विवेक ने जाना तक्ष का मकसद
अब आगे........
अदिति के अचानक घर चलने की बात सुनकर आदित्य सोच में पड़ जाता है आखिर अचानक अदिति को क्या हुआ... लेकिन अदिति बिना कुछ बताए बस घर चलने के लिए ही कह रही थी... सबको अदिति का इस तरह अचानक जाना समझ नहीं आ रहा था इसलिए एक दूसरे की तरफ देखकर बोलना चाहते हो तुम्हें पता अदिति को क्या हुआ.....?.. ... अदिति इतनी जोर से चिल्लाई थी कि विवेक और श्रुति भी अंदर आते हैं... दोनों को साथ में देख अदिति गुस्से से विवेक को घूरती है.... विवेक अदिति के इस तरह चिल्लाने की वजह पूछता है लेकिन सब मना कर देते हैं उन्हें कुछ नहीं पता... सुविता जी और मालती जी अदिति के पास आती है और अदिति से अचानक जाने की वजह पूछती है....
अदिति किसी को कुछ बताना नहीं चाहती थी इसलिए गुस्से में साफ मना कर देती है...." मुझे घर जाना है बस ....भाई मैं अपना सामान लेकर आती हूं...." इतना कहकर अदिति अपने रुम में जाकर पैकिंग करती है...
विवेक परेशान सा पूछता है...." मां क्या हुआ अदिति को...?..."
मालती : हमें नहीं पता
विवेक आदित्य की तरफ देखता है पर आदित्य न में सिर हिला देता है... फिर सुविता जी कंचन से पूछती है...
सुविता : बेटा तू तो अदिति के साथ ही थी न क्या हुआ उसे अचानक...?
कंचन : पता नहीं आंटी जी..वो फोन पर मैसेज आया और तुरंत नीचे आकर चिल्लाने लगी....
विवेक : मैं पूछकर आता हूं....
तक्ष जो चुपचाप खड़े होकर ये सबकुछ देख रहा था एक डेविल मुस्कान के साथ अपने आप से कहता है......" अब तू कुछ भी कर ले अब अदिति नहीं मानेगी... पहले तो उसने बात पलट दी लेकिन अब तू उसे कैसे समझाएगा .."
विवेक अदिति के कमरे में पहुंचता है..... अदिति अपना सामान पैक कर रही थी... विवेक उसके हाथ को पकड़कर कहता है..." अचानक क्यूं जा रही हो...."
अदिति : हाथ छोड़ो मेरा ..(अदिति झटके से अपना हाथ विवेक से छुड़ाती है)....
विवेक : अदिति हुआ क्या है...?
अदिति गुस्से में कहती हैं......" मुझे पहले ही समझ जाना चाहिए था विवेक तुम मुझे क्यूं दूर कर रहे हो...."
अदिति की इस बात से विवेक उलझन भरी आवाज में कहता है..." तुम कहना क्या चाहती हो....?.."
अदिति : अब इतने इनोसेंट बनने की जरूरत नहीं है...
विवेक अदिति के पास जाकर उसे कमर से पकड़ता हुआ कहता है..." मेरी स्वीट हार्ट मुझसे सुबह के लिए नाराज हैं..."
अदिति : दूर रहो पहले... तुम्हारी ये बातें मुझे नहीं सुननी छोड़ो अब मुझे.....जाओ यहां से श्रुति के
विवेक ने जैसे ही श्रुति का नाम सुना तुंरत अदिति को अपने सामने करता हुआ बोला....." श्रुति.... उसने क्या किया है...?..."
अदिति : ओह कम ऑन विवेक अब मुझे इतने भोले बनकर मत दिखाओ.....(अदिति अपना फोन उठाकर विवेक के सामने करती है...)....तो क्या ये फोटोग्राफ झुठी है....
उन फोटोग्राफ को देखकर विवेक की आंखें खुली की खुली रह जाती है......
विवेक : अदिति...ये सब एक इंसिडेंट था और कुछ नहीं....
अदिति : बस विवेक मुझे बेवकूफ मत बनाओ.....(अदिति एक एक करके फोटो दिखाती हुई कहती हैं)..ये इंसिडेंट था
विवेक : अदिति ये तो अचानक गिर गई थी और कुछ नहीं
अदिति : अच्छा तो ये क्या हैं...?
फोटोग्राप डिटेल..
