Monster the risky love - 49 in Hindi Horror Stories by Pooja Singh books and stories PDF | दानव द रिस्की लव - 49

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दानव द रिस्की लव - 49

अघोरी बाबा जिंदा है........

विवेक : अदिति संभालो अपने आप को ....ओह गॉड... मैं भी क्यूं (कुछ सोचकर).... डाक्टर को बुलाना पड़ेगा... लेकिन मैं कहूंगा क्या...?..... मेरे किस करते ही अचानक अदिति की तबीयत बिगड़ गई.....?..... आखिर ऐसा कैसे हो सकता है....?

तभी पीछे से आवाज़ आई..." अदिति को क्या हुआ...?...."

अब आगे............

विवेक पीछे मुड़ता है....." कंचन तुम...."

कंचन : साॅरी विवेक अचानक आने के लिए.... वो मेरा फ़ोन यही रह गया था और पापा से बात करनी थी बस इसलिए....

विवेक : कोई बात नहीं......

कंचन : वैसे अदिति को क्या हुआ....?.... अभी तो बिलकुल ठीक थी फिर

विवेक कंचन की बात सुनकर सोचने लगता है.." क्या बताऊं तुम्हे...कि मेरे किस करते ही अचानक अदिति बेहोश हो गई... ओह लेकिन कैसे..?..

कंचन : विवेक कहां खो गए....?

विवेक  : ह...कहीं नहीं... वो अदिति को मेडिसिन दी है न‌ इसलिए सो गई...

कंचन : तो तुम इतना परेशान क्यूं हो रहे हो.... चलो उसे आराम करने दो और हम भी अपना काम करते हैं...चले विवेक...

विवेक : हां ठीक है....

कंचन : विवेक मुझे लगता है तुम्हें भी रेस्ट की जरूरत है..तुम भी बहुत ज्यादा टेंस्ड हो रहे हो....

विवेक : मैं ठीक हूं..... चलो प्रिपरेशन करें....

कंचन : हां......

दोनों नीचे हाॅल में पहुंचते हैं.....

श्रुति : हे.... तुम दोनों कहां गायब हो गए थे... हमारी हेल्प करो...

विवेक : हां.....

इधर अदिति के बर्थडे पार्टी की तैयारी हो रही थी उधर तक्ष को बेफ्रिक देख कर उबांक परेशानी से इधर उधर उड़ रहा था..... तभी तक्ष गुस्से में चिल्लाता है....

" उबांक बस कर इधर से उधर घुमना.... क्यूं परेशान कर रहा है मुझे...."

उबांक : दानव राज मुझे माफ़ कर दीजिए.... मैं तो बस यही सोच रहा था आखिर....आप बिल्कुल बेफिक्र होकर बैठे हैं....और वहां वो लड़का फिर कुछ न करके उसकी यादाश्त वापस ले आए ......"

तक्ष ने तीखे शब्दों में कहा..." यादाश्त तो दूर की बात अब वो उसके करीब भी नहीं जा सकता..."

उबांक : कैसे दानव राज....?

तक्ष : मैंने इस बार अदिति को हमेशा के लिए उससे दूर कर दिया है.....अब वो कुछ नहीं कर सकता.... अपनी पूरी से मैंने वशीकरण तावीज बनाया अब वो इतनी आसानी से नहीं निकल सकता जबतक मैं न चाहूं....और अब ज्यादा सवाल करके मुझे परेशान मत कर ....जा यहां से और देखकर आ कोई शिकार जिसे आज मैं मार सकू....

उबांक : जी दानव राज.....(उबांक खिड़की से बाहर जाता है और तुरंत अंदर वापस आ जाता है)...

तक्ष : क्या हुआ...?

उबांक : दानव राज आज ये आदिराज का बेटा बहुत जल्दी घर वापस आ गया.....

तक्ष : क्या (हैरानी से बोलता है)..... इतनी जल्दी क्यूं...?

उबांक : पता नहीं...?...हमें देखना पड़ेगा चलिए नीचे दानव राज....

तक्ष : हां उबांक चल....(दोनों नीचे पहुंचते हैं)...... आदित्य आज तुम इतनी जल्दी आ गये....

आदित्य : हां तक्ष....आज अदिति का बर्थडे है न तो बस वही जाना है.... मैं नहीं गया तो फिर गुस्सा करेगी......

तक्ष : आदित्य...... क्या हम भी चले....?

आदित्य : हां हां क्यूं नहीं.... तैयार हो जाओ...हम थोड़ी में जाएंगे....(इतना कहकर आदित्य अपने रुम की तरफ चला जाता है.... तभी बबिता उसके पास आती है..)

बबिता : तुम ये सही नहीं कर रहे... क्यूं तुम अदिति दीदी के जान के पीछे पड़े हो....

