Jawan Ladka - 2 in Hindi Human Science by Katha kunal books and stories PDF | जवान लड़का – भाग 2

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जवान लड़का – भाग 2



जैसा कि आपने पहले भाग में पढ़ा, हर्ष एक ऐसा किशोर था जो शारीरिक जिज्ञासा और मानसिक उलझनों में घिरता जा रहा था। उसके मन में उठती बेचैनी अब नियंत्रण से बाहर हो चुकी थी। जब उसने अपने आस-पास के कुछ ऐसे इलाकों की जानकारी ली जहाँ इस प्रकार की गतिविधियाँ होती थीं, तो वह चौंक गया। क्योंकि ऐसा एक क्षेत्र तो उसके घर से सिर्फ़ एक किलोमीटर दूर ही था।

हर्ष ने तय कर लिया था कि अब वह उस जगह पर जाएगा, लेकिन सही समय का इंतज़ार कर रहा था। उसने योजना बनाई कि जब उसके माता-पिता सुबह स्कूल चले जाएँगे और वह घर पर अकेला रहेगा, तभी वह वहाँ जाएगा। उसने पहले से ही कुछ ज़रूरी चीज़ें ऑनलाइन मंगवा ली थीं और अगली सुबह जाने की पूरी तैयारी कर ली।

सुबह होते ही, जैसे ही उसके माता-पिता घर से निकले, हर्ष ने जल्दी से तैयार होकर बाइक निकाली और चल पड़ा उस अंजान मंज़िल की ओर। वो इलाका ज्यादा दूर नहीं था — महज़ 10 मिनट की दूरी पर। जब वह वहाँ पहुँचा, तो आस-पास का माहौल देखकर उसका दिल धड़कने लगा। चारों ओर लड़कियाँ ही लड़कियाँ थीं — कोई बड़ी, कोई छोटी, कोई सुंदर, कोई सामान्य। यह सब देखकर हर्ष के मन में उत्सुकता के साथ-साथ डर भी समा गया।

हर्ष मन ही मन सोच रहा था कि कहीं कोई गड़बड़ न हो जाए। उसे डर था कि अगर कोई परेशानी हुई तो वो फँस सकता है। लेकिन फिर उसने सोचा — "अब जो होगा, देखा जाएगा।"

उसी समय, एक लड़की ने उसे इशारा किया और कहा, "इधर आओ, सिर्फ़ 300 रुपए लगेंगे।"
हर्ष थोड़ी हिचकिचाहट के बाद उसके पीछे चल पड़ा। वह लड़की उसे एक संकरी गली से होते हुए एक झोपड़ी जैसे कमरे तक ले गई। वहाँ आसपास कोई नहीं था, माहौल पूरी तरह सुनसान था। लड़की ने अंदर जाकर कहा, "अगर सब कुछ करना है तो 500 रुपए देने होंगे।" हर्ष ने थोड़े संकोच के बाद पैसे दे दिए और अंदर बैठ गया। वो लड़की ने हर्ष का हाथ पकड़ा और बोली तुम वैसे बहुत खूबसूरत हो। पर एक दम से बाहर हफ्डा दफ्डी मच गई। हर्ष उन सब से अनजान था।

पर फिर उसकी किस्मत ने उस दिन उसका साथ नहीं दिया। अभी वह सोच ही रहा था कि दरवाज़े पर जोर-जोर से दस्तक होने लगी। पुलिस की रेड पड़ चुकी थी। भगदड़ मच गई। हर्ष जल्दी से वहाँ से भागा, अपनी बाइक उठाई और तेजी से घर की ओर रवाना हो गया।

घर पहुँचते ही उसने बाइक अंदर की और भागते हुए सीधे अपने कमरे में चला गया। उसका दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था और मन में डर था कि अगर आज वह पकड़ा जाता, तो समाज और परिवार के सामने उसकी क्या इज्ज़त रह जाती? यह सोचकर वह गहरी चिंता में डूब गया।

उस रात हर्ष बहुत सोचता रहा। उसने पहली बार समझा कि सिर्फ़ शारीरिक इच्छा के पीछे भागना जीवन का हल नहीं है। अब वह कुछ नया, कुछ बेहतर करने का सोचने लगा था — ऐसा कुछ जो उसकी जिंदगी को सही दिशा दे सके।