१) दो मछलियों बहोत दिनो के बाद दो मछलीयॉं मिली । आपस में बात कर रही थी । एक कह रही कि आदमी कितना धुर्त है, हमे भी खा जाता है। उसपर दुसरी ने कहॉ, "जाने दो बहन, उसके मरने के बाद हम उसे नोचकर खायेंगे । बोध- किसी को छोटा ना समजो । वह भी बदले की बुनियाद रखते है । २) सुरज ऑंधी चल रही थी। बादल छाए रहे थे। बारीश भी हो रही थी। तब उगते हुये सुरज ने कहॉं, "बादल को दिमाग नही की कभी भी आडे आ जाता है।" सुरज की बात छाए बादल ने सुनी और कहॉं, "मेरी बात गौर से सुनो, "अगर आपको दिमाग होता तो ऐसी नौबत नही आती। आप दिनरात मेहनत करते हो। फिर भी इंसान आपको गालियॉं भी क्यों देता है।" बादल की कही बात सुरज के दिमाग में आयी। तब से सुरज छुप गया। वह चार माहतक निकला ही नही और बादल चार महिनों तक बारीश बनकर छाया रहा। बोध- किसीके उकसाने पर उकसना अच्छी बात नहीं। ३) गुलाब और कमल गुलाब हमेशा कमल को चिढ़ाता था। एक दिन वह कमल से बोल रहा था, "देख मै कितना सुंदर हूँ और लोगों के काम आता हूँ, लोग मुझे पसंद करते है। तुम देखो, तुम रहेंगे किचड के किचड में ही।" कमल भैय्याने गुलाब की बातें मन मे न लेते हुए कहॉं, "भाई, हम किचड मे जरुर खिलते है, परंतु किसी को डंख नही मारते।" कमल ने बोली बात गुलाब के समझ में आयी। उस दिन से गुलाब ने कमल को चिढ़ाना ही बंद कर दिया। बोध- किसीको चिढ़ाना गलत बात है। ४) चुहे की धूप "धूप धूप, कितनी कडक धूप" चुहे ने कहॉं। धूप सुन रही थी। धूप को उनकी दया आयी। तभी वहॉ से बादल गुजरा। उसने बादल को कहॉं "भाईसाहब आप मेरी मद्द करो। बादल ने गर्दन हिलाई। कुछ दिन बीत गये। बादल को याद आई धूप की बाते। वह तुरंत दौडकर आया और उसने धूप की मद्द की। जैसे ही उसने धूप की मद्द की ।वैसे चुहॉ भी खुश हो गया और आनंद से नाचने लगा। बोध- किसीकी मदत करना बुरी बात नही है। ५) बंदर की सोच एक बंदर गिलहरीके तरफ देख रखा था और सोच रहा था कि गिलहरी किसीको न डरती हुई मुँगफल्ली खा रही है। वह छोटी सी है। फिर भी डर नही रही है और हम बड़े है। फिर भी डरते है। बंदरर ने ऐसा सोचा और सोच में जलते हुएँ वह नीचे उतरा। वह गिलहरी को चिढ़ा ही रहा था कि पीछे से शेर आया। उसने बंदर को धर दबोचा और बंदर की जान गई। बोध- किसी से जलो मत। बराबरी करो। ६) दर्द एक दिन सागर एक पेड की चहनी कॉंट रहा था। तभी उसका पैर पेड के कॉंटों पर पडा। उसने दर्द हुआ और वह चिल्लाया। तभी पेड बोला, "अब कैसा लगता है।" "अरे, तुम्हे पता नही, मुझे दर्द हो रहा है।" "अब बताओ कि जब तुम मेरा पुरा हाथ कॉंट रहै हो। तब मुझे दर्द नही होता।" सागर को पेड की बाते समझ मे आई और उसने पेड को कॉंटना ही बंद किया। बोध- अपने दर्द के पहले दुसरों का दर्द भी समझ लो। ७) गॉंव और शहर सुमन शहर जा रही थी। उसे शहर की याद आ रही थी। वह गॉंव आई थी। उसे कॉपी अच्छा लगा। राहत महसूस हुई। मगर उसे शहर भी जाना था। जिस शहर ने उसका पालन पोषन किया था। आज वह गॉंव को नही भुली थी। जिस गॉंव के अनाज से शहर चलता था। मगर उसे शहर भी उतना ही प्यारा था। उस शहर ने भी उसका पेट पाला था। बोध- अच्छे लोग किसी चीज मे फर्क नही करते। ८) नदीबहन लोग नदियों मे कुडा डालकर नदियों को गंदा कर रहे थे। एक दिन नदीबहन रुठ गई। उसने फैसला किया कि अब वह किसीको अपना पानी नही देगी। तभी सागर ने कहॉं, "नदीबहन हमे लोगों की मद्द करने के लिए ही पैदा हुए है।" नदीबहन ने सागर की बात नही सुनी। उससे भुचाल आ गया। लोग भुकमरी से मर रहे थे। तभी उनके मन मे एक उपाय आया। उन्होने कुआ खोदकर और बोरवेल बनाकर अपनी जरुरते पुरी की। नदी पुरी सुकी पडी थी। आज उसे कोई नही पुछता था। अब नदी कोई अपनी भूल याद आई। वह पछताने लगी। क्योंकि अभी उसका अस्तित्व समाप्त होने की कगार पर था। बोध- किसीकी मद्द न करना, यह गहरे संकट की निशाणी है। ९) इज्जत अमिना अपने ही भाई शादाब से लड रही थी। जब उसने देश के सैनिकों का पोस्टर फाड दिया। अमिना बोली, "अगर वे न होते तो हम आपको नहीं बता पाते की पोष्टर फाडना मना है। हम गुलाम रहते उस रियासत के, जो अपनेही इशारोंपर हमे चलाती रहती।" अमिना की बाते सुनकर शादाब समझ गया और उस दिनसे अपने देश के सैनिकों की इज्जत करने लगा। बोध- उसने सैनिक महान है, वे है इसलिए हम है। उनकी इज्जत करनी चाहिए। १०) वतन पवन और सुधीर बगीचे में बैठे थे। सुधीर कह रहा था, वतन का बडा महत्व है। मगर वह बात पवन के समझ में नहीं आ रही थी। तभी उन्होंने देखा कि एक नन्ही चिडीयॉं उसके बगल मे जोर जोर से चिल्ला रही थी। पवन भी वह देख रहा था। उसको कॉपी घुस्सा आ रहा था। तभी सुधीर को लगा, चिडीयॉं कुछ कह रही है। वह उठा और बडे दुलार से वह चिडीयॉं की रक्षा करने निकला। तब उसने देखा की एक सर्प उसके बच्चे की ओर बढ रहा है। तब उसने उस सर्प को भगाकर उस चिडीयॉं की रक्षा की। सुधीर बोला, "देख, अगर हम उस सर्प को नही खदेडते तो क्या होता?" "चिडीयॉं के बच्चे सर्प निगल जाता।" "वैसे ही अगर हम वतन की रक्षा नही किये तो।" सुधीर की बाते अब पवन के समझ में आ गई कि वतन की भी रक्षा करना अनिवार्य है। बोध- वतन है तो