Monster the risky love - 60 in Hindi Horror Stories by Pooja Singh books and stories PDF | दानव द रिस्की लव - 60

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दानव द रिस्की लव - 60


अब आगे.............

तक्ष की इस बात से विवेक के चेहरे पर चिंता की लकीरें जा जाती है.... लेकिन फिर भी अपने को सामान्य करते हुए सीधा अदिति के पास जाता है......
विवेक : अदिति रुको.....
अदिति विवेक की बात को अनसुना करती हुई कहती हैं..."भाई कहां रह गये आप जल्दी आओ नीचे..."
विवेक : अदिति मेरी बात सुनो.....वो सब मैंने जानबूझकर नहीं किया है...
अदिति : विवेक प्लीज़ मुझे कुछ नहीं सुनना....
विवेक : तुम ऐसे बिना सच्चाई जाने नहीं जा सकती....
अदिति : हां तो क्या है सच्चाई...?... तुमने अभी तक तो मुझे कुछ नहीं बताया विवेक....ये फोटोस क्यूं बता रही हैं.... मुझे समझ जाना चाहिए था.... मेरा विवेक अब मेरा नहीं है...
विवेक : अदिति.... ऐसा कुछ नहीं...ये सिर्फ एक इंसिडेंट था और कुछ नहीं.....
अदिति : अच्छा ठीक है इंसिडेंट था....और अभी तुम श्रुति के साथ ही अंदर आये थे.... क्या वो एक इंसिडेंट था...?
विवेक : ओह अदिति.... तुम उस टाइम को ग़लत वे में ले जा रही हो.... ऐसा कुछ नहीं था..
" ऐसा ही अदिति..." ये आवाज़ थी तक्ष की 
तक्ष विवेक को घूरता हुआ अदिति के पास आता है.....
अदिति : तुमने देखा.....?
तक्ष : हां मैंने इन दोनों को बाहर साथ में देखा था...
विवेक तक्ष की तरफ गुस्से में बढ़ता है लेकिन अदिति तक्ष और विवेक के बीच आकर उसे रोकती है...
अदिति : बस अब बहुत हो गया विवेक मुझे कुछ नहीं सुनना... 
अदिति अपना बैग लेकर बाहर चली जाती हैं.....
तक्ष विवेक के पास आकर कहता है....." अब क्या हुआ जाओ मनाओ उसे......(हंसकर)... कितना अच्छा लग रहा तुझे ऐसे परेशान देखकर...पर तू चिंता मत ये तो शुरुआत है आगे देख ...." तक्ष वहां से चला जाता है और विवेक बस दुखी सा वहीं खड़ा होकर उसे देख रहा था....
बाकी सब भी बाहर पहुंचते हैं....
सुविता जी विवेक के पास जाती है....." विवू क्या हुआ ...?..."
विवेक : बड़ी मां मैंने कुछ नहीं किया...?
सुविता : तूने क्या नहीं किया....? 
इन दोनों की बात पूरी होने से पहले ही आदित्य उनके जाता है.....
आदित्य : विवेक क्या बात है...?... अदि से झगड़ा गया क्या तुम्हारा ....?
विवेक आदित्य की बात पर केवल हां में सिर हिला देता है...
सुविता : जभी अदिति इतने गुस्से में गई है....
आदित्य : अच्छा फिर मुझे भी जाना पड़ेगा अगर मैं नहीं गया तो अदि मुझसे भी नाराज़ हो जाएगी...
कामनाथ : ठीक है बेटा जाओ ....हम भी बस थोड़ी देर में निकलते हैं....
इशान आदित्य के गले लगकर उसे बाय कहता है.... आदित्य अदिति के जाने के बाद और सब भी अपनी अपनी जानें की तैयारी करने लगते हैं लेकिन विवेक अभी भी बस गुमसुम सा किसी सोच में डूबा हुआ था.... मालती जी उसके पास जाकर उसे समझाती है..."  अदिति को मना लेना थोड़ा सा ही गुस्सा हुई है मान जाएगी अब तू जाकर चलने की तैयारी कर..." मालती जी की ये बात सुनकर विवेक गुस्से में चिल्लाकर कहता है..." मैं अभी यहां से नहीं जाऊंगा...आपको जाना है जाओ ... मुझे जरूरी काम निपटाना है..." विवेक अपने रुम में चला जाता है और हितेन , श्रुति , कंचन भी उसके रूम में पहुंचते हैं...
विवेक : तुम तीनों जाओ जाकर जाने की तैयारी करो ... यहां क्यूं आए हो...?.
