chapter 1धरती पर लाखों साल बीतने के बाद छोटे से छोटे और बड़े से बड़े जानवर विशालकाय होने लगे। कुछ शांत स्वभाव के थे तो कुछ इतने खतरनाक कि उनकी झलक मात्र से लोगों की रूह कांप जाती थी। समय के साथ इन बीस्ट्स की शक्ति बढ़ती गई, और वे इंसानों पर हावी होने लगे। हालात ऐसे हो गए कि आम इंसानों को अपने घरों में छिपकर रहना पड़ रहा था।लेकिन कुछ इंसान इन हालातों से संतुष्ट नहीं थे। उन्होंने खुद को तैयार किया, क्योंकि वे नहीं चाहते थे कि बाकी लोगों की तरह छिपकर जीवन बिताएं। वर्षों की कठिन ट्रेनिंग के बाद ये लोग ऐसे योद्धा बन गए, जो इन बीस्ट्स का सामना कर सकते थे। इन्हें 'मॉन्स्टर टेमर' कहा जाने लगा।मॉन्स्टर टेमर बनने के लिए एक व्यक्ति को न केवल ताकतवर होना पड़ता था, बल्कि उसमें बीस्ट्स को काबू में करने की विशेष कला भी होनी चाहिए थी। समय के साथ, यह एक फैशन बन गया, लेकिन इसमें कामयाब होने के चांस बहुत कम थे। इसलिए मॉन्स्टर टेमर बनने की ट्रेनिंग के लिए विशेष स्कूल खोले गए। इन स्कूलों में बच्चों को प्रशिक्षित किया जाता था, ताकि वे बीस्ट्स को काबू कर सकें।आज की कहानी एक ऐसे ही स्कूल के छात्र शौर्य की है। शौर्य इस वक्त किसी खतरनाक बीस्ट को नहीं, बल्कि एक सामान्य बिल्ली को टेम करने की कोशिश कर रहा था। यह बिल्ली उसे स्कूल की ओर से दी गई थी, और वह पिछले चार सालों से इसे टेम करने में असफल रहा था। लेकिन आज, उसे लग रहा था कि इस बार वह जरूर सफल होगा। उसने बिल्ली के लिए खास मछली का इंतजाम किया था, और पूरी उम्मीद के साथ उसे खिला रहा था।बिल्ली ने शौर्य के हाथ से मछली खाई, लेकिन जैसे ही मछली खत्म हुई, उसने शौर्य को काट लिया। शौर्य घबरा गया और तुरंत वहां से भाग खड़ा हुआ। इस नजारे को देखकर बाकी छात्र हंसने लगे।स्कूल में 'ब्लैक गॉड टीम' नामक एक शक्तिशाली समूह था, जिसका लीडर गौरव था। गौरव दूसरे स्थान पर था, और उसकी टीम के बाकी सदस्य तीसरे से पांचवें स्थान तक थे। जब गौरव ने शौर्य को इस हाल में देखा, तो उसके चेहरे पर एक शातिर मुस्कान आ गई।"विक्रम, अंश, प्राची... तुम सब बड़े परिवारों से हो, है ना?" गौरव ने अपनी टीम के सदस्यों से पूछा।वे सभी सिर हिलाकर सहमति जताते हैं।गौरव ने गंभीर आवाज में कहा, "हम टैलेंटेड हैं, ताकतवर हैं, और फिर भी इस स्कूल में एडमिशन के लिए हमें कितनी मुश्किलों से गुजरना पड़ा। लेकिन यह शौर्य... यह एक अनाथ और गरीब है, फिर भी इसे यहां एडमिशन कैसे मिल गया? और वह भी इतने सालों से यहां कैसे टिका हुआ है?"प्राची ने आगे बढ़कर कहा, "गौरव, चिंता मत करो। अगर यह इस साल भी किसी जानवर को टेम नहीं कर पाया, तो इसे स्कूल से निकाल दिया जाएगा। वैसे भी, एक जानवर को टेम करने से कुछ नहीं होगा, इसे कम से कम दस जानवरों को टेम करना होगा।"गौरव ने गुस्से में कहा, "लेकिन इसके जाने से पहले, मैं इसे सबक जरूर सिखाऊंगा।"गौरव के इशारे पर अंश और विक्रम वहां से चले जाते हैं। उधर, शौर्य स्कूल से बाहर निकल आया था, क्योंकि वह जानता था कि वह बिल्ली स्कूल से बाहर नहीं जाती।वह कुछ घंटों तक बाहर बैठा रहा और फिर धीरे-धीरे वापस स्कूल में दाखिल हुआ। लेकिन अब भी उसके मन में डर था कि कहीं वह बिल्ली उस पर दोबारा हमला न कर दे।"समझ नहीं आ रहा कि मुझमें क्या कमी है? मैं एक छोटी सी बिल्ली को टेम नहीं कर पा रहा हूं, और फिर भी मैं एक मॉन्स्टर टेमर स्कूल में पढ़ रहा हूं। आखिर मेरा क्या होगा?" शौर्य ने खुद से कहा।"शौर्य अपनी क्लास में कदम रखते ही देखता है कि पूरे क्लासरूम में अचानक सन्नाटा छा जाता है। सभी छात्र एक-दूसरे के कान में फुसफुसाने लगते हैं, उनकी निगाहें उसी पर टिकी होती हैं। 'तुम्हें पता है, वो स्कूल की दी गई बिल्ली जिसे हर किसी को टेम करना होता है, इसे अभी तक नहीं टेम कर पाया?' 'हाँ, ये इसका पांचवा साल है! अगर इस बार भी असफल रहा तो इसे स्कूल से निकाल दिया जाएगा।' 'मुझे समझ नहीं आता, इस लड़के ने अब तक उस छोटी सी बिल्ली को भी टेम कैसे नहीं किया? मैंने तो महज दो दिन में कर लिया था!' क्लास में हलचल मची थी, लेकिन शौर्य इन बातों की परवाह किए बिना अपनी सीट पर जाकर बैठ गया। कुछ देर बाद, क्लासरूम में एक बेहद खूबसूरत लड़की दाखिल हुई। वह स्कूल की टॉप रैंक स्टूडेंट श्रेया थी, जिसने एक खतरनाक स्नेक बीस्ट को टेम किया था। उसके कान के पास लिपटा वह सांप धीरे-धीरे हिल रहा था, और उसकी तीखी नजरें पूरे क्लास पर घूम रही थीं। स्टूडेंट्स उसकी ओर देख तो रहे थे, लेकिन उसके बीस्ट के डर से चुप्पी साधे बैठे थे। स्कूल के नियमों के अनुसार, जिन छात्रों के नाम मिलते-जुलते होते थे, उन्हें साथ बैठने के लिए कहा जाता था। इस नियम के कारण श्रेया को शौर्य के पास की सीट मिली थी। शौर्य इस बात से बेहद खुश था कि स्कूल की सबसे सुंदर लड़की उसके पास बैठने वाली थी, लेकिन श्रेया ने खुद को बदकिस्मत समझते हुए मन ही मन सोचा, 'हे भगवान! पता नहीं, मेरी किस्मत इतनी खराब क्यों है कि मुझे इस लड़के के साथ चार साल बैठना पड़ा, और अब पांचवा साल भी झेलना पड़ रहा है। कोई बात नहीं, जब यह स्कूल से बाहर होगा, तब मैं चैन की सांस लूंगी!' हल्की सी मुस्कान के साथ, वह उसके बगल में बैठ गई। कुछ ही देर बाद, टीचर क्लास में आईं, लेकिन अधिकांश लड़कों का ध्यान अब भी श्रेया पर था। अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए टीचर ने ज़ोर से टेबल पर हाथ मारा, जिससे पूरे क्लास का ध्यान उनकी ओर खिंच गया।" Chapter 2।साक्षी मैम क्लास में दाखिल होते ही पूरी क्लास में सन्नाटा छा गया। उनका स्वभाव इतना कठोर था कि हर छात्र उनसे डरता था। क्लास में हल्की फुसफुसाहट होने लगी, लेकिन साक्षी मैम की तेज नजरों ने तुरंत इसे भांप लिया।"तुम लोग क्या फुसफुसा रहे हो? शांत नहीं बैठ सकते?" उनकी कड़क आवाज सुनकर सभी सहम गए।साक्षी मैम जितनी खूबसूरत थीं, उतनी ही अनुशासनप्रिय और गुस्सैल भी। यही कारण था कि क्लास में हर कोई उनसे दूरी बनाए रखता था। लेकिन वे सिया की टीचर थीं और उसे पर्सनली गाइड भी करती थीं, इसलिए उनकी अहमियत सभी जानते थे।दूसरी ओर, सौर्य इस समय श्रिया को ही देख रहा था। उसे इस बात का जरा भी एहसास नहीं था कि क्लास में टीचर आ चुकी हैं। तभी साक्षी मैम सीधा उसके सामने जाकर खड़ी हो गईं। सौर्य को अपनी ओर आती हुई परछाई का एहसास हुआ और उसने नजरें उठाईं। सामने साक्षी मैम को खड़ा देख वह तुरंत उठ खड़ा हुआ। "सॉरी टीचर, मुझे नहीं पता था कि आप आ गई हैं," सौर्य ने झेंपते हुए कहा।"अच्छा, तुम्हें नहीं पता था कि मैं आ गई?" साक्षी मैम ने संदेह भरी नजरों से उसे देखा। "तो बताओ, आज तुमने उस बिल्ली को टेम कर लिया?"सौर्य ने उदास चेहरे से जवाब दिया, "नहीं मैम, उसने मुझे फिर काट लिया। मैंने उसे बहुत महंगी मछली खिलाई थी, फिर भी..."साक्षी मैम ने गुस्से से उसकी बेंच पर हाथ मारा। "अगर केवल खाना खिलाने से कोई जानवर टेम हो सकता, तो इस स्कूल के सारे अमीर बच्चों के पास अपने टेम किए हुए बीस्ट होते। मुझे समझ नहीं आता कि तुम पिछले चार सालों से यहाँ कर क्या रहे हो? और किसने तुम्हें इस स्कूल में एडमिशन दिया था?"पूरी क्लास में खामोशी छा गई।"अगर तीन महीनों के अंदर तुमने कम से कम दस जानवरों को टेम नहीं किया, तो तुम इस स्कूल में रहने लायक नहीं हो। और अगर एक भी टेम कर लो, तो हमें खुशी होगी," साक्षी मैम ने सख्ती से कहा।सौर्य ने सिर झुका लिया। "इसके अलावा, मैं तुम्हारे माता-पिता से मिलना चाहती हूँ। मुझे पता है कि तुम अनाथ हो, लेकिन पिछले चार सालों से इस स्कूल ने तुम्हें बाहर नहीं निकाला है, इसका मतलब तुम्हारे पीछे कोई तो है जो तुम्हारी मदद कर रहा है। मैं बस उससे मिलना चाहती हूँ," साक्षी मैम ने कहा।"मैम, मेरे पीछे सच में कोई नहीं है। मैं अनाथ हूँ और अकेला रहता हूँ," सौर्य ने सफाई दी, लेकिन तब तक साक्षी मैम क्लास के बीच में जाकर खड़ी हो चुकी थीं।"अगर कल तुम अपने पेरेंट्स को लेकर नहीं आए, तो स्कूल आने की जरूरत नहीं है। मैं खुद तुम्हारे खिलाफ कंप्लेन सबमिट कर दूंगी," साक्षी मैम की बात सुनकर सौर्य हक्का-बक्का रह गया। उसे पता था कि अगर उन्होंने रिपोर्ट सबमिट कर दी, तो उसे स्कूल से निकाल दिया जाएगा।श्रिया, जो उसके बगल में बैठी थी, यह सब देख रही थी। उसने खड़े होकर साक्षी मैम से कहा, "टीचर, आपने ये तो देख लिया कि मैं इसके साथ बैठती हूँ, लेकिन इसने कोई सुधार नहीं किया। पर इसके मेरे साथ बैठने से मुझे बहुत परेशानी हो रही है। मेरा बीस्ट अब काबू से बाहर जा रहा है, और ये सब सौर्य के कारण हो रहा है।"श्रिया की बात सुनकर पूरी क्लास में सन्नाटा छा गया। सभी जानते थे कि उसका बीस्ट कितना शक्तिशाली था।"सौर्य, एक बात बताओ," साक्षी मैम ने पूछा, "क्या जिसके साथ हम रहते हैं, हम उसके जैसे बन जाते हैं?""जी मैम," सौर्य ने जवाब दिया।"तो चार साल से तुम श्रिया के साथ बैठ रहे हो, लेकिन तुम्हारे अंदर उसकी एक भी खूबी नहीं आई?" पूरी क्लास हँसने लगी।"बस इसके साथ बैठकर इसे घूरते रहते हो," एक छात्र बोला।श्रिया ने सभी को चुप करा दिया। "टीचर, क्या आप ये कह रही हैं कि मैं इसकी संगति में पड़कर कमजोर हो रही हूँ?" उसने गुस्से से कहा।क्लास में सन्नाटा छा गया। साक्षी मैम ने सौर्य की ओर देखा। "तुम्हें एक मौका देती हूँ। कल या तो तुम एक रिपोर्ट लेकर आओगे जिसमें शहर के सभी मॉन्स्टर्स की जानकारी होगी, या फिर अपने पेरेंट्स को लेकर आओगे। इन दोनों में से किसी एक को चुनो।"सौर्य के मन में हलचल मच गई। उसे पता था कि इस रिपोर्ट के लिए पूरे शहर में रिसर्च करनी होगी, लेकिन उसके पास सिर्फ एक दिन था। यह असंभव था।"कल मैं तुम्हारा फैसला देखूंगी," साक्षी मैम ने कहा और चली गईं।इसके बाद उन्होंने एक बटन दबाया और बोर्ड पर एक वीडियो चलने लगा। "बच्चों, आज मैं तुम्हें न्यूरो कोर के बारे में बताने वाली हूँ," उन्होंने कहना शुरू किया।सौर्य, जो कुछ देर पहले तक उदास था, अब ध्यान से वीडियो देखने लगा। न्यूरो कोर एक ऐसा सिस्टम था जो इंसानों की शक्ति को कई गुना बढ़ा सकता था। इसे हासिल करने के लिए 20 साल की उम्र तक पहुंचना जरूरी था, लेकिन एक व्यक्ति ऐसा था जिसने इस नियम को तोड़ दिया था। उसका नाम था सिद्धार्थ वरदान...