विवेक की किश से बिगड़ी अदिति की तबियत.....
अब आगे.............
कंचन : पता नहीं इसे क्या हो गया है....?
विवेक : ये जो भी हो रहा है इसके पीछे तक्ष ही है... मैं उसे छोडूंगा नहीं...
श्रुति विवेक की बात को काटते हुए कहती हैं...." विवेक क्यूं तुम बार बार तक्ष को ब्लेम कर रहे हो....
विवेक : तुम्हें कुछ नहीं पता उसके बारे इसलिए शांत रहो... अदिति ने बताया तो वो उसका भेष बदलकर मेरे घर आया था...
श्रुति ने तिरछी नज़रों से विवेक को देखते हुए पुछा..." अच्छा... तो अभी अदिति क्या कह रही थी...कौन सी सच्चाई बतानी है तक्ष के बारे में... मैंने सही कहा न विवेक..."
कंचन हैरानी से पुछती है..." यहां हो क्या रहा है मुझे भी तो कुछ बताओ...."
हितेन सारी बात कंचन को बता देता है.....
कंचन : इसका मतलब कल वो तक्ष था....ओह .... उसने फिर अदिति के माइंड से खिलवाड़ किया है.....?
विवेक : एक मिनट..वो तो अदिति को छू भी नहीं सकता तो फिर उसने अदिति के माइंड से खिलवाड़ कैसे किया...?
कंचन : विवेक अगर अदिति की बात मानें तो वो एक पिशाच है और वो कुछ भी कर सकता है....
श्रुति : तुम लोग अदिति की कंडीशन देख चुके हो वो ठीक नहीं है... अच्छा चलो मान लिया कल शाम को तक्ष ने उसकी यादें मिटाई .... तो उस दिन काॅलेज में अदिति यही कह रही थी की तक्ष एक पिशाच है और जब वो थोड़ी देर बाद होश में आई तो कहने लगी तक्ष कोई पिशाच नहीं है....याद है न विवेक....तब तो तक्ष नहीं था पास में..... फिर.....?..... इसलिए अदिति को डाक्टर की जरूरत है....
कंचन : तू चुप रह .... तुझे तक्ष से प्यार हो गया है इसलिए तू ऐसी बातें कर रही है...
विवेक : नहीं कंचन मुझे लगता है श्रुति ठीक कह रही है .... लेकिन जो भी हो मैं इस तक्ष के बारे में तो जानकर ही रहूंगा और अभी तो हम ये सब बाद में देखेंगे पहले अदिति के बर्थडे पार्टी की प्रिपरेशन करो ....हमारा कल का प्लेन भी बेकार हो गया लेकिन अब नहीं..... कंचन तुम जाओ अदिति का ध्यान रखना....
कंचन : ठीक है.... मैं अदिति का ध्यान रखूंगी तुम सब डेकोरेशन कर लो....
विवेक : हां....(कंचन टेबल से ब्रेकफास्ट कि ट्रे उठाती हैं)...ये किसके लिए कंचन......
कंचन : अदिति के लिए.....
विवेक : गुड...जाओ खिला देना उसे....
कंचन : हां...(कंचन अदिति के रुम की तरफ चली जाती हैं)..
विवेक : चलो अब हम काम पर लगे......
श्रुति : हां.....
तीनों अदिति के बर्थडे पार्टी की प्रिपरेशन में लग जाते हैं... कंचन अदिति के रुम में पहुंचती है.....
" ओ मेरी हिरोइन... कहां खोई हुई है...?.."
अदिति : कंचन...तू
कंचन : क्या हुआ अदिति....?.... क्या सोच रही है....?
अदिति : कुछ नहीं पता नहीं कुछ अजीब सा लग रहा है.... जैसे.....(अदिति सोचने लगती है पर कंचन उसे ख्यालों से बाहर लाती है).
कंचन : कुछ मत सोच और जल्दी से ब्रेकफास्ट खत्म कर समझी तुझे मेडिसिन भी लेनी है तो जल्दी से इसे ख़त्म कर...
अदिति : ठीक है.... कंचन मेडिसिन से क्या होगा...?