श्रुति विवेक के पास जाने के लिए आगे बढ़ती है...
विवेक : वहीं से बोले पास मत आओ मेरे...
विवेक के इस तरह से बोलने से श्रुति हैरानी से उसे देखती हुई पुछती है...." क्या हुआ विवेक...?.."
विवेक अपना फोन दिखाते हुए कहता है..." ये देखो... अदिति के फोन से मैंने अपने फोन में शेयर करी..."
श्रुति हैरानी से उन फोटोस को देखती हुई कहती हैं..." ये सब तो एक इंसिडेंट था न विवेक..."
विवेक : हां पता है मुझे... यही फोटो अदिति को भेजी गई है ताकि उसे दिल में मेरे खिलाफ नफ़रत भर सके .... लेकिन मैं ऐसा होने नहीं दूंगा..."
श्रुति : विवेक लेकिन ये फोटो क्लिक किसने की है...?
विवेक : अगर मुझे पता होता तो क्या मैं उसे ऐसे ही छोड़ देता... मुझसे मेरी अदिति को कोई दूर नहीं कर सकता...(गुस्से में अपना हाथ दिवार पर मारता हुए बोला)....
हितेन : रिलेक्स यार....हम उसे ढूंढ़ लेंगे जिसने भी ये सब किया है...!
श्रुति : लेकिन विवेक ...ये जो फोटो है पार्टी की प्रिपरेशन के टाइम की है और जहां तक हमे पता है हम चारों के अलावा कोई और नहीं था वहां जो ये फोटो क्लिक करें....
विवेक : हां सही कहा श्रुति....उस टाइम हाॅल बस हम चारों ही थे ....(लेकिन तभी विवेक को तक्ष की कहीं बात याद आती है)..... हां तक्ष 
तीनों सवालिया नज़रों से विवेक की ओर देखते हैं....
हितेन : तू हमें साफ साफ बता क्या बात है....?
विवेक : हितेन ये फोटो उस तक्ष ने ही ली है.....
हितेन : तू पागल है....वो तो वहां था भी नहीं....
विवेक : तुम जाओ यहां से मैं खुद अपनी प्रोब्लम सोल्व कर लूंगा....
हितेन : तू नाराज़ क्यूं होता है.. अच्छा बता...
विवेक : उस तक्ष ने मुझे धमकी दी है....अब मैं दिखाता हूं विवेक क्या चीज़ है.....
हितेन : कैसे दिखाएगा...?... अच्छा चल मान लिया तक्ष कोई साधारण इंसान नहीं है एक पिशाच है तो कैसे उसका पता करेगा....?
श्रुति : विवेक अगर तक्ष एक पिशाच है तो तुमने ही तो उसका टेस्ट लिया था...उस लाकेट को छूने के लिए कहा था और उसने छू लिया....
विवेक : नहीं बात सिर्फ इतनी नहीं है....देखो मेरा वो लाकेट अब मेरे पास नहीं है.... उसने ही कहा था अब बचा ले.... मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है क्या करूं...
हितेन : तू इतना परेशान मत हो हम उसे रंगे हाथ पकड़ लेते हैं....
कंचन ताली बजाती हुई कहती हैं....." हम क्या किसी बिल्ली या कुत्ते को खाना चुराते हुए रंगे हाथ पकड़ने वाले हैं.... तुमने सुना नहीं विवेक ने क्या कहा वो एक पिशाच है अगर हुआ तो.... जैसे उसने फोटो क्लिक कर ली ...जो अदिति को होश शाम से सुबह तक आया था उसने अचानक ठीक कर दिया.... विवेक अब तो मुझे भी यही लगता है वो यहां सबकुछ ठीक नहीं है....जिस तरह अदिति की तबीयत ठीक होती है फिर बिगड़ जाती है.... कुछ तो करना पड़ेगा...
विवेक : हां कंचन...रतन माली को भी उसने ही मारा था...
श्रुति : विवेक ....तुम सबके सामने कैसे प्रूफ करोगे ये सब कुछ जो हो रहा है तक्ष की वजह से है.....
कंचन : जो भी हो हम सब साथ है तो मिलकर कोई न कोई सोल्यूशन जरूर निकाल लेंगे...
हितेन :  हां ....हम तेरी पूरी हेल्प करेंगे....बस तू बता करना क्या है..?
तभी विवेक कुछ याद करता हुआ बोला...." अघोरी बाबा...."
 
...…....……….....to be continued…............
क्या होगा जब विवेक अघोरी बाबा से मिलेगा.....?
जानेंगे अगले भाग में जबतक के लिए बने रहे कहानी के साथ.........