सिद्धार्थ वरदान वह व्यक्ति था जिसने पूरी दुनिया में क्रांति ला दी थी। उसने सभी मॉनस्टर्स को हराकर उन्हें टेम कर लिया और अपनी ओर मिला लिया। उसकी जीत के बाद इंसानों ने दोबारा धरती पर शासन करना शुरू कर दिया। लेकिन यह घटना इतनी पुरानी है कि अब किसी को यह नहीं पता कि सिद्धार्थ वरदान कहां है—क्या वह अभी जीवित है या मर चुका है? लोअर क्लास शहरों में रहने वाले लोगों को लेवल वन शहर से बाहर की कोई जानकारी नहीं होती, इसलिए सिद्धार्थ वरदान का अस्तित्व अब रहस्य बन चुका है। सिद्धार्थ वरदान पहला व्यक्ति था जिसने महज 15 साल की उम्र में एक न्यूरो कोर जनरेट कर लिया था। इस कोर के बनने के साथ ही उसकी शक्ति असाधारण रूप से बढ़ गई थी, लेकिन उसने वहीं रुकने के बजाय अपनी क्षमताओं को और भी ऊंचे स्तर तक विकसित किया। न्यूरो कोर केवल शक्ति बढ़ाने का साधन नहीं था—यह एक अनूठी प्रणाली थी जिसमें लोग अपने मॉनस्टर्स को बिना भोजन और पानी दिए सुरक्षित रख सकते थे। जब तक मॉनस्टर्स न्यूरो कोर के भीतर होते, वे इसकी ऊर्जा से स्वस्थ बने रहते और कभी बीमार नहीं पड़ते। यहां तक कि यदि उनके अंग कट जाएं, तो भी वे कोर के अंदर पुनः ठीक हो सकते थे। बिना न्यूरो कोर के, मॉनस्टर्स को टेम करने वालों को उन्हें हमेशा अपने साथ रखना पड़ता था, लेकिन न्यूरो कोर ने इस समस्या को पूरी तरह खत्म कर दिया। यह प्रणाली न केवल मॉनस्टर्स को सुरक्षित रूप से रखने की सुविधा देती, बल्कि उनकी शक्ति भी लगातार बढ़ती रहती थी। यही कारण था कि सिद्धार्थ वरदान ने न्यूरो कोर की मदद से वह उपलब्धि हासिल की, जो किसी और के लिए असंभव थी।chapter 3"क्लास खत्म होते ही शौर्य हमेशा की तरह अकेला और उदास कैंटीन की ओर बढ़ा। कैंटीन में वह सीधा अपनी पसंदीदा टेबल की ओर बढ़ा, जो अक्सर खाली रहती थी क्योंकि कोई भी उसके साथ बैठना पसंद नहीं करता था। अगर कोई गलती से वहां बैठ भी जाता, तो बाकी छात्र उसका मजाक उड़ाने लगते। शौर्य चुपचाप अपनी टेबल पर बैठ गया और धीरे-धीरे अपना टिफिन खोलकर खाने लगा। लेकिन आज उसके दिमाग में खाने से ज्यादा एक और बात घूम रही थी—वह प्रोजेक्ट जिसे पूरा करना लगभग असंभव था। उसका होमवर्क था दुनिया भर के मॉन्स्टर्स और उनके खान-पान पर रिसर्च करना। यह काम इतना कठिन था कि अगर कोई विशेषज्ञ भी इसे करने निकले, तो उसे कम से कम दस दिन लग जाते, और उसे यह सब सिर्फ एक दिन में करना था। शौर्य को लग रहा था कि साक्षी मैम ने जानबूझकर उसे इतना मुश्किल टास्क दिया है। वह बुदबुदाया, *"अब मेरा स्कूल से निकलने का वक्त आ गया है।"* उसका मन बेचैन था। तभी उसे अपनी बहन अनन्या की याद आई—एक प्रसिद्ध डॉक्टर और साइंटिस्ट। वह सिर्फ इंसानों का ही नहीं, बल्कि मॉन्स्टर्स का भी इलाज करती थी और नए मॉन्स्टर्स की खोज में अहम भूमिका निभाती थी। इस दुनिया में डॉक्टर, मॉन्स्टर ट्रेनर और मॉन्स्टर टेमर जैसे कई पेशे थे, लेकिन सबसे कठिन काम मॉन्स्टर टेमर का था, जो जंगली मॉन्स्टर्स को पालने और समझने का काम करते थे। शौर्य जानता था कि अगर वह अपनी बहन की मदद ले लेता, तो उसका काम आसान हो जाता और उसे स्कूल से निकाले जाने का खतरा भी खत्म हो जाता। आखिर, अनन्या ही थी जिसकी वजह से वह चार सालों से इस स्कूल में टिका हुआ था। लेकिन समस्या यह थी कि शौर्य अपनी बहन से नफरत करता था, क्योंकि उसे बचपन में किसी ने कह दिया था कि उसके माता-पिता की मौत के लिए अनन्या की माँ जिम्मेदार थी। इस वजह से वह हमेशा अपनी बहन से दूर रहता था, भले ही अनन्या उससे बहुत प्यार करती थी। शौर्य के मन में द्वंद्व चल रहा था कि तभी किसी ने उसकी टेबल पर जोर से हाथ मारा। उसने सिर उठाकर देखा—अंश और विक्रम सामने खड़े थे। *"तो तूने आखिर मान ही लिया कि तू इस प्रोफेशन के लायक नहीं है?"* अंश ने तंज कसते हुए कहा। *"वाह! सब लोग सुन लो, शौर्य ने खुद मान लिया कि वह इस प्रोफेशन के लिए अयोग्य है!"* विक्रम ने तेज आवाज में चिल्लाया। पूरी कैंटीन ठहाकों से गूंज उठी। हर कोई शौर्य की ओर देख रहा था और हंस रहा था। शौर्य ने चुपचाप अपना टिफिन बंद किया और उठकर जाने लगा, लेकिन अंश और विक्रम उसके सामने आकर खड़े हो गए, उसकी राह रोकते हुए।"शौर्य की बात सुनते ही अंश और गौरव उसका मजाक उड़ाने लगे, "तो तू अपनी बहन को लेकर आएगा और तेरी सारी प्रॉब्लम ठीक हो जाएगी, है ना?" लेकिन शौर्य ने उनकी बातों को अनसुना कर दिया और वहां से जाने लगा। उसका ऐसा व्यवहार देखकर अंश और विक्रम दोनों के चेहरे पर नाराजगी झलकने लगी। विक्रम गुस्से में शौर्य के सामने आकर उसके हाथ में मौजूद टिफिन को झटककर नीचे गिरा देता है। "ओह! बच्चे का टिफिन गिर गया! अब क्या खाएगा? कोई बात नहीं, नीचे जो गिरा है, वही खा ले। वैसे भी खाना बर्बाद नहीं करना चाहिए… शायद तेरे मां-बाप ने यही सिखाया होगा… ओह! सॉरी… तेरे तो मां-बाप ही नहीं हैं!" विक्रम ने ज़हर बुझी हंसी के साथ कहा। यह सुनते ही शौर्य की मुट्ठी कस गई, उसका गुस्सा उबाल पर था। उसने विक्रम पर हमला करने के लिए मुक्का चलाया, लेकिन तभी अचानक एक बड़ी चोंच वाली चिड़िया उड़ती हुई आई और शौर्य के चेहरे पर चोंच मारने लगी। इससे उसका बैलेंस बिगड़ गया, और उसका मुक्का विक्रम को लगने से चूक गया। विक्रम हंसते हुए बोला, "कमॉन शौर्य, हम मॉन्स्टर टेमर्स हैं! मैंने भले ही कुछ नॉर्मल एनिमल्स टेम किए हैं, लेकिन वो इतना तो कर ही सकते हैं कि तुम जैसे कमजोर इंसान को हरा दें!" पूरे स्कूल के छात्र यह लड़ाई चुपचाप देख रहे थे। कुछ लोग आपस में चर्चा कर रहे थे, "ये सब ब्लैक गॉड टीम के मेंबर्स हैं, और गौरव इनका लीडर है। गौरव श्रेया को पसंद करता है, लेकिन शौर्य की बदकिस्मती देखो… उसका नाम भी श्रेया से मिलता-जुलता है, इसलिए दोनों को साथ बैठना पड़ता है। इसी वजह से पूरा स्कूल शौर्य से चिढ़ता है।" गौरव भी शौर्य से नफरत करता था, और यह उसके लिए अच्छी बात नहीं थी। वह पहले ही मॉन्स्टर टेमर बनने में असफल हो रहा था, और अगर उसे गौरव का गुस्सा भी झेलना पड़ा, तो उसकी मुश्किलें और बढ़ जाएंगी। दूसरी तरफ, शौर्य खुद को संभालने की कोशिश कर रहा था, लेकिन तभी अंश ने उसका हाथ पकड़ लिया और कसकर लॉक कर दिया। "विक्रम, मार इसको! इसे सबक सिखाते हैं!" अंश ने कहा। विक्रम ने शौर्य के पेट पर जोरदार घूंसे बरसाने शुरू कर दिए। वह कभी उसके पेट पर, तो कभी उसके चेहरे पर वार कर रहा था। शौर्य दर्द से चीख रहा था, लेकिन कुछ कर नहीं पा रहा था। लगभग पाँच मिनट तक मारने के बाद विक्रम थोड़ा शांत हुआ और बोला, "चलो, हो गया काम। छोड़ इसे!" अंश और विक्रम वहां से जाने लगे, लेकिन तभी शौर्य ने पास में बैठकर लंच कर रहे एक लड़के के झूठे टिफिन को उठाया और सीधा विक्रम के सिर पर दे मारा। विक्रम इस वार के लिए तैयार नहीं था, और जब झूठा खाना उसके ऊपर गिरा, तो उसका गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। "विक्रम, आज के लिए बस करो!" अंश ने उसे समझाने की कोशिश की। लेकिन विक्रम चीख पड़ा, "अगर आज के लिए बस हो गया होता, तो ये अभी तक जमीन पर पड़ा होता! इसमें इतनी हिम्मत है कि ये मुझसे अब भी लड़ना चाहता है?" गुस्से में विक्रम ने तेजी से आगे बढ़कर शौर्य की पीठ पर जोरदार लात मारी। शौर्य दीवार से टकरा गया, और उसके सिर से खून बहने लगा। सब लोग यह देखकर सकते में थे। कुछ उसकी मदद करना चाहते थे, लेकिन ब्लैक गॉड टीम के डर से कोई आगे नहीं आया। कुछ लोगों को शौर्य के लिए बुरा लग रहा था, लेकिन वे असहाय थे। "चलो, टीचर को कम्प्लेन कर देते हैं, वरना शौर्य का खून बहुत ज्यादा बह रहा है!" कुछ छात्र आपस में फुसफुसाए और बाहर निकलने लगे। लेकिन जैसे ही वे कैंटीन के दरवाजे तक पहुंचे, गौरव वहां आकर खड़ा हो गया और गुस्से से उन्हें घूरने लगा। "क्या तुम सब भी हमारे गुस्से का शिकार होना चाहते हो?"chapter 4गौरव गुस्से से लाल होकर सामने खड़ा हो गया और आंखों में आग भरकर बोला, "क्या तुम सब भी हमारे गुस्से का शिकार होना चाहते हो?"फिर विक्रम ने धमकी भरे लहजे में कहा, "अगर कोई भी बाहर जाकर शौर्य की मदद लेने की कोशिश करेगा—चाहे वह हॉस्टल हो या हॉस्पिटल—तो हमसे बुरा कोई नहीं होगा। शौर्य के बदले तुम सब भी यहीं पड़े मिलोगे। समझे?"विक्रम की धमकी ने अपना असर दिखाया। वहां मौजूद सभी लोग चुपचाप सिर झुकाए चले गए। किसी ने भी शौर्य की मदद के लिए कदम नहीं बढ़ाया। शौर्य करीब एक घंटे तक इंतजार करता रहा कि कोई आएगा, लेकिन कोई नहीं आया।अपने ही टी-शर्ट से खून रोकने की कोशिश करता शौर्य अब बेहद कमजोर हो चुका था। उसे एहसास हुआ कि अगर वह खुद नहीं उठा, तो शायद यह उसकी आखिरी रात हो सकती है। बड़ी मुश्किल से खुद को संभालते हुए, लड़खड़ाते कदमों के साथ वह स्कूल के हॉस्पिटल की तरफ बढ़ने लगा।हॉस्पिटल में अभी लाइट जल रही थी, जिसे देखकर उसके चेहरे पर हल्की राहत की झलक आई। उसने अपनी रफ्तार थोड़ी बढ़ाई और जैसे-तैसे दरवाजे तक पहुंचा। उसने दरवाजा खटखटाया, लेकिन अंदर जाने से पहले ही उसकी आंखों के सामने अंधेरा छा गया और वह बेहोश होकर गिर पड़ा।***दूसरी ओर, एक विशाल अंडरग्राउंड रिसर्च सेंटर में, कई डॉक्टर एक डेड बॉडी को घेरे खड़े थे। डॉक्टर संजीव रंजन, जो सफेद लैब कोट पहने हुए थे, अनन्या की ओर देखते हुए बोले, "क्या तुम्हें सच में लगता है कि यह काम करेगा?"अनन्या ने आत्मविश्वास के साथ जवाब दिया, "डॉक्टर संजीव, हम इस सीक्रेट मिशन पर पिछले आठ सालों से काम कर रहे हैं। हमारा मिशन 'दिव्य पत्थर' अब अपने अंतिम चरण में है। हम इस पड़ाव तक इतनी मेहनत से पहुंचे हैं, और मुझे पूरा यकीन है कि यह प्रयोग सफल होगा।"उनकी बातें सुनते ही उनकी यादों में आठ साल पुरानी घटनाएं तैरने लगीं।उस समय, धरती के ऊपर से एक विशाल एस्टेरॉइड बड़ी तेजी से नीचे गिर रहा था। यह लोअर क्लास के शहर के ठीक बीचोंबीच टकराया था—वहीं, जहां संजीव, अनन्या और शौर्य रहते थे। क्योंकि यह एक गरीब इलाका था, सरकार ने इस स्थान पर रिसर्च टीम भेज दी और इस रहस्यमयी पत्थर का अध्ययन शुरू हो गया, जो उस एस्टेरॉइड के साथ आया था।इस पत्थर की असली ताकत जानने में वैज्ञानिकों को चार साल लग गए। अनन्या और डॉक्टर संजीव की टीम ने यह खोज निकाली कि यह कोई साधारण पत्थर नहीं, बल्कि किसी भी मृत शरीर को जीवित करने की क्षमता रखता था। अगर वे इस खोज को पूरी तरह सफल बना लेते, तो उनका यह छोटा शहर दुनिया के सबसे विकसित शहरों की सूची में शामिल हो सकता था। और सबसे बड़ी बात—उनकी यह उपलब्धि पूरी दुनिया को हिलाकर रख सकती थी।"