हम है। ११) नदीबहन लोग नदियों मे कुडा डालकर नदियों को गंदा कर रहे थे। एक दिन नदीबहन रुठ गई। उसने फैसला किया कि अब वह किसीको अपना पानी नही देगी। तभी सागर ने कहॉं, "नदीबहन हमे लोगों की मद्द करने के लिए ही पैदा हुए है।" नदीबहन ने सागर की बात नही सुनी। उससे भुचाल आ गया। लोग भुकमरी से मर रहे थे। तभी उनके मन मे एक उपाय आया। उन्होने कुआ खोदकर और बोरवेल बनाकर अपनी जरुरते पुरी की। नदी पुरी सुकी पडी थी। आज उसे कोई नही पुछता था। अब नदी कोई अपनी भूल याद आई। वह पछताने लगी। क्योंकि अभी उसका अस्तित्व समाप्त होने की कगार पर था। बोध- किसीकी मद्द न करना, यह गहरे संकट की निशाणी है। १२) सुनना संतू राघू पेड पर बैठकर पेरु खा रहा था। इतने मे उसपर एक बंतू बंदर की नजर गई। बंतू बंदर राघू को बोला, "भैय्या ऐसे फल खाओगे तो किसान का कितना नुकसान होगा। ऐसा मत करो, नही तो कभी इसका फल भुगतना पडेगा।" संतू राघू बडा ही अहंकारी था। उसने बंतू की बात नही सुनी। कुछ दिन बीत गये। कुछ दिन के बाद किसान ने फल पर सिकंजा कस दिया। जिसमे संतू राघू फस गया। तब बंदर बोला, "हे संतू, काश! तुने मेरी बात सुनी रहती?" संतू को अपने न सुनने पर पछतावा आया। मगर अभी उसका कोई भी फायदा नही था। बोध- बडो की बाते सुनना आवश्यक है। संकट टल सकता है। १३) चतूर चुहा डंपी बिल्ली चुहे को देख रही थी। चुहा डर के मारे बिल मे छुपा था। कुछ देर हो गई। फिर भी डंपी वहॉ से हटने का नाम नही लेख रही थी। इससे चुहा कॉपी चिंतीत था और सोच रहा था कि उससे कैसे बचा जाये। तभी उसके ध्यान मे आया की बिल्ली को चुहा ही ज्यादा पसंद है और उसे दिखता कम है। तभी उसने मिट्टी का एक चुहा बनाया और उसे बिल्ली के सामने फेंक दिया। बिल्ली ने उसे देखा। वह उसपर झपकी और चुहे ने दुसरे सिरे से भागकर अपनी जान बचाई। बोध- बुद्धीमानी व्यक्ती कोई भी संकट आनेपर उससे मार्ग निकालता है। १४) मछली रानी कालू बगुला खडा था। बडा ही थका हुआ दिख रहा था। उतने मे मछली रानी उनके पास आई। बोली, "बगुले भाई साहाब, आप क्यो उदास दिखाई दे रहे हो?" बगुले ने मछली रानी की बात सुनी और वह बोला, "क्या करु बहन, मेरे पेट में कुछ गडबडी है।" मछली रानी ने बगुले की बात सुनी और उसे उसकी दया आई। वह उसकी मद्द करने बाहर निकली। मगर जैसे ही वह उसकी मद्द करने बाहर निकली। बगुले भैय्या ने उसे दबोच लिया और खा लिया। बोध - किसी पर भी तुरंत विश्वास नही करना चाहिए। १५) भूक पुनम बोली, "मै थोडे न खाती। मेरा पेट खाते रहता है क्योंकि मुझे भूक नही लगती है। भूक तो मेरे पेट को लगती है।" पेट को बडा दुख हुआ। पुनम का बर्ताव उसे अच्छा नही लगा। तब पेट बोला, "बेटा, तुम काम भी मत किया करो। मुझे ना भूक लगेगी। ना तुम मुझे दोष देगी।" पुनम ने पेट के बोल सुने और वह बोली, "देख भाई, तुम अपने कार्य पर नियंत्रण करो। मेरी गलती न दिखाओ।" पुनम का सुनकर पेट ने काम करना बंद किया। अब पुनम खाना खाती थी। मगर पेट उसे हजम नही करता था। इससे पुनम कॉपी तडपती रही और उसे पेट की माफी मँगनी पडी। बोध - किसीको शुल्लक समजकर उसको नीचा न दिखाये। १६) मछली जल की रानी पाठशाला मे बहस चल रही थी। मछली बड़ी, मछली जल की रानी है। मधू बोल रही थी। तब राघव बोला। "तुझे क्या पता है कि समुंदर में इतने सब जीव है, उससे भी बढकर जीव है, जो बहुत ही बड़े है।" मधू को आश्चर्य हुआ और वह बोली। "ऐसे कैसे हो सकता है। कौन मछली से भी बढ़कर है?" "बहोत जीव है। ऑक्टोपस है, कछुए है, और मानव भी है, जो समुंदर का राजा है।" "कैसे?" "मानव ने चाहा तो एक पलमे समुंदर के जीव खत्म कर सकता है।" राघव बोला। राघव की कही बात अब मधू के समझ मे आई और उसने जीवन में कभी किसी जीव को बड़ा नही कहा। बोध- खुद को बड़ा महसूस नही करना वर्ना अहंकार पैदा होता है। १७) उपयुक्त पढ़ाई सेजल पतंग उडाते समय देखती थी। जानवर भी जख्मी होते है। उन्हे भी ऑपरेशनकी जरुरत होती है। पढ़ाई करते करते उसने पढ़ा कि जानवरों का भी ऑपरेशन होता है। उसे वह बात अच्छी लगी। आज वह बड़ी हो गई थी और वह जानवरोंकीही डॉक्टर बनी थी और जानवरों के ही ऑपरेशन करती थी। तॉंकि उनकी जान बचे। बोध- पढ़ाई करते वक्त उपयुक्त पढ़ाई करनी चाहिए। जिससे दुसरों का लाभ हो। १८) बोध धुपकाला आया था। लोगों ने पंखे लगाये थे। अमर अपनी गरीबी पर पछता रहा था। क्योंकी वह पंखा नही लगा पा रहा था। अचानक ऑंधी चली। मौसम बिगड़ गया। बारीश चलने लगी। पेड़ नीचे गिरे। बिज़ली के तार कटे। फिर दो चार दिन के लिए लाईन चली गई। लोग परेशान होने लगे। अब अमर के समझ मे आया की धुपकाला भी सहना अच्छी बात है। बोध- जो कुछ अपने पास होता है। उनसे ही खुश होना चाहिए। १९) शरारत ऑंचल शरारत कर रही थी। शरारत करते करते ऑंचल को एक चिंटी ने कॉंट दिया। उसको घुस्सा आया और उसने चिटी को ही मसल दिया। चिटी के रानी ने यह देखा। उसे वह बात बर्दाश्त नही हुई और उसने अपने चिटी जाती को गुहार लगाई। चिटी रानी का कहॉं सुनकर बहोत सारी चिटियॉं आई और उन्होने ऑंचल को लहुलुहान कर लिया। अब ऑंचल को समझ मे आया था कि शरारत करना कितनी बुरी चीज़ है। बोध- शरारत करना बुरी चीज़ है। २०) भुखा कौआ कौआ ड़ालपर बैठा देख रहा था। वह भुखा प्यासा था। माधवीने उसे देखा। उसे दया आई। उसने मृत बाबाजी का प्रसाद, बाबाजी को चढ़ाने से पहले कौएँ को दे दिया। कौआ तृप्त होकर चला गया। सीख - भुखे प्यासे का सम्मान करने मे ही भगवान बसते है। २१) पहचान रुख्मा कुछ ढुँढ़ रही थी। रोहिणीने पुछा, "क्या ढुँढ़ रही हो बहन?" "गुब्बारा." रुख्माने उत्तर दिया। आज उसने गुब्बारे की कंपनी खोल रखी है। सीख - छोटे बच्चोंके पैर झुले मे दिखते है। २२) सोच बचपन मे ही मनमे राधा सोच रही थी। मुझे भी मौका मिले। मै चॉंदपर जाऊ। आज वह चाँदपर गई थी। सीख - हम भले ही छोटे हो। सोच बड़ी रखनी आवश्यक है। २३) सीख सोनू ने सोचा। हम चॉंदपर गए। मंगल गए। मगर पृथ्वीपर सही ढँग से नही रहे। माँ-बाप को तकलीफ देते रहते है। इसलिए हमे पृथ्वी तकलीफ देती है। बाकी ग्रह भी अपने पास आने नही देते और ज्यादा देर रहने नही देते है। सीख- जो अपने मॉं बाप का नही। वह किसीका नही। २४) व्हॉलीबॉल पटू "मुझे खिलौना दो।" योगेश ने कहाँ। "नही बेटा, खिलौना नही खेलते। तुझे पढ़ना है। बहोत आगे बढ़ना है।" उसके पिता बोले। मगर माँ ने उसे खिलौना लेकर दिया। तथा खेलने भी दिया। योगेश जब भी पिता की बाते सुनता। उसका मन पढ़ाई मे नही लगता। तथा माँ की बाते उसको पढ़ाई के तरफ खीच लाती। आज वह पढ़ाई के साथ साथ व्हॉलीबॉल पटू बन गया। तथा माँ को गर्व हो रहा है। सीख - बच्चों को उसके इच्छानुसार पढ़ने दो। वह बहोत आगे जायेगा। २५) अंतराळ मुझे अंतराळ देखना अच्छा लगता। मै अंतराळ जाऊँगी। मीना सोचने लगी। तबसे उसने अच्छी पढ़ाई करना आरंभ किया। आज मीना ज्यादातर अंतराळमेही रहती है। सीख- सोच अच्छी रखो। अच्छाही होगा। २६) इज्जत आजादी की लढ़ाई। उसको पता था कि हम जिंदा रहेंगेही नही। फिर भी वह लढ़ रही थी और देश आजाद हुआ। आज भी वह जिंदा है। एक लाश बनकर। आजाद होने के बाद उसकी ही इज्जत लुटी गई। सीख - हम जो काम करते है। उसका मोल नही होता। २७) हवाई जहाज प्रकाश ने एक बार एक विमान देखा। उसने सोचा कि मैं आसमान में उड़ जाऊंगा। उसने कागज़ का हवाई जहाज़ बनाया। उसको पंखूड़ी लगवाया । उसमें एक आदमी का चित्र था। नाम प्रकाश । अब हर दिन वह आसमान में उड़ने लगा। सीख: - अगर सपना बड़ा है तो वह साकार होगा। २८) चूहा एक बार की बात है, एक चूहे ने डर के कारण साँप से दोस्ती कर ली। कहा, "मैं आपकी मदद करूंगा।" तभी शिकारी आ पहुंचा। उसने साँप को पकड़ लिया और उसे ले जाने लगा। उसने बहुत शोर मचाया। लेकिन अब चूहा मदद के लिए वहां नहीं था। जब साँप चला गया तो चूहा खुशी से नाचने लगा। सबक - लबाड़ों से दोस्ती मत करो। २९) सच्ची दोस्ती गम्पू को तैरना कठिन लग रहा था। उसने एक मेंढक से दोस्ती कर ली। मेंढक बोला, "मेरे पास आओ, गम्पू। मैं तुम्हें तैरना सिखाऊंगा।" गम्पू मेंढक के पास गया और तैरना सीखा। सबक - एक अच्छे दोस्त की संगति सचमुच लाभदायक होती है। ३०) चॉकलेट एक लड़की टॉपी खा रही है। वह बहुत टॉपी खाती थी। उसने आज टॉपी नहीं खाई। एक बार चिंकी ने एक सपना देखा। सपनों में कीड़ा आया । उसने कहा, "मैं तुम्हारे दांत का कीड़ा हूँ।" आज मुझे टॉपी नहीं मिल सकी । मुझे चॉकलेट दो। नहीं तो मैं तुम्हें खा जाऊँगा।” एक लघु विश्राम के बाद वह जाग उठी और उस दिन से उसने टॉपी खाना बंद कर दिया। सबक: - अच्छी चीजें खाना स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है। ३१) सच्ची खुशी रिंकी ने दूध पीना अभी ख़त्म नहीं किया था। तभी मिकी नामक बिल्ली आ जाती है। वह प्यासी और व्याकुल थी। वह बहुत भूखी थी। रिंकी को उस पर दया आ गई और उसने उसे दूध पिलाया। मिकी बिल्ली दूध पीकर खुशी से सो गई। वह दैखकर रिंकी को बहुत खुश थी। सीख: - सच्ची संतुष्टि दूसरों की मदद करने से मिलती है। ३२) कौवे की मदद कल एक कौआ बहुत प्यासा और भूखा था। आबाने उसे वड़ा पाव दिया। आज, आबा बूढ़ा और भूखी था । कौवे ने यह देखा। आज वही कौआ आबा के लिए वड़ा पाव लेकर आया था। सीख: - यदि आपके कर्म अच्छे हैं तो भगवान किसी भी रूप में आपकी सहायता के लिए आएंगे। ३३) सहायता गधा घास चरते हुए सोच रहा था। विचार यह था कि हम उस आदमी की मदद नहीं करना चाहते। अगर हम मदद भी करते हैं तो वे बेईमान हो जाते हैं। गधे ने मदद करना बंद कर दिया। फिर उस आदमी ने उसकी मदद करना बंद कर दिया। तभी बरसात का मौसम आ गया। गधा भीग गया। अब उसे उस आदमी की याद आने लगी थी। शिक्षा: - अपने द्वारा किये गए उपकारों को मत भूलो। सीख- हम किसी की जो मदद करते हैं, वह व्यर्थ नहीं जाती। ३४) गर्व चिटू सिंह जंगल का राजा था। वो तो जंगल की शान था, अब जंगल कब्रिस्तान बन गया था । कृषि, आवास और सड़कों के लिए पेड़ों को काटा गया। अब जंगल में कोई पेड़ नहीं था। बारिश नहीं हो रही थी। जंगल में कोई जानवर नहीं रहता था। चीते ने सोचा, उसने बन्दर गणु से दोस्ती कर ली। गणू ने पेड़ लगाए। जंगल हरा हो गया। जानवर जंगल में आए । पक्षी आए । मोर नाचने लगा। शेर का घमंड बढ़ गया और सभी लोग कितने खुश थे। तो आइये पेड़ लगाए । आओ वर्षा जल का आह्वान करें । सीख - वृक्ष पारिस्थितिकी के तंत्र का एक महत्वपूर्ण घटक हैं, इसलिए पेड़ लगाए जाने चाहिए। ३५) परिवर्तन रवि पतंग उड़ा रहा था। एक दिन उसने गौरैया की चहचहाट सुनी। एक गौरैया बोली, "ये लोग क्या जानते नहीं कि पतंग गौरैया को मार देती हैं।" पास खड़ा रवि उनकी बातें सुन रहा था। फिर वह हंसा और पतंग उड़ाना बंद कर दिया। सीख - लोग बात किया कर रहे होते। जितना हो सके उतनाही सुनो । ३६) परीक्षा चील रानी एक पेड़ की शाखा पर ऊंची जगह पर बैठी थी। उसका पति चूज़ों की देखभाल करने के लिए घोंसले के नीचे बैठा था। उसने जमीन पर एक आदमी को देखा जो नशे में था और अपनी पत्नी को पीट रहा था। तो वह नीचे आई और उसकी पत्नी से बोली, "पागल औरत, अगर तुमने भी मेरी तरह परीक्षा दी होती तो ऐसा नहीं होता।" महिला ने उनकी बात मान ली और तलाक ले लिया। शिक्षा: - कोई भी काम करने से पहले यह देख लेना चाहिए कि वह अच्छा है या बुरा। ३७) अवलोकन मंजुला पाँचवीं कक्षा में पढ़ने वाली लड़की है। लड़की बहुत होशियार है। लेकिन दुर्भाग्यवश उसके माता-पिता की मृत्यु हो गई। शिक्षा चली गई । मंजुला असहाय महसूस कर रही थी। सीखने की इच्छा मर गयी। लेकिन वह निरीक्षण करना चाहती थी। वह पेड़ों, फूलों, फलों और पक्षियों से बातें करता थी। प्रकृति का आनंद लेखी थी । उसने इससे सीखा । उसने किसानों का जीवन देखा। उसे पछतावा हुआ और जैसे-जैसे समय बीतता गया, उसने एक मशीन निकाल ली। जिसका उपयोग किसानों द्वारा किया जाता था। सीख:- पाठशाला में सीखना ही एकमात्र महत्वपूर्ण बात नहीं है। पर्यावरण भी बहुत कुछ सिखाता है। ३८) अव्यक्त गुण यह मृग मास था। बारिश आ गई थी। बाबूराव मिट्टी के घर में रहते थे। दीवार गिर गई और बाबूराव के दोनों पैर कुचल गए। लेकिन बाबूरावने हिम्मत नहीं हारी। बाबूराव सोचने लगे। मेरे करने लायक कुछ नहीं है। तब उसे चीटी कहा। "पागल कायर, मैं एक चीटी हूँ, प्रकृति का एक छोटा सा जीव। मैं बड़े पहाड़ों पर चढ़ती हूँ ।" बाबूराव ने उसकी बात सुनी। उसे उससे ईर्ष्या होने लगी और उसने भी वैसा ही करने का निर्णय लिया। मैं एवरेस्ट पर चढ़ूँगा । आज उन्होंने माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई की थी। सीख: - हर किसी में कुछ न कुछ गुण छिपे होते हैं। इसके लिए चीटी जैसे गुरु की जरूरत है। ३९) ऑपरेशन माँ बाजार से घर आयीं। सबको भोजन कराया गया। जिससे प्यासी आरुषि को जहर मिल गया। आरुषि के पेट में दर्द होने लगा। फिर उसे अस्पताल ले जाया गया । एक्स-रे लिया गया और निदान किया गया। तार का एक छोटा सा टुकड़ा उसके पेट में फँस गया था। उसकी सर्जरी होने वाली थी। ऑपरेशन किया गया और टुकड़ा बाहर आ गया। माँ ने आह भरी और भगवान को धन्यवाद दिया। सौभाग्यवश, आपदा टल गई। सीख:- सब्जियाँ सावधानी से खाएँ। ४०) बोलना बच्चे बातें कर रहे थे। यह देखकर शिक्षक कह रहे थे, 'चुपचाप बैठो।' बच्चे सुन नहीं रहे थे । शिक्षकने बात करना बंद कर दिया. सबक - अगर कोई सुधार करना चाहता है तो पहले हमें खुद को सुधारना होगा। ४१) जन्म अनुसया की दादी बीमार थीं। वह अपनी दादी के बारे में चिंतित थी। वह सोच रही थी कि दादीजी चली जायेंगी। वसंत आ गया था । पेड़ पूरी तरह खिल चुके थे। अनुसया बगीचे में खेल रही थी। तभी एक पका हुआ पत्ता गिरता है। वह दुख महसूस कर रही थी । इस पर पत्ते ने कहा, "क्या देख रही हो? अरे, अगर मैं गिरूंगा नहीं तो नए पत्ते कैसे आएँगे?" उसके द्वारा बोले गए शब्द । अनुसयाने सुना और समझ गई कि एक जीवन खो जाता है । तभी एक नया जीवन जन्म लेता है। मेरी दादी चली जाएंगी । लेकिन उस स्थान पर नया जीवन जन्म लेगा। शिक्षा - मृत्यु ही जीवन है। ४२) समर्थन गुणवान कोयल एक पेड़ पर बैठी रो रही थी। वह रो रही थी, गा नहीं रहा थी । उसके पति ने आज उससे कठोरता से बात की थी और कहा था कि वह पेटू है। तुम सुन्दर नहीं हो । मैं दूल्हा हूँ । बरसात का मौसम आ गया था। उसके पति को ठंड लग रही थी । कोयल ने यह देखा। वह रो पड़ी। कुछ लोगों ने सोचा कि यह एक गाना है । क्योंकि वे भाषा नहीं समझते थे। वे दौड़कर आये। उनका मनोरंजन किया गया। बदले में, उन्होंने उसकी मदद की और उसके पति की जान बचाई। सीख: कोई भी व्यक्ति स्वाभाविक रूप से बुरा नहीं होता। (४३) दोस्ती चूहा बिल में था । उसके मन में एक विचार आया । जब मैं बाहर पढ़ता हूँ तो मुझे बिल्लियों से डर लगता है और जब मैं बिल में रहता हूँ तो मुझे सांपों से डर लगता है। उसे एक क्षण में ही समाधान मिल गया। उसने जुगनू को आमंत्रित किया। अब वह भय से मुक्त है। अब वह और जुगनू हमेशा खुशी से रहने लगे । सीख- निर्भयता भी भय का एक रूप है। ४४) सुधार बगुला पानी में खड़ा था। उसकी आँखें बंद थी। लेकिन मछली जानती थी कि वह अँधे होने का नाटक कर रहा है और वह वैसाही व्यवहार करेगा। एक बार एक केकड़े ने एक बगुले के पैर पकड़ लिये और उसे पानी में खींचने लगा। वही बगुला चिल्लाने लगा, 'बचाओ, बचाओ।' अन्य मछलियाँ भी उसके आनन्द में हिस्सा लेने के लिए उत्सुक थीं। उन्होंने सोचा कि इस बगुलेने उसके पूरे