अघोरी बाबा से मुलाक़ात...
अब आगे..............
विवेक के इस तरह दुःखी होने से कंचन उसे समझाती है..."विवेक क्यूं न हम थोड़ी देर यहां वैट कर ले क्या पता अघोरी बाबा कही गये हो...."
विवेक : लेकिन कहां होंगे वो...?
काफी देर इंतजार करने के बाद जब कोई नहीं आता तब विवेक वापस मंदिर के पास जाता है...
हितेन : विवेक चल अब ...शाम हो चुकी कोई नहीं है यहां पर...
लेकिन हितेन की बात पर विवेक कोई प्रतिक्रिया नहीं दिखाता बस मंदिर में जाकर बिना कुछ सोचे समझे उस बड़े से घंटे को बजा देता है..... मंदिर सुनसान होने की वजह से घंटे की आवाज पूरे में गूंज जाती है...
हितेन : विवेक .... क्यूं बजाया तूने...?
विवेक हितेन के सवाल का जबाव देता , उससे पहले ही एक पतला दुबला सा लड़का जिसके माथे पर त्रिपुंड तिलक और हाथ में रुद्राक्ष की माला पहने हुए था , उनके पास आकर घूरते हुए कहता है....." कौन हो तुम सब ...?...और यहां किसलिए आए हो...?.."
हितेन आंखों के इशारे से विवेक से पूछना चाह रहा था कि यही अघोरी बाबा है तो विवेक न में सिर हिलाते हुए आगे आकर कहता है..." आप यहां के पंडित जी है..."
" हां... त्रिशूल नाम है हमारा..." उस लड़के ने बड़े रौब के साथ कहा.... उसकी बात सुनकर हितेन और विवेक धीरे से हंस जाते ....
हितेन : आपका नाम आपकी तरह ही है.....
" तुम हमारा मजाक बना रहे हो..." गुस्से में त्रिशूल ने कहा
विवेक उसे शांत करता हुआ बोला....." इसकी बात का बुरा मत मानो ..इसके कहने का मतलब था आप त्रिशूल जैसे ही पावरफुल लगते हैं..और गुस्से वाले भी...."
त्रिशूल : ठीक है ठीक है... क्यूं आये हो यहां इस विराने मंदिर में...?
विवेक : हम यहां अघोरी बाबा का इंतजार कर रहे हैं.... क्या आपको पता है वो कहां है....?
त्रिशूल ने हैरानी से पूछा....." अघोरी बाबा से ... क्यूं आए हो..?...फिर से उन्हें मारने आए हो...."
विवेक : नहीं नहीं...हम उनसे हेल्प लेने आए हैं...हम उन्हें क्यूं मारेंगे..?...
त्रिशूल : मुझे तुम पर भरोसा नहीं... पहले भी ऐसा हो चुका है इसलिए हम उनतक किसी को नहीं पहुंचने देंगे...
विवेक : आप ग़लत समझ रहे हैं हम उनसे मदद लेने के लिए आए हैं बस .... किसी की जान की बात है , हमें उनसे मिलवा दो....
त्रिशूल : नहीं....
विवेक : आप समझ क्यूं नहीं रहे हैं.....हमारा उनसे मिलना बहुत जरूरी है...
काफी देर सोचे के बाद त्रिशूल उनसे कहता है...": अच्छा ठीक है हम आपको उनसे मिलवा देंगे लेकिन ध्यान रखियेगा उन्हें किसी बात से गुस्सा न आये बस ...
विवेक : ठीक है.....हम ध्यान रखेंगे...अब हमे ले चलो जल्दी...
त्रिशूल : ठीक है आओ मेरे पीछे.....
त्रिशूल उन चारों को लेकर मंदिर के गर्भगृह में लेकर पहुंचता है.... चारों भगवान शिव के बड़े से शिवलिंग को प्रणाम करते हैं... फिर वो पंडित उन्हें गर्भगृह से होकर जाती पतले से गलियारे की तरफ लेकर जाता है... पतले से गलियारे से होकर वो सब एक बड़े से कमरे में पहुंचते हैं.... विवेक और बाकी सब हैरान थे क्योंकि इतने पतले से गलियारे के बाद इतना बढ़ा कमरा भी हो सकता है अंदाजा नहीं था.... त्रिशूल उन्हें लेकर अघोरी बाबा के सामने जाता है.... अघोरी बाबा जोकि आंखें बंद करके ध्यान में बैठे थे...आंखें बंद में ही उन्होंने कहा....." आओ त्रिशूल...."