हम तैयार हैं," उनके जूनियर डॉक्टर अनिकेत ने घोषणा की।अनन्या और डॉक्टर संजीव ने एक गहरी सांस ली। "अगर यह प्रयोग इस बार असफल हुआ, तो हमें फिर से वर्षों की मेहनत दोहरानी होगी," अनन्या ने कहा।रिसर्च लैब के अंदर, शीशे के मजबूत केबिन में रखी डेड बॉडी के पास, वह रहस्यमयी पत्थर सुरक्षित रखा गया था।डॉक्टर अनिकेत ने एक खास तरह का आयरन-सूट पहना, जो इतना मजबूत था कि उस पर कोई हमला भी असर नहीं कर सकता था। उन्होंने सावधानी से पत्थर उठाया और धीरे-से डेड बॉडी के सिर के ऊपर रख दिया।पलभर में, वह पत्थर तेज़ी से चमकने लगा—सोने जैसी सुनहरी रोशनी से पूरा कमरा भर गया। फिर, वह पत्थर डेड बॉडी के अंदर समा गया। कुछ पलों की खामोशी के बाद, अचानक उस शरीर की आंखें खुल गईं। वह धीरे-धीरे उठकर बैठ गया।डॉक्टर संजीव ने अपनी सांस रोक ली। "क्या यह सच में काम कर गया...?" उन्होंने बुदबुदाया।अचानक, वह मृत व्यक्ति खड़ा हो गया और गुस्से से गरज उठा, "कितने मूर्ख हो तुम लोग! मैंने कितनी बार समझाया कि प्रकृति के नियमों से मत खेलो।"उसकी गूंजती आवाज़ ने सभी डॉक्टरों के दिमाग को झकझोर दिया। संजीव ने गुस्से में अपनी मुट्ठी भींची। "फिर से असफल...?" वह जोर से चिल्लाए।डेड बॉडी ने उनकी ओर देखा और ठहाका लगाया। "तुम्हें क्या लगता है? तुम कभी इस मिशन में सफल हो पाओगे...?"तुम बेवकूफ हो! तुम भगवान नहीं हो, तुम एक इंसान हो, जो कुदरत के नियमों से खेलने के बारे में सोच रहा है। इसका अंजाम बहुत बुरा हो सकता है। वैसे तुम मुझे नई-नई बॉडीज लाकर दे रहे हो, लेकिन इनमें जान नहीं है, इसलिए ये मेरे किसी काम की नहीं।इतना कहकर वह स्टोन उस डेड बॉडी से तेजी से बाहर निकलता है और उसे पीछे फेंक देता है। डेड बॉडी शीशे से टकराती है, जोकि इतना मजबूत था कि किसी भी ताकतवर हमले को झेल सकता था, लेकिन उसमें दरारें बनने लगती हैं। यह देखकर सभी डॉक्टर हैरान रह जाते हैं और घबराकर पीछे हटने लगते हैं।"अजीब बात है, यह स्टोन पहले ऐसा नहीं था। अब तो यह खुद से बात भी कर पा रहा है!" डॉक्टर संजीव ने चकित होते हुए कहा।तभी स्टोन के अंदर से तेज रोशनी निकलने लगती है और वह अनन्या को घूरने लगता है। डॉक्टर संजीव तुरंत पूरे एरिया को सील करने का आदेश देते हैं। उनके आदेश देते ही चारों ओर से बड़े-बड़े मेटल रॉड्स बाहर आने लगते हैं और एक विशाल आयरन डोर ऊपर से नीचे गिरकर पूरे क्षेत्र को ढक लेता है। कुछ देर बाद, डॉक्टर अनिकेत, जो अंदर मौजूद थे, खुद को क्वारंटाइन करने के बाद बाहर आते हैं और डॉक्टर अनन्या और डॉक्टर संजीव के पास पहुंचते हैं।"डॉक्टर अनिकेत, आप तो अंदर ही थे, उस स्टोन ने चमकने के बाद क्या किया था?" डॉक्टर संजीव ने पूछा।"सर, ज्यादा कुछ नहीं, वह चमकने के बाद वापस सामान्य हो गया और अपनी जगह गिर गया। इसलिए मैंने उसे वापस रख दिया और बाहर आ गया," अनिकेत ने जवाब दिया।"ठीक है। वैसे भी काफी रात हो गई है। डॉक्टर अनन्या, आप बहुत मशहूर हैं, इसलिए सड़क पर आपके लिए भीड़ लगी रहती है। बेहतर होगा कि आप डॉक्टर अनिकेत के साथ घर चली जाएं," संजीव ने सुझाव दिया।"जी सर, जैसा आप कहें।"इसके बाद, डॉक्टर अनिकेत, डॉक्टर अनन्या को घर छोड़ने के लिए निकल पड़ते हैं। अगली सुबह, जब अनन्या उठकर कमरे से बाहर निकलती है, तो देखती है कि डॉक्टर अनिकेत उसी हालत में उसके दरवाजे पर खड़े हैं, जैसे रात को थे।"डॉक्टर अनिकेत, आप इतनी जल्दी आ गए?" अनन्या ने हैरानी से पूछा।उसे देखकर वह समझ गई कि वह रातभर यहीं खड़े थे, लेकिन क्यों?"कुछ नहीं, बस... मैं आपको लेने आया हूं। हमें दोबारा वहां लौटना है।""ठीक है, चलते हैं।"अनन्या जल्दी से तैयार होकर अनिकेत के साथ निकल पड़ती है। वह आगे-आगे चल रही थी, लेकिन अनिकेत का चेहरा कुछ अजीब लग रहा था। उसकी आंखें पूरी तरह सफेद हो चुकी थीं, बिना किसी पुतली के, और वह अनन्या को अजीब नजरों से देख रहा था।"तुम ही हो मेरे होस्ट बनने के लायक!" स्टोन, जो अनिकेत की बॉडी में था, अनन्या को देखते हुए बोला।"अगर मैं इसे हासिल कर लूं, तो मुझे मेरी शक्तियां वापस मिल जाएंगी। मुझे जल्द ही इस यूनिवर्स से निकलना होगा, वरना..." यह सोचते हुए अनिकेत ने हल्की-सी मुस्कान दी।फिर हमें वह सीन दिखाया जाता है जब अनिकेत ने स्टोन की चमक देखकर अपनी आंखें बंद कर ली थीं। जब उसने दोबारा आंखें खोलीं, तो स्टोन उसकी ही शक्ल लेकर उसके सामने खड़ा था और उस पर हमला कर चुका था। असल में, अनिकेत की असली बॉडी अभी भी उसी बंकर में थी, और यह स्टोन, अनिकेत की तरह दिखने वाला, बाहर घूम रहा था।इतने वर्षों से स्टोन पर चल रहे एक्सपेरिमेंट्स के कारण, उसने डॉक्टर्स के रूटीन को अच्छी तरह समझ लिया था। जब बंकर का दरवाजा बंद हुआ, तो स्टोन को पता था कि अब वह दो दिन तक नहीं खुलेगा। इस दौरान, उसे जो भी करना था, वह कर सकता था, और किसी को कुछ भी पता नहीं चलेगा।"बस मुझे मेरे बचे हुए हिस्से वापस मिल जाएं, फिर तुम सब नहीं बचोगे!" स्टोन ने ऊपर देखते हुए एक खतरनाक हंसी के साथ कहा।chapter 5स्टोन ने अनिकेत का रूप ले लिया था।और तभी।अनन्या: अनिकेत को देखते हुए सवाल किया, "डॉक्टर अनिकेत, आप पूरी रात मेरे दरवाजे पर क्या कर रहे थे?"अनिकेत ने उसकी ओर देखते हुए कहा, "मुझे तुमसे कुछ जरूरी बात करनी है। क्या हम अकेले में बात कर सकते हैं?"अनन्या ने गहरी सांस लेते हुए कहा, "डॉक्टर अनिकेत, अगर आप फिर से मुझे प्रपोज करने की सोच रहे हैं, तो मेरा जवाब वही है – ना।"अनिकेत ने सिर हिलाते हुए कहा, "नहीं, बात इससे अलग है। मुझे उस पत्थर के बारे में तुमसे कुछ कहना है।"इस बात को सुनकर अनन्या कुछ पल के लिए अनिकेत को देखने लगी, फिर बोली, "ठीक है, मेरी केबिन में चलो। वैसे भी हमारी सिक्रेट लैबोरेटरी अभी बंद होगी।"अनन्या अनिकेत को लेकर अपने केबिन में चली गई। अपने सीट पर बैठते ही उसने पूछा, "अब बताओ, आखिर क्या हुआ था उस वक्त? जहां तक मैंने देखा, तुम कुछ छिपा रहे थे।"अनिकेत हल्की मुस्कान के साथ बोला, "तुम बहुत होशियार हो, अनन्या।" इतना कहते ही उसने टेबल के नीचे अपने हाथ हिलाए, और अचानक उसके हाथों से छोटी-छोटी रोशनियां निकलकर अनन्या की ओर बढ़ने लगीं।अनन्या कुछ प्रतिक्रिया कर पाती, इससे पहले ही वे रोशनियां उसे पूरी तरह जकड़ चुकी थीं, यहां तक कि उसका मुंह भी बंद हो गया था। तभी अनिकेत उसके ठीक सामने आ खड़ा हुआ और उसके दोनों कंधों को पकड़ लिया। अनन्या ने अनिकेत की आंखों में देखा – वे पूरी तरह सफेद थीं, उनमें कुछ भी नहीं था। अचानक उसकी आंखों से सुनहरी रोशनी निकलकर सीधी अनन्या की आंखों में समाने लगी।अचानक, किसी ने अनिकेत के सिर पर जोरदार वार किया, जिससे वह जमीन पर गिर पड़ा। वह व्यक्ति तेजी से उसके सिर को कपड़े से लपेटने लगा और फिर उसके हाथ-पैर बांधकर उसे कुर्सी पर बैठा दिया। इसके बाद, उस व्यक्ति ने अनन्या को मुक्त किया।"अनन्या, क्या तुम ठीक हो?" वह व्यक्ति अनन्या के सामने खड़ा था – असली डॉक्टर अनिकेत!अनन्या ने घबराकर पहले अनिकेत को देखा और फिर कुर्सी पर बंधे दूसरे अनिकेत को। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था।"देखो अनन्या, मुझे तुम्हें यह समझाने का समय नहीं है, लेकिन इतना जान लो कि जब मैं उस ग्लास क्यूब के अंदर था, जहां वह दिव्य पत्थर रखा था, तब वह पत्थर अचानक चमका। तुम लोगों ने क्यूब को सील कर दिया था, लेकिन असल में वह पत्थर मेरे पास आकर मुझे बेहोश कर गया और मेरा रूप लेकर बाहर आ गया। तुम सबको धोखा दे रहा था।"अनन्या अवाक थी।"यह तो अच्छा हुआ कि डॉक्टर संजीव के अलावा मेरे पास भी वहां से बाहर निकलने का एक्सेस था। वरना जब मैं होश में आया, तब तक तो मुझे बाहर निकलने में कम से कम दो-तीन दिन लग ही जाते।""अब हमें क्या करना चाहिए?" अनन्या ने चिंतित स्वर में पूछा।"हमें तुरंत लैबोरेटरी जाना होगा और डॉक्टर संजीव से मिलकर इस बारे में बताना होगा। अगर हमने देरी की, तो यह बहुत बड़ी परेशानी खड़ी कर सकता है।" अनिकेत ने दृढ़ स्वर में कहा।डॉक्टर अनिकेत पत्थर से बने हुए उस अजीब जीव को घूरते हुए बोले, "कुछ भी कर लो, तुम लोग मुझे नहीं रोक पाओगे!" जैसे ही उन्होंने यह कहा, वह दिव्य पत्थर तेजी से अपने हाथ-पैर हिलाने लगा, जिससे उसकी रस्सियाँ धीरे-धीरे ढीली होने लगीं। यह देखकर डॉक्टर अनिकेत और डॉक्टर अनन्या घबरा गए। वे फौरन उसकी रस्सियों को कसकर बाँधने लगे और सुनिश्चित किया कि वह फिर से मुक्त न हो सके। "देखो अनन्या, अब यह नहीं खुलेगा," अनिकेत ने राहत की सांस लेते हुए कहा। "हमें तुरंत लैब जाना होगा और बेस पर सभी को सूचित करना होगा कि यह यहाँ है। पूरी फोर्स टीम को बुलाना पड़ेगा ताकि इसे सुरक्षित वापस ले जाया जा सके। वरना अगर यह आज़ाद होकर घूमने लगा, तो..." अनिकेत अचानक चुप हो गए। उनके चेहरे पर चिंता झलक रही थी। बिना समय गँवाए, दोनों लैब छोड़कर बेस की ओर रवाना हो गए। रास्ते में वे डॉक्टर संजीव को कॉल करने की कोशिश करते रहे, लेकिन उनका फोन लगातार स्विच ऑफ आ रहा था। मजबूरन उन्हें सीधे उनके घर जाना पड़ा। *** दूसरी ओर, शौर्य धीरे-धीरे होश में आ रहा था। वह एक बिस्तर पर लेटा हुआ था और उसकी आँखों के सामने एक सुंदर डॉक्टर बैठी थी। उसके बगल में साक्षी मैम भी मौजूद थीं। "वैसे, डॉक्टर प्रीति, शौर्य कब तक पूरी तरह ठीक हो जाएगा?" साक्षी मैम ने चिंतित स्वर में पूछा। "कह नहीं सकते," डॉक्टर प्रीति ने हल्की मुस्कान के साथ जवाब दिया। "अभी तो यह होश में आ रहा है, लेकिन पूरी तरह पहले जैसा होने में थोड़ा समय लगेगा। इसके सिर पर गहरी चोट लगी है, इसलिए इसे पूरा आराम चाहिए।" डॉक्टर प्रीति थोड़ी देर रुककर बोलीं, "वैसे मैंने सुना है, साक्षी मैम, आपने शौर्य को बहुत सारा होमवर्क दिया था, वो भी सिर्फ एक दिन में पूरा करने के लिए! अब, चूँकि यह बीमार था, क्या इसे एक दिन की और छूट नहीं मिलनी चाहिए?" साक्षी मैम ने पहले तो थोड़ा सोचा, फिर बोलीं, "ठीक है, ले लो एक और दिन।" फिर वह शौर्य की ओर घूरते हुए बोलीं, "मैं जानती हूँ, तुम उठ चुके हो। नाटक करने की जरूरत नहीं है!" शौर्य ने धीरे-धीरे अपनी आँखें खोलीं और साक्षी मैम और डॉक्टर प्रीति को देखने लगा। "सॉरी, मैम..." उसने धीरे से कहा, लेकिन इससे पहले कि वह अपनी बात पूरी करता, साक्षी मैम ने उसे हाथ से चुप रहने का इशारा किया। "चुपचाप रहो! समझे?" वह सख्ती से बोलीं। "तुम जैसे बच्चों की वजह से मुझे प्रिंसिपल को सफाई देनी पड़ती है! और यह लड़ाई इतनी ज्यादा कैसे बढ़ गई कि तुम्हें इतनी गहरी चोट आ गई? अगर तुम समय पर डॉक्टर के पास नहीं पहुँचते, तो तुम्हें पता है क्या हो सकता था? तुम्हारी वजह से हमारे स्कूल का नाम खराब हो सकता था!" फिर वह गहरी सांस लेते हुए बोलीं, "चूँकि अब तुम ठीक हो, तो बेहतर होगा कि जल्दी से घर जाओ और अपना होमवर्क पूरा करके लाओ!" यह कहकर साक्षी मैम वहाँ से चली गईं, जबकि शौर्य डॉक्टर प्रीति की ओर देखता रह गया।