Chehra - 1 in Hindi Thriller by Marshal books and stories PDF | चेहरा - 1

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चेहरा - 1

वह लड़का उस जगह से बेतहासा भागने की कोशिश कर रहा था। उसे अपने सामने एक सीधी सड़क नजर आ रही थी। और चारों तरफ बस अंधेरा। सामने से देखने से लग रहा था कि वह सड़क कभी खत्म नहीं होगी। वह लड़का बस उस जगह से भागना चाहता था। अचानक से ऐसा लगने लगा कि आसमान में बादल आ गए हैं, पर पहले आसमान जैसी कोई चीज ही नहीं थी सिर्फ कोरा अंधेरा था। अचानक से सामने का दृश्य बदलने लगा।वो किसी पुराने गांव जैसा था। झोपड़िया, कुएं , घास के ढेर और पुराने जमाने में चलने वाली साइकिले।

वह लड़का तेज तेज सांस लेते हुए चौराहे के बीच में खड़ा था। उसने फिर चारों तरफ देखा "यह मैं कहां आ गया?"

वह गांव एकदम सुनसान नजर आ रहा था जैसे वहां पर कोई रहता ही नहीं। एक मनहूसियत भरी शांति फैली थी पूरे गांव में। उस लड़के का पूरा शरीर पसीने से भीग चुका था।उसने चारों तरफ देखा पर चारों रास्ते एक जैसे थे।

वह लड़का आगे बढ़ने ही वाला था कि अचानक से चारों तरफ का दृश्य बदल गया। अब वो जंगल के बीचो-बीच का दृश्य था। बिल्कुल वैसा ही नीम अंधेरा।
"मैं जानता हूं यह तुम ही कर रहे हो! छुपने का कोई मतलब नहीं,"वह लड़का चिल्लाया!

उसकी तेज आवाज पूरे जंगल में गूंजने लगी। पर कोई जवाब नहीं आया बस उसकी आवाज गूंज रही थी।
अचानक से उस लड़के को अपने कंधे पर किसी का हाथ महसूस हुआ। लड़का तेजी से पलटा। और जो उसने देखा
वह दिमाग को हिला देने वाला था। उसके सामने मुस्कुराता हुआ वो खुद ही खड़ा था। सामने वाले के चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान थी।

"जिसे तुम ढूंढ रहे हो वो तुम खुद हो।"सामने वाले ने कहा।

वह लड़का दो कदम पीछे हट गया।
"न..न..नहीं! नहीं! यह सच नहीं है! मैं जानता हूं ये तुम ही हो! तुम मुझे बहका रहे हो!"लड़के की आवाज में डर साफ नजर आ रहा था।

"चेहरा झूठ नहीं बोलता"


"पर तुम मेरा चेहरा नहीं हो!"लड़का पूरी ताकत लगा कर चिल्लाया।


"ठीक है!"कहकर वह सामने वाला गायब हो गया!


अचानक से फिर दृश्य बदल गया। अब वह शहर के बीचो-बीच पहुंच गया था। यह शहर उसका जाना पहचाना था। चहल फहल थी और लोग इधर-उधर घूम रहे थे।
"मैं वापस आ गया हूं?"लड़के ने कहा लेकिन उसकी नजर वहां घूम रहे एक इंसान की तरफ गई! उसका चेहरा हूबहू उस लड़के जैसे था। और केवल उसका ही नहीं, कार से जा रहे उस बिजनेसमैन का चेहरा, चाऊमीन के ठेले पर चाऊमीन बेच रहे आदमी का चेहरा, यहां तक की टोकरी में मछली बेचने वाली औरत का चेहरा सारे चहरे उसके खुदके जैसे थे।

वह खुद को अलग-अलग रूपों में देख सकता था।
"ये क्या हो रहा है मेरे साथ ?"

तभी उसकी नजर सड़क के दूसरी तरफ खड़े उस शख्स पर गए। वह उसकी तरफ व्यंग्यात्मक मुस्कान के साथ देख रहा था। वो वही था जिसकी उसको तलाश थी।
उसे पकड़ने के लिए लड़का उसकी तरफ दौड़ा पर अचानक से बीच सड़क पर फिसल कर गिर गया। एक तेज गाड़ी उसकी तरफ आ रही थी। डर के मारे उस लड़के की आंखें बंद हो गई। पर वह गाड़ी उसे छूती इससे पहले ही दृश्य बदल गया।


