(इस भाग को पढने से पहले आप सभी पाठकों से निवेदन है कि वे पहले दोनों भाग पढ़ ले ताकि इससे आपको यह उपन्यास ठीक से समझ आ सके। )
"खून का सिलसिला"**
**जली हुई सच्चाई**
छत के एसी की ठंडी हवा भी इंस्पेक्टर सुखी के पसीने को रोक नहीं पा रही थी। प्रीत की जली हुई लाश के सामने खड़े उसके हाथ से पोस्टमार्टम रिपोर्ट काँप रही थी।
"पानी में डूबी कार... पर शरीर जला हुआ?"
उसकी नजर कार के टूटे शीशे पर अटक गई। एक धुँधला सा प्रतिबिंब... जैसे कोई उन्हें देख रहा हो। तभी उसके फोन ने खामोशी तोड़ी -
**अनजान नंबर:** "प्रीत ने 12 बच्चों को जिंदा जलाया था... आज उसे वही मौत मिली। - जल्लाद"
सुखी ने आँखें मूँद लीं। ये कोई साधारण किलर नहीं था... ये तो एक प्रेत था जो शिकार के अपने ही गुनाहों से उन्हें मार रहा था।
** फोटो में छुपा राज**
कमरे में फैली सिगरेट की धुंध के बीच सुखी ने प्रीत की जेब से निकली फोटो जाँची।
"कुमार... जलाल... राबर्ट... प्रीत... और ये पाँचवा शख्स?"
फोटो के पीछे लिखा था: "हम पाँच... अनाथों के मसीहा"। विडंबना देखिए - ये वही लोग थे जो अनाथालय के बच्चों की हड्डियों पर साम्राज्य बना रहे थे!
तभी दरवाज़ा खुला और एसीपी रवि अंदर आए। उनके हाथ में डॉ. वर्मा की फाइल थी।
"सुखी... डॉ. वर्मा आज सुबह मृत पाए गए। उनकी छाती में..."
सुखी ने बिना सुने पूरा किया -
"बर्फ का टुकड़ा घोंपा हुआ था, है ना?"
**जल्लाद का नया शिकार**
अस्पताल का मॉर्ग स्याह खामोशी से भरा था। डॉ. वर्मा की लाश पर पड़ा सफेद चादर... दीवार पर खून से लिखा:
"इंस्पेक्टर सुखी... तुम्हारी बारी।"
सुखी ने सिर पर हाथ रखा तो उंगलियाँ खून से सनी थीं। "ये कैसे...?"
तभी वीडियो कॉल आई। स्क्रीन पर 8 साल की बच्ची, आँखों में डर:
"अंकल... मुझे बचा लो!"
पीछे से आवाज़ गूँजी:
"5 साल पहले तुमने मेरी बेटी की फाइल गायब कर दी थी... आज तुम चुनोगे - इस बच्ची की जान या तुम्हारा सच?"
सुखी की साँसें तेज हो गईं। ये आवाज़... वो औरत थी जिसे उसने जेल भेज दिया था!
**अंतरंग का अंधेरा**
फ्लैशबैक:
5 साल पहले... एक अनाथ लड़की की मौत। सुखी ने केस दबा दिया क्योंकि उसके बॉस का नाम फाइल में था।
वर्तमान:
अब वही लड़की की माँ... जल्लाद बनकर लौटी थी!
सुखी ने पिस्तौल निकाली। उसे एक नाम याद आ रहा था - "नैना"। वह औरत जिसे सब मानसिक रोगी समझते थे... असल में वो एक माँ थी जिसने अपनी बेटी के लिए पूरे सिस्टम से बदला लेने की कसम खाई थी।
**क्लिफहैंगर:**
अस्पताल के कैमरे में एक नर्स को देखकर सुखी की रूह काँप गई - वो नैना थी!
उसके हाथ में सिरिंज था... और वह बच्ची वाले कमरे की ओर जा रही थी!
बाहर बारिश शुरू हो गई... बिजली की चमक में सुखी ने देखा - उसकी अपनी पिस्तौल गायब थी!
"नैना... मैं तुम्हारी बेटी की मौत का जिम्मेदार हूँ। लेकिन इस बच्ची को मत मारो..."
**अगले भाग में:**
- क्या सुखी खुद को बलिदान देगा?
- नैना का असली मकसद क्या है?
- क्या पुलिस में कोई और गद्दार है?
**📖 पाठकों के लिए सवाल:**
1. क्या जल्लाद का ये तरीका सही है?
2. सुखी को क्या करना चाहिए?
3. आप अगले मोड़ की कल्पना कैसे करेंगे?
(नोट: यह कहानी पूरी तरह काल्पनिक है।)