chapter 6शौर्य अपने बिस्तर पर लेटते हुए बड़बड़ाया, "पता नहीं इस टीचर को मुझसे क्या परेशानी है।" डॉक्टर प्रीति मुस्कराते हुए बोलीं, "मुझे नहीं लगता कि साक्षी मैम तुम्हें देखने आई थीं, वो बस यह सुनिश्चित करने आई थीं कि तुम जिंदा हो या नहीं। अब जब तुम जिंदा हो, तो उनका काम आसान हो गया। वो जाकर प्रिंसिपल से कह देंगी कि तुम्हारी और उन लड़कों की बस मामूली झड़प हुई थी।" शौर्य ने हल्की हंसी के साथ कहा, "क्या फर्क पड़ता है कि मैं जिंदा हूं या मर गया? उससे किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता। और वैसे भी, उसने जो होमवर्क दिया है, उसके लिए मुझे एक और दिन मिला तो है, लेकिन उसे पूरा करूं कैसे?" डॉक्टर प्रीति ने कंधे उचकाते हुए कहा, "ये समस्या तुम्हारी है, मेरी नहीं। वैसे तुम अपनी बहन की मदद क्यों नहीं ले लेते? वो भी तो एक डॉक्टर है।" शौर्य यह सुनते ही चौंक गया और तेजी से उठकर बैठ गया, "आपको कैसे पता कि मेरी बहन...?" उसके आगे कुछ कहने से पहले ही डॉक्टर प्रीति ने उसके मुंह पर हल्के से हाथ रख दिया और मुस्कराते हुए बोलीं, "तुम्हारी बहन ने मुझसे कहा था कि मैं तुम्हारा ख्याल रखूं। वैसे भी, तुम कभी इतने घायल नहीं हुए थे कि सीधे यहां आ जाओ, इसलिए हमारी मुलाकात पहले कभी नहीं हुई। लेकिन जब तुम पहली बार कल यहां आए, वो भी इतनी बुरी हालत में, तो मैं भी शॉक्ड रह गई थी। जब मैंने तुम्हें देखा, तो लगा ही नहीं था कि तुम्हारा इलाज इतनी जल्दी कर पाऊंगी। वैसे, तुम लगभग एक दिन से बेहोश थे।" शौर्य कुछ कहता, उससे पहले ही डॉक्टर प्रीति ने घड़ी की ओर देखा और कहा, "देखो, सुबह के 12 बज चुके हैं। तुम्हारे पास ज्यादा समय नहीं है। तुम्हारी रिसर्च पूरी करने के लिए आधा दिन ही बचा है, और रात में जंगल की ओर जाना मुमकिन नहीं होगा क्योंकि वहाँ म्यूटेंट मॉन्स्टर्स आ सकते हैं। इसलिए मैं तुम्हें यही सलाह दूंगी कि अपनी बहन की मदद लो।" शौर्य अभी भी सोच में था जब डॉक्टर प्रीति ने मुस्कराते हुए कहा, "लेकिन मैं जानती थी कि तुम मेरी बात नहीं मानोगे, इसलिए मैंने पहले ही तुम्हारी बहन को तुम्हारी स्थिति के बारे में बता दिया है। उसने तुम्हारे लिए तुम्हारा प्रोजेक्ट तैयार कर रखा है। तुम्हें बस उसकी लैब में जाकर उसे लेना है। और हाँ, जहां तक मुझे पता है, तुम्हारी बहन ने तुम्हें अपने लैब का एक्सेस दिया हुआ है, जो कि वो किसी को भी नहीं देती।" डॉक्टर प्रीति की बात सुनकर शौर्य चुपचाप बैठा रहा और उदासी से नीचे देखने लगा। "क्या हुआ शौर्य? क्या अब भी अपनी बहन के पास नहीं जाना चाहते?" डॉक्टर प्रीति ने उसे उकसाते हुए कहा, "सोचो, अगर तुम अपना प्रोजेक्ट सबमिट कर दोगे, तो क्लास का क्या रिएक्शन होगा? तुम्हारी क्लास में तुम्हारी बेज्जती हुई थी, है ना? क्या तुम्हें अपना बदला नहीं लेना? अगर तुम यह कर दिखाओगे, तो पूरी क्लास शॉक हो जाएगी।" डॉक्टर प्रीति की यह बात शौर्य के दिल में उतर गई। उसकी आंखों में एक अलग ही चमक आ गई—बदले की चमक। उसने साक्षी मैम को जाते हुए देखा और उसकी आँखों में एक दृढ़ निश्चय झलक उठा। "ठीक है... शुक्रिया, प्रीति—सॉरी, डॉक्टर प्रीति। वैसे, मैं आपको ठीक से थैंक यू नहीं बोल पाया था, तो... थैंक यू!" जल्दी-जल्दी अपने बैग को उठाते हुए, कपड़े पहनकर, वह डॉक्टर प्रीति को जैसे-तैसे धन्यवाद कहकर वहाँ से तेजी से निकल पड़ा। डॉक्टर प्रीति हंसते हुए बोलीं, "अजीब लड़का है।" और फिर उसे जाते हुए देखती रहीं, जब तक कि वह उनकी आँखों के सामने से गायब नहीं हो गया।शौर्य तेजी से अपनी बहन के हॉस्पिटल में दाखिल होता है और सीधे रिसेप्शनिस्ट के पास जाता है। जैसे ही वह वहां खड़ा होता है, रिसेप्शनिस्ट उसे देखकर कहता है, "यकीन नहीं हो रहा, तुम अपनी बहन से मिलने आए हो? वैसे ही तुम्हारी बहन बाहर गई हुई है। तुम चाहो तो यहीं वेट कर सकते हो।"यह कहकर रिसेप्शनिस्ट उठकर अपनी बहन को कॉल लगाने की कोशिश करता है, लेकिन कॉल जा ही नहीं रहा था। मजबूर होकर उसे हॉस्पिटल के बाहर जाना पड़ा। वह सोच रहा था कि सुबह से यह मोबाइल नेटवर्क सिर्फ हॉस्पिटल के अंदर ही क्यों जाम है, जबकि बाहर आते ही नेटवर्क सही हो जाता है। वह कुछ समझ नहीं पा रहा था, इसलिए सीधे बाहर चला गया।दूसरी तरफ, शौर्य करीब आधे घंटे तक वेट करता रहा, लेकिन न तो रिसेप्शनिस्ट वापस आया और न ही उसकी बहन। वह सोचने लगा, "मेरा प्रोजेक्ट मेरी बहन के लैब में रखा है और उसने मुझे लैब का एक्सेस दे रखा है, तो मैं तो जा सकता हूं।"इतना कहकर वह अपनी जगह से उठता है और सीधे अपनी बहन के लैब में चला जाता है। वहां पहुंचकर वह अपनी जेब से एक अजीब-सा की कार्ड निकालता है और दरवाजे पर स्वाइप कर देता है। जैसे ही दरवाजा खुलता है, सामने का दृश्य देखकर वह थोड़ा हैरान रह जाता है।उसके सामने एक आदमी अच्छी तरह से बंधा हुआ था। जैसे ही दरवाजा खुलता है, वह आदमी शौर्य की ओर उंगली उठाता है और बस इतना ही कह पाता है, "कौन?"शौर्य घबराकर कहता है, "ओह, माफ करिएगा, मुझे नहीं पता यहां क्या हो रहा है। असल में मैं अपनी बहन से मिलने आया था, लेकिन वह बाहर गई हुई है। मैं तो बस अपना प्रोजेक्ट लेने आया हूं।"वह आदमी जवाब देता है, "ओह, तुम! मेरा नाम डॉक्टर अनिकेत है। दरअसल, मैं तुम्हारी बहन के पास एक इलाज के लिए आया था, और क्योंकि वह इलाज थोड़ा दर्दनाक था, तो उसने मुझे बांध दिया। तुम्हारी बहन थोड़ी अजीब है, लेकिन क्या तुम मेरे सिर पर बंधी पट्टी खोल सकते हो?"डॉक्टर अनिकेत की बात सुनकर शौर्य को झटका लगता है। "डॉक्टर अनिकेत? आप... आप यहां बंधे हुए हैं? मुझे यकीन नहीं हो रहा कि दीदी ने आपको यहां बांध दिया, जबकि आप तो हाई-रैंक डॉक्टर्स में से एक हैं!"शौर्य थोड़ा संकोच करता है लेकिन फिर आगे बढ़कर डॉक्टर अनिकेत के पास जाता है। "वैसे, आपको पता है कि मेरा प्रोजेक्ट कहां है?" शौर्य लैब के चारों ओर देखते हुए पूछता है।डॉक्टर अनिकेत थोड़ा बेचैनी से कहता है, "हां हां, लेकिन पहले मुझे खोलो! मैं और तुम्हारी बहन मिलकर इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे, और मुझे याद है कि यह कहां रखा है। तुम्हारी बहन कुछ इक्विपमेंट्स लेने गई थी, लेकिन कुछ जरूरी चीजें नहीं मिल पाईं, इसलिए वह बाहर चली गई और मुझे यहां बंधा हुआ छोड़ दिया। चूंकि वह एक हाई-रैंक डॉक्टर है, कोई उसके लैब में आने की हिम्मत नहीं करता। अच्छा हुआ, तुम आ गए! मुझे बस खोल दो, प्लीज!"शौर्य झिझकते हुए कहता है, "ठीक है, खोल रहा हूं।"वह डॉक्टर अनिकेत के पीछे जाता है और उसके सिर पर बंधी पट्टी खोल देता है, लेकिन अभी भी डॉक्टर अनिकेत ठीक से शौर्य को देख नहीं पा रहे थे।"मेरे हाथ खोल रहे हो ना?" डॉक्टर अनिकेत थोड़ा हड़बड़ाकर पूछते हैं।लेकिन शौर्य अब अपने प्रोजेक्ट को ढूंढने में व्यस्त हो चुका था। कुछ ही देर में उसकी आंखें चमक उठती हैं। "मिल गया! मेरा प्रोजेक्ट मिल गया! थैंक यू, डॉक्टर अनिकेत! आपने और मेरी बहन ने जो प्रोजेक्ट तैयार किया है, उससे शायद अब मुझे स्कूल से निकाला नहीं जाएगा! मेरा नाम नहीं काटा जाएगा! हां!"इतना कहकर शौर्य खुशी-खुशी लैब से बाहर निकलने लगता है, जबकि डॉक्टर अनिकेत अब भी बंधे हुए है और उसे उम्मीद है कि शौर्य उसकी भी मदद करेगा।मेरे हाथ को तो खोल दो। डॉक्टर अनिकेत, शौर्य को जाते हुए देखते हैं और कहते हैं, "माफ कर दीजिए, एक्चुअली मैं भूल गया था।"शौर्य जल्दी से अपने प्रोजेक्ट को बैग में रखता है और फिर उसे कंधे पर टांगकर डॉक्टर अनिकेत की तरफ बढ़ता है। जैसे ही वह डॉक्टर अनिकेत के हाथ को खोलता है, डॉक्टर अनिकेत उसे पकड़ लेते हैं।"डॉक्टर अनिकेत, आप ठीक तो हैं ना? क्या आपको दौरे पड़ने की बीमारी है?" शौर्य डॉक्टर अनिकेत के इस व्यवहार से थोड़ा असहज महसूस कर रहा था। दूसरी तरफ, वह आदमी, जो असल में दिव्य पत्थर था, शौर्य को देखकर चौंक जाता है।"अजीब बात है! इसकी बहन मेरे होस्ट बनने के लायक थी, लेकिन 50% चांस थे कि मैं उसके शरीर में प्रवेश करने के बाद मर सकता था। लेकिन यह लड़का... यह तो मेरी उम्मीद से ज्यादा काबिल निकला।"वह पत्थर शौर्य को देखता है और मन ही मन सोचता है। उसके बाद वह आदमी अपनी आंखों को शौर्य की आंखों के ठीक सामने ले जाता है। शौर्य उसकी आंखों को देखकर डर जाता है क्योंकि उनमें कुछ भी नहीं था, सिर्फ सफेदपन। तभी उसकी आंखें सफेद से सीधे गोल्डन रंग में चमकने लगती हैं और फिर उनमें से एक सुनहरी रोशनी निकलकर शौर्य की आंखों के अंदर जाने लगती है। शौर्य की आंखें जलने लगती हैं, लेकिन वह केवल चीख सकता था।अनन्या का लैब पूरी तरह से बंद था, जिससे कोई भी आवाज बाहर नहीं जा रही थी। शौर्य दर्द से चिल्लाते रहता है और देखते ही देखते डॉक्टर अनिकेत वहां से गायब हो जाते हैं। वे पूरी तरह से शौर्य के अंदर समा चुके थे।दूसरी तरफ, रिसेप्शनिस्ट का फोन अनन्या से कनेक्ट होता है।"डॉक्टर अनन्या, आपका भाई आपसे मिलने आया है।"डॉक्टर अनन्या यह सुनकर चौंक जाती हैं। "क्या मेरा भाई सच में मुझसे मिलने आया है?"वह डॉक्टर निकेत से कहती हैं, "मुझे वापस जाना होगा। मेरे लिए मेरा भाई ज्यादा महत्वपूर्ण है। प्लीज, मेरा भाई बहुत कम मुझसे मिलने आता है, मुझे उससे मिलना ही होगा।"डॉक्टर निकेत उसकी भावना समझ जाते हैं। "मैं जानता हूं कि तुम अपने भाई से कितना प्यार करती हो। तुम जाओ, बाकी काम मैं संभाल लूंगा।"अनन्या तुरंत एक टैक्सी बुक कर हॉस्पिटल के लिए निकल जाती है। वहां पहुंचकर वह रिसेप्शनिस्ट से पूछती है, "मेरा भाई कहां है?""शायद वह वापस चला गया क्योंकि वह बहुत देर से बैठा हुआ था और शायद उसके स्कूल का टाइम हो गया होगा," रिसेप्शनिस्ट बताती है।