परिवार को खाया है । " वह एक बुजुर्ग मछली देख रही थी । तो वह बुजुर्ग मछलीने कहा। "उसे बचाना है।" बूढ़ी मछली ने उससे मदद करने को कहा। लेकिन कोई भी आगे नहीं बढ़ रहा था । फिर वह आगे बढ़ी और केकड़े को चोट पहुँचाने लगी। यह देखकर बाकी मछलियाँ आईं और बगुले को छुड़ा लिया। अब बगुले को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने मछलियाँ पकड़ना बंद कर दिया। सीख : - किसी को भी किसी को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए। ४५) गलतियों पर पछतावा आसू नाम का एक बन्दर बहुत बुद्धिमान था। वह बहुत क्रोधित हुआ करता था । उसने बिल्लियाँ संतू और बटू के बीच विवाद को सुलझाने की कोशिश की। वे केले के खाने का इंतजार कर रहे थे, लेकिन उन्हें उसका एक भी टुकड़ा नहीं मिला । सब उस बन्दरनेही खाया। एक दिन बन्दर की पूँछ लकड़ी में फँस गई और वह रोने लगा। बिल्लियाँ बन्दरों की चीख सुन सकती थी । बिल्लियाँ जब वहाँ पहुँची तो उन्होंने बन्दर की हरकतें देखीं और उन्हें यह बात याद आ गई। तब बन्दर को झटका लगा और उन्होंने माफी माँगी। यह देखकर बिल्लियाँ उसकी सहायता के लिए आई । जैसे ही बन्दर को अपनी गलती का एहसास हुआ, उसने बिल्लियों को बहुत सारे केले दे दिए। सीख - जल्दबाजी में कोई कदम उठाने से पहले अपने बच्चे के बारे में सोचें। ४६) दिन की फ़सल पक्षी पेड़ों पर बैठे थे, वर्षा नहीं हो रही थी, तथा सूखा पड़ने वाला था। गाँव में सूखा उतना ही गंभीर था जितना जंगल में। पेड़ रो रहे थे। क्या हम मरने वाले हैं? लेकिन एक गौरैया ने उसे रोते हुए देख 0लिया। गौरैया को आश्चर्य हुआ कि ऐसा क्यों, तो पेड़ ने कहा, 'मुझे क्या करना चाहिए?' बारिश ने मुझे धोखा दिया। "पीने के लिए पानी के बिना हम कैसे जीवित रह सकते हैं?" गौरेयाने पेड़ की चहचहाहट सुनी। महज वह सबको बताने लगी, लेकिन कोई नहीं सुनता। फिर वह स्वयं उड़ गई। उसे तालाब मिल गया। फिर उसने अपनी चोंच में पानी लाया बाकी लोगों ने उसे देखा। उन्होने भी वही कर्तव्य किया । सूखा समाप्त हो गया और पेड़ हरे हो गए । सीख - जो संकट के समय सहायता करेगा। वही सच्चा मित्र है। ४७) धन्यवाद एक खुश लड़का । एक बार वह बीमार हो गया । उसके माता-पिता ने कई उपाय किए । लेकिन उसकी हालत में कोई सुधार नहीं हो रहा था। यह देखकर उसके माता-पिता चिंतित हो गए । एक बार वे एक पेड़ के नीचे बैठे थे। वे कॉपी निराशाजनक थे । यह देखकर पेड़ ने पूछा, "क्या हुआ?" उन्होंने अपनी कहानी बताई । तो पेड़ कहता है, "पागल आदमी, उसे मेरे पत्ते का रस दे दो। वह जल्द ही ठीक हो जायेंगे।" उस बच्चे के माता-पिता ने भी ऐसा ही किया। उसकी हालत में सुधार हो रहा था । उसने पेड़ को धन्यवाद दिया और पेड़ लगाना शुरू कर दिया। सीख: अच्छे कर्म अच्छे परिणाम लाते हैं। ४८) ताज़गी रिंकू तोता बहुत खुशमिजाज था। उसका व्यवहार देखकर मालिक उसे बेचने का फैसला करता है। अब रिकू डर गया । उसने मनी माँ से उसपर उपाय पुछा। वह इसके बारे में सोचने लगी । तभी मनी माँ ने उससे कहा, "रिंकू, जब तुम बोलना शुरू करो, तो यह मानकर चलना कि तुम्हारे सामने बेवकूफ लोग बैठे हैं। तुम बोल सकते हो।" रिंकू ने वैसा ही किया और बात करना शुरू कर दिया। अब वह अपने मालिक के घर के मीठे फल खा रहा था । साथ ही, वह मीठी बातें भी करता था। सीख: हिनता का तत्व हमारी कमजोरी बढ़ाता है। ४९) सुधा किड़ा सुधा किड़े ने सोचा। लोग हमें अच्छा खाना नहीं खिलाते। अगर हम पत्ते खाते हैं तो वे पत्तों पर दवा छिड़क देते हैं और हमारे वंशजों को मार देते हैं। हमें उसे सबक सिखाना चाहिए । एक बार ऐसा सोचते हुए सुधा उस वृक्ष के फल में प्रवेश कर गई। फिर यह बहुत ही गुप्त तरीके से मानव शरीर में प्रवेश कर गई । जिसके कारण लोग बीमार हुए और लोगों की मौत हुई। अब तक कई लोग मर चुके थे। सीख: - किसी को भी अपने से कमजोर मत समझो। ५०) साइकिल सीमी कुत्ता साइकिल चला रहा था। वह अमीर था । रिमी नामक बिल्ली इसी तरह गाड़ी चला रही थी। वह गरीब थी और हमेशा उसे परेशान करती थी। एक बार, जब सीमी सड़क पर चल रही था, तो उसने रिमी को देखा। वह रोने लगी थी। कार को धक्का नहीं दिया जा रहा था। तो सीमी ने कारण पूछा। रिमी ने कहा, "मैं क्या कर सकती हूँ, गाड़ी में पेट्रोल नहीं है। इसलिए मैं रुकने जा रही हूँ। लेकिन मैं इतनी थक गई हूँ कि रो रही हूँ।" सीमी ने उसे साइकिल चलाने की सलाह दी। अब रिमी साइकिल चलाती है और उसे कोई परेशानी नहीं है। शिक्षा:- हमें अपने जीवन में भी ऐसा ही करना चाहिए और दूसरों से घृणा नहीं करनी चाहिए। ५१) भय गायत्री जब छोटी थी। वह पानी में पत्थर फेंकती है। उसे मजा आती थी। इस प्रकार लहरें उत्पन्न होती थी । कई लोगों ने उसे समझाने की कोशिश करते, लेकिन वह नहीं मानती । तभी एक सांप उसके पीछे दौड़ा और दौड़कर कहने लगा, "अगर पत्थर फेंकती हो तो देखते रहना।" उसने साँप की आवाज सुनी । आज गायत्री, जो उस दिन से डरती आ रही है, अब पानी में पत्थर नहीं मारती है। सीख - कभी-कभी ज्ञान और संस्कार को बचाए रखने के लिए भय आवश्यक होता है। ५२) सीखना फातिमा