Nisha ki Haweli - 3 in Hindi Horror Stories by Rakesh books and stories PDF | निशा की हवेली - 3

The Author
Featured Books
Categories
Share

निशा की हवेली - 3



साक्षी के हाथों में एक पुरानी किताब थी—वही किताब, जिसमें वह तंत्र-मंत्र और आत्मा की हर शैतानी शक्ति को समझने की कोशिश करती थी। किताब में कुछ खास बातें लिखी थीं:
*"जब कोई बुरी आत्मा पुनर्जन्म के रूप में लौटती है, तो उसका उद्देश्य होता है—वो आत्मा न केवल अपनी अधूरी मुक्ति पाती है, बल्कि एक नया शरीर लेने के बाद वह अपनी अधूरी कड़ी को पूरी करती है।"*
इसका मतलब साफ था, **मधुरिमा अब सिर्फ एक आत्मा नहीं, बल्कि एक ज़िंदा शरीर में समाई हुई है।**

साक्षी और विवेक दोनों इस बारे में सोचने लगे। क्या अनामिका सच में वही महिला है? क्या वह अब अपने उद्देश्यों को फिर से पूरा करना चाहती है?

विवेक ने गंभीरता से पूछा, "साक्षी, क्या तुम सोचती हो कि अनामिका में मधुरिमा की आत्मा है?"

साक्षी ने धीरे से कहा, "मुझे लगता है कि वही है। और अगर हम उसे जल्द नहीं रोके, तो वह आरव तक पहुँच सकती है। हमें इसे न सिर्फ बचाने का, बल्कि खत्म करने का कोई तरीका ढूंढना होगा।"

साक्षी ने किताब के पन्ने पलटे और एक खास तंत्र मंत्र पर उसकी नज़र पड़ी। वो मंत्र था—*"आत्मा का संहार"*। इसमें लिखा था कि एक बुरी आत्मा को इस दुनिया से पूरी तरह मिटाने के लिए, उसे उसके शरीर से अलग करना जरूरी होता है। लेकिन यह प्रक्रिया बेहद खतरनाक थी। अगर कुछ भी गलत हुआ तो न केवल आत्मा, बल्कि उसका शरीर भी पूरी तरह नष्ट हो सकता था।

"हमें यह करना ही होगा," साक्षी ने कहा, "अगर हम इसे वक्त पर नहीं रोके तो हम सभी खत्म हो सकते हैं।"

---

**वह रात:**

साक्षी और विवेक ने अनामिका को फिर से पकड़ने की योजना बनाई। उन्होंने एक अजीब सा मंत्र जपा और उसके बाद रात के अंधेरे में अनामिका के कमरे में गए। कमरे का माहौल घना और भयंकर था, जैसे अंदर की हवा ही भारी हो। अनामिका के शरीर पर एक काले रंग की आभा थी, जैसे कोई शक्तिशाली राक्षस उसकी आत्मा को नियंत्रित कर रहा हो।

साक्षी ने विवेक से कहा, "अब हमें जल्दी करना होगा।"

विवेक ने डरते हुए कहा, "क्या होगा अगर यह प्रक्रिया गलत हो जाए?"

"अगर हम गलत करते हैं, तो हम सब भी उस आत्मा के साथ खत्म हो सकते हैं। मगर अगर हमने सही किया, तो अनामिका को राहत मिलेगी और मधुरिमा की आत्मा अंततः खत्म हो जाएगी।"

साक्षी ने तंत्र मंत्र का उच्चारण करना शुरू किया। जैसे ही उसने मंत्र पढ़ा, कमरे का तापमान अचानक गिर गया। चारों ओर अजीब सी घबराहट महसूस होने लगी। अनामिका की आँखों से आँसू बहने लगे, लेकिन उसके चेहरे पर एक डरावनी मुस्कान थी।

विवेक डरते हुए बोला, "क्या हो रहा है?"

साक्षी ने उसे शांत करते हुए कहा, "चुप रहो, ध्यान से सुनो… अब हमें उसकी आत्मा को बाहर लाना होगा।"

लेकिन तभी अचानक अनामिका की आँखों में एक खौ़फनाक बदलाव आया। वह दीवारों से चिपकने लगी और उसकी आवाज़ें बदलने लगीं—"तुम मेरी शक्ति को रोक नहीं सकते… मैं अब सभी को नष्ट करूंगी।"






कमरे की हवा बेहद भारी हो चुकी थी। साक्षी और विवेक दोनों अजनबी डर से कांप रहे थे, क्योंकि जो कुछ भी हो रहा था, वह सामान्य नहीं था। अनामिका का चेहरा अब किसी और का था। उसकी आँखें उस गहरे काले रंग में बदल चुकी थीं, जैसे वह पूरी तरह से एक दूसरे संसार में समाई हो। वह अब सिर्फ एक शरीर नहीं, एक प्राचीन शक्ति का वाहक बन चुकी थी।