अनन्या यह सुनकर उदास हो जाती है और लैब की ओर बढ़ती है। अंदर शौर्य पहले ही यह देख चुका था कि अनन्या आ रही है। डर के मारे वह जल्दी से खिड़की से कूद जाता है।तभी शौर्य की आंखें खुलती हैं, और वह देखता है कि वह बिल्डिंग से नीचे गिर रहा है।"यह क्या? नहीं... नहीं!"शौर्य चिल्लाते हुए जैसे ही गिरने वाला होता है, अचानक स्पेस टूट जाता है और वह किसी दूसरी जगह खींचा चला जाता है।कुछ देर तक उस अजीब स्पेस में यात्रा करने के बाद शौर्य एक रोशनी वाली जगह पर पहुंचता है। उसके हाथ में एक गोल्डन पत्थर था जो चमक रहा था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि यह पत्थर उसके हाथ में क्या कर रहा था। उसने उसे हटाने की कोशिश की, लेकिन वह उसके हाथों से चिपका हुआ था।"तुम क्या हो?" शौर्य ने पत्थर से पूछा, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।कुछ देर बाद पत्थर शौर्य के हाथ से उछलकर एक जगह चला जाता है। शौर्य भी उसके पीछे-पीछे चलता है और अचानक एक अजीब जगह पर पहुंच जाता है। वहां ऊंची-ऊंची इमारतें थीं। तभी वह देखता है कि उसका पत्थर किसी सफेद बालों वाले आदमी के सिर पर जा टकराया था।शौर्य को वहां खड़े एक और आदमी पर ध्यान जाता है, जिसके हाथ कटे हुए थे। लेकिन शौर्य को बस अपनी जान बचानी थी। वह तेजी से भागता है।"मुझे वापस अपनी बहन के पास जाना है! प्लीज, मुझे वापस भेज दो!" शौर्य ने पत्थर से गिड़गिड़ाते हुए कहा।"मैं जानता हूं, शौर्य। जब मैंने तुम्हारी बहन के दिमाग को पढ़ा था, तो देखा कि वह भी तुमसे बहुत प्यार करती है," पत्थर ने कहा।तभी पत्थर अचानक शौर्य के हाथ में आ गया।"तुम मुझे पक्का वापस ले जाओगे ना?" शौर्य ने पूछा।"बस मेरे कुछ काम बाकी हैं, उसके बाद मैं तुम्हें वापस छोड़ दूंगा।"शौर्य ने पत्थर को कसकर पकड़ लिया।तभी फिर से स्पेस टूटता है और शौर्य उसमें घसीटा चला जाता है।जब वह दूसरी रोशनी वाली जगह पर पहुंचता है, तो उसका पत्थर फिर से किसी सफेद बालों वाले बूढ़े व्यक्ति से टकराता है। वह आदमी धीरे-धीरे पिघलने लगता है, और उसके अंदर से एक दिव्य टुकड़ा निकलता है, जो पत्थर में जा मिलता है।पत्थर ने कहा, "तुम सोचते हो कि इतनी आसानी से मुझसे बच सकते हो?"शौर्य यह सुनकर चौंक जाता है। तभी पत्थर एक बार फिर से हवा में उड़कर शौर्य के हाथ में कूद जाता है और दोनों वहां से गायब हो जाते हैं।chapter 7शौर्य और दिव्य पत्थर अंतरिक्ष में तेजी से यात्रा करते हुए एक तीसरी जगह पर पहुंचते हैं। जैसे ही वे वहां पहुंचते हैं, चारों ओर रोशनी फैल जाती है, जिससे कुछ भी देख पाना संभव नहीं होता। धीरे-धीरे, जब रोशनी कम होती है, तो एक आदमी की परछाई उभरने लगती है। यह वही व्यक्ति था, जिसे शौर्य बार-बार देखता आ रहा था, लेकिन इस बार, उसके हाथ में वही दिव्य पत्थर का टुकड़ा था।शौर्य चकित होकर सोचता है, "क्या इसने उस बूढ़े को मार दिया? लेकिन हर बार तो यह ऐसा करने में असफल रहता था।" शौर्य अपनी उलझन में था, तभी दिव्य पत्थर शौर्य के हाथ से छलांग लगाकर उस व्यक्ति के सामने आ खड़ा होता है।दिव्य पत्थर धमकी भरी आवाज में बोलता है, "तुम्हारे पास कुछ है जो मेरा है।"वह व्यक्ति बिना किसी विरोध के पत्थर को差ेत स्वर में वापस करते हुए कहता है, "ठीक है, इसे रख लो।"दिव्य पत्थर केवल इतना कहता है, "होशियार रहना," और फिर शौर्य के साथ चौथी जगह के लिए निकल पड़ता है।चौथी जगह पर पहुंचते ही, शौर्य और दिव्य पत्थर को वही व्यक्ति फिर से दिखाई देता है, लेकिन इस बार वह घायल और कमजोर दिख रहा था। उसके सामने वही सफेद बालों वाला बूढ़ा व्यक्ति था, जो पहले की तुलना में और भी ताकतवर प्रतीत हो रहा था।दिव्य पत्थर गुस्से में तेजी से उस बूढ़े पर हमला करता है, लेकिन बूढ़ा आसानी से उसके हमले को चकमा दे देता है और आश्चर्य से कहता है, "तो तुम आज़ाद हो गए और तुम्हें एक होस्ट भी मिल गया, जो तुम्हें इस यूनिवर्स तक ले आया? मानना पड़ेगा।"यह सुनकर दिव्य पत्थर कुछ क्षण के लिए रुकता है और फिर गंभीर स्वर में कहता है, "तो यह सच है। तुमने ही मुझे कैद किया था, मेरे टुकड़ों से अपने क्लोन बनाए, और अब तुम अपने क्लोन के जरिए मुझसे बात कर रहे हो।"बूढ़ा मुस्कराता है और उत्तर देता है, "तुम होशियार हो, लेकिन क्या तुम्हें लगता है कि अपने सारे टुकड़े वापस पाने के बाद भी तुम मुझसे लड़ पाओगे?"फिर वह बूढ़ा अपना हाथ उठाता है, जिससे घातक ऊर्जा निकलती है। उसकी ताकत से शौर्य हवा में उछलकर पीछे की ओर फेंका जाता है। तभी, वही रहस्यमयी व्यक्ति अचानक प्रकट होकर शौर्य को गिरने से बचा लेता है और उसे सुरक्षित जगह पर ले जाता है।दूसरी ओर, दिव्य पत्थर और बूढ़े के बीच घमासान युद्ध छिड़ जाता है। यह संघर्ष दो घंटे तक चलता है। अंततः, दिव्य पत्थर बूढ़े पर विजय प्राप्त कर लेता है।बूढ़े की पूरी देह धीरे-धीरे पिघलने लगती है और राख में बदल जाती है। उसके भीतर से एक चमचमाता हुआ पत्थर बाहर आता है। लेकिन इस बार, दिव्य पत्थर उसे अपनी शक्ति में समाहित नहीं करता।अब दिव्य पत्थर धीरे-धीरे शौर्य और रहस्यमयी व्यक्ति के पास आता है। इस दौरान, शौर्य और वह व्यक्ति एक-दूसरे से एक शब्द भी नहीं बोले थे, क्योंकि दोनों की नजरें उस भयंकर लड़ाई पर टिकी थीं। शौर्य के लिए वह लड़ाई इतनी तेज थी कि वह समझ ही नहीं पाया कि क्या हुआ।अब दिव्य पत्थर शौर्य के ठीक सामने आकर रुकता है। उसकी दृष्टि शौर्य से हटकर उस रहस्यमयी व्यक्ति की ओर मुड़ती है।शौर्य ने अपने दोस्त से अलविदा लिया और फिर दिव्य पत्थर की ओर मुड़ा। दिव्य पत्थर ने उस आदमी को देखा, जिसने तुरंत उसकी बात को समझ लिया। शौर्य ने गहरी सांस लेते हुए कहा, "तुम्हारी वजह से मुझे यह मौका मिला है, और मैं चाहता हूं कि मैं भी तुम्हें एक मौका दूं। लेकिन यह तुम्हारे ऊपर निर्भर करेगा कि तुम ताकतवर बन पाते हो या नहीं।" यह कहकर, उसने उस चमकते हुए स्टोन के टुकड़े की ओर इशारा किया, जो हवा में तैर रहा था। वह टुकड़ा और तेज चमकने लगा और सीधे शौर्य के सीने में समा गया। शौर्य घबरा गया, उसकी सांसें तेज हो गईं। "क्या... क्या किया तुमने? मैं मरने तो नहीं वाला, ना?" वह डरते हुए बोला। दिव्य पत्थर हल्की मुस्कान के साथ बोला, "शौर्य, तुम बहुत डरपोक हो। अगर तुम्हें ताकतवर बनना है, तो तुम्हें अपने अंदर के डर को निकालना होगा। अब तुम्हारे वापस जाने का समय आ गया है।" यह सुनकर शौर्य के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गई। "सच में? तुम मुझे घर ले जाओगे?" फिर अचानक उसके चेहरे पर एक गंभीर भाव आ गया। "लेकिन एक बात बताओ... तुमने मेरी बहन पर काबू करने की कोशिश की थी, तो तुम्हारे पास उसकी सारी यादें होंगी, है ना? क्या वह सच में मुझसे भाइयों जैसा प्यार करती है, या सिर्फ एक औपचारिकता निभा रही है?" दिव्य पत्थर कुछ पल शांत रहा, फिर उसके ऊपर एक होलोग्राम जैसा वीडियो चलने लगा। उसमें एक छोटा शौर्य, लगभग सात साल का, अपनी बहन के साथ खेल रहा था। तभी अचानक, एक आदमी उसके पास आया और कहा कि शौर्य के माता-पिता की मौत उसकी सौतेली बहन की वजह से हुई थी। शौर्य के चेहरे पर सदमे के भाव उभर आए। लेकिन वीडियो यहीं खत्म नहीं हुआ—आदमी की हल्की सी मुस्कान दिखी, जिससे साफ था कि वह झूठ बोल रहा था। दिव्य पत्थर ने गंभीर स्वर में कहा, "शौर्य, तुम बहुत जल्दी दूसरों पर भरोसा कर लेते हो। किसी ने तुम्हें एक झूठी बात कह दी और तुमने बिना सोचे-समझे अपनी बहन से दूरी बना ली।" शौर्य धीरे-धीरे समझने लगा कि उसने अपनी बहन के साथ कितना बड़ा अन्याय किया था। दिव्य पत्थर ने आगे कहा, "तुमने मुझ पर भरोसा किया और खुशी-खुशी मेरे साथ मल्टीवर्स और यूनिवर्स पार कर आए। लेकिन क्या तुमने कभी सोचा कि अगर मैं तुम्हें वापस नहीं ले जाता, तो तुम हमेशा के लिए फंस सकते थे?" शौर्य की आंखों में डर साफ झलकने लगा। "मैं... मैं सच में बहुत बड़ा बेवकूफ हूं," वह धीमे स्वर में बोला, फिर दिव्य पत्थर को देखने लगा। दिव्य पत्थर हल्के से मुस्कुराया, "शौर्य, तुम्हारी किस्मत अच्छी है कि मैं अपने वादे का पक्का हूं।" जैसे ही उसने यह कहा, शौर्य के ठीक पीछे स्पेस में एक दरार उभर आई, और देखते ही देखते शौर्य उसमें समा गया।चैप्टर 8शौर्य को एक रहस्यमय अवसर मिला था ताकतवर बनने का। यह सब कुछ अब उसके ऊपर था कि वह इसे स्वीकार करता है या नहीं।अचानक, हमें एक दिव्य पत्थर दिखाया जाता है, जो अब हूबहू शौर्य जैसा दिखने लगा था। दूसरी ओर, शौर्य बहुत तेजी से कई रोशनी के आर-पार जा रहा था। उसे कुछ भी साफ दिखाई नहीं दे रहा था, बस रोशनी की चमक थी। तभी, उसे अपने ठीक सामने एक विशाल सफेद रोशनी नजर आई।"क्या मैं घर पहुंच गया?" शौर्य ने मन ही मन सोचा और उस सफेद रोशनी में प्रवेश कर गया। लेकिन जैसे ही उसकी आंखें खुलीं, वह एक अंधेरे से भरे जंगल में खड़ा था। चारों ओर घना अंधेरा था, बस हल्की-सी चांदनी थी, जो उसे अपने ग्रह की चांदनी जैसी लगी।"क्या मैं घर पहुंच गया हूं? या फिर कहीं और टेलीपोर्ट हो गया हूं?" शौर्य मन ही मन सोचने लगा। लेकिन चांद देखकर उसे लगा कि वह धरती पर ही है, बस अपने घर से दूर किसी जंगल में।"यहां म्यूटेंट मॉन्स्टर्स भी हो सकते हैं, मुझे कहीं छिपना होगा।" जैसे ही शौर्य ने यह सोचा, उसे अपने पीछे एक अजीब आवाज सुनाई दी। एक ठंडी हवा उसके शरीर को छूकर गुजरी।शौर्य तेजी से पीछे मुड़ा और उसने एक विशाल नाक देखी, जो गहरी सांस ले रही थी। वह सांस सीधे शौर्य के ऊपर पड़ रही थी। घबराहट में वह थोड़ा पीछे हटा, लेकिन तभी उसके पैर पत्तों पर पड़े, जिससे हल्की आवाज हुई। इस आवाज से वह विशाल प्राणी जाग गया। उसकी चमकती आंखें अब सीधे शौर्य को घूर रही थीं।"ये म्यूटेंट मॉन्स्टर ही है, लेकिन इतना बड़ा क्यों है?" शौर्य ने सोचा और तेजी से भागने लगा।पीछे मुड़कर देखने पर, उसने पाया कि वह प्राणी किसी डायनासोर जैसा दिख रहा था।"हे भगवान! यह तो डायनासोर है!"शौर्य तेजी से भागने लगा, लेकिन डायनासोर की गति उससे कहीं ज्यादा थी। वह तेजी से शौर्य के पीछे दौड़ पड़ा और जल्द ही उसके बहुत करीब आ गया। जब वह शौर्य को खाने ही वाला था, तभी शौर्य का पैर फिसल गया और वह गिर पड़ा।डायनासोर अपने बड़े आकार की वजह से खुद को संभाल नहीं पाया और आगे की ओर लुढ़क गया। शौर्य ने इस मौके का फायदा उठाया और दूसरी दिशा में भाग निकला।