The working father in Hindi Motivational Stories by Katha kunal books and stories PDF | मज़दूर बाप

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मज़दूर बाप

मज़दूर बाप

कश्मीर लाल 17 साल का एक नौजवान लड़का था जो राजस्थान से था। सब उसे "लाल लाल" कहकर बुलाते थे। लाल बहुत ही बदतमीज़ और खर्चीला लड़का था, जबकि उसका बाप एक मज़दूर था, जो जगह-जगह जाकर काम मिलने पर घर या दीवारें खड़ा करता था।

लाल सब कुछ जानते हुए भी सिर्फ लोगों की झूठी वाहवाही लूटने और अपनी पर्सनैलिटी बढ़ाने में पागल था। वो अभी +2 में था। एक दिन उसने अपने पापा से कहा, “मुझे साइकिल दिला दो, मेरे सभी दोस्त साइकिल लेकर आते हैं।” पापा बोले, “अभी पैसे नहीं हैं, जब होंगे तो ज़रूर दिला दूंगा।” लेकिन लाल तो जैसे पीछे ही पड़ गया, उसने खाना तक छोड़ दिया इसी बात को लेकर।

पिता शर्मिंदा थे और उन्होंने आखिरकार साइकिल दिला दी। पैसे बाद में देने का वादा किया और साइकिल की कीमत से भी ज़्यादा दे दिए। अब लाल साइकिल लेकर स्कूल गया और सबको झूठ बोलने लगा, “ये साइकिल मैंने पंजाब से मंगवाई है और ये पंजाब की सबसे महंगी साइकिल है।” वो अपने झूठ से अपने क्लास के दोस्तों की वाहवाही लूट रहा था।

कुछ दिनों बाद जब रिज़ल्ट आया, तो पता चला कि लाल फेल हो चुका है। क्योंकि वो तो स्कूल से आकर सिर्फ खेलता था और रात भर मोबाइल गेम्स में लगा रहता। उसके पापा को बहुत गुस्सा आया और उन्होंने उसकी साइकिल बेच दी। उससे जो पैसे मिले, वो दुकानदार को दे दिए।

लाल गुस्से में बोला, “पापा आपने मुझसे बिना पूछे साइकिल क्यों बेच दी? अब मैं स्कूल नहीं जाऊंगा।” यह बोलकर वो दोस्तों के साथ पार्क में खेलने चला गया। घर में उसका बाप परेशान बैठा सोच रहा था कि अब क्या करें। फिर उसने सोचा, शायद मेरी परवरिश ही गलत रही है, क्योंकि लाल की मां तो बचपन में ही उसे अलविदा कह चुकी थी।

अब लाल के पापा ने सोचा, “अगर ये बिगड़ा है मेरी वजह से, तो सुधरेगा भी मेरी वजह से ही।” उन्होंने घर में साधारण खाना बनाया। लाल ने कहा, “मैं नहीं खाऊंगा, मुझे होटल वाला खाना चाहिए।” पिता बोले, “नहीं मिलेगा, जा खुद कमा कर खा।”

लाल बोला, “हां, खा लूंगा, और आपसे ज़्यादा पैसे भी कमाऊंगा और खाना भी अमीरों वाला खाऊंगा।” ये सुनकर पिता खुश हो गए, कि इसी बहाने कुछ तो करेगा। अगले दिन का इंतज़ार था और वो दिन भी आ गया।

लाल एक आदमी के साथ काम पर गया। उस आदमी ने कहा, “मैं तुझे 400 रुपये दूंगा, बस इन सभी ईंटों को यहां से उठाकर मेरे पास जल्दी लाना है।” लाल ने हाँ कर दी।

काम शुरू हुआ, लाल धूप में लगा रहा और हार नहीं मानी। फिर उस आदमी ने गुस्से में कहा, “ज़्यादा ईंटें ला, एक-एक क्यों ला रहा है, जल्दी कर नहीं तो पैसे नहीं मिलेंगे।” लाल जल्दी-जल्दी ईंटें लाने लगा। आधा काम खत्म हुआ तो उसने बैठकर खाना खाया, फिर काम में लग गया और शाम तक काम करता रहा।

जब उसे 400 रुपये मिले, तो उसने सोचा, “इतनी मेहनत के बाद सिर्फ 400?” घर पहुंचा तो पापा ने कहा, “लाल जा बाज़ार से कुछ खाने को ले आ।”

लाल गया और जब उसने खाने का सामान मांगा तो दुकानदार ने 200 रुपये ले लिए। लाल सोचने लगा, “ये तो आधे पैसे तो ऐसे ही खत्म हो गए।” फिर उसने कहा, “कोई सस्ता दे दो।”

घर आकर जब पापा ने कहा, “मुझे ये नहीं वो खाना चाहिए,” तो लाल रोने लगा और बोला, “पापा सॉरी, ये मैंने बहुत मेहनत से कमाए थे और आप भी इतनी मेहनत से कमाते हो। मैं बेवजह पैसे खर्च करता था। अब से मैं ऐसा कभी नहीं करूंगा। मेहनत से पढ़ाई करूंगा और नौकरी करूंगा ताकि आपकी मेहनत सफल हो।”

लाल के पापा के चेहरे पर खुशी और आंखों में आंसू ये बयान कर रहे थे कि अब शायद ही लाल कभी गलत रास्ते पर जाएगा।