पहली फोटो में श्रुति विवेक की बाहों में थी...(श्रुति पार्टी के टाइम हिल की वजह से स्लिप हो गई थी जिसे विवेक ने बचाया..)
दूसरी फोटो में विवेक अपने रूमाल से श्रुति के फेस को साफ कर रहा था ( पार्टी की प्रिपरेशन के टाइम स्पार्कल्स श्रुति के फेस पर लग गया था जिसे विवेक ने अपने रूमाल से साफ किया था..)
तीसरी फोटो अभी गार्डन की थी जिसमें विवेक श्रुति के गले लगा हुआ था..(श्रुति विवेक और अदिति की बेस्ट फ्रेंड है इसलिए विवेक परेशान होने की वजह से उसे अदिति समझ बैठा..)
अब आप सोच रहे होंगे ये फोटोज़ किसने क्लिक की है तो बहुत जल्द पता चल जाएगा....
विवेक अदिति को सारी फोटो के पिछे का इंसिडेंट बताता है लेकिन अदिति उसकी एक भी नहीं सुनती और वहां से बैग लेकर नीचे चली जाती हैं और विवेक उसके पीछे जाता है लेकिन तभी तक्ष को देखकर रूक जाता है जो गेट के एक तरफ खड़ा मुस्कुरा रहा था.......
विवेक गुस्से में उसके गले को दोनों हाथों से पकड़ लेता है..तक्ष उसे धक्का देकर अपने से दूर करता है...
तक्ष : दूर हट मुझसे (खांसते हुए कहता है).....
विवेक : ये सब तेरा किया धरा है... मैं तुझे छोडूंगा नहीं...
तक्ष (हंसकर) : क्या करेगा...?.... हां मैंने भी किया है सबकुछ ... तेरे पास क्या सबूत है कि ये सब मैंने किया है.... अदिति को तो तुझसे दूर जाना है...... हमेशा के लिए इसलिए आदत बना लें .... ताकि बाद में न पछताना पड़े....
विवेक : मैं तुझे मार दूंगा....अगर मेरी अदिति को कुछ भी हुआ तो...(विवेक की आंखों में खुन खौल रहा था अदिति का दूर जाने की सुनकर)...
तक्ष : तू कुछ नहीं कर सकता.....जो भी मेरे रास्ते में आता है मैं उसे अपने रास्ते से हटाने में देर नहीं करता....अभी तक तो तू उस तावीज की वजह से बच रहा था अब कैसे बचेगा...?
विवेक तक्ष की बात सुनकर अपने गले में त्रिशूल लाकेट को ढूंढता है पर वो उसे नहीं मिलता ..
तक्ष : क्या हुआ...?...उस तावीज के भरोसे था....वो अब किसी काम का नहीं है वो तो कब का टूट गया....
विवेक तक्ष की बात सुनकर परेशान तो था लेकिन उसे उतना ही गुस्सा आ रहा था इसलिए लिये अब की बार विवेक ने तक्ष के एक पंच मार दिया....
विवेक : कौन है तू ...?....तू जो भी मेरी अदिति को कुछ नहीं कर पाएगा...
तक्ष : तेरी इतनी हिम्मत...(अबकी बार तक्ष भी विवेक पर एक जोरदार पंच मारता है)...
दोनों की हाथापाई शुरू हो जाती है.... तोड़फोड़ की आवाज सुनकर सब ऊपर पहुंचते हैं...और दोनों को इस तरह लड़ते देख छुड़ाने के लिए आते हैं... आदित्य तक्ष को और इशान विवेक को अलग करते हैं.....
आदित्य : बस करो तुम दोनों.....
विवेक बिना कुछ सुने सीधा अदिति के पास जाता है....
विवेक : अदिति.... इसमें मेरी कोई ग़लती नही है...ये सब तक्ष का किया है...ये तुम्हें (अदिति विवेक को चुप रहने का इशारा करती है...)...
अदिति : मुझे कुछ नहीं सुनना.....भाई चलो यहां से... मैं अब और यहां नहीं रह सकती .....(इतना कहकर अदिति वहां से चली जाती हैं)...
तक्ष विवेक के पास जाकर धीरे से कहता है..."तू मेरे बारे में कुछ नहीं जान सकता .....अब बचा के दिखा..."(हंसकर चला जाता है).....
.....................to be continued.................
क्या होगा आगे...?
क्या विवेक कोई रास्ता निकाल लेगा.... जानने के लिए जुड़े रहिए