Ishq da Mara - 83 in Hindi Love Stories by shama parveen books and stories PDF | इश्क दा मारा - 83

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इश्क दा मारा - 83

रानी की बात सुन कर राधा को गुस्सा आता है और वो बोलती है, "तुम यहां पर क्या कर रही हों, चलो जाओ यहां से"।

तब रानी बोलती है, "क्या हुआ गुस्सा क्यों हो रही हो "।

तब राधा बोलती है, "जितना बोला है उतना ही करो, चलो जाओ यहां से"।

उसके बाद रानी वहां से चली जाती है। राधा वही पर बैठी रहती है।

सुबह होती है........

अचानक से राधा की आंख खुलती है और वो जल्दी से उठ कर नीचे आ जाती है।

उधर गीतिका चुप चाप कमरे में बैठी रहती है। उसे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता है यूवी के बिना।

उधर यूवी बहुत ही गुस्से में होता है और उसका खून खोल रहा होता है और उसके सामने कुछ लोग होते हैं।

तब यूवी गुस्से में बोलता है, "किसने उसे छुपाया और कौन उसे ले कर गया था ?????

सब चुप हो जाते हैं कोई कुछ भी नहीं बोलता। जिससे कि यूवी को बहुत ही गुस्सा आता है और वो गुस्से में एक आदमी को गोली मार देता है । जिससे बाकी के लोग डर जाते हैं। तब एक आदमी बोलता है, "वो MLA का बेटा है और उसे पकड़ना बहुत ही मुश्किल है"।

तब यूवी बोलता है, "और तुम लोग शायद मेरे बारे में नहीं जानते हो कि मैं कौन हूं"।

तब एक आदमी बोलता है, "उसके बाप के पास बहुत पावर है और वो अपने बेटे तक किसी को भी पहुंचने नहीं देगा "।

तब यूवी बोलता है, "अगर उसका बाप उसे कब्र में भी छुपा देगा तो मैं उसे वहां से भी निकाल दूंगा,24 घंटे का टाईम दे रहा हूं मुझे वो जिंदा चाहिए किसी भी कीमत पर, और हा उन लड़कियों के बारे में कुछ पता चला "।

तब एक आदमी बोलता है, "नहीं.....

तब यूवी चिल्लाता है और बोलता है, "तुम लोग क्या कर रहे हो, तुमसे तो कुछ भी नहीं हो रहा है"।

तब एक आदमी बोलता है, "24 घंटे के अंदर आपको सब कुछ पता चल जाएगा "।

तब यूवी बोलता है, "इससे ज्यादा का टाईम दूंगा भी नहीं समझे"।

दो दिन बाद.........

यूवी अपने घर पहुंच जाता है। उसे देखते ही उसकी मां खुश हो जाती है और बोलती है, "आ गया मेरा लाल "।

तब यूवी के पापा बोलते हैं, "अपने लाल को पहले कुछ खिला तो दो उसके बाद बात करना"।

उसके बाद राधा यूवी के कमरे में खाना ले कर जाती है। राधा को देख कर यूवी को गुस्सा आ जाता है और वो बोलता है, "तुम्हे कितनी बार कहा है कि मेरे कमरे में मत आया करो, तुम्हें एक बात समझ में नहीं आती है क्या "।

तब राधा बोलती है, "आपकी परेशानी क्या है, एक तो मैं आपसे प्यार करती हूं और दो दिन से आपका इंतजार कर रही थी "।

तब यूवी बोलता है, "मैं तुमसे प्यार नहीं करता हूं और आइंदा मेरे से ऐसी फालतू बाते मत करना, और चलो अब निकलो यहां से "।

तब राधा बोलती है, "अकडू कही के "।

ये बोल कर वो चली जाती है।

आज यूवी के घर में कुछ औरते आती है और यूवी की मां से बाते कर रही होती है। तभी राधा चाय ले कर आती है। तब एक औरत राधा को देख कर बोलती है, "अरे कितने महीने हो गए हैं मगर तुम्हारी बहु ने अभी तक खुश खबरी नहीं सुनाई "।

तब दूसरी औरत बोलती है, "अरे हा मैं भी ये कब से सोच रही हूं कि तुम्हारे घर से खुश खबरी कब आएगी, एक नरेश के बेटे की शादी तुम्हारे बेटे के बहुत बाद हुई थी, और देखो उसकी बहु मां बनने वाली है और तुम्हारे यहां तो कुछ अता पता ही नहीं है "।

तब यूवी की मां बोलती है, "मिल जायेगी खुश खबरी बहुत जल्दी ही "।

तब एक औरत राधा से बोलती है, "हा राधा तुम बताओ कब दे रही हो खुश खबरी"।

ये सुनते ही राधा का कलेजा फट जाता है मगर फिर भी वो हिम्मत जुड़ा कर बोलती है, "मैं कैसे बच्चा दे सकती हूं मैं तो बांझ हु "।

ये सुनते ही गीतिका की मां, रानी और सब औरतों की आंखे फटी की फटी रह जाती हैं और वो राधा को देखने लगती है।