Tera Ishq hai meri Saltnat - 1 in Hindi Love Stories by shama parveen books and stories PDF | तेरा इश्क है मेरी सल्तनत - 1

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तेरा इश्क है मेरी सल्तनत - 1

आरोही जो 18 साल की है और उसने बारहवीं क्लास पास कर ली है अपने कमरे मे बैठी हुई अपनी फ्रेंड नैना से बात करती है।

नैना बोलती है, "तूने बात की अपने बाबा से ???


तब आरोही बोलती है, "हा बाबा से तो मैने बात कर ली है, मगर भैया और भाभी से नहीं"।


तब नैना बोलती है, "तो तू अपने बाबा से बोल ना की वो बात करे उनसे "।


तब आरोही बोलती है, "बाबा रात में बात करने वाले ही थे, मगर भैया बहुत ही गुस्से में थे "।


तब नैना बोलती थी, "और वैसे तेरे भैया गुस्से में कब नहीं रहते हैं, और तुझे पता है कि आज आखिरी दिन है एडमिशन का, उसके बाद एडमिशन बंद हो जाएंगे और फिर उसके बाद तू आराम से घर में बैठ कर झाड़ू लगाते रहियो और घर का काम करते रहियो "।


तब आरोही बोलती है, "नहीं नहीं मैं घर का काम नहीं करूंगी, मैं तो पढ़ लिख कर वकील बनना चाहती हूं "।


तब नैना बोलती है, "हा घर में बैठे बैठे तू बन ही ना जाए वकील "।


तब आरोही बोलती है, "तू रुक मैं अभी बाबा से बात करके आती हूं "।


तभी जल्दी से आरोही अपने बाबा के पास जाती है और बोलती है, "बाबा आज एडमिशन का आखिरी दिन है, अगर आज मेरा एडमिशन नहीं हुआ तो मेरी पूरी जिंदगी बर्बाद हो जायेगी "।



तब उसके बाबा बोलते हैं, "मैने तेरे भाई से बात तो की थी मगर वो मना कर रहा है "।



तब आरोही बोलती है, "मगर क्यों बाबा, भइया मना क्यों कर रहे हैं, मैं बस एडमिशन के लिए ही तो बोल रही हूं, और मैं घर का सारा काम करके जाऊंगी और आ कर भी सारा काम कर दूंगी, प्लीज बाबा आप एक बार भाई से बात करिए न "।


तब आरोही के बाबा बोलते हैं, "अच्छा ठीक है चलो उससे बात करता हूं वैसे भी आज वो काम पर नहीं गया है "।



तभी आरोही अपने बाबा के साथ अपने भाई के पास चली जाती है।


आरोही के भाई जिसका नाम अरुण है। वो आराम से बैठ कर अपने बच्चों के साथ नाश्ता कर रहा था।


आरोही अपने बाबा के साथ जा कर वहां पर खड़ी हो जाती है।


अरुण गुस्से में अपने बाबा और आरोही को घूर रहा था।तभी बोलता है, "क्या काम है ????


तब उसके बाबा बोलते हैं, "बेटा आज एडमिशन का आखिरी दिन है और अभी तक आरोही का एडमिशन नहीं हुआ है, अगर आज भी इसका एडमिशन नहीं हुआ तो इसका सपना टूट जाएगा "।



तब अरुण चिल्ला कर बोलता है, एक बात समझ में नहीं आती है क्या दोनों बाप बेटी को की मेरे पास पैसे नहीं है, और तुम दोनों बाप बेटी को खिला पीला रहा हूं यही कम है क्या जो अब एडमिशन भी करवाऊं, बारहवीं तक पढ़ तो लिया है और अब पढ़ने की क्या जरूरत है "।


तब उसके बाबा बोलते हैं, "बेटा तुम तो जानते ही हो कि ये वकील बनना चाहती हैं और तुम पेसो की टेंशन मत लो, मैं उसका बंदोबस्त कर दूंगा "।


