(विधानसभा गृह)
अध्यक्ष : देखिए सदन में इस तरह की बहस न करे ये आपको शोभा नहीं देता ये क्या गुंडों जैसा बरताव कर रहे हैं
विपक्षी दल: मुझे ये बात कहते हुए बड़ा दुख होता है कि cm साब जब जनता के बीच जाते हैं बड़े बड़े भाषण होते है पर जब भी सदन में आते है लगता है कि मुंह में मूंग भर के आते है आवाज ही नहीं निकलती है इनकी
Cm : अध्यक्ष महोदय विपक्षी दल को ये लगता है कि ये कुछ बोलता नहीं है तो इसे कुछ आता नहीं है ये तो गांव से आया हुआ गवार है, इनको तो ये भी लगता था कि सरकार चलाना भी नहीं आता इनको
विपक्षी दल : देखिए बड़ी बड़ी बाते करने से कुछ नहीं होता सरकार में आने के बाद काम भी करना होता है
अध्यक्ष : आप बार बार बीच में क्यों खड़े होते हैं, आपको बोलने का समय तो दिया था
Cm : अध्यक्ष महोदय ये आदत छूटने में थोड़ा समय लगेगा, सत्ता का जो नशा होता है जल्दी उतरता नहीं है मुझे तो समझ नहीं आता है कि ये लोग जो इस सदन में बैठे सिर्फ विपक्षी दल नहीं हमारी पार्टी के लोग भी जबसे सत्र आरम्भ हुआ है तबसे एक भी सदस्य ने प्रजा के बारेमे एक शब्द नहीं बोला है,इन्होंने प्रजा के बारे में सोचना भी छोड़ दिया है अरे शर्म करो कुछ कितनी आशा होती है आप लोगों से जनता को
राज्य में न अच्छे स्कूल है , न अच्छी आरोग्य व्यवस्था है और क्यों नहीं क्योंकि इनके मन में खोट है , क्योंकि सरकारी स्कूल अच्छे हुए तो जो प्राइवेट स्कूल जो इनके रिश्तेदारों के है वो बर्बाद हो जाएंगे, और रुपैया खिलाकर जो बड़े बड़े डॉक्टर जो समधी है वो कंगाल हो जाएंगे
क्या आपने फिक्स किया है कि चारों तरफ से जनता को बेवकूफ बनाना है और लूटना है
हमारे राज्य में कानून व्यवस्था जो हालत आप लोगों ने बना के रखी है कहा जाएगी आम जनता
कोई अच्छा काम करता है आप ट्रांसफर कर देते हैं,वैसे तो दारू बंद है पर सबसे ज्यादा आता है हमारे राज्य में
आप एक थाली में खाते हो और जनता को बार बार जाती और धर्म के नाम पर लड़ाते हो
आपने कितने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य को बर्बाद कर दिया कब तक ये चलता रहेगा पर हा कान खोल के सुन्लो कोई भी बचेगा नहीं और हा आप कह रहे थे कि में सदन में क्यों कुछ बोलता नहीं हु आपकी फाइल जो है उसकी कुंडली निकाल रहा था बड़े काम किए है आपने वो देख के मुझे भी शर्म आती है
अध्यक्ष महोदय मुझे cm बने हुए मात्र 4 महीना हुआ है काम किया है और बहुत कुछ करना बाकी है
अध्यक्ष महोदय हमारा राष्ट्र, राज्य,गांव कैसा होना चाहिए एक स्त्री की सुरक्षा की हमारी पहली जिम्मेदारी होनी चाहिए
हमारे किसानों को उनके हक के लिए आंदोलन न करने पड़े किसी भी क्षेत्र में किसी को भी अपने राज्य के प्रति नाराजगी नहीं चाहिए हमारे स्वतंत्रता संग्राम के वीरों ने तब इस लिए आंदोलन क्या थे और गोलियां खाई थीं कि भविष्य में है हमे गोलियां न खानी पड़े और आंदोलन न करने पड़े में इसी के साथ अपनी वाणी को विराम करता हु!!!