Ishq da Mara - 84 in Hindi Love Stories by shama parveen books and stories PDF | इश्क दा मारा - 84

Featured Books
Categories
Share

इश्क दा मारा - 84

राधा कि बाते सुन कर सबका सर चकरा जाता है।

तब यूवी की मां गुस्से में राधा से बोलती है, "राधा तुम ये कैसी बकवास कर रही हों???

तब राधा बोलती है, "मैं कोई बकवास नहीं कर रही हूं मैं तो बस सच बोल रही हूं "।

तब औरत बोलती है, "तुम जानती भी हो कि तुम क्या बोल रही हो "।

तब राधा बोलती है, "मुझे पता है कि मैं क्या बोल रही हूं "।

तब रानी धीरे से बोलती है, "दीदी तुम्हे क्या हो गया है तुम ये कैसी बाते कर रही हों "।

तब राधा बोलती है, "तुम चुप रहो समझी छोटी हो छोटी बन कर रहो "।

ये बोल कर राधा वहां से चली जाती है।

सारे औरते एक दूसरे से बाते करने लगती है। यूवी की मां को राधा पर बहुत ही गुस्सा आता है।

रानी राधा के पीछे पीछे उसके कमरे में जाती है और बोलती है, "दीदी तुम्हे क्या हो गया है और तुम ये कैसी बाते कर रही हो"।

तब राधा बोलती है, "मेरा बात करने का मूड नहीं है अभी इसलिए तुम जाओ यहां से "।

तब रानी बोलती है, "मैं कुछ दिन से देख रही हूं कि तुम अजीब बर्ताव कर रही हो, क्या हुआ कोई परेशानी है क्या तो बताओ मुझे "।

तब राधा गुस्से में बोलती है, "मुझे कुछ भी नहीं हुआ है मैं ठीक हू तुम जाओ यहां से "।

तब रानी बोलती है, "तुम ठीक तो नहीं लग रही हो मुझे, बताओ न क्या बात है, और तुम ऐसी बाते क्यों बोल रही हो, अगर बाबा को ये बाते पता चल गई तो पता है न क्या होगा "।

तब राधा बोलती है, "अच्छी बात तो है कि उन्हें भी सच का पता चल जाएगा "।

तब रानी बोलती है, "और उसके बाद वो तुम्हारे साथ क्या करेंगे तुम नहीं जानती हो क्या, और तो और तुम्हारे ससुराल वाले भी तुम्हे यहां से निकाल देंगे "।

तब राधा बोलती है, "हा ये तो अच्छी बात है मेरे लिए "।

तब रानी बोलती है, "देखो जिस तरह से तुम हरकत कर रही हों न मैं कह रही हु कि बाबा तुम्हारी जान ले लेंगे"।

तब राधा बोलती है, "हा तो ले ले मेरी जान, मना किसने किया है "।

तब रानी बोलती है, "तुम सच में पागल हो गई हो "।

शाम होती है........

यूवी के पापा घर आते हैं और उनके आते ही यूवी की मां उन्हें सब कुछ बता देती है जिसे सुनने के लिए यूवी के पापा को बहुत ही गुस्सा आता है और वो बोलते हैं, "इतना बड़ा धोखा किया उसने मेरे साथ और अपनी बांझ बेटी मुझे दे दी, और उसके साथ इतना सारा दहेज ताकि किसी को शक ना हो, अब देखो मैं उसे कैसे मजा चखाता हु "।

रानी ये सारी बाते सुन लेती है और सोचती है, ये काका और काकी तो बिल्कुल गिरगिट निकले, कल तक जो इतने प्यार से बात करते थे आज वो दीदी के बारे में कितना बुरा बुरा कह रहे हैं।

रात होती है........

राधा बिना खाना खाए ही सो जाती है। वो कमरे में ही सोती है क्योंकि यूवी घर नहीं आता है।

गीतिका भी खाना खा कर लेटी रहती है और यूवी के बारे में सोचती रहती है। तभी उसके पास यूवी की कॉल आती है और वो खुश हो जाती है और जल्दी से कॉल उठाती है। तब यूवी बोलता है, "ऊपर आओ"।

ये सुनते ही गीतिका जल्दी से छत पर जाती है और देखती है कि यूवी सामने खड़ा होता है। वो जा कर जल्दी से यूवी के गले लग जाती है।

तब यूवी बोलता है, "बहुत ज्यादा याद किया तुम्हे मुझे"।

तब गीतिका बोलती है, "हा...... और आप अपना काम पूरा तो करके आए हैं न और अब कही नहीं जाएंगे न "।

तब यूवी बोलता है, "नहीं अब मैं कही पर भी नहीं जाऊंगा "।

उसके बाद दोनों बाते करने लगते हैं।

सुबह होती है..........

राधा के बाबा उसके ससुराल आते हैं और यूवी के पापा से बाते करते हैं। तभी यूवी के पापा चिल्लाते हैं, "तुम्हे बिल्कुल भी शर्म नहीं आई अपनी बांझ बेटी को मुझे देते हुए और तुमने ये बात मुझसे छुपाई"।

तब राधा के बाबा बोलते हैं, "तुम ये कैसा इल्जाम लगा रहे हो मेरी बेटी पर "।

तब राधा के बाबा बोलते हैं, "मैं कई इल्ज़ाम नहीं लगा रहा हूं मैं तो सच बोल रहा हूं और तुम्हारी ही बेटी ने मुझे ये सच बताया है, यकीन नहीं हो रहा है तो खुद सुन लो "।

उसके बाद यूवी की मां राधा को बुला कर लाती है। अपने बाबा को सामने इतना गुस्से में देख कर राधा डर जाती है। तब यूवी की मां बोलती है, "हा तो बताओ राधा की तुम बच्चे को जन्म नहीं दे सकती हो न "।

राधा कि नज़रे झुकी हुई होती है और वो हा मैं गर्दन हिलाती है। जिससे कि उसके बाबा को बहुत गुस्सा आता है और वो उसे जा कर खींच कर थप्पड़ मारते हैं जिससे कि राधा जमीन पर गिर जाती है......

मुझे लग रहा है कि मेरी ये स्टोरी किसी अच्छी नहीं लग रही है तो क्या मैं इसको लिखना बंद कर दु।