वह एक शमशान में था। दौड़ने भागने की हिम्मत अब उसमें खत्म हो चुकी थी। वो हांफते हुए खड़ा हो गया।
उसके आसपास कुछ भी सामान्य नहीं था। उसके आसपास बहुत सारे लोग बेशुद धोकर घूम रहे थे। वह किसी ढांचे के समान सीधे चल रहे थे। वह उसके पास से गुजर रहे थे। कुछ के चेहरे पूरे थे तो कुछ के अधूरे। वह लड़का समझ चुका था कि यह जिंदा इंसान नहीं है। यह सब खोए हुए चेहरे हैं। जो अब भटकती और अधूरी आत्माएं बन चुके थे। उनकी पहचान अधूरी हो चुकी थी और मिटने वाली थी।



उसने सामने देखा तो उसके सामने वहीं खड़ा था। वो खुद 
जिसे वो ढूंढ रहा था।
अचानक से वह सारी आत्माएं गायब हो गई। अब बस वह लड़का और सामने वह शख्स था।
" ये सब तुम कर रहे हो ना।"लड़के ने चिल्ला कर कहा।

सामने वाला वह शख्स धीरे से मुस्कुराया।
" नहीं! ये सब मैं नहीं कर रहा हूं! खुद के अंदर झांक कर देख यह सब खुद तू कर रहा है!"कुटिल मुस्कान के साथ वह शख्स बोला।

लड़के को यूं घबराया देख वह शख्स उसके चारों तरफ गोल-गोल घूमने लगा " वह मैं नहीं था जिसने मुझे बुलाया वह तू था! तूने  मुझे चुना! मेरे आने का जरिया तू है!

"मैं यह सब खत्म कर दूंगा, तुम्हें खत्म कर दूंगा और इस दुनिया को खत्म कर दूंगा! मैं तुझे दूसरों की पहचान के साथ खिलवाड़ करने नहीं दूंगा"लड़के ने आत्मविश्वास के साथ कहा।

"तू मुझे रोकने आया है? तू खुद आईने की एक दरार बन चुका है!" 
उस शख्स ने एक बार फिर कुटील मुस्कान के साथ कहा।

लड़का सवालिया नजरों से उस शख्स की तरफ देख रहा था। उस शख्स ने फिर बोलना शुरू किया।
"तू परेशान हो चुका था खुद की पहचान से! तुझे किसी ने शिकार बनाया नहीं बल्कि तू खुद शिकार बना। तुझे क्या लगा तू यहां आएगा और सबको मारकर हीरो बन जाएगा? पर तू भूल गया मैं खुद कुछ नहीं हूं, जो भी है तू है! तुझे क्या लगा मैंने तुझे बुलाया नहीं बल्कि आईने ने तुझे बुलाया। तूने अब तक जिसे भी देखा वह सब आईने की दरारें थी। यह मैं नहीं बोल रहा हूं बल्कि तू खुद बोल रहा है, तूने मुझे खुद से जोड़ दिया है, अब जो तेरा है वह मेरा है, जब तक तू है तब तक मैं हूं!"

"तूने मेरे साथ जो किया वह तो किया पर बाकी लोगों के साथ भी! तूने सबसे उनके चेहरे छीन लिए! क्या मिला तुझे यह सब करके? तू सालों पहले मर चुका था तो अब वापस क्या करने आया है?"वह लड़का गुस्से से बोला।

वह शख्स फिर मुस्कुराया।
"मैं तो बस मोहरा हूं!"


वह लड़का कुछ बोलने वाला ही था कि अचानक से सारा दृश्य बदल गया। वह दोनो अब ऐसी जगह में थे जहां चारों तरफ बस आईने थे। कही छोटे आईना थे तो कहीं बड़े आईने। हर आईने में किसी न किसी का चेहरा कैद था।
सामने की आईने में वह लड़की कैद थी जिसे वो लड़का जानता था।

"हर चीज का ऑपरेटिंग सिस्टम होता है। इस दुनिया का ये है। शीशे की दुनिया!"उस शख्स ने कहा और अजीब से तरीके से हंसा।

"हर इंसान अपनी असली शख्सियत चहरे के पीछे छुपाए रखना है। हर चेहरे के पीछे एक कहानी छुपी है। कोई नहीं जानता कि वो क्या है?"कहते-कहते हुए वो शख्स उस लड़के के चारों तरफ घूमने लगा।

उसने फिर बोलना शुरू किया "तुझे यहां जो भी दिख रहे हैं वह सब तेरे जैसे हैं! सब अपनी पहचान से थक चुके हैं।
इनका होना या ना होना बराबर है। ये सब दुनिया में रहेंगे तो बर्बादी के अलावा कुछ नहीं होने वाला। इससे तो अच्छा है जो लोग जीना चाहते हैं वह इनकी जगह रहे।।।
जैसे तेरी जगह मैं"