तभी, डायनासोर की नजर एक अजीब कीड़े पर पड़ी, जो जमीन से बाहर आ रहा था। इस दृश्य को देखकर डायनासोर की आंखों में डर साफ झलक रहा था। अगले ही पल, डायनासोर ने देखा कि जिस चीज़ पर वह गिरा था, वह कोई साधारण चीज़ नहीं थी। उसे पहचानते ही डायनासोर की दर्दनाक चीख पूरे जंगल में गूंज उठी।शौर्य को यह चीख सुनाई दे रही थी, लेकिन वह समझ नहीं पाया कि यह गुस्से की थी या दर्द की। तभी, आसमान से एक विशाल कीड़ा उड़ता हुआ नीचे गिरा और शौर्य के ठीक सामने आकर गिरा।शौर्य एक पेड़ के पीछे छिपा हुआ था और अब डायनासोर की चीखें दूर जाती महसूस हो रही थीं।शौर्य ने घायल कीड़े को देखा, जिसका शरीर पत्थर जैसे किसी कठोर पदार्थ से ढका हुआ था। उसने हल्के से उसकी खोल को छूकर उसकी कठोरता का अंदाजा लगाया।"ये कीड़ा कितना मजबूत है!"शौर्य ने सोचा और महसूस किया कि कीड़ा उसे डरी हुई नजरों से देख रहा था। वह शौर्य को समझ नहीं पा रहा था कि वह उसका दोस्त है या दुश्मन। कुछ ही क्षणों में, वह कीड़ा बेहोश हो गया। शौर्य उसे सहलाने लगा कि कहीं वह मर तो नहीं गया।शौर्य को इतने बड़े कीड़े देखकर हैरानी हो रही थी, क्योंकि जहां वह रहता था, वहां म्यूटेंट कीड़े छोटे होते थे। पर यह कीड़ा उन सबसे बड़ा और ज्यादा शक्तिशाली लग रहा था।धीरे-धीरे रात बीत गई और सूरज उगने लगा।"ओह नहीं! सूरज की रोशनी में डायनासोर मुझे देख लेंगे!" शौर्य चिंतित हो उठा।तभी, घायल कीड़ा होश में आ गया और शौर्य को देखने लगा।"कोई बात नहीं दोस्त, अब तुम ठीक हो। जाओ, अपनी जान बचाओ," शौर्य ने कहा।पर कीड़ा शौर्य के हाथों को कसकर पकड़ने लगा।"क्या हुआ? जाना नहीं चाहता? देखो, मैं खुद यहां मरने वाला हूं, तुम कम से कम बच जाओ," शौर्य ने कहा।अचानक, कीड़े से सफेद रोशनी निकली और वह शौर्य के हाथ में समा गया।"ये क्या था? यह मेरे हाथ में कैसे चला गया?"शौर्य चौंक गया और अपने आसपास देखने लगा। तभी, सूरज की रोशनी उस पर पड़ी और उसकी आंखें खुल गईं।शौर्य ने देखा कि वह एक बड़ी बिल्डिंग के सामने था।"क्या? मैं वापस आ गया? थैंक गॉड, यह सब सपना था!"शौर्य ने राहत की सांस ली और अपने बैग की जांच की। उसका प्रोजेक्ट अभी भी सुरक्षित था।"चलो, अब स्कूल जाने का वक्त हो गया," उसने खुद से कहा और स्कूल के लिए निकल पड़ा।दूसरी ओर, अनन्या की लैब में डॉक्टरों की भीड़ थी। वहां डॉक्टर संजीव और डॉक्टर अनिकेत मौजूद थे।"मुझे यकीन नहीं हो रहा कि वह दिव्य पत्थर इतना चालाक कैसे हो सकता है! और यह दूसरों का भेस भी ले सकता है!" डॉक्टर संजीव बोले।"डॉक्टर अनिकेत, जब आपने आखिरी बार उसे देखा था, तब वह किस स्थिति में था?"डॉक्टर अनिकेत ने उन्हें विस्तार से बताया कि कैसे उन्होंने दिव्य पत्थर को वहां सुरक्षित रखा था। लेकिन अब वह पत्थर वहां नहीं था।डॉक्टर अनिकेत और डॉक्टर संजीव दिव्य पत्थर को लेकर चर्चा कर रहे थे। उन्हें उम्मीद थी कि यह पत्थर अपने मूल रूप में आकर वहां से निकल सकता है, लेकिन उसमें पर्याप्त ऊर्जा नहीं बची थी। अगर वह अपने पत्थर वाले रूप में लौटता, तो बस एक साधारण पत्थर बनकर रह जाता, जिससे उसकी बोलने की क्षमता भी खत्म हो जाती। इसी कारण उन्होंने उसे वहीं छोड़ने का फैसला किया। लेकिन यह पत्थर उनकी उम्मीद से कहीं ज्यादा चालाक निकला।"वैसे अनन्या कहां है?" डॉक्टर संजीव ने पूछा।"असल में, उसका भाई दो दिन से लापता है," अनिकेत ने गंभीर स्वर में जवाब दिया। "वह स्कूल गई थी, लेकिन वहाँ पता चला कि वह भी दो दिन से नहीं आया है।""मतलब?" संजीव ने चौंककर पूछा।"उसने अपने भाई के लिए जो प्रोजेक्ट तैयार किया था, वह भी गायब है। हालांकि, यह कोई बड़ी बात नहीं लगती, क्योंकि जब हम यहाँ आए थे, तो सब कुछ टूटा-फूटा था। बहुत सारी चीजें खिड़की से बाहर गिरी हुई थीं। हो सकता है, वह प्रोजेक्ट भी कहीं खो गया हो।"chapter 9तभी अनिकेत के फोन में नोटिफिकेशन की आवाज आई। उन्होंने देखा कि अनन्या का मैसेज था। जैसे ही उन्होंने उसे पढ़ा, वह शॉक्ड रह गए और बिना कुछ कहे स्कूल की तरफ दौड़ पड़े।दूसरी ओर, शौर्य अपने क्लासरूम में प्रवेश कर रहा था। जैसे ही उसने कदम रखा, सभी छात्र उसे अजीब नजरों से देखने लगे।"आज तो गया," किसी ने फुसफुसाकर कहा।"इसे शायद पता नहीं कि इसका प्रोजेक्ट जमा करने का समय खत्म हो चुका है," दूसरे छात्र ने कहा।साक्षी मैम ने उसे घूरते हुए पूछा, "शौर्य, तुम स्कूल क्या करने आए हो?""मैम, मैं प्रोजेक्ट जमा करने आया हूँ और वो भी समय से पहले।" उसने कॉन्फिडेंस के साथ जवाब दिया और फाइल आगे बढ़ा दी।सभी लोग हैरानी से उसे देखने लगे। साक्षी मैम ने प्रोजेक्ट को चेक किया, जो पूरी तरह से सही था।"लेकिन तुम दो दिन लेट हो," साक्षी मैम ने सख्त लहजे में कहा। "अब तुम्हारा नाम स्कूल से काटा जाएगा। आज के बाद स्कूल आने की जरूरत नहीं।"शौर्य यह सुनकर दंग रह गया। उसने जल्दी से घड़ी और तारीख चेक की।"ये दो दिन कैसे बीत गए?" उसने खुद से बुदबुदाया।"मैम, मेरे साथ कुछ अजीब हुआ है—" वह कुछ कहने ही वाला था कि रुक गया। उसे अहसास हुआ कि कोई उसकी बात का यकीन नहीं करेगा।उसने भारी मन से अपना प्रोजेक्ट उठाया और स्कूल को आखिरी बार देखते हुए दरवाजे की ओर बढ़ गया। लेकिन जैसे ही वह बाहर निकलने वाला था, उसने अपने कंधे पर किसी का हाथ महसूस किया। उसने मुड़कर देखा—विक्रम खतरनाक मुस्कान लिए उसे घूर रहा था।"क्या लगता है तुझे? स्कूल से इतनी आसानी से निकल जाएगा?" विक्रम ने व्यंग्य से कहा।शौर्य ने गहरी सांस ली। "मैंने तुमसे या तुम्हारे दोस्तों से क्या बिगाड़ा है? मैं तो बस अपनी पढ़ाई कर रहा हूँ।"विक्रम हंसा। "तूने हमें नहीं, हमारी बॉस को परेशान किया है।""लेकिन मैंने तुम्हारी बॉस से तो कभी बात भी नहीं की!" शौर्य ने चौंककर कहा।"फिर भी, उसकी नाराजगी मोल ली है," विक्रम ने कहा और अचानक शौर्य के गाल पर जोरदार थप्पड़ मार दिया।शौर्य का खून खौल उठा। लेकिन उसने खुद को शांत रखने की कोशिश की।"देखो, तुम ये सब ज्यादा कर रहे हो," शौर्य ने विक्रम को घूरते हुए कहा।विक्रम हँसा, "अच्छा? क्या कर लेगा? अपनी बहन को बुलाएगा? एक काम कर, उसे मेरे घर भेज दे!"यह सुनते ही शौर्य का धैर्य जवाब दे गया। उसने गुस्से में विक्रम को घूंसा मारा, लेकिन विक्रम ने आसानी से उसे डॉज कर लिया।"तू हमारे सामने टिक नहीं सकता," विक्रम ने उसका मजाक उड़ाया। इसके बाद उसने शौर्य के पेट पर जोरदार लात मारी, जिससे वह दीवार से टकराकर नीचे गिर गया।शौर्य दर्द से कराह उठा, लेकिन हार मानने को तैयार नहीं था। वह धीरे-धीरे उठने लगा।"वाह! इसमें अभी भी हिम्मत बची है," अंश ने मजाक उड़ाते हुए कहा।इतने में ही विक्रम ने पास पड़ी लोहे की रॉड उठाई और उसे शौर्य की ओर घुमा दिया। शौर्य तेजी से झुका और विक्रम के पेट पर जोरदार मुक्का जड़ा, जिससे वह कुछ कदम पीछे हट गया।"तेरी इतनी हिम्मत!" अंश चिल्लाया और शौर्य पर झपट पड़ा, लेकिन शौर्य ने उसका हाथ पकड़कर उसे जमीन पर पटक दिया।तभी विक्रम ने पीछे से आकर शौर्य की गर्दन पकड़ ली और उसे जोर से दबाने लगा। शौर्य की सांसें रुकने लगीं। देखते ही देखते वहाँ भीड़ इकट्ठा हो गई—पूरी क्लास, साक्षी मैम और कई अन्य लोग। लेकिन कोई भी उसे बचाने के लिए आगे नहीं बढ़ा।शौर्य ने मदद की उम्मीद में श्रेया की ओर देखा, लेकिन वह दो कदम बढ़ाने के बाद रुक गई और फिर पीछे हट गई।अब शौर्य की आँखों में गुस्से की जगह निराशा थी।शौर्य को गुस्से का इतना जोरदार अहसास हो रहा था कि उसकी आँखों में आग सी जल रही थी। "इन्होंने मेरी बहन के बारे में ऐसा कैसे बोला और मैं कुछ नहीं कर पा रहा हूं?" शौर्य अपने गर्दन को कसकर पकड़ते हुए देख रहा था और उसकी साँसें भी तेज़ हो रही थीं। लेकिन तभी कुछ अजीब हुआ, चारों ओर की हवाएं तेज़ी से उसकी तरफ बढ़ने लगीं। यह हवाएं इतनी तेज़ थीं कि सबके बाल और कपड़े उड़ने लगे, और किसी को भी यह समझ नहीं आ रहा था कि आखिर यह क्या हो रहा है। तभी शौर्य की आँखों से सफेद रोशनी निकलने लगी। उसके सीने पर एक चमकदार सफेद निशान दिखाई दे रहा था, और यह किसी को भी समझ में नहीं आ रहा था कि यह क्या है। शौर्य ने अपने हाथों को कसकर टाइट किया और विक्रम के हाथ को अपने गर्दन से अलग करके उसे जोरदार लात मारी। विक्रम दूर जाकर एक बड़े बॉक्स वाले कमरे में गिर पड़ा, और बॉक्सेस उसके ऊपर गिर गईं। कुछ समय बाद, विक्रम बहुत खराब हालत में बाहर निकला और शौर्य को गुस्से से घूरते हुए बोला, "तुम बहुत बड़ी गलती कर रहे हो।"विक्रम और अंश दोनों एक साथ शौर्य पर हमला करने के लिए तैयार हो गए। शौर्य ने खतरनाक मुस्कान के साथ कहा, "अब मेरी बारी है।" इसके बाद, उसकी बॉडी से सफेद रोशनी और भी ज्यादा तेज़ी से निकलने लगी, और आसपास की हवाएं शौर्य के शरीर में घुसने लगीं। विक्रम और अंश दोनों एक साथ शौर्य पर हमला करते हैं। विक्रम ने अपनी मुट्ठी कसकर शौर्य पर एक जोरदार मुक्का मारा, लेकिन शौर्य झुककर उससे बच गया और विक्रम की पसलियों पर जोरदार घुसा जड़ दिया।तभी शौर्य ने नोटिस किया कि अंश एक रड को हवा में घुमाकर शौर्य की तरफ फेंक रहा था। शौर्य ने अपने हाथ से उस रड को पकड़ लिया और उसे अंश से छीन लिया। फिर शौर्य ने उसी रड से अंश की टांगों पर जोरदार प्रहार किया, जिससे उसकी टांगे टूट गईं और वह खड़ा भी नहीं हो पाया। "यह तुम बहुत गलत कर रहे हो। तुम नहीं जानते कि तुम्हारे साथ क्या होगा!" अंश गुस्से में चिल्लाया, लेकिन उससे पहले शौर्य ने उसके सीने पर एक जोरदार लात मारी, जिससे अंश का बकवास रुक गया और वह दीवार से टकराकर बेहोश हो गया। शौर्य अपनी जगह से हल्का सा हिला, और विक्रम का हमला मिस हो गया। विक्रम ने शौर्य को अकेला देखा और उस पर लात मारने के लिए दौड़ा, लेकिन शौर्य ने विक्रम के पांव को पकड़ लिया। विक्रम को झूले की तरह झूलते हुए शौर्य ने दूर फेंक दिया। विक्रम दीवार से टकराया, लेकिन बेहोश नहीं हुआ। वह किसी पागल बच्चे की तरह शौर्य के पास फिर से पहुंचने की कोशिश करने लगा। "अब भी लड़ना है?" शौर्य हंसते हुए विक्रम को देखता रहा।chapter 10दूसरी ओर, एक बड़े से कमरे में एक बूढ़ा आदमी अपने क्लाइंट के साथ मीटिंग कर रहा था। अचानक, एक तेज आवाज़ सुनाई देती है। "प्रिंसिपल, यह कैसी आवाज़ है?" एक टीचर ने सवाल किया। प्रिंसिपल भी लगातार हो रही आवाज़ को सुन रहा था और अपने दिल पर हाथ रखकर कहता है, "मुझे कुछ महसूस हो रहा है।""