बहुत साल पहले की बात है, उत्तर भारत के एक छोटे से गांव में एक पुरानी हवेली थी, जिसे लोग ‘भूतिया हवेली’ कहते थे। गांव के बड़े-बुजुर्ग कहते थे कि वहां रात को अजीब-अजीब आवाजें आती हैं-कभी किसी के हँसने की, कभी किसी के रोने की। हवेली के बारे में यह भी कहा जाता था कि वहां जाने वाला कभी लौटकर नहीं आता। गांव के बच्चे अक्सर उस हवेली के पास से गुजरने में भी डरते थे। एक दिन गांव में तीन दोस्त-राज, मोहित और सीमा-ने तय किया कि वे इस हवेली के रहस्य का पता लगाएंगे। तीनों बहुत जिज्ञासु और साहसी थे। उन्होंने रात को हवेली में जाने का प्लान बनाया। वे अपने साथ टॉर्च, कुछ खाने-पीने का सामान और एक पुराना कैमरा लेकर निकल पड़े। रात के करीब 11 बजे वे हवेली के गेट पर पहुंचे। हवेली के चारों ओर झाड़-झंखाड़ उगे हुए थे और दरवाजे पर जंग लगी थी। जैसे ही उन्होंने दरवाजा खोला, एक ठंडी हवा का झोंका आया। अंदर घुसते ही उन्हें अजीब सी बदबू महसूस हुई। हवेली के अंदर सब कुछ धूल और जाले से भरा था। दीवारों पर पुरानी पेंटिंग्स थीं, जिनकी आंखें जैसे उन्हें घूर रही थीं। तीनों दोस्त धीरे-धीरे हवेली के अंदर बढ़ने लगे। अचानक, एक कमरे से किसी के रोने की आवाज आई। सीमा डर गई, लेकिन राज ने कहा, “डरो मत, चलो देखते हैं।” वे आवाज की तरफ बढ़े। कमरे के अंदर एक बूढ़ी औरत का साया दिखा, जो फर्श पर बैठकर रो रही थी। मोहित ने हिम्मत करके पूछा, “आप कौन हैं?” लेकिन बूढ़ी औरत ने कोई जवाब नहीं दिया, बस रोती रही। अचानक, कमरे की लाइट अपने आप जल गई और बूढ़ी औरत गायब हो गई। तीनों घबरा गए, लेकिन बाहर भागने की बजाय उन्होंने और अंदर जाने का फैसला किया। वे हवेली के तहखाने की ओर बढ़े। तहखाने का दरवाजा खुला था, अंदर घुप्प अंधेरा था। टॉर्च की रोशनी में उन्होंने देखा कि वहां बहुत सारे पुराने संदूक रखे थे। राज ने एक संदूक खोला, उसमें से एक पुरानी डायरी मिली। डायरी में लिखा था, “मैं इस हवेली की मालकिन हूँ। मेरे परिवार को लालचियों ने मार डाला और मेरा खजाना छीन लिया। मेरी आत्मा तभी मुक्त होगी, जब मेरा खजाना सही हाथों में पहुंच जाएगा।” डायरी पढ़ते ही हवेली में तेज़ हवा चलने लगी और दरवाजे अपने आप बंद हो गए। तीनों दोस्त डर के मारे कांपने लगे। तभी उन्हें एक कोने में चमकती हुई चीज़ दिखी। वे पास गए और देखा कि वहां एक छोटा सा संदूक रखा था, जिसमें सोने-चांदी के गहने और कुछ पुराने सिक्के थे। जैसे ही उन्होंने संदूक उठाया, हवेली में जोरदार चीख सुनाई दी और बूढ़ी औरत का साया फिर से उनके सामने आ गया। लेकिन इस बार उसकी आंखों में गुस्सा नहीं, बल्कि शांति थी। उसने कहा, “धन्यवाद, तुमने मुझे मुक्ति दिला दी" ”अचानक हवेली की सारी बत्तियां जल उठीं, हवा रुक गई और दरवाजे अपने आप खुल गए। तीनों दोस्त खजाना लेकर बाहर आ गए। उन्होंने वह खजाना गांव के मंदिर में दान कर दिया। इसके बाद से हवेली में कभी कोई अजीब घटना नहीं हुई, और गांव के लोग कहते हैं कि अब वहां कोई आत्मा नहीं भटकती। राज, मोहित और सीमा की बहादुरी की कहानी पूरे गांव में मशहूर हो गई। उन्होंने सबको सिखाया कि डर पर काबू पाकर और सही काम करके हर रहस्य सुलझाया जा सकता है। तो यह थी भूतिया हवेली की डरावनी कहानी। क्या आपको और भी ऐसी कहानियां सुननी हैं? 👻 तो मुझे फोलो कर लीजिए 🤗