Love and Cross - 3 in Hindi Love Stories by Saurabh Sangani books and stories PDF | Love and Cross - 3

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Love and Cross - 3

अध्याय 9: तू गया, पर मैं कभी रुका नहीं

तू चला गया — बिना कोई शक,

बिना कोई शोर।

और मैं वहीं खड़ा रहा कुछ वक़्त,

जैसे कोई अधूरी किताब

आखिरी पन्ने के इंतज़ार में खुली रह जाए।

1. जाने वालों को रोका नहीं जाता

मैंने तुझे रोका नहीं।

क्योंकि जो जाना चाहता है,

उसे रोकने से वो रुकता नहीं —

बस और दूर चला जाता है।

और मैं तुझसे दूरी नहीं चाहता था,

मैं सिर्फ़ तेरी ख़ामोशी को पहचानना चाहता था।

2. बिन बताए गए अलविदा

तेरा जाना कोई धमाका नहीं था,

वो तो एक धीरे-धीरे बुझता दिया था

जिसे मैं रोज़ हवा से बचाता रहा

जबकि तू खुद ही दूर होता गया।

अब मुझे याद नहीं

तेरी आख़िरी बात क्या थी —

क्योंकि तुझमें अब

कुछ आख़िरी बचा ही नहीं था।

3. मैं नहीं रुका

तेरे जाने के बाद

मैं वहीं नहीं रुका

जहाँ तू मुझे छोड़ गई थी।

मैं चला… थोड़ा भारी होकर,

थोड़ा टूटकर, थोड़ा बदलकर।

पर मैं चला।

अंतिम पंक्तियाँ:

तू गया। और मैं रुकता तो शायद टूट जाता।

इसलिए नहीं रुका।

क्योंकि अब मैंने सीख लिया है —

कुछ लोग तुम्हें अधूरा छोड़ते हैं,

ताकि तुम खुद को पूरा करना सीखो।

अध्याय 10: जिसे प्यार नहीं कहते, वो ही सबसे गहरा था

कभी हमने इस रिश्ते को ‘प्यार’ नहीं कहा।

ना तुमने, ना मैंने।

पर फिर भी —

तेरी एक मुस्कान

मेरा दिन बना देती थी।

तेरा एक ‘ठीक हूँ’

मेरे अंदर की बेचैनी को सुला देता था।

1. नाम से परे

हम कभी प्रेमी नहीं थे —

पर जो हम थे,

वो प्रेमियों से कहीं ज़्यादा था।

हम एक-दूसरे की सबसे गहरी थकान थे,

और सबसे सुकून वाली ख़ामोशी।

2. प्यार की परिभाषा

अगर प्यार वो है

जहाँ हर जवाब जरूरी होता है —

तो हमारा रिश्ता शायद प्यार नहीं था।

पर अगर प्यार वो है

जहाँ जवाब के बिना भी समझ बाकी रहे —

तो फिर, हम सबसे गहरे प्रेम में थे।

3. कुछ रिश्तों को कहना मना है

हमें लोगों के सामने कुछ नहीं कहना आता था।

तू चुप रहती,

मैं भी — पर अंदर…

हम दोनों एक-दूसरे की धड़कन की आवाज़ पहचानते थे।

हमें नाम नहीं चाहिए था।

हमें कोई स्टेटस नहीं चाहिए था।

हमें बस वो मौजूदगी चाहिए थी

जो किसी स्पष्टीकरण से परे हो।

अंतिम पंक्तियाँ:

हमने एक-दूसरे को प्यार कहा नहीं,

क्योंकि शब्द कम पड़ जाते थे।

पर अब जब तू साथ नहीं है,

तो मैं समझ पाया हूं —

जिसे प्यार नहीं कहते थे,

वो ही सबसे गहरा था।

अध्याय 11: प्रेम, जिसे लिखा नहीं जा सकता

कुछ प्रेम ऐसे होते हैं

जिन्हें लिखने की कोशिश करो तो

शब्द छोटी जगह लगने लगते हैं।

वो ना काग़ज़ पर उतरते हैं,

ना ज़ुबान पर।

वो बस…

सीने में कहीं थमे रहते हैं।

1. जब भावनाएं शब्दों से आगे निकल जाएं

मैंने कई बार सोचा

तुझ पर कुछ लिखूं।

कोई कविता,

कोई ख़त,

कोई अधूरी सी कहानी।

पर हर बार

शब्दों ने साथ छोड़ दिया —

जैसे मेरा दिल जानता हो

कि तू सिर्फ़ लिखा नहीं जा सकता।

2. तू एक अनुभव थी

तू कोई नाम नहीं थी।

तू कोई तारीख नहीं थी।

तू वो एहसास थी

जो हर बार मेरी रूह के किनारे टकरा जाती थी

और लौट जाती थी —

बिना आवाज़ किए।

3. कितनी बार लिखा… मिटाया

मैंने तुझे लिखा कई बार

फोन की नोट्स में,

डायरी के आखिरी पन्नों पर,

मन के खाली कोनों में।

और हर बार,

मुझे लगा —

“ये नहीं है तू।”

क्योंकि तू…

लिखने लायक कभी थी ही नहीं।

अंतिम पंक्तियाँ:

कुछ प्रेम कहे नहीं जाते,

कुछ समझाए नहीं जाते,

और कुछ —

लिखे ही नहीं जा सकते।

क्योंकि वो सिर्फ़ महसूस किए जाते हैं।

सांसों की तरह…

धड़कनों की तरह…

तू मेरी ख़ामोशी की सबसे ज़िंदा भाषा थी।

अध्याय 12: Love & Crosses — अंतिम पन्ना

मैंने बहुत कुछ लिखा —

तेरे बारे में,

हमारे बारे में,

मेरे उस हिस्से के बारे में

जो तुझे कभी कह नहीं पाया।

पर अब लगता है,

लिखना बंद नहीं हुआ…

बस, अब लिखने की ज़रूरत नहीं बची।

1. प्यार थमा नहीं, बस शांत हो गया

तू अब भी कहीं ज़िंदा है —

शायद किसी और की बातों में,

किसी और की बाहों में।

और मैं?

मैंने तुझे जाने दिया,

पर उस हिस्से को रख लिया

जो कभी तुझमें जिंदा था।

2. Crosses से सीख मिली

हर तकलीफ ने मुझे सिखाया —

प्रेम सिर्फ़ साथ होने का नाम नहीं है,

वो कभी-कभी सिर्फ़ सह लेने का भी नाम है।

तेरा होना,

तेरा जाना,

तेरा न कहना —

सबने मुझे लिखा।

3. अब अगर तू लौटे…

अब अगर तू लौटे भी,

तो शायद मैं वहीं न रहूं

जहाँ तूने छोड़ा था।

अब मैं तुझसे कुछ नहीं मांगता,

ना प्यार,

ना माफ़ी।

अब मैं खुद से मिल चुका हूं।

अंतिम पंक्तियाँ:

इस किताब का आख़िरी पन्ना

तेरे नाम नहीं है।

ये उस मैं के नाम है

जो हर बार टूटा,

और फिर भी लिखा।

Love & Crosses सिर्फ़ एक रिश्ता नहीं था,

ये मेरी आत्मा का आईना था।

अब बस…

पन्ना बंद होता है।

कहानी नहीं।