पढ़ाई नहीं कर रही थी। उसे पढ़ाई में कोई रूचि नहीं थी। वह असफल हो रही थी। उसके पिता इस बात से चिंतित थे। उन्हें नहीं पता था कि क्या करना है। अचानक उन्होंने एक चींटी को दीवार पर चढ़ते और नीचे गिरते देखा। उन्हें तुरंत पता चल गया कि वह दीवार पर चढ़ जाएगी। वह वही दृश्य अपनी बेटी को दिखाते है। लड़की ने दृश्य देखा । फिर, जब चींटियाँ दीवार पर चढ़ गईं, उन्होंने अपनी बेटी से समझाया, "इस चींटी को देखो। यह तुमसे भी छोटी है। फिर भी यह इतनी बड़ी दीवार पर चढ़ जाती है और तुम एक साधारण परीक्षा भी पास नहीं कर सकती ।" फातिमा ने यह सुना। उसे बुरा लगा । इसके बाद उन्होंने मन लगाकर पढ़ाई शुरू की और पढ़ाई के बड़े-बड़े पहाड़ चढ़ने लगीं। सीख:- मूक जानवर भी हमें बहुत कुछ सिखा सकते हैं। ५३) काम अपर्णा दुकान की ओर भाग रही थी। उसकी माँ सामान लाने को लेकर उस पर चिल्ला रही थी। क्योंकि वह काम नहीं सुन रही थी। उसने मुझ पर गुस्सा दिखाया । अपर्णा सामान खरीदती और बिना गिने घर आ जाती। घर पर माँ चीज़ें जाँच रही थीं। उसमें एक भी वस्तु नहीं थी। फिर माँ ने अपर्णा से पूछा था। अपर्णा ने कुछ नहीं कहा, लेकिन उसकी माँ अपर्णा को दुकान पर ले गई और दुकान में मौजूद सामान के बारे में पूछा। लेकिन दुकानदार नहीं माना। उसके बाद माँ निराश होकर घर आई और अपर्णा से बोली, "अपर्णा, देखो लोग तुम्हें ऐसे ही बेवकूफ बनाते हैं, इसलिए मैं तुम्हें रोज दुकान पर भेजता हूँ। इसका कारण यह है कि तुम सीख सको और भविष्य में बड़ा व्यापार कर सको।" सीख- माँ अच्छा ही सिखाती है। उसकी बातें सुननी चाहिए। ५४) पश्चाताप दूध उसके बगल में रखा गया था। नखरीली बिल्ली दूध पीने ही वाली थी। वह बहुत भूखी थी। अचानक उसका ध्यान एक चूहे पर पड़ा। चूहे खेल रहे थे। पिंकी बिल्लीने चूहे को पकड़ना चाहा । मगर चूहा बिल में भाग गया। तभी, उसके संघर्ष से दूध का जग गिर गया। दूध बर्बाद हो गया । पिंकी शिकार हार गयी। दूध भी ख़त्म हो गया है। भूख में ही फायदा नही । अब उसको पछतावा होने लगा था। सीख:- लालच एक बहुत बुरी आदत है। ५५) कसाई श्रद्धा बाकरी अपने बच्चे को लेकर चिंतित थीं। जब बच्चा बड़ा हो जाएगा तो वे उसे कटवाने के लिए ले जाएँगे। जैसे ही वह सोच रही थी कि क्या किया जाए, कसाई आ पहुँचा। उसने उसके बच्चे को देखा। वह गुस्सा गई। मुझे नहीं पता क्या करना है। वह इसे इसी तरह याद करती है। मेरे पास सींग हैं. हॉ, उसका का उपयोग उचित तरीके से किया जाना चाहिए। यही उसका विचार । वह बस सोच रही थी । उतने में कसाई नजदीक आया। श्रद्धा ने पूरी ताकत से सींग उसके पेट में घुसा दिया। तभी कसाई के शरीर से खुन की धारा बहने लगी और वह क्षण भर में मर गया। शिक्षा: -मूक जानवरों को परेशान न करें। ५६) गजु हाथी गजु हाथी को अपनी ताकत पर गर्व था। उसे लगता था कि वह दुनिया का एकमात्र पहलवान है। एक बार, जब गजू सड़क पर चल रहा था, उसने एक छोटी चींटी को अपने से भारी वस्तु मुँह में लेकर दीवार पर चढ़ते देखा। यह देखकर उसका घमंड चूर हो गया और उस दिन से उसने घमंड करना छोड़ दिया। सीख: किसी को अपने से छोटा मत समझो। ५७) सुंदर सींग काला हिरण बहुत सुंदर लग रहा था। उसका सींग भी सुन्दर था। उसे लगा कि दुनिया में उसके जैसा सुन्दर कोई नहीं है। तभी एक बन्दर प्रकट होता है। वे बन्दर को चिढ़ाते हुए कहते हैं, "तुम्हारा चेहरा काला है। कोई तुम्हें अच्छा नहीं कहता। मेरी तरफ देखो। मेरे सींग मुझसे भी ज़्यादा सुंदर हैं।" बंदर ने यह सुना। तब बन्दर ने कहा, "तुम्हें सुन्दरता पर बहुत गर्व है ना? ये सींग तुम्हारी जान ले लेंगे।" एक बार एक बाघ उसी हिरण का पीछा करने लगा। हिरण भागने लगा, लेकिन भागते समय उसका सींग एक पेड़ की टहनी में फँस गया और हिरण अकारण ही मर जाता है। सीख:- हमे किसी चीज़ का गर्व नहीं होना चाहिए। ५८) चतुर बंदर नीतू सियार आज बूढ़ा हो गया । उसे शिकार नहीं मिल रहा था। उस स्थान ने एक काले मुँह वाले बंदर को देखा और कहा, "यदि तुम मेरे पास आओ, तो मैं तुम्हें सुंदर बनने की कला सिखाऊंगा।" बन्दर भोला था। लेकिन वह चतुर था। वह भेड़िया के पास गया। उसने बन्दर के पकड़ लिया और बोला, "मैंने तुम्हें बेवकूफ बनाया। अब मैं तुम्हें खा जाऊँगा" बन्दर सोच में पड़ गया। मुझे लगा कि हम फँस गया । कैसे बचें? जब वह फुसफुसा रहा था, तो उसे एक तरकीब सूझी। वह कहने लगा, 'ओह, तुम मुझे इस स्वादिष्ट शरीर के साथ खा जाओगे।' अगर मुझे पता होता तो मैं अपने शरीर पर नमक लगाकर आता। तब तो यह और स्वादिष्ट होता। अगर तुम कहो तो मैं अपने शरीर पर नमक लगाकर आऊँ। भेड़िया मूर्ख था। उसने सोचा है कि बन्दर सच कह रहा है। इसलिए उसने उसे जाने दिया । उसी समय बन्दर पेड़ पर चढ़ गया और बोला, "मुर्ख भेड़िया हो तुम। क्या तुम पागल हो? अरे, नमक कभी शरीर पर लगाने की चीज़ होती है स्वादिष्ट बनाने के लिए? अब रुको और पश्चाताप करो।" बन्दर भाग गया और भेड़िया वहीं बैठकर पछताता रहा। सीख: दुनिया में हमसे भी अधिक बुद्धिमान लोग हैं। ५९) परिवर्तन शरीफा के पेड़ ने धोती के पेड़ से कहा, '' हम इंसान का