प्यार करेगी। लेकिन जिन्दगी की ज़मीनी सच्चाइयाँ अक्सर किताबों से अलग होती हैं।

विवाह के कई वर्षों तक उसका जीवन जैसे एक बंद दरवाज़े के पीछे कैद रहा। भावनात्मक दूरी, उपेक्षा, और मानसिक पीड़ा उसका रोज़ का सच बन चुकी थी। न कोई साथी था बात करने वाला, न कोई कंधा था जिस पर सिर रख कर रो सके। मायके जाना मना, घूमना-फिरना मना, अपनी पसंद का कुछ करना मना — जैसे उसकी हर खुशी पर ताला लगा हो।

पर उसने हार नहीं मानी। अपने आँसू खुद पोछे, अपने बच्चों को मुस्कुराते हुए बड़ा किया, और हर दिन बिना किसी शिकायत के जिया। घर के सारे काम, बच्चों की परवरिश, और रिश्तों का बोझ — सब अकेले अपने कंधों पर उठाया।

कई सालों बाद, जब तन टूट चुका था और मन थक चुका था, तब उसने खुदा की ओर रुख किया। इंसानों से उम्मीदें टूटीं तो ऊपर वाले से रिश्ता गहरा होने लगा। अब वो रोज़ अपनी साँसों में उसका नाम बसाने लगी, और तन्हाई में उसकी रोशनी महसूस करने लगी।

खुदा में डूबना, उसके लिए कोई धार्मिक प्रक्रिया नहीं थी — ये उसका जीने का एक नया तरीका था। वो पल जब कोई नहीं समझता था, जब दुनिया ने पीठ मोड़ ली थी — खुदा ने उसे थाम लिया। उसने महसूस किया कि जो दर्द उसने सालों तक सहा, वो उसे तोड़ने के लिए नहीं, बल्कि उसकी आत्मा को जगाने के लिए था।

इसी बीच एक पुराना मित्र जीवन में लौटा। कुछ पल ऐसे भी आए जब लगा कि शायद यही वो आत्मा है जिसे वो जन्मों से तलाश रही थी। पर फिर वही सच्चाई सामने आई — उसकी भावनाएँ गहरी थीं, मगर सामने वाले के लिए सब कुछ सिर्फ एक आकर्षण था। और जब उसने अपने शरीर की सीमाएं खींचीं, तो उसे झुठला कर छोड़ दिया गया।

वो पल भी तकलीफदेह थे, लेकिन उन्होंने उसे और मजबूत बनाया। उसने जाना कि सच्चा रिश्ता वो होता है जो आत्मा से जुड़ता है, न कि शर्तों और इच्छाओं से।

आज भी वो अकेली है, पर टूटी नहीं। उसने खुद में अपना घर बसा लिया है, और खुदा में अपना साया ढूँढ लिया है। उसकी कहानी अब एक आह नहीं, एक प्रेरणा है — उन सभी के लिए जो दर्द में भी मुस्कुराना जानते हैं। ज़िंदगी ने उससे बहुत कुछ छीना — लेकिन जो उसने खुद में पाया, वो अनमोल था। अब वो किसी रिश्ते की मोहताज नहीं रही। उसने अपने आँसुओं से इबादत लिखी है, और अपनी ख़ामोशी में इंकलाब छिपा रखा है। वो अब भी चल रही है — धीमे, मगर ठोस क़दमों से और यही उसकी जीत है।
*कुछ औरतें इतिहास नहीं बनातीं ,वो खुदा की लिखी हुई दुआ बन जाती हैं, किसी और के टूटने से पहले उसे थामने के लिए*

_Mohiniwrites