लेकिन सर, आपको क्या महसूस हो रहा है?" एक और टीचर ने पूछा। "हमारे न्यूरो कोर्स बहुत ज्यादा वाइब्रेट कर रहे हैं।"इस पर प्रिंसिपल ने गंभीरता से कहा, "ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि कोई हमारे स्कूल में न्यूरो कोड जनरेट कर रहा है, वह भी जूनियर सेक्शंस में।"यह सुनकर सभी टीचर्स शॉक हो गए। एक टीचर बोला, "पर सर, यह कैसे हो सकता है? जूनियर्स में तो 19 साल से कम के बच्चे होते हैं, और जब तक कोई 20 साल का नहीं हो जाता, तब तक वह न्यूरो कोड जनरेट नहीं कर सकता। तो फिर यह कौन कर रहा है?""इसका मतलब यह है कि कोई जूनियर सेक्शन में न्यूरो कोड जनरेट कर रहा है। और अगर वह 20 साल से कम है, तो यह हमारे स्कूल के लिए एक बड़ी बात है," प्रिंसिपल ने कहा। सारे टीचर्स जल्दी से जूनियर सेक्शन की ओर दौड़ने लगे। वहीं, शौर्य विक्रम को पकड़ कर दीवार से चिपका चुका था। उसका हाथ इतनी मजबूती से लॉक किया गया था कि विक्रम उस स्थिति से बाहर नहीं निकल पा रहा था। शौर्य ने विक्रम के हाथ को जोर से घुमाया, जिससे उसका हाथ टूट गया। "तुमने बहुत बड़ी गलती की है, विक्रम," शौर्य ने कहा, और विक्रम को एक जोरदार मुक्का मारा। विक्रम का चेहरा दीवार से टकरा गया और वह बेहोश हो गया। शौर्य ने अपने हाथों को झाड़ते हुए कहा, "अब तुम लोग समझ पाओगे।"तभी साक्षी मैम वहां पहुंची और शौर्य को डांटते हुए कहा, "तुमने स्कूल में बदमाशी करने की हिम्मत कैसे की?"शौर्य हंसते हुए कहा, "टीचर, कम से कम मैं जिंदा तो हूं, आप बस यह कह दीजिए कि हमारे बीच कुछ छोटी-मोटी लड़ाई हुई थी।"साक्षी मैम इस बात से शॉक्ड हो गईं। इससे पहले कि वह कुछ और कह पातीं, एक आदमी सफेद कोट में वहां आ पहुंचा। "डॉक्टर अनिकेत! इतने बड़े डॉक्टर हमारे स्कूल में?" साक्षी मैम ने चौंकते हुए कहा। शौर्य ने डॉक्टर अनिकेत को देखकर अपनी आंखें घुमाईं और फिर एक पल में मुड़कर उसे मारने के लिए हाथ उठाया। लेकिन जब उसने देखा कि वह आदमी डॉक्टर अनिकेत है, तो उसने अपनी हरकत रुक दी। डॉक्टर अनिकेत ने शौर्य के दोनों कंधों पर हाथ रखा और कहा, "शौर्य, तुम्हारी बहन ने मुझे यह मैसेज भेजा था।"डॉक्टर अनिकेत के हाथ से फोन छीनते हुए शौर्य ने उस मैसेज को पढ़ना शुरू किया। "डॉक्टर अनिकेत, मुझे पता है कि मैं जो करने जा रही हूं वह गलत है, लेकिन जब मैं शौर्य को ढूंढने उसके स्कूल में गई थी, तो मुझे यह पता चला कि शौर्य ताकतवर बनने के लिए जंगल चला गया है। आप अच्छे से जानते हैं कि ताकत बढ़ाने के लिए जंगल में रहना कितना फायदेमंद और खतरनाक हो सकता है। लेकिन शौर्य उन बच्चों में से नहीं है जो वहां रहकर ताकतवर बन सकते हैं। मैं बस यह चाहती हूं कि मेरा भाई सेफ रहे, इसलिए मैं उसे बचाने के लिए जंगल जा रही हूं। मैंने पूरे शहर का चप्पा चप्पा ढूंढ लिया है, लेकिन वह यहां नहीं है, इसका मतलब वह जंगल चला गया है।" यह मैसेज डॉक्टर अनन्या का था, जो शौर्य की बहन थीं। डॉक्टर अनिकेत ने कहा, "बहुत बड़ी प्रॉब्लम हो गई है। तुम्हारी बहन जंगल चली गई है, और शाम होने वाली है। अगर मैं किसी को तैयार भी कर लूंगा, तो वह सुबह से पहले जंगल नहीं पहुंच पाएगा।"इसके बाद, डॉक्टर अनिकेत की नजरें घुमाते ही उन्होंने देखा कि शौर्य दरवाजे से बाहर निकलकर जंगल की ओर भाग रहा था। "नहीं, शौर्य! अगर तुम भी जंगल में चले गए, तो तुम्हारी बहन का..." लेकिन शौर्य ने डॉक्टर अनिकेत की बात को अनसुना करते हुए सीधे जंगल की ओर रुख कर लिया।और देखते ही देखते शौर्य जंगल के पास पहुंचता है, फिर एक लंबी सांस लेता है और जंगल के अंदर कदम रखता है। "अनन्या दीदी, मैं सब कुछ जान चुका हूँ। और यह भी कि सारी गलतियाँ मेरी थीं। मैंने आप पर विश्वास नहीं किया, जबकि आप हमेशा मुझसे प्यार करती रही। मैं हमेशा आपसे दूर रहा, लेकिन अब... अब सब कुछ जानने के बाद, अगर कुछ बुरा हुआ तो मैं इसे सहन नहीं कर पाऊँगा।" यह कहते हुए शौर्य जंगल की गहराइयों में दौड़ता है। जंगल में कदम रखते हुए, शौर्य को किसी भी खतरे का डर नहीं था। वह बिना किसी डर के दौड़ते हुए आगे बढ़ता है, जबकि दूर से जानवरों की आवाजें सुनाई दे रही थीं। शौर्य की चिंता अपनी बहन पर थी, और वह बिना रुके सीधे उस दिशा में बढ़ता जा रहा था, जहाँ से शेर की आवाज आ रही थी। कुछ ही देर बाद, शौर्य को सामने अपनी बहन अनन्या दिखाई देती है, जो कि एक खतरनाक शेर से लड़ रही थी। अनन्या का एक हाथ घायल था, फिर भी वह तलवार से शेर का सामना कर रही थी। शौर्य को समझ आ गया कि यह शेर "वन स्टार सिटी" का सबसे ताकतवर शेर है, और उसके बिना किसी सहायता के बाहर निकल पाना लगभग असंभव था। लेकिन शौर्य हार मानने वाला नहीं था। शौर्य ने संकल्प लिया, "जो भी हो, चाहे जान चली जाए, मैं अपनी बहन को बचा के रहूँगा।" शौर्य पूरी ताकत से उस दिशा में दौड़ता है। अचानक, शेर ने अनन्या पर हमला कर दिया। वह अनन्या के ऊपर कूद पड़ा था और उसे मारने की कोशिश कर रहा था। शौर्य दौड़ते हुए सामने आता है और अपनी तलवार से शेर पर वार करता है। शेर घायल हो जाता है और गुस्से में चिल्लाता है। वह फिर से अनन्या पर हमला करने के लिए बढ़ता है, लेकिन शौर्य ने अपने कंधे पर तलवार लेकर शेर को रोक लिया। "नहीं, मैं तुम्हें कुछ नहीं होने दूँगा!" शौर्य की आवाज में गुस्सा था। फिर, जैसे ही शेर ने एक और हमला किया, अनन्या जमीन पर गिरने लगी। उसकी आंखें बंद होने लगीं, और वह शौर्य से कहने लगी, "शौर्य, प्लीज यहाँ से भाग जाओ। मैं तुम्हारे लिए ही आई थी। अगर तुम नहीं बचोगे, तो मेरा जिंदा रहना भी बेकार होगा।" शौर्य, क्रोधित और घबराया हुआ, "नहीं, मैं तुम्हें कुछ नहीं होने दूँगा!" कहते हुए दौड़ता है। लेकिन टाइगर अनन्या के करीब पहुँच चुका था। शौर्य का दिल जोर से धड़कने लगा, लेकिन अचानक ही उसके हाथ से तेज रोशनी निकलने लगी। वह यह देखकर चौंका कि एक मोटा सा कीड़ा उसके हाथ में था। कीड़ा तेज़ी से शेर की तरफ बढ़ता है और शेर के सीने में घुसकर उसे खा जाता है। शेर एक दर्दनाक आवाज के साथ चिल्लाता है और धीरे-धीरे उसका शरीर सख्त हो जाता है, जो फिर कंकाल में बदल जाता है। शौर्य यह सब देखकर दंग रह जाता है। वह कीड़े को देखकर सोचता है, "यह क्या था? और मैंने यह सब कैसे किया?" लेकिन यह सिर्फ शुरुआत थी। शौर्य को अहसास हुआ कि उसने न्यूरो कोर का निर्माण किया है। अब वह जान चुका था कि वह अपने शक्तिशाली जानवरों को अपने न्यूरो कोर के अंदर रख सकता है और जब चाहे, उन्हें बाहर बुला सकता था। कुछ समय बाद, शौर्य अपनी बहन को डॉक्टरों के पास ले जाता है। इलाज होने के बाद, शौर्य को पता चलता है कि वह अब कुछ नई शक्तियाँ महसूस कर रहा है। उसने अपने अंदर के न्यूरो कोर को सक्रिय किया और अचानक एक फटाफट रोशनी उसके सामने आई। शौर्य अपने भीतर की शक्ति से पूरी तरह से जुड़ चुका था, लेकिन उसे यह समझ में नहीं आ रहा था कि उसने इस शक्ति को कैसे पाया। फिर, अचानक एक और अजीब घटना घटित होती है और शौर्य खुद को फिर से उसी जंगल में पाता है, जहाँ से वह बाहर आया था। शौर्य यह सब देखकर दंग रह जाता है और सोचता है, "मैं फिर से यहाँ कैसे आ गया?" इतने में एक फ्लैशबैक का दृश्य सामने आता है, जिसमें दिखाया जाता है कि कैसे शौर्य ने उस मोटे कीड़े को बचाया था और कैसे वह कीड़ा उसे पालतू बन गया था। यह कीड़ा अब शौर्य का साथी बन चुका था, chapter 11शौर्य एक बार फिर उसी घने जंगल में पहुंच चुका था, जहां सिर्फ अंधेरा था। चांद की हल्की रोशनी भी पेड़ों के घनेपन के कारण जमीन तक नहीं पहुंच पा रही थी। शौर्य ने आज तक इतने मोटे तनों वाले पेड़ नहीं देखे थे। कुछ पेड़ों के बीच में खाली जगह थी, जहां वह छिपकर बैठा हुआ था।"हे भगवान, प्लीज जल्दी से दिन कर दो, मैं बस यहां से जाना चाहता हूं," शौर्य हाथ जोड़कर प्रार्थना करने लगा। तभी उसके हाथ में वही मोटा कीड़ा आ गया, जिसे देखकर वह चौक गया।"ओह, तुम बाहर आ गए!" शौर्य ने कीड़े को देखते हुए कहा।"तो तुम्हें क्या लगता है? मैं दिनभर तुम्हारे हाथ में ही पड़ा रहता हूं?" मोटा कीड़ा जवाब देता है।शौर्य वही जम जाता है। "रुको, क्या तुम मुझसे बात कर सकते हो?""नहीं, मैं तो अपनी भाषा में बात कर रहा हूं। लेकिन तुम मेरी बात कैसे समझ रहे हो?" कीड़ा पूछता है।"मुझे नहीं पता... लेकिन हम दोनों एक-दूसरे की भाषा समझ पा रहे हैं," शौर्य कहता है।"जो भी हो, तुम इस वक्त बहुत गलत जगह पर हो। अगर मेरी प्रजाति यहां आ गई या मेरा झुंड पास आ गया, तो तुम बड़ी मुसीबत में पड़ सकते हो और मैं भी तुम्हें नहीं बचा पाऊंगा," मोटा कीड़ा चेतावनी देता है।"तो मुझे क्या करना चाहिए? मैं बहुत कमजोर हूं," शौर्य चिंता जताता है और वहीं बैठ जाता है।"अगर तुम्हें जिंदा रहना है, तो मेरी बात माननी होगी। मेरा झुंड ज़्यादातर जमीन के नीचे रहता है और हलचल होते ही सतर्क हो जाता है। इसलिए तुम्हें ज़्यादा दौड़-भाग या हलचल नहीं करनी चाहिए," कीड़ा समझाता है।"ठीक है, मैं समझ गया। मैं बस यहीं बैठा रहूंगा," शौर्य कहता है।काफी देर तक दोनों वहीं बैठे रहते हैं। फिर कीड़ा पूछता है, "वैसे तुम्हारा नाम शौर्य है ना? तुमने मुझे मारा क्यों नहीं? जबकि इंसान जानते हैं कि मेरी प्रजाति कितनी खतरनाक है। मेरा झुंड अगर इंसानों के हाथ लग जाता है, तो वे हमें देवता बना लेते हैं ताकि हमें टेम कर सकें। लेकिन जब मैं तुम्हारे हाथों टेम हुआ, तो तुम्हारे चेहरे पर खुशी नहीं थी। ऐसा क्यों?""असल में, तुम पहले बीस्ट हो जिसे मैंने टेम किया है, और मुझे बीस्ट टेमर के बारे में कुछ भी नहीं पता," शौर्य कहता है।"अच्छा, इसलिए तुम्हारी आंखों में लालच नहीं था। मुझे तो बस मासूमियत दिखी। तुम सिर्फ मेरी जान बचाना चाहते थे," मोटा कीड़ा कहता है और शौर्य के हाथ पर आकर सो जाता है।धीरे-धीरे दिन हो जाता है, और शौर्य अचानक अपनी हॉस्पिटल रूम में लौट आता है। वह राहत की सांस लेता है और डेट चेक करता है। "थैंक गॉड, सिर्फ एक रात बीती है, पिछली बार की तरह दो दिन नहीं," वह मन ही मन सोचता है।जैसे ही वह उठकर जाने लगता है, उसे याद आता है कि उसकी बहन वहां नहीं है जहां उसे होना चाहिए था। तभी दरवाजे के खुलने की आवाज आती है।