काम करने में माहिर हूँ। फिर भी इंसान अपनी जान ले लेता है। अब हम मानवीय पाप के दोषी नहीं हैं।" धोती ने इस बारे में सोचा और बदला लेने की प्रतीक्षा करने लगा। एक दिन एक आदमी शिवपिंडी पर धोती टांगने की कोशिश कर रहा था। लेकिन वह हाथ से छुट गया। आग लग गई और वह खाने में चला गया। जिससे कई लोगों की मौत हो गई। सीख: कृतज्ञता प्रकट करना कभी न भूलें। ६०) पेट की मदद बाढ़ के कारण नदी को बाढ़ रोकने का पर्याप्त समय नहीं मिला। उसने एक दो मंजिला मकान और एक पेड़ को भी अपने अंदर खींच लिया। बाढ़ रुक गई थी। लेकिन अब वह गाँव उस स्थान पर दिखाई नहीं दे रहा था। केवल निशानियाँ और यादें ही बचीं थी। सबक: किसी को भी भूकंप और बारिश से नहीं लड़ना चाहिए। ६१) आत्मनिर्भरता आस्था इशिका से कहती है, "चलो स्कूल चलें, इससे हमें लाभ होगा।" इशिका ने यह नहीं सुना। समय बीत गया. इशिका बड़ी हो गई। आज आस्था सरकारी नौकरी में थी और किसी पर निर्भर नहीं थी, जबकि इशिका जमीन खोदकर और दूसरों पर निर्भर होकर जीवन जी रही थी। सीख: - बच्चों को पढ़ाई करना चाहिए ताकि वह अपने पैरों पर खड़ा हो सके। ६२) नदी के बच्चे नदी बह रही थी और नदी के दो बच्चे लड़ रहे थे। दोनों बच्चे अपनी माँ के साथ रहना चाहते थे। पेड़ बहुत ऊँचा था और प्यारे भाईयों के साथ बैठा मुस्कुरा रहा था। वह हमेशा चिढ़ाते हुए कहता था, "देखो, मैं इतना लंबा हूँ और दुनिया देख सकता हूँ। देखो, तुम इतने छोटे हो।" पेड़ बारबार कहता और घास का लगातार अपमान होता था। आज बाढ़ से पेड़ बह गया। घास वही जगह स्थित है। सीख- गर्व नही करना चाहिए। ६३ )आत्मनिर्भर "बेटा, आत्मनिर्भर बनना सीखो।" गौरेया ने बच्चों को कहाँ ।फिर गौरैया उड़ गई। शाम का वक्त था। गौरैया कभी वापस नहीं आई। उन्हें भूख लगी थी। इस तरह उन्हें अपनी माँ का सुबह का संभाषण याद आ गया। सुबह हो चुकी थी और पक्षी उड़ने लगे थे और वे बच्चे भी उड़ने में लगे थे। सीख - कोशिश करने पर पहाड़ भी पार किया जा सकता है। लेकिन उसके लिए प्रेरणा ज़रूरी है। ६४) अच्छाई जीतू साँप उदास बैठा था। वह बहुत भूखा था। इस बिंदु पर उसे याद आता है। चूहे के बच्चे अगले दरवाजे पर हैं। आइये इन्हें खाकर अपनी भूख मिटायें। ऐसा सोचते ही साँप उस बिल के पास चला गया। वहाँ चूहा मादा शावक को ढ़ककर बैठी थी। वह पिल्ले की सुरक्षा के प्रति समर्पित थी। उसने यह भी देखा कि चूहे की आँखें खुली नहीं थीं। साँप ने सोचा। सोचा कि यह खाने का समय नहीं है। हमें वापस जाना चाहिए। जो साँप वैसे ही खाने की सोच रहा था, वह यह देखकर पीछे मुड़ गया। सीख - बुद्धिमान लोग अच्छी मानसिकता के बारे में सोचते हैं। ६५) बीज़ काव्या पागल थी। उसने बीज़ लगा दिया। इसका फल मिला। सीख - कुछ पागल लोग भी बड़ा काम करते हैं । ६६) अभिशाप अक्कू झाड़ू लगा रही थी। जैसे ही उसने झाड़ू लगाई, बक्कू चींटियों की पंक्ति नष्ट हो गई। जिसमें उसका परिवार था। उसने उसे श्राप दिया। "तुम्हारा परिवार भी इसी तरह नष्ट हो जायेगा।" समय बीतता गया और अंततः अक्कू के चारों बच्चे बीमारी से मर गये। अब अक्कू को चींटी का श्राप याद आ रहा था। लेकिन अब इसका कोई फायदा नहीं था। सीख: यदि हम दूसरों को दुख पहुँचाएँगे तो भाग्य भी हमें दुख पहुँचाएगा। ६७) हल्का काम मंगू झाड़ू लगा रहा था। यह काम चंगू को आसान लगा, जो उसके पड़ोस में रहता था। वह उसे चिढ़ा रहा था। क्योंकि चंगू एक सरकारी कर्मचारी था। समय परिवर्तन हुआ। बस इसी तरह, चंगू एक निंदनीय मामले में फँस गया। वहाँ हंगामा मच गया और भीख माँगने का समय आ गया। जब मंगू को इस बारे में पता चला तो उसने शांति से उसे समझाया कि कोई भी काम आसान नहीं होता। कुछ दिनों के बाद, चंगू की स्थिति बदल जाएगी। लेकिन अब वह स्थिति से सबक सीख चुका था। वह अब किसी को परेशान नहीं कर रहा था। सीख- १) परिस्थितियां हमें सब कुछ सिखाती हैं। २) कोई भी काम आसान नहीं है. ६८) मोबाइल सुरेखा को किताब पसंद आई। वह गीत के बोल पढ़ रही थी। लेकिन वसीम उस पर हँसता था। उन्होंने सोचा कि आजकल मोबाइल फोन की मदद से वे एक क्लिक पर ही बहुत सारी चीजें ढूँढ सकते हैं। वसीम सही था। क्योंकि समय बदल रहा था. मोबाइल अधिक महत्वपूर्ण होता जा रहा है। एक बार बसीम का मोबाइल फोन के कारण एक्सीडेंट हो गया। जिसमें डॉक्टर ने कहा, "आप अपना मोबाइल फोन इस्तेमाल नहीं करना चाहते। आप पागल हो जाएँगे। हाँ, आप किताब पढ़ सकते हैं।" अब उसके पास किताब थी। क्योंकि वह मोबाइल फोन चलाना नहीं जानता था। सीख: किसी भी चीज़ को हल्के में न लें। ६९) मोगली मोगली जंगल में भटक रहा था। वह सभी जानवरों से प्यार करता था। क्योंकि जब वह प्यासा था। उस समय उसकी माँ बाघ के डर से उसे छोड़कर चली गई थी। फिर जानवरों ने इसे बढ़ा दिया। आज उसकी माँ ने उसे पहचान लिया और उसे अपने साथ ले जाने की कोशिश की। वह कहने लगी । "यह एक मानव बच्चा है। इसे किसी मानव के साथ होना चाहिए।" जवाब में मोगली ने कहा, "मैं जंगल में ही रहूँगा। क्योंकि जब मेरा वक्त बुरा था, तो तुम भाग गई थी । उस वक्त मुझे जानवरों ने बचाया। आज मेरी माँ और बाप ये जंगल के जानवर ही हैं।" सीख - संकट में सहायता करने वाला। उसे माता और पिता दोनों के समान माना जाना चाहिए। ७०) पुनर्भुगतान सरु गाय घास खा रही थी। उसका ध्यान सामने खड़े साँप पर था। साँप सदमे की स्थिति में था। उस समय उसे भयंकर दर्द हो रहा था। वह भी पाप किया गया था। गाय ने उसे देखा और बिना किसी डर के उसके घावों को चाटने लगी। उसके चाटने से जो घाव हुए थे। वे भर गए। सरू आज बूढ़ी हो गई थी और उसके मालिक ने उसे एक कसाई को बेच दिया था। वह उसे कटवाने के लिए ले जा रहा था। साँप ने आज उसे देख लिया। उसने उसे पहचान लिया और कसाई को काट लिया। जिसमें कसाई की मौत हो गई और गाय बच गई। सबक: जानवरों को मनुष्यों की तुलना में उनके प्रति की जाने वाली दयालुता का अधिक अहसास होता है। ७१) फ्लोटिंग गणित श्यामल को गणित पसंद नहीं था। वह एक प्यारी लड़की थी, लेकिन फिर उसके माता-पिता चिंतित होने लगे। श्यामल गणित नहीं पढ़ रही है। वह गणित कैसे हल कर पाएगी? एक बार श्यामल आँगन में बैठी थी। आकाश में तारें चारों ओर फैले हुए थे। तभी वह गिनती करने में अटक जाती। वह आगे और गिनती नहीं कर सकती। तब माता पिता ने उसे गणित का महत्व समझाया। गणित नही आएगा, तो कुछ भी नहीं आएगा। अब श्यामल समझ चुकी थी और वह गणित की पढ़ाई भी कर रहीं थी। माता पिताने समझाया था। "यदि आप गणित नहीं जानते, तो आप भूगोल भी नहीं जान पाएंगे। और आप अन्य विषय भी नहीं जान पाएंगे।" सीख: जीवन में सभी विषय आवश्यक हैं। इसलिए इसे सीखना महत्वपूर्ण है। ७२) शिक्षा सरला को प्यास लगी थी। उसकी माँ ने उसे बर्तन धोना सिखाया था। क्योंकि उस समय यही आवश्यक था। आज सरला बड़ी हो गई थी और अपने बच्चों को पढ़ाई-लिखाई करा रही थी। लेकिन उसकी बेटी मोबाइल फोन का उपयोग करना सीख रही थी। शिक्षा: आवश्यकता को ध्यान में रखकर कार्य करें। ७३) मृदुला के विचार वनों की कटाई शुरू हो गई थी। कोमल भालू सोच रहा था। विचार यह था कि जब जंगल नष्ट हो जाएँगे तो हम कहाँ रहेंगे? वर्षा ने उसकी बातें सुनीं। बस इसी तरह, बारिश रुक गई। गाँव में सूखा पड़ गया और लोग भूख से मरने लगे। इसके बाद लोगों को जंगल का महत्व समझ में आया और लोगों ने वनों की कटाई बंद कर दी। सीख: पेड़ पर्यावरण के रक्षक हैं। ७४) शांति इंसान ठीक से व्यवहार नहीं कर रहे थे । उनका मानसिक संतुलन बिगड़ गया था। बारिश को उनपर गुस्सा आया। अब बाढ़ में बारिश ने तबाही मचाई थी। सूरज ने देखा। उसे उस पर दया आ गयी। उसने आग लगा दी। दोनों झगड़ने लगे। फिर मनुष्य ईश्वर के पास पहुँचा। परमेश्वर ने मनुष्य को वर्षा और सूरज के विषय में समझाया। तीनों ने परमेश्वर की बात मानी और तदनुसार कार्य करते हैं। अब सब कुछ शांत है। लेकिन फिर भी वे कभी-कभी बिगड़ जाते हैं। सबक - भगवान चाहता है कि झगड़ा मत करो। ७५) आलसी करुणा करुणा बुद्धिमान थी। लेकिन यह आलसी थी। वह पढना चाहती थी। लेकिन यह भी आलस्य के कारण पीछे थी, जिससे उसके माता-पिता चिंतित थे। एक बार करुणा के पिता ने उसे कोयल की कहानी पढ़कर सुनाई। कोयल आलसी है। लेकिन वह अपनी मधुर आवाज से कौए को अपने काम पर लगा देती है। जैसे ही मातापिता ने करुणा को कोयल की कहानी सुनाई और कहा कि यदि तुम अपने गुणों का गुणगान करोगी, तभी लोग तुम्हारी बात सुनेंगे। जब लोग पढ़ाई करके ऊँचे पदों पर पहुँच जाते हैं, तभी कोई उन्हें सर कहता है और उनके काम को सुनता है। कहानी सुनने के बाद वह करुणा को बात समझ गई और वह अध्ययन करने लगी। आज वह अधिकारी बन गई है और हर कोई चुपचाप उसकी बात सुन रहा है और काम कर रहा है। शिक्षा - अध्ययन जो आपके जीवन को बदल देगा । ७६) प्लेट में खाना निधि खाना खा रही थी और खाते समय बहुत सारा खाना गिरा रही थी। यह देखकर माधवी बोली, "कितना कुछ बर्बाद करती हो। तुम्हें नहीं पता कि किसान इस भोजन के लिए कितनी मेहनत करते हैं।" निधि को समझ नहीं आया कि माधवी क्या कह रही थी। एक बार वह अपनी दादी के पास गई । तब उसने देखा कि उसके दादाजी बीमार होने के बावजूद खेतों में जा रहे थे और बाहर बारिश भी हो रही थी। उसने अपने दादा से एक प्रश्न पूछा। दादाजी बोले, "बेटा, अगर मैं खेत पर नहीं जाऊँगा तो जंगली सूअर फसल खाकर नष्ट कर देंगे।" निधि ने यह सुना। वह समझ गई कि उसके दादाजी क्या कह थे और उस दिन से उसने खाना खाते समय खाना गिराना बंद कर दिया। शिक्षा: - अपनी प्लेट में से खाना ना फेकें। इसके लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है। ७७) बीजू चींटी बीजू चींटी नंदू कछुए को चुनौती दे रही थी। आप अपने विशाल शरीर के साथ पानी में डूब जाएँगे। कछुए ने यह सुना और विनम्रतापूर्वक कहा, "समय आने पर हमें पता चल जाएगा।" एक बार एक आदमी ने तालाब के किनारे एक पेड़ काट दिया। वे पानी में गिर गए और उसी समय बीजू चींटी भी पानी में गिर गई। उसने गोता खाना शुरू कर दिया। कछुआ देखा । उसे उस पर दया आ गई और वह उसे अपनी पीठ पर लादकर बाहर ले आया । अब चींटी को अपनी कही बात पर पछतावा होने लगा था। सीख:- जीवन जीते समय किसी को भी नीची नजर से नहीं देखना चाहिए।