तब अरुण बोलता है , "अबे ओह बुड्ढे तुझे पता भी है कि कितने पैसे लगते हैं कॉलेज में "।


तब उसके बाबा बोलते हैं, "बेटा तुम परेशान मत हो मैं पेसो का बंदोबस्त कर दूंगा तुम बस हा बोल दो "।


तब अरुण बोलता है, "अच्छा ठीक है मैने बोल दिया हा जाओ करवा लो इसका एडमिशन मगर हा मुझसे एक पैसे की भी उम्मीद मत रखना "।


तब उसके बाबा बोलते हैं, "अच्छा ठीक है मैं खुद कर लूंगा बंदोबस्त "।


उसके बाद वो कमरे में से आ जाते हैं तब आरोही बोलती है, "बाबा आपको पता भी है कि एडमिशन में कितने पैसे लगते हैं ?????


तब उसके बाबा बोलते हैं, कितने लगते हैं बेटा ??????


तब आरोही बोलती है, "तीस हजार के करीब लगेंगे बाबा और आप इतने पैसे कहा से लाएंगे ???????


तब उसके बाबा बोलते हैं, "तुम उसकी फिक्र मत करो और तुम बस तैयार हो जाओ जब तक मैं पैसे ले कर आता हूं "।



उसके बाद वो चले जाते हैं।


उधर रुद्र क्लब में आराम से नेहा के साथ सो रहा होता है तभी उसके फोन की बेल बजती है और वो उठता है और बोलता है, "अबे साले क्या प्रॉब्लम है तेरी मुझे सोने क्यों नहीं देता है"।


तभी अबीर बोलता है जो रुद्र का फ्रेंड है, "अबे साले तुझे कॉलेज नहीं जाना है क्या जो अभी तक सो रहा है"।


तब रुद्र बोलता है, "मन तो नहीं कर रहा है जाने का ????

तब अबीर गुस्से में बोलता है, "चुप चाप से उठ जा समझा और अपनी उस नेहा को भी उठा दे"।


उसके बाद अबीर कॉल काट देता है।


 उधर आरोही बहुत ही परेशान होती है कि उसके बाबा इतने पैसे कहा से लाएंगे।


तभी नैना बोलती है, "बहन सोच बाद में लियो पहले तैयार हो जा, क्योंकि आखिरी दिन है आज"।


तब आरोही बोलती है, "मगर बाबा इतने सारे पैसे कहा से लायेंगे, मुझे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है "।


तब नैना बोलती है, "जब तेरे बाबा आ जाएंगे तो खुद ही पूछ क्यों न कि बाबा आप कहा से इतने पैसे ले कर आये हैं "।


तब आरोही बोलती है, "मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा है बाबा से इतने पैसे लेने में, एक तो वो पहले से ही इतने परेशान हैं और ऊपर से मैने उन्हें और परेशान कर दिया है, अब पता नहीं कहा गए होंगे "।


तब नैना बोलती है, "तू कुछ ज्यादा ही सोचती है, थोड़ा कम सोचा कर, और जब तू पढ़ नहीं कर एक वकील बन जायेगी न तब वापस कर दियो अपने बाबा को सारे पैसे "।


तब आरोही बोलती है, "मगर मुझे तो वकील बनने में बहुत टाइम लगेगा न "।


तब नैना बोलती है, "अब तू अपना मुंह बंद कर और चुप चाप जा कर तैयार हो जा "।


उसके बाद आरोही तैयार होने लगती है। 


एक घंटे बाद आरोही के बाबा पैसे ले कर आते हैं और आरोही के हाथों में दे देते हैं। इतने सारे पैसे देख कर आरोही चौक जाती है और बोलती है, "बाबा आप इतने सारे पैसे कहा से ले कर आए ............. 



कैसी लगी कहानी जरूर बताना ।


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