Monster the risky love in Hindi Horror Stories by Pooja Singh books and stories PDF | दानव द रिस्की लव - 63

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दानव द रिस्की लव - 63

में गामाक्ष हूँ.....

अब आगे............
अघोरी बाबा आगे अपनी बात बताते हैं......" जब हमने तुम्हें चेतावनी दी थी कि इस लड़की से दूर रहो...तब ही उसी रात को कोई लड़का आया था और वो बहुत परेशान बता रहा था
फ्लैशबैक .........
रोज वैली कपल पार्क...पुराना शिव मंदिर....
एक लड़का जो बहुत डरा हुआ लग रहा था जोर जोर से चिल्लाता है...." कोई है..?... कोई है यहां पर, मेरी मदद करो ...." चारों तरफ शांति होने की वजह से उस लड़के की आवाज गूंज रही थी....
उसकी आवाज सुनकर एक त्रिपुंड धारी नौजवान आता है (जो की त्रिशूल ही है)...." कौन हो तुम..?..और यहां क्यूं आए हो..?.."
" मुझे मदद चाहिए मेरी मां बहुत बीमार है...." उस लड़के ने कहा
त्रिशूल : तो यहां क्यूं आए हो हम कोई डाक्टर नहीं है..
" नहीं पंडित जी...वो वैसे बीमार नहीं है.. उन्हें पता नहीं कुछ हो रहा है। वो बहुत अजीब अजीब हरकतें कर रही हैं.... शायद उनपर भूत प्रेत का साया है... मुझे सबने बताया कि यहां अघोरी बाबा है जो बहुत ही शक्तिशाली है... हमारी मदद कर सकते हैं बस उनसे ही मिलना है... उनसे मिलना दीजिए..." उस लड़के ने बड़े ही उम्मीद से कहा 
" ठीक है हम बुलाते हैं उन्हें..." नौजवान पंडित वापस मंदिर में जाकर अघोरी बाबा को सारी बात बताता है... अघोरी बाबा उसकी बात सुनकर उसने मिलने के लिए बाहर आते हैं...
अघोरी बाबा : बताओ क्या बात है...?
वो लड़का फिर से सारी बात बताता है, जिसे सुनकर अघोरी उसकी मदद के लिए हां कर देते हैं....
तीनों मंदिर से काफी दूर निकल चुके थे... रास्ते में चलते चलते अघोरी बाबा शिवजी के मंत्रों का जप कर रहे थे... अचानक उन्हें याद आया कि वो तो गंगाजल लाना भूल गए हैं तब वो त्रिशूल को गंगाजल लाने के लिए भेज देते हैं और खुद वही रूककर उसका इंतजार करने लगते हैं... लेकिन जैसे वो अंधेरा और गहरा जाता है...उस लड़के में बदलाव शुरू हो जाते हैं ... अघोरी बाबा उसकी बैचेनी देखकर उससे पूछते हैं...." तुम ठीक तो हो बेटा..." लेकिन वो उनके दूर कर देता है....
" बस अब बहुत हो गया..... लगता है तुझे यही मरना है..." उस लड़के ने कहा
उसकी ये बात सुनकर अघोरी तुंरत चिल्लाते हैं..." कौन है तू ...?...तू कोई साधारण मनुष्य नहीं है..."
" सही पहचाना अघोरी.... तेरी मौत हूं मैं..." और पूरी तरह अपने असली रूप में आ जाता है। अघोरी बाबा उसे देखकर डरते नहीं है बस अपने झोले से भोलेनाथ की भभूत निकाल लेते हैं....
अघोरी बाबा : कौन है तू ...?
" मरने से पहले मेरे बारे जानकर क्या करेगा अघोरी..."और जो से हंसने लगता है उसकी इस भयानक हंसी किसी को भी डरा सकती थी लेकिन अघोरी बाबा के चेहरे पर डर की कोई लकीर नहीं थी...
अघोरी बाबा : तू मत बता दानव किंतु हम किसी से नहीं डरते...काल तो अवश्य आएगा किंतु भोलेनाथ के सामने...."