"तुम मुझे रोक नहीं सकते!" अनामिका की आवाज़ अब एक विकृत और अजनबी सी हो चुकी थी, और उसकी आँखों में एक अनकही तृष्णा थी।
"मैं वह शक्ति हूँ, जिसे तुम नहीं समझ सकते… मैं तुम सबको नष्ट कर दूँगी।"

साक्षी ने गहरी सांस ली और एक बार फिर किताब की ओर देखा। उसमें लिखा था कि इस तरह के तंत्र से बाहर निकलने के लिए, एक व्यक्ति को उसकी **शक्ति का स्रोत** पूरी तरह से खत्म करना पड़ता था—मगर ये करना आसान नहीं था। किसी को अपनी जान की कीमत पर यह करना पड़ता था।

विवेक ने घबराते हुए पूछा, "क्या हम इसे रोक पाएंगे? क्या अनामिका अब फिर कभी सामान्य हो पाएगी?"

साक्षी ने गंभीरतापूर्वक जवाब दिया, "अगर हम इसे नहीं रोकते, तो यह और भी शक्तिशाली हो जाएगी। और अगर हम असफल हो गए तो… हम सब उसकी शक्ति का हिस्सा बन जाएंगे।"

तभी अचानक अनामिका के शरीर में एक तेज़ झटका आया, और वह गिरकर जमीन पर लुड़कने लगी। उसके बाद एक जबरदस्त चीख़ के साथ वह खड़ी हो गई। उसकी आँखें पूरी तरह से जलने लगीं, जैसे आग में डूबने लगी हों।

"यह सब तुम्हारा ही किया हुआ है!" अनामिका ने अब साक्षी की ओर घूरते हुए कहा, "तुमने मुझे एक बार फिर से जीवित किया, और अब तुम ही मेरी दुश्मन बन गई हो!"

साक्षी ने अपनी हिम्मत जुटाई, और तंत्र मंत्र पढ़ने की प्रक्रिया शुरू की। "यह तुम्हारी अंत की शुरुआत है, मधुरिमा। तुम इसे रोक नहीं सकती।"

विवेक ने उसे समझाया, "साक्षी, हम क्या करेंगे अगर यह काम नहीं करता?"

"हम उसे उसकी खुद की शक्ति से हारने देंगे। हमें उस तक पहुँचने के लिए उसकी खुद की शक्तियों का इस्तेमाल करना होगा। हमें उस तक पहुंचने से पहले, उसे उसके **शक्तिशाली स्रोत** से वंचित करना होगा।"

साक्षी ने मंत्र की प्रक्रिया को और तेज़ कर दिया। अनामिका के शरीर में हलचल तेज़ हो गई, जैसे वह उसे अंदर से तोड़ने की कोशिश कर रही हो। अचानक, एक जोश से भरी आवाज़ गूंज उठी—

"तुम मेरी आत्मा नहीं छू सकते, मैं इसे खा जाऊँगी!"

साक्षी ने अपनी आँखें बंद कर लीं, और एक आखिरी मंत्र का उच्चारण किया—*"तू इस शरीर से बाहर निकल, तेरी शक्ति को समाप्त कर।"*

साक्षी के शब्दों के साथ, कमरे में हलचल तेज़ हो गई। जैसे ही मंत्र पूरी तरह से उच्चारित हुआ, अनामिका की आंखों से काले धुएं की लपटें निकलने लगीं। उसने जोर से चीखते हुए अपने शरीर को मोड़ लिया, और वह हवा में उड़ने लगी।

फिर अचानक, **साक्षी का मंत्र सफल हो गया**। अनामिका के शरीर से एक काला धुंआ बाहर निकलता हुआ देखा गया, और वह पूरी तरह से गायब हो गया। हवेली की हवा शांत हो गई, जैसे कुछ हुआ ही नहीं था।

साक्षी ने राहत की सांस ली और कहा, "हमने उसे हराया, लेकिन ये सब खत्म नहीं हुआ है। अब हमें ये देखना होगा कि उसकी वापसी के पीछे असली कारण क्या था।"

विवेक ने कहा, "लेकिन साक्षी, एक सवाल है—आरव कहाँ है? और क्या हम उसे समय रहते बचा पाएंगे?"

साक्षी की आँखें कांपने लगीं। वह सोच रही थी, **क्या आरव मधुरिमा का अगला लक्ष्य होगा?**

**नेक्स्ट:**

अब साक्षी और विवेक को यह पता लगाना होगा कि मधुरिमा के पुनर्जन्म का वास्तविक उद्देश्य क्या था। क्या वह केवल अपनी अधूरी मुक्ति चाहती थी, या उसके पीछे कोई और घातक खेल था? क्या आरव अब उसके जाल में फंस चुका था?