Jise Samjha mamuli wah Nikla Karodpati - 8 in Hindi Thriller by ABHISHEK books and stories PDF | जिसे समझा मामूली वह निकला करोड़पति - SEASON - Part 8

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जिसे समझा मामूली वह निकला करोड़पति - SEASON - Part 8

रात का अंधेरा गहराता जा रहा था। बाहर हल्की बारिश हो रही थी, और हवाएं एक नई साजिश की आहट दे रही थीं।

आर्यन और अवंतिका एक सुरक्षित स्थान पर थे, लेकिन नामांश का खेल अभी खत्म नहीं हुआ था।

तभी… अचानक आर्यन के लैपटॉप स्क्रीन पर एक वीडियो कॉल आई।

स्क्रीन पर नामांश का चेहरा चमक उठा। उसके होंठों पर वही ज़हरीली हंसी थी, जो हर बार किसी नई साजिश का इशारा करती थी।

नामांश (क्रूर हंसी के साथ) – "अवंतिका, मुझे पता था कि तुम अब तक सब कुछ जान चुकी होगी… लेकिन मैंने सोचा, क्यों न तुम्हें एक आखिरी तोहफा दिया जाए?"

अवंतिका और आर्यन ने स्क्रीन पर ध्यान दिया।

अगले ही पल, स्क्रीन पर एक फाइल खुल गई।

फाइल #X109 – "एक गुप्त सच"

यह फाइल कोई साधारण डॉक्यूमेंट नहीं थी। इसमें कई कानूनी दस्तावेज़, जन्म प्रमाण पत्र और कुछ पुरानी तस्वीरें थीं।

अवंतिका (हैरानी से) – "ये क्या है?"

नामांश ने एक बटन दबाया, और स्क्रीन पर फाइल के अंदर की जानकारी दिखने लगी।

नामांश (ज़हरीली हंसी के साथ) – "ये है तुम्हारी माँ का सबसे बड़ा राज़! अब देखो और खुद तय करो कि तुम इस सच्चाई को संभाल भी पाओगी या नहीं।"

अवंतिका की आँखें चौड़ी हो गईं।

स्क्रीन पर लिखा था:

"नामांश और अवंतिका सिर्फ दुश्मन नहीं… वे सौतेले भाई-बहन थे!"


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सच्चाई का पर्दाफाश

अवंतिका के हाथ से कॉफी मग छूटकर नीचे गिर गया।

अवंतिका (सन्न रहकर) – "नहीं… ये सच नहीं हो सकता!"

लेकिन स्क्रीन पर मौजूद दस्तावेज़ इस बात को साबित कर रहे थे।

नामांश का जन्म प्रमाण पत्र

अवंतिका की माँ की पुरानी तस्वीरें एक अजनबी आदमी के साथ

एक कानूनी दस्तावेज़ जिसमें यह लिखा था कि नामांश, अवंतिका की माँ का पहला बेटा था, लेकिन उसकी सच्चाई को छुपाया गया था।


आर्यन ने लैपटॉप की स्क्रीन को ध्यान से देखा और तुरंत समझ गया कि यह कोई झूठा दस्तावेज़ नहीं था।

आर्यन (गंभीर स्वर में) – "तो यही वजह थी कि तुम्हारी माँ नामांश का साथ दे रही थी? क्योंकि वो उसे बचाना चाहती थी?"

अवंतिका की साँसें तेज़ हो गईं।

अवंतिका (काँपते स्वर में) – "माँ… मेरी अपनी माँ… उसने मुझसे ये सबसे बड़ा सच छुपाया?"


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नामांश की धमकी

नामांश ने ठहाका लगाया।

नामांश (ज़हरीली हंसी के साथ) – "तो, कैसा लगा ये सरप्राइज़? मैंने सोचा था कि अगर मैं तुम्हें बर्बाद नहीं कर पाया, तो तुम्हें मानसिक रूप से तोड़ दूँगा।"

अवंतिका के आँसू छलक आए। लेकिन इससे पहले कि वह कुछ कहती, आर्यन ने एक और बटन दबाया, और एक नई स्क्रीन खुल गई।

नामांश की हंसी अचानक रुक गई।

"स्क्रीन पर पुलिस ट्रैकिंग सिस्टम खुला था!"

आर्यन (मुस्कुराते हुए) – "तुम समझते थे कि सिर्फ तुम्हारे पास सरप्राइज़ हैं, नामांश?"


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आर्यन की चाल

आर्यन ने चुपचाप पहले ही पुलिस को लोकेशन भेज दी थी।

तभी…

धड़ाम!!!

दरवाजे को जोरदार ठोकर लगी, और अंदर पुलिस की टीम दाखिल हुई!

इंस्पेक्टर राठौड़ (गंभीर स्वर में) – "नामांश, तुम गिरफ्तार हो!"

नामांश ने चौंककर देखा।

नामांश (गुस्से में चिल्लाते हुए) – "आर्यन… तुमने हमें धोखा दिया!"

आर्यन ने मुस्कुराकर कहा—

आर्यन (सख्त लहजे में) – "धोखा नहीं, इंसाफ किया है!"

पुलिस ने नामांश, राधिका, और अवंतिका की माँ को हथकड़ी पहना दी।

राधिका (गुस्से में चिल्लाते हुए) – "नहीं! मैं हार नहीं सकती! अवंतिका, तुम्हें मेरी जगह होना चाहिए था!"

लेकिन अब खेल खत्म हो चुका था।

नामांश (दाँत पीसते हुए) – "ये मत समझना कि ये खत्म हो गया। मैं वापस आऊँगा!"

पुलिस उन्हें गाड़ी में बैठाकर ले गई।


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एक नई शुरुआत

अवंतिका अब भी सदमे में थी। उसने अपनी माँ को आखिरी बार देखा, लेकिन उसकी आँखों में कोई सहानुभूति नहीं थी।

आर्यन ने धीरे से उसका हाथ पकड़ा।

आर्यन (नरम स्वर में) – "अब ये सब खत्म हो चुका है, अवंतिका। अब हमें आगे बढ़ना होगा।"

अवंतिका ने उसकी आँखों में देखा, और पहली बार उसे महसूस हुआ कि उसने अपना सच्चा हमसफर पा लिया है।

अवंतिका (हल्की मुस्कान के साथ) – "हाँ, अब हमें आगे बढ़ना है।"
  


इस सफर को जानने के लिए हमें आपका सपोर्ट चाहिए!
आगे का रोमांचक हिस्सा सिर्फ आपके एक क्लिक पर है!

कहानी तो यहीं खत्म हुई… लेकिन अगला भाग तभी मिलेगा जब आप फॉलो करेंगे!
दिल से लिखता हूँ, दिल से पढ़िए – और फॉलो करना मत भूलिए!"