" गुरुजी प्रणाम...ये " त्रिशूल की बात पूरी हो पाती इससे पहले ही अघोरी बाबा ने कहा..." हां मुझे पता है इनके बारे में..." अघोरी बाबा समाधी से बाहर आकर उनके पास जाते हैं...
विवेक : आप हमारे बारे में जानते हैं....(विवेक ने हैरानी से पूछा)...
अघोरी बाबा : हां हमें पता है....(सबको बैठने का इशारा करते हैं)..... तुम्हारे अंदर बहुत सारे प्रश्न घुम रहे हैं... अपने अंदर की उथलपुथल को शांत करने के लिए तुम यहां आए हो..... निश्चित रहो हम सबका उत्तर देंगे तुम्हें....
विवेक : आप सबकुछ जानते हैं...?
अघोरी बाबा : हां हमें पता है..... हमने तुम्हें पहले ही चेतावनी दी थी उस लड़की से दूर हो जाओ लेकिन तुमने हमारी बात नहीं सुनी....
विवेक : माफ़ करना बाबा जी मैं उसे नहीं छोड़ सकता इसके लिए चाहे मुझे कुछ भी हो जाए....
अघोरी बाबा : तुम उससे प्रेम करते हो , नादान लड़के ..... अपनी जान की तो परवाह करो....
विवेक : नहीं बाबा जी मुझे मेरी जान से भी ज्यादा मेरी अदिति किमती है मेरे लिए....
अघोरी बाबा : और अगर तुम्हें कुछ हो गया तो...
विवेक : परवाह नहीं मुझे सिर्फ अभी अदिति को बचाना है बस .....
अघोरी बाबा : तुम्हारा प्रेम अद्भुत है हम तो सिर्फ तुम्हारी परिक्षा ले रहे थे.....अब बताओ क्या हुआ है...?.
विवेक : बाबा जी...वो तक्ष एक इंसान नहीं लगता
विवेक की बात को काटते हुए अघोरी बाबा ने कहा...." हमें पता है वो एक पिशाच है...."
विवेक श्रुति की तरफ देखकर बोला..." हां बाबा हमें कुछ ऐसा ही लग रहा था , लेकिन कोई मेरी बात पर भरोसा नहीं कर रहा है......"
अघोरी बाबा : बहुत जल्द करेंगे.....और ...?
विवेक : और अदिति कभी कहती हैं तक्ष एक पिशाच है कभी मना कर देती है...और हां ये लाकेट मिला है मुझे...(लाकेट देते हुए कहता है)...
अघोरी बाबा : ये तो वशीकरण तावीज है.....
वशीकरण का नाम सुनकर चारों बढ़े गौर से उस लाकेट को देखते हैं....
विवेक : बाबा ये लाकेट मुझे अदिति के पास से मिला है...
अघोरी बाबा : ये एक तरह का वशीकरण तावीज है । जिसे पहने से कोई भी उसके वश में हो सकता है लेकिन ये कमजोर भी है इसलिए ये जल्दी खत्म हो जाता है...
विवेक : इसका मतलब अदिति अब उसके वश में नहीं है....
अघोरी बाबा : हमने ऐसा नहीं कहा..... वो पिशाच इतनी जल्दी हार नहीं मान सकता...जहां तक हमे लगता है वो अब भी उसके वश में है ...,और अब वशीकरण तावीज बहुत शक्तिशाली है जिसे खत्म कर पाना मुश्किल है...
विवेक : तो हम अदिति को कैसे बचाएंगे बाबा...
अघोरी बाबा : समस्या बहुत बड़ी है जिसके समाधान में समय लगेगा...हम उस पिशाच की शक्तियों से अवगत नहीं है... पिछली बार के हमले से हम बहुत कठिनाई से बचें है..
विवेक : हां आप उससे कैसे बचें....?
............. to be continued............
अघोरी बाबा पिशाच से कैसे बचें...?
जानेंगे अगले भाग में......