कंचन : अदिति तुझे क्या हो गया है... बहकी बहकी सी बातें क्यूं कर रही है...?.... मेडिसिन से तू बिल्कुल ठीक हो जाएगी...
अदिति : अच्छा ठीक है....(अदिति जूस पी लेती है लेकिन कंचन हैरानी से उसे देखती है)..
कंचन अदिति को देखकर सोचने लगती है...." अदिति ने पहले जूस का टेस्ट अजीब बताया अब वो ही पी लिया अब अजीब नहीं लगा..."
अदिति : कंचन.. कहां खो गई..?
कंचन : ह .…कुछ नहीं तुझे जूस अजीब नहीं लगा....?
अदिति : नहीं तो.. पहले लगा था....अब ठीक है...(कंचन कुछ कह नहीं पाती बस सवालिया नज़रों से अदिति को देखती रह जाती है)...
कंचन : (मन में)... अदिति तेरे साथ हो क्या रहा है...?...जो भी हो विवेक जल्द से जल्द उस आफत को खत्म कर दे तो अच्छा होगा...तू तो बिलकुल बदलती जा रही है....
कंचन इतना सोच ही रही थी की दरवाजे पर दस्तक हुई....
कंचन : विवेक.....आओ ... तुम बात करो मैं अभी आती हूं (कंचन चली जाती हैं)...
विवेक : अदिति मेडिसिन ले ली.....
अदिति : तुम मुझे मेडिसिन दे देकर पागल कर दोगे.... इतनी मेडिसिन भी कोई लेता है भला...
विवेक अदिति के पास जाकर बैठता है और उसके हाथ को अपने हाथ में लेते हुए बोला..." ओह अदिति तुम अगर इन्हें नहीं लोगी तो ठीक कैसे होगी....अब तुम्हें मुझे परेशान करने के लिए जल्दी ठीक तो होना पड़ेगा न......"
विवेक की बात सुनकर अदिति के चेहरे पर मुस्कान आती है...
विवेक : चलो अच्छा है मेरी स्वीट हार्ट के चेहरे पर मुस्कान तो वापस आ गई....
अदिति : विवेक मैं तुम्हें परेशान करती हूं.....
विवेक : और नहीं तो क्या....
अदिति : अच्छा रूको मैं बताती हूं...
विवेक : क्या बताओगी स्वीट हार्ट.... अच्छा चलो अब जल्दी से ये मेडिसिन लो और मुझे मेडिसिन दे दो...
अदिति : तुम्हें कैसी मेडिसिन चाहिए...?
विवेक : मेरी मेडिसिन तो तुम्हारी स्वीट सी किस है..अब जल्दी से दे दो वरना मैं
अदिति : वरना मैं क्या....?
विवेक : वरना मैं छिन लूंगा..
अदिति : अच्छा...
विवेक : हां..... तुम नहीं मानोगी.....(अदिति ने में सिर हिला देती है)... रूको...(विवेक अदिति के और करीब जाकर उसके होंठों पर किस कर देता है... अदिति जल्दी से उसे अपने से दूर कर देती है)..
आज अदिति विवेक को पहली बार धक्का दिया था.....
अदिति : विवेक.... तुम्हें हो क्या गया है...?...(इतना कहते अदिति लम्बी लम्बी सांसे लेने लगती..... अदिति को ऐसे देखकर विवेक घबरा जाता है...)
विवेक : अदिति क्या हुआ अचानक....?..... पहले तो कभी ऐसा नहीं हुआ न
अदिति : दूर रहो विवेक......पास मत ...आओ (अदिति बेहोश होने लगती है)...
विवेक : अदिति संभालो अपने आप ....ओह गॉड... मैं भी क्यूं (कुछ सोचकर).... डाक्टर को बुलाना पड़ेगा... लेकिन मैं कहूंगा क्या...?..... मेरे किस करते ही अचानक अदिति की तबीयत बिगड़ गई.....?..... आखिर ऐसा कैसे हो सकता है....?
तभी पीछे से आवाज़ आई..." अदिति को क्या हुआ...?...."
...........to be continued........
आखिर विवेक के किस करने से अदिति की तबीयत क्यूं बिगड़ी बहुत जल्द आपको चल जाएगा.....