अघोरी बाबा इतना कहकर उसपर भभूत डाल देते हैं जिससे वो तुरंत पीछे हट जाता है....
" तू मेरा कुछ नहीं बिगड़ा सकता....गामाक्ष हूं मैं पिशाचों का राजा तू मेरे सामने ज्यादा देर तक नहीं रह पाएगा... उबांक..."
उबांक कहते ही एक अपने आकार से बड़ी चमगादड़ पहुंच जाती है....ये चमगादड़ कोई साधारण नहीं है (इसके बारे में बाद में पता चलेगा)... 
गामाक्ष की चमगादड़ ने अघोरी बाबा पर हमला किया जिससे वो गिर चुके थे...
" क्या हुआ अघोरी बस इतने से हमले से डर गया..ये भभूत इस चमगादड़ का कुछ नहीं बिगाड़ पाएगी और ये तुझे खा जाएगी...अब बचके कहां जाएगा..."
अघोरी बाबा : मुझसे तेरी क्या दुश्मनी है...
" जो मेरे मकसद और मेरी बलि के बीच में आएगा मैं उसे जिंदा निगल जाऊंगा... तूने चेतावनी दी थी ...तो तू कैसे बचेगा...?..."
अघोरी बाबा : तू उस लड़की के पीछे क्यूं पड़ा है क्या प्राप्त होगा तुझे....
" तू ये सब जानने के लिए जिंदा नहीं बचेगा.... उबांक खत्म कर दे इसे ..."
उबांक : जी दानव राज....गामाक्ष के कहते ही उबांक अघोरी बाबा पर चिपक जाता है और अपने नुकीले दांतों से उनके पूरे शरीर को छिल देता है.... उनके शरीर से रक्त पान करने के बाद उबांक उन्हें छोड़ देता है और अब गामाक्ष अपने नाखूनों से उनके शरीर को फ़ाड़ देता है.....इनका मकसद पूरा होने के बाद दोनों वहां से चले जाते हैं....
वापस वर्तमान में......
अघोरी बाबा की ये बातें सुनकर चारों के चेहरे पर डर दिखने लगता है लेकिन विवेक अपने को नार्मल करते हुए वापस अघोरी बाबा से पूछता है...." आप कैसे बचें उस पिशाच से..."
अघोरी बाबा : हमें बचाया हमारे भोलेनाथ ने.... हमारी उपासना को जो फल है वहीं थोड़ी बहुत ये शक्तियां हमें मिली है इनसे ही हम उस पिशाच को धोखा देने में सफल रहे हैं....हम वहां से अपनी परछाई को छोड़कर आ गये थे क्योंकि उस समय हमारे पास उसका सामना करने के लिए पर्याप्त सामग्री नहीं थी.....
विवेक : इसका मतलब जो पूरी रोज वैली में आपके मरने की खबर फैली थी, वो‌ आपकी परछाई थी....
अघोरी बाबा : बिल्कुल.... क्या तुम अब भी उससे सामना करना चाहोगे अपने दोस्तों को देखो हमारी बात सुनकर ही ये कितना डर गये है...
विवेक : अदिति बहुत बड़ी मुसिबत में है और मैं उसे ऐसे ही नहीं छोड़ सकता... मेरा अब भी वही फैसला है मैं अदिति को बचाऊंगा......बस आप मुझे कोई रास्ता बता दिजिए...
अघोरी बाबा : तुम बहादुर हो लेकिन बहादुरी ही सबकुछ नहीं होती। हमें दिमाग से भी काम लेना चाहिए....और अगर तुम उसे बचाना ही चाहते हो तो ठीक है.....
हितेन विवेक के पास जाकर धीरे से कहता है...." यार तू किस मुसिबत में फंस रहा है सुना नहीं अघोरी बाबा ने क्या कहा उस चमगादड़ ने कितने बेरहमी से उन्हें मारा ..." विवेक उसे घूरता हुआ बोला..." तुम लोगों को डर है तो जाओ यहां से... मैं अपनी अदिति को बचाने के लिए कुछ भी करूंगा..."
्......................to be continued................
 
क्या बाकी सब विवेक का साथ देंगे या विवेक को अकेले ही अपनी लड़ाई लड़नी पड़ेगी...?
जानने के लिए जुड़े रहिए....