लड़का बस सुन रहा था। उसने एक नजर सामने आईने में कैद उस लड़की को देखा। उसके चेहरे पर अजीब सा डर और दर्द नजर आ रहा था। वह बस किसी पुतले के भाती आईने में खड़ी थी।

लड़का बेबस था। उसके हाथ पांव कांप रहे थे। अचानक से उसके दिमाग में कुछ घूमने लगा। उस लड़की ने जो कहा था "याद रखना! चाहे कुछ भी हो जाए तुम्हें हारना नहीं है! मैं जानती हूं तुम यह सब खत्म कर दोगे! बस खुद पर विश्वास रखना! अपने परिवार के लिए और मेरे लिए!"

जैसे ही उसने उसे लड़की के शब्द याद कीए  उसके दिमाग में एक बात और आई जो उस शख्स ने कहा था
"मेरे आने का जरिया तू है! तू और मैं एक है।"


"चला जा वापिस ! कुछ सही नहीं होने वाला!"
सामने खड़े उस शख्स ने कहा।


लड़के ने कुछ नहीं कहा और एक जगह खड़ा रहा। बहुत कुछ उसके दिमाग में चल रहा था।
"अब जा ! रोक सकता है तो रोक कर बता!"


अचानक से फिर दृश्य बदला और वह लड़का अब अपने कमरे में आ चुका था। ठीक शीशे के सामने। वो शीशे में खुद को देख पा रहा था। अभी भी उसका चेहरा उतना ही बेबस नजर आ रहा था।
"उसके आने का जरिया मैं हूं! मैं और वो एक है! ये सबकुछ वो कर रहा है। अगर मैं और वो एक ही है तो ऐसा भी तो हो सकता है कि मैं नहीं तो वह नहीं।"
उस लड़के ने आईने में खुद को देखकर कहा।


उस लड़के ने अपना फोन निकाला और किसी को कॉल किया । एक दो कॉल रिंग करने पर सामने वाले ने फोन उठा लिया।
"याद आ ही गई हमारी!"सामने से एक आदमी की आवाज है!

"सॉरी पापा! सोचा था आपको एक अच्छी जिंदगी दूंगा! पर शायद मैं नहीं कर सकता!"

लड़के ने कहा तो सामने से अबकी बार एक औरत की आवाज आई जो चिंता में थी। " ऐसा काहे बोल रहा हैं?
कुछ हुआ है का? हमें नहीं चाहिए पैसे वाली नौकरी! बस तू खुश रह!"

"आई लव यू मम्मी पापा! भगवान से दुआ करूंगा अगले जन्म में आपका ही बेटा बनाए"

"अरे सुन...... सामने से आवाज आई ही थी कि लड़के ने कॉल कट कर दिया।

फिर उसने किसी और को कॉल किया।
"कहां है तू?"सामने से आवाज आई।


"सच मेरे सामने है! सब कुछ बदल रहा हूं मैं! मेरी फैमिली को संभाल लेना बस तुझ पर भरोसा है!"कहकर लड़के ने कॉल कट कर दिया!


इस वक्त वो शीशे के सामने फिर मुस्कुराते हुए खड़ा था।
"मैं नहीं जानता इससे कितना ठीक होगा? क्या ठीक होगा? पर इतना जरुर जानता हूं तुम्हारा वजूद मिट जाएगा।"इस वक्त लड़के की आंखों में एक जुनून नजर आ रहा था।

उसने ड्रावर खोला तो उसमें एक पिस्तौल थी। उसने पिस्तौल को देखा और फिर हजारों सवाल उसके दिमाग में चल रहे थे। उसके सपने, उसका परिवार, उसके दोस्त। सब कुछ। उसका फोन बार-बार रिंग कर रहा था। उसने पिस्तौल अपने हाथ में ली और अपनी कनपटी पर रखकर ट्रिगर दबा दिया। जैसे सब कुछ थम गया।


टेबल पर पड़ा उसका फोन अभी भी रिंग कर रहा था।



उसके सामने वाला आईना धीरे-धीरे चटक गया। और एक तेज आवाज के साथ बिखर गया। 



जारी है......


कौन है यह लड़का? क्या संबंध है उसका उस शख्स से?
आईने में कैद वो लड़की कौन थी? क्या है इनकी कहानी ?
जानने के लिए पढ़ते रहिए " चेहरा "!