तक्ष की शक्ति बहुत ज्यादा है.....
अब आगे...............
अघोरी बाबा : बहादुर हो तो ठीक है । हम तुम्हें मार्ग बता सकते है लेकिन तुम पर भी खतरा मंडरा रहा है.... मैं तुम्हारे माथे की लकीरों को देखकर बता रहा हूं जो तुम्हारे साथ हुआ है... तुम उस पिशाच के सबसे बड़े दुश्मन हो । वो तुम्हें मारने की कई कोशिश कर चुका है किंतु तुम्हारे उस त्रिशूल तावीज ने तुम्हारी रक्षा की है...
अघोरी बाबा की बात को काटते हुए विवेक ने कहा..." लेकिन अब पता नहीं कहां खो गया अब...."
अघोरी बाबा : तुम्हारा तावीज खोया नहीं है, वो टूट चुका है...
विवेक हैरानी से पूछता है..." लेकिन कैसे..?..और उसने लाकेट को छू कैसे लिया...?.."
अघोरी बाबा : हम तुम्हारे अंदर हो रही उलझन को समझ सकते हैं... किंतु हम अभी उस दानव के बारे में ज्यादा नहीं जानते हैं....
हितेन विवेक के पास जाकर उसे समझाता है...." देख यार हमे नहीं लगता हम कुछ कर पाएंगे...(विवेक गुस्से में हितेन को धक्का देता है)..
विवेक : जा यहां से... मुझे किसी की हेल्प नहीं चाहिए जाओ यहां से,।।।
कंचन विवेक को शांत कराती है...." विवेक तुम जानते हो हितेन कैसा है.. बहुत जल्द डर जाता है लेकिन ऐसा थोड़ी है तुम्हारा साथ नहीं देगा ....हम सब एक साथ अदिति को बचाएंगे....
कंचन की बात सुनकर विवेक मुस्कुरा देता है.....
विवेक : अघोरी बाबा....तो अब बताइए हम क्या करें...?
अघोरी बाबा : बताते हैं..... त्रिशूल जाओ सुरक्षा यज्ञ की सामग्री लेकर आओ...
त्रिशूल हां में सिर हिला कर सामाग्री लेने चला जाता है...इधर अघोरी बाबा यज्ञ वेदी को चारों तरफ से साफ करके उसपे रोली से सजाते हैं...... चारों को बैठने के लिए कहकर यज्ञ को प्रज्वलित करते हैं... त्रिशूल सारी सामग्री लेकर आता है....
त्रिशूल : लिजिए गुरूजी से।।।
अघोरी बाबा : तुम सब अनुरोध है जबतक हम कुछ न पूछे तबतक तुम सब शांत रहोगे....
त्रिशूल अघोरी बाबा को सारी सामग्री लाकर दे देता है और अघोरी बाबा अपना यज्ञ शुरू करते हैं...अब पूरे मंदिर में यज्ञ की रोशनी फैली हुई थी और चारों तरफ अघोरी बाबा के मंत्रों की आवाज गूंज रही थी... धीरे धीरे मंत्रशक्ति से पूरी यज्ञ वेदी में एक नीली सी रोशनी फैलने लगी थी... लेकिन जैसे ही वो नीली और बढ़ती अचानक से तेज आंधी के साथ वापस शांत हो गई... अचानक आई आंधी से अघोरी बाबा यज्ञशाला से गिर गये थे.... विवेक और त्रिशूल तुंरत उनके पास जाकर उन्हें उठाते हैं...
विवेक : आप ठीक तो है न बाबा...?
अघोरी बाबा : हम ठीक है छोड़ो हमें....
विवेक उस यज्ञ वेदी को देखकर कहता है..." ये क्या हुआ था अभी...?... अचानक नीली रोशनी फैली और तुरंत आंधी की तरह खत्म हो गई....?..
अघोरी बाबा : हां ये नीली रोशनी हमें सही राह दिखाती ... किंतु उसकी शक्ति बहुत ज्यादा है। हम उसके बारे में नहीं जान पा रहे हैं...
विवेक उलझन भरी नजरों से अघोरी बाबा को देखता हुआ बोला...." आप क्या कह रहे हैं...?.."
विवेक की बात को अनसुना करते हुए अघोरी बाबा वहां सीधा मंदिर के गर्भगृह में जाते हैं और विवेक उन्हें असमंजस में जाते हुए देख रहा था....