तक्ष झल्लाते हुए कहता है...." अपने काम से काम रखो कहीं उसे बचाने के चक्कर में तुम अपनी बेटी न खो दो...और वैसे भी तुम्हारी बेटी को खाने में बड़ा मज़ा आएगा..

बबिता डर से कहती हैं..." नहीं ऐसा मत करना..."

तक्ष : तो मेरे बीच में आने की तुझे कोई जरूरत नहीं है....और आदित्य तक ये बात पहुंची न तो तू समझ क्या कर दूंगा मैं.....(तक्ष चला जाता है)...

बबिता : हे भगवान..... अदिति दीदी को बचा लो इस पिशाच से.... मैं चाहकर भी किसी को कुछ नहीं बता सकती ...... मैं क्या करूं....?

उधर सारी प्रिपरेशन लगभग हो चुकी थी.... धीरे धीरे फैमिली मेंबर्स पहुंचने लगते हैं....

" सारी प्रिपरेशन हो गई...."

विवेक : भाई आप ..... मां आप सब ..वट ए सर्प्राइज.... अदिति को बहुत अच्छा लगेगा....

इशान : आदित्य ने हमें यहां आने के लिए बोला था....तो जनाब ये बताइए क्या हमें बुलाना आपने जरूरी नहीं समझा...

विवेक : साॅरी भाई... मुझे बिल्कुल मौका ही नहीं मिला...

इशान : अच्छा इतने बिजी हो गये तुम.....

कंचन : भाई विवेक ठीक कह रहा है... यहां सब ऐसा चल रहा था....

सुविता : अरे बेटा... यही बातें कर लोगे अंदर चलो...

इशान : हां... मां.... विवेक आदित्य अभी नहीं आया....

विवेक : भाई आने वाले हैं थोड़ी देर में....

सुविता : अरे ये तो बताओ हमारी बर्थडे प्रिंसिस कहां है....?

कंचन : आंटी जी वो ऊपर रूम में है....

रास्ता रोकते हुए विवेक ने कहा...." बड़ी मां लेकिन अभी उससे मत मिलना... सर्प्राइज है उसके लिए..."

सुविता : ठीक है.....

सब डाइनिंग हॉल में बैठ कर बातें करने लगते हैं...

श्रुति बहुत देर से इधर उधर कुछ ढूंढने की कोशिश कर रही थी... उसे ऐसे खोजबीन करते देख विवेक उससे पुछता है....

" क्या हुआ श्रुति तुम क्या ढूंढ रही हो .... डेकोरेशन में कुछ कमी रह गई है क्या..."

श्रुति : हां विवेक तुम भूल गये....?

विवेक : (मन में बड़बड़ाता है).... कैसे भूल सकता हूं अदिति सिर्फ किस करने से बेहोश हो गई थी...?

श्रुति : विवेक कहां खो गए....?

विवेक : कही नहीं तुम बताओ क्या मिसिंग है...?

श्रुति : विवेक अदिति के फेवरेट पिंक रोज नहीं है कहीं भी...

विवेक : ओ शिट ....ये कैसे भूल सकता हूं...?

कंचन : मैंने कहा था न विवेक तुम्हें आराम की जरूरत है...

विवेक : मेरा मजाक बना रही हो...... तुम दोनों अदिति को रैडी कर देना... मैं पिंक रोज लेकर थोड़ी देर में आया....(विवेक का की लेकर चला जाता है...)

श्रुति : चल अदिति के पास....

कंचन : हां.....

विवेक पिंक रोज लेने के लिए सब जगह घुमता है लेकिन उसे पिंक रोज कहीं नहीं मिलते....

विवेक : अब क्या करूं... कहां मिलेंगे ये ....?..... एक्सक्यूज मी.... यहां आस पास फ्लोवर साॅप नहीं है....?

" है ...आप यहां से लेफ्ट टर्न लेकर जाइए जहां कपल पार्क है वहीं वो फूल बेचने वाला है...."

विवेक : थैंक्यू.....(विवेक बिना देर किये चला जाता है....)

विवेक पिंक रोज लेने के लिए पार्क में एंटर होता है....

विवेक : चलो अच्छा है पिंक रोज मिल तो गये.....

विवेक रोज लेकर जैसे ही बाहर कि तरफ बढ़ता है अचानक किसी से टकरा जाता है......

विवेक : एम सॉरी....

विवेक जैसे ही उस इंसान को देखता है हैरान रह जाता है......

विवेक : आप ....आप तो अघोरी बाबा है न...

" हां हमारी वेशभूषा से तुम्हें क्या लगता है...." चिढ़ते हुए अघोरी बाबा ने कहा...

 

.........to be continued.......

आखिर अघोरी बाबा जिंदा कैसे हो सकते हैं... फिर जो मारे गए थे वो कौन है....?.... जानेंगे अगले भाग में