Rahul - 4 in Hindi Love Stories by Sonu Rj books and stories PDF | राहुल - 4

The Author
Featured Books
Categories
Share

राहुल - 4

राहुल कुछ पेपर्स देने नीती के घर आया था।
वो आकाश से कुछ डिस्कस कर रहा था, और हँसते हुए कुछ कह रहा था।

तृषा बालकनी में खड़ी थी, चाय का कप हाथ में लिए।

उसने राहुल की आवाज़ सुनी —
कोई बहुत साधारण बात कह रहा था, लेकिन जिस तरह से कह रहा था…
वो तृषा को बहुत अच्छा लगा।

फिर अचानक राहुल ने मुड़कर ऊपर देखा —
और बालकनी की तरफ एक हल्की-सी मुस्कान दी।

तृषा का दिल एक पल को अटक गया।

वो मुस्कुराई नहीं… बस कप से भाप लेते हुए खुद को सँभाल लिया।

“ये क्या था?” उसने खुद से पूछा।

कुछ नहीं… शायद कुछ भी नहीं।

लेकिन वहीं, उसी लम्हे…
प्यार की एक बेहद शांत लहर उसके दिल में उतर चुकी थी।

शनिवार की सुबह थी।
घर में सबका मूड हल्का-फुल्का था।
नीती ड्रॉअर में कुछ पुराने गिफ्ट कार्ड्स ढूंढ रही थी, आकाश मोबाइल पर मॉल के ऑफर देख रहा था।

नीती: “आकाश, इतने दिन हो गए… कहीं निकले ही नहीं। आज चलो न मॉल चलें… तृषा भी चलेगी।”

आकाश (मुस्कराते हुए): “मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं, बस लिस्ट पहले से बना लेना, वरना घुमा-घुमा के थका दोगी!”

तृषा (किचन से): “मैं तैयार हूँ! और इस बार कुछ अपने लिए भी खरीदूँगी।”

नीती (राहुल का नंबर डायल करते हुए):
“वैसे एक और बंदा है जो पूरे हफ्ते ऑफिस-ऑफिस करता रहता है… आज उसे भी घसीट लाते हैं।”

फोन उठता है…

राहुल: “हां दीदी?”

नीती: “तैयार हो जाओ, हम लोग मॉल जा रहे हैं। थोड़ा शॉपिंग, थोड़ा घूमना। आज मना नहीं चलेगा।”

राहुल (हँसते हुए): “अरे भई, इतने प्यार से बुलाया है तो आना पड़ेगा। आधे घंटे में मिलता हूँ!”

फोन कटते ही तृषा हल्के से मुस्कराती है —
ना किसी को दिखा, ना किसी को समझ आया।
शनिवार शाम।
चारों दोस्त — आकाश, नीति, त्रिशा और राहुल — एक मॉल के मल्टीप्लेक्स में पहुँचे हैं। मूड एकदम मस्ती वाला है। मूवी कोई हल्की-फुल्की कॉमेडी है।

नीति (टिकट हाथ में लेकर):
"मुझे Window सीट चाहिए थी, तुम लोग हमेशा बीच में क्यों फँसा देते हो?"

त्रिशा:
"क्योंकि बीच में तुम ज़्यादा हँसती हो — और हमें फ्री एंटरटेनमेंट चाहिए!"

राहुल (धीमे से मुस्कुराते हुए):
"मुझे तो बस popcorn चाहिए।"

आकाश (हँसते हुए):
"राहुल, popcorn ही चाहिए या कोई साथ में popcorn share करने वाली भी?"

राहुल (शरमाते हुए):
"मूवी देखने आए हैं bhai, शादी के मंडप में नहीं।"

सब ज़ोर से हँसते हैं। मूवी शुरू होती है। बीच-बीच में त्रिशा ज़ोर-ज़ोर से laugh करती है, नीति उसे elbow मारती है, और आकाश commentary करता है।

नीति (धीरे से):
"राहुल इतनी चुप क्यों है? तुम्हें funny नहीं लग रहा?"

राहुल (शांत):
"मज़ा तो आ रहा है… पर तुम लोग इतना हँस रहे हो, मैं वो सुन नहीं पा रहा!"

मूवी के बाद सभी बाहर निकलते हैं, और ट्रेलर के बारे में चर्चा करते हुए चौपाटी की ओर चाय पीने चल पड़ते हैं।
फिल्म चल रही है, और चारों दोस्त आराम से अपनी सीटों पर बैठे हैं।
मूवी एक हल्की रोमांटिक कॉमेडी है, और जैसे ही एक सीन आता है, सबका ध्यान उसमें लग जाता है।

फिल्म में सीन:
हीरो और हीरोइन एक डिनर डेट पर होते हैं, और हीरो अपनी शर्ट का बटन खोलकर बैठता है।

आकाश (चुटकी लेते हुए):
"अरे! ये क्या है? राहुल, तुम क्या शर्ट के बटन खोलने की प्लानिंग कर रहे हो?"

राहुल (हँसते हुए):
"क्या यार! ये फिल्म का हीरो है, मुझे नहीं लगता इस स्टाइल में मैं fit होऊं!"

त्रिशा (हँसते हुए):
"सही कहा! राहुल के तो बटन खुलते ही सारी सीरीज़ बंद हो जाएगी!"

नीति (शरारती अंदाज़ में):
"अगर तुम लोग ऐसे ही हंसी-ठिठोली करते रहे तो ये फिल्म देख पाओगे? या फिर बीच में ही popcorn finish करोगे?"

फिल्म में अब एक और सीन आता है, जिसमें हीरो और हीरोइन एक दुसरे को पकड़ते हैं।

आकाश (कुछ ज़्यादा ही ड्रामा करते हुए):
"अरे! ये क्या हो गया? पूरा प्लॉट बदल गया! अब अगर राहुल और नीति ऐसे पकड़ेंगे तो फिर मुझसे ज्यादा इन दोनों को 'अच्छे दोस्त' मानूंगा!"