त्रिशूल विवेक को समझाता है..." देखो अभी गुरुजी बहुत परेशान हैं तो थोड़ी देर रूक जाओ ,वो अपने आप तुम्हें सबकुछ बता देंगे....
विवेक त्रिशूल से पूछता है...." क्या तुम्हें इस नीली रोशनी के बारे में कुछ पता है...." विवेक के पूछने पर त्रिशूल न में सिर हिला देता है....." गुरुजी हमेशा कोई न कोई अनुष्ठान किया करते है , लेकिन ऐसा आजतक मैंने नहीं देखा.... शायद इसीलिए गुरुजी परेशान से होकर सीधा मंदिर के गर्भगृह में गये है....
हितेन, कंचन और श्रुति बहुत डरे हुए लग रहे थे लेकिन किसी ने भी विवेक से अब इस बारे में कुछ नहीं पूछा बस चुपचाप कभी अघोरी बाबा को देखते कभी विवेक और त्रिशूल को ..... अघोरी बाबा मंदिर के गर्भगृह से हाथ में छोटी सी पोटली लिए बाहर आते हैं....
त्रिशूल : क्या हुआ गुरुजी....?
अघोरी बाबा त्रिशूल की बात का कोई जबाव नहीं देते बस सीधा विवेक के पास जाते हैं....
अघोरी बाबा : उसकी शक्ति बहुत ज्यादा है... इसलिए तुम्हें ही अब ये कार्य करना होगा...(अघोरी बाबा विवेक को एक खंजर और एक छोटी सी डिब्बी देते हैं)..
विवेक : ये क्यूं बाबा...?
अघोरी बाबा : बताता हूं.... यहां बैठो । हम यज्ञ कर रहे थे ताकि हम उस पिशाच को खत्म कर सके , ये जानने के लिए और हम उसके बहुत करीब थे किन्तु उसकी प्रेत शक्तियां कुछ अलग ही है ...वो अपना रूप बदल सकता है एक इच्छाधारी पिशाच है....और वो ऐसा कैसे हो सकता है, हम कुछ नहीं जान पा रहे हैं उसकी ऊर्जा बहुत तीव्र है क्योंकि उसका ऊर्जा स्रोत और कोई नहीं वो लड़की है....
विवेक हैरानी भरे शब्दों में पूछता ...." ऊर्जा स्रोत मतलब नहीं समझा मैं...?
अघोरी बाबा : हम तुम्हें बताना नहीं चाहते किंतु सुनो वो पिशाच उस लड़की के रक्त से अपनी प्यास बुझा रहा है...
विवेक को अदिति के हाथ पर बने वो निशान ध्यान आता है और गुस्से में बोलता है...." उसे मैं छोड़ूंगा नहीं ...मेरी अदिति को इस नुकसान पहुंचा रहा है... तुम्हें याद है कंचन जब डॉक्टर के कहने पर आदित्य भाई ने पूछा था कि अदिति ब्लेड डोनेट करती है...उसे ऐसा नहीं करना चाहिए इससे उसके शरीर में विकनेश आ रही है....ये सब उस तक्ष नहीं गामाक्ष ने किया है... बाबा जी अब आप मुझे जल्दी से उसे खत्म करने के लिए बताइए...
अघोरी बाबा : तुम उसे खत्म नहीं कर सकते ... क्यूंकि अभी हम उसकी शक्तियों को नहीं जानते । उसके लिए हमें उसके रक्त की कुछ बूंदें चाहिए जिससे हम उसे जान सके...
चारों हैरानी से एक दूसरे को देखने लगे... लेकिन विवेक जिसे सिर्फ अपनी अदिति के ही बारे में फ़िक्र थी, अघोरी बाबा से कहता है....." ठीक है मैं उसका खून लेकर आऊंगा..."
अघोरी बाबा कहते हैं..." तुम इसे आसान मत समझो...वो पिशाच अपने रक्त की एक बूंद भी धरती पर गिरने नहीं देगा उससे पहले ही उसका वो चमगादड़ पी जाएगा..."
विवेक अब परेशानी में पड़ जाता है......
..............to be continued..............
आखिर विवेक कैसे तक्ष के करीब पहुंचेगा ....?
जानने के लिए जूड़े रहिए.....