शौर्य पलटकर देखता है तो डॉक्टर अनिकेत, डॉक्टर संजीव और डॉक्टर अनन्या अंदर आते हैं। वे शौर्य को देखते ही खुशी से भर जाते हैं। अनन्या तो तुरंत आगे बढ़कर शौर्य को गले लगा लेती है और रोने लगती है।शौर्य, मुझसे वादा करो कि तुम दोबारा मुझे छोड़कर नहीं जाओगे।" अनन्या ने शौर्य को कसकर पकड़े हुए कहा।"हाँ दीदी, मैं आपको कभी नहीं छोड़ूंगा," शौर्य ने थोड़ा अजीब महसूस करते हुए जवाब दिया। अनन्या ने उसे छोड़ दिया और ऊपर से नीचे तक गौर से देखने लगी।"शौर्य, हम मरे तो नहीं थे? तुम मतलब... हम जिंदा कैसे हैं? और तुम तो बिलकुल ठीक लग रहे हो। आखिर वहाँ हुआ क्या था?" अनन्या ने चिंतित स्वर में पूछा।"ये सब छोड़ो, अनन्या। तुम्हें शायद अंदाजा भी नहीं कि तुम्हारे भाई ने क्या किया है। तुम दोनों का जिंदा होना ही अपने आप में एक चमत्कार है।" डॉक्टर अनिकेत ने गंभीरता से कहा।डॉक्टर अनिकेत की बात सुनकर अनन्या चौंक गई और उसने डॉक्टर संजीव की ओर देखा। जब डॉक्टर अनिकेत ने कहा कि उसे स्कूल जाकर सच जानना होगा, तो उसकी बेचैनी और बढ़ गई।"शौर्य, तुमने स्कूल में कुछ किया तो नहीं?" अनन्या ने शौर्य से सवाल किया।इससे पहले कि वह और कुछ पूछती, कमरे में एक और व्यक्ति प्रवेश करता है।"प्रिंसिपल रंजीत! आप यहाँ? क्या शौर्य ने स्कूल में कुछ बड़ा हंगामा कर दिया है?" अनन्या ने चिंता भरे स्वर में पूछा।"नहीं, ऐसा कुछ नहीं हुआ। हमने उसे कभी स्कूल से नहीं निकाला, जैसा आपने कहा था। लेकिन चार साल के लंबे समय में, इसने एक भी मॉन्स्टर या एनिमल को टेम नहीं किया। हमारे स्कूल के नियम के अनुसार, यदि कोई छात्र पाँच साल के अंदर ऐसा नहीं कर पाता, तो उसे स्कूल छोड़ना पड़ता है। शौर्य का यह आखिरी साल था। दो-तीन महीने में उसका समय खत्म होने वाला था।लेकिन समस्या यह हुई कि एक टीचर, जो शौर्य से व्यक्तिगत रूप से नफरत करती थी, उसने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करते हुए इसे स्कूल से निकाल दिया। मैं उसी के लिए माफी मांगने आया हूँ।इसके अलावा, शौर्य ने दो छात्रों को बुरी तरह पीटा। उनमें से एक मामूली परिवार से था, इसलिए हमने मामला संभाल लिया। लेकिन दूसरा लड़का विक्रम अग्रवाल था, जो अग्रवाल परिवार से है। अब उनके परिवार वाले इस मामले को लेकर काफी गंभीर हैं और जिसने भी उनके बेटे को पीटा, उसे खोजने की कोशिश कर रहे हैं।" प्रिंसिपल रंजीत ने स्थिति स्पष्ट की।उनकी बात सुनकर कमरे में मौजूद सभी लोग तनाव में आ गए। अग्रवाल परिवार शांत बैठने वालों में से नहीं था।"शौर्य, तुमने उन्हें मारा क्यों? मैं जानती हूँ कि तुम्हें परेशान किया जाता होगा, लेकिन इतनी बड़ी प्रतिक्रिया देने का कोई कारण तो होगा?" अनन्या ने सख्त लहजे में पूछा।"दीदी..." शौर्य कुछ कहने ही वाला था कि प्रिंसिपल रंजीत ने सबका ध्यान फिर से अपनी ओर खींचा।"देखिए, मैं पूरी सच्चाई यहाँ नहीं बता सकता। फिलहाल, इस मामले की जानकारी सिर्फ हमें और डॉक्टर अनिकेत को है। बेहतर होगा कि आप खुद स्कूल आकर कैमरे की फुटेज देखें। आपको सबकुछ साफ-साफ पता चल जाएगा।" प्रिंसिपल रंजीत ने सुझाव दिया।डॉक्टरों ने सहमति जताई, और सभी लोग एक साथ स्कूल की ओर रवाना हो गए।शौर्य को वापस स्कूल जाने में अजीब लग रहा था। वह वहाँ से बहुत गुस्से में निकला था, लेकिन अब परिस्थितियाँ बदल गई थीं।उसी समय, सामने से एक डॉक्टर के कोट में एक आदमी दौड़ता हुआ उनकी ओर आया...chapter 12शौर्य इस आदमी को अच्छे से पहचानता था। यह वही रिसेप्शनिस्ट था जहां अनन्या की लैब थी। जब डॉक्टर संजीव को पता चला कि अनन्या के आने के बाद के सीसीटीवी फुटेज गायब थे और नेटवर्क भी डाउन हो गया था, तो वह गुस्से में आ गए।"यह दिव्य पत्थर बहुत चालाक है! इसे पकड़ना आसान नहीं होगा," उन्होंने कहा और अनन्या की ओर देखा। "मुझे माफ करना, डॉक्टर अनन्या, शायद मुझे अब जाना होगा।"डॉक्टर संजीव तुरंत वहां से चले गए। दूसरी ओर, शौर्य दिव्य पत्थर का नाम सुनकर चौंक गया। उसके रोंगटे खड़े हो गए, लेकिन वह जानता था कि वह सुरक्षित था क्योंकि सारी सीसीटीवी फुटेज मिट चुकी थी। इसके बाद, सभी लोग अपने-अपने कमरों में चले गए।शौर्य अपनी बहन का लैपटॉप लेकर रिसर्च करने लगा। उसे पता चला कि अगर कोई न्यूरो कोर जनरेट कर भी ले, तो भी वह किसी मॉन्स्टर या एनिमल से बात नहीं कर सकता। अब तक ऐसा किसी के साथ नहीं हुआ था।"जब हम न्यूरो कोर जनरेट करते हैं, तो उसके साथ एक बीस्ट भी जन्म लेता है। लेकिन मेरे न्यूरो कोर में कोई बीस्ट नहीं है," शौर्य सोचने लगा। उसने अपनी आंखें बंद कीं और ध्यान केंद्रित किया। उसे अपने न्यूरो कोर में एक चमकती रोशनी और उसके साथ खेलता हुआ एक मोटा कीड़ा दिखाई दिया।इंटरनेट पर खोजबीन करने पर शौर्य को पता चला कि जिन लोगों ने न्यूरो कोर जनरेट किया था, उनके कोर में एक घंटे के अंदर बीस्ट जन्म ले चुका था। "लेकिन मेरे साथ कुछ अलग हो रहा है," वह मन ही मन सोचने लगा।उसने एक और चीज नोटिस की—"क्या न्यूरो कोर चमकते हैं?" उसने इंटरनेट पर खोजा और जवाब मिला—"नहीं।" इसका मतलब था कि वह जो रोशनी देख रहा था, वह शायद उसका बीस्ट ही था।शौर्य ने अपने हाथ आगे बढ़ाए, और मोटा कीड़ा तुरंत उसके पास आ गया।"तुम किसके साथ खेल रहे हो?" शौर्य ने पूछा।"क्या तुम्हें दिमाग नहीं है? वह एक बच्ची है," मोटे कीड़े ने जवाब दिया।"बच्ची? लेकिन वहां तो बीस्ट होना चाहिए!" शौर्य चौंक गया।"मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, कम से कम कोई तो है खेलने के लिए," मोटे कीड़े ने कहा और गायब हो गया।शौर्य समझ गया कि उसका बीस्ट अभी पूरी तरह विकसित नहीं हुआ है। उसने यह भी महसूस किया कि बिना न्यूरो कोड डिवाइस के कोई भी अपने बीस्ट को नियंत्रित नहीं कर सकता, लेकिन वह इसे सीधे अपने हाथों से नियंत्रित कर पा रहा था।तभी मोटा कीड़ा फिर से प्रकट हो गया। "तुम मुझे बार-बार तंग क्यों कर रहे हो?" उसने गुस्से से कहा।"सॉरी, सॉरी!" शौर्य ने जल्दी से उसे वापस भेज दिया।शौर्य सोचने लगा कि बाकी सभी को न्यूरो कोर नियंत्रित करने के लिए एक डिवाइस की जरूरत होती है, लेकिन वह इसे सीधे नियंत्रित कर पा रहा था। "इसका मतलब मेरा न्यूरो कोर बाकी सबसे अलग है," उसने सोचा। फिर उसे दिव्य पत्थर का टुकड़ा याद आया।"कहीं ऐसा तो नहीं कि मेरा न्यूरो कोर उसी पत्थर की वजह से खास बन गया है?" शौर्य मन ही मन सोचने लगा। उसे यकीन हो गया था कि दिव्य पत्थर ने जानबूझकर यह सब किया था ताकि वह समय में पीछे जाकर खतरनाक बीस्ट्स को टेम कर सके।अंत में, शौर्य ने खुद से कहा, "अब मुझे यह ध्यान रखना होगा कि रात के 12 बजे के बाद मैं ऐसी किसी भी जगह पर न जाऊं जहां कैमरे हों। अगर मैं वहां से गायब होकर उसी जगह वापस आया, तो यह कैमरों में रिकॉर्ड हो जाएगा। मुझे पूरी सावधानी बरतनी होगी।"वह अंगड़ाई लेते हुए सोचने लगा, "अब मुझे और ज्यादा सतर्क रहना होगा।"शौर्य के मन में सवालों का एक झंझावात चल रहा था। वह सोच रहा था कि अगर समय के आगे जाकर सभी जानवर म्यूटेट होकर खतरनाक मॉन्स्टर बन गए, तो फिर समय के पीछे भी ऐसे ही म्यूटेड मॉन्स्टर क्यों मौजूद हैं? डायनासोर भी म्यूटेट हो गए थे, लेकिन यह कैसे संभव था जबकि यह सब कुछ तो भविष्य में हुआ था? क्या समय के साथ कोई छेड़छाड़ हुई थी या यह प्रकृति का कोई अनकहा रहस्य था? यह सब सोचकर वह खुद को उलझा हुआ महसूस कर रहा था। लेकिन उसने अपने विचारों को झटका दिया और खुद से कहा कि उसे बस सर्वाइव करने के लिए कुछ चाहिए। बाकी सब सवाल बस मिस्ट्री ही रहेंगे।शौर्य ने किताबों में पढ़ा था कि डायनासोर म्यूटेटर के हमले के कारण मारे गए थे। लेकिन क्या वे पहले से ही म्यूटेटेड थे या फिर हमले के कारण म्यूटेशन हुआ था, यह कोई नहीं जानता था। इतिहास के इस रहस्य को कभी सुलझाया नहीं जा सका। शौर्य ने अपनी सोच को विराम दिया और अपने कमरे से बाहर निकल गया, जहां सभी उसका इंतजार कर रहे थे।डॉक्टर अनिकेत, डॉक्टर अनन्या और प्रिंसिपल रंजीत वहां मौजूद थे। जैसे ही प्रिंसिपल रंजीत ने शौर्य को देखा, उनके चेहरे पर संतोष की मुस्कान आ गई। वे सभी कार में बैठकर स्कूल की ओर रवाना हो गए।रास्ते में, प्रिंसिपल रंजीत ने डॉक्टर अनन्या से पूछा, "वैसे, हमारे वन स्टार सिटी का सबसे टैलेंटेड बच्चा कौन है, जो आगे तक बढ़ गया है?"डॉक्टर अनन्या ने जवाब दिया, "मुझे इस बारे में पूरी जानकारी है। वह हमारे शहर के टॉप फाइव स्कूल्स में से एक से था। इतना टैलेंटेड था कि उसने मात्र 19 साल की उम्र में ही अपने न्यूरो सिस्टम को रीजेनेरेट कर लिया था। उसने वन स्टार सिटी को पार कर टू स्टार सिटी में प्रवेश कर लिया और हर साल टूर्नामेंट्स में उसकी उपलब्धियों को दिखाया जाता है। मुझे नहीं लगता कि इस शहर में उससे ज्यादा टैलेंटेड कोई और है।"प्रिंसिपल रंजीत सहमति में सिर हिलाते हुए बोले, "सही कहा, डॉक्टर अनन्या।"डॉक्टर अनन्या को हैरानी हो रही थी कि आखिर प्रिंसिपल रंजीत इस विषय में इतनी दिलचस्पी क्यों ले रहे थे, जबकि यह बातें यहां के बच्चों तक को पता थीं। कुछ ही देर में वे स्कूल पहुंच गए। स्कूल में प्रवेश करते ही प्रिंसिपल रंजीत की नजर एक आदमी पर पड़ी। वह कोई और नहीं बल्कि आदर्श अग्रवाल था—विक्रम का पिता।प्रिंसिपल रंजीत ने चौकते हुए पूछा, "आदर्श, तुम यहाँ क्या कर रहे हो?"आदर्श अग्रवाल ने तीखी नजरों से उन्हें देखा और कहा, "अच्छा तो अब तुम अनजान बनने का नाटक कर रहे हो? तुम्हें सब कुछ पता है कि यहां क्या हुआ है। मेरा बेटा अस्पताल में है, और तुम मुझसे उम्मीद कर रहे हो कि मैं उसे छोड़ दूं, जिसने मेरे बेटे का यह हाल किया?"प्रिंसिपल रंजीत गंभीर स्वर में बोले, "तुम्हारी आवाज़ पहले से बदल गई है, आदर्श। क्या तुम भूल गए हो कि तुम्हें अपने बेटे का एडमिशन यहां करवाने में कितने साल लग गए थे?"आदर्श हंसते हुए बोला, "वह बीते समय की बात है, बेवकूफ! अब मैं इस शहर का सबसे बड़ा डॉन हूँ। मेरे सामने तुम्हारी कोई औकात नहीं बची है।"इतना कहकर आदर्श अग्रवाल ने अपनी जेब से एक डिवाइस निकाली। अचानक, उसके सीने से एक लाल रोशनी निकलकर ज़मीन पर गिरने लगी और कुछ ही पलों में वह एक विशालकाय, मोटी चोंच वाली चिड़िया के रूप में बदल गई। यह उड़ने वाला बीस्ट था, लेकिन उड़ने के लिए नहीं बल्कि अपने शिकार को बेरहमी से मारने के लिए जाना जाता था। उसकी चोंच किसी भी इंसान को कुछ ही सेकंड में टुकड़ों में तब्दील कर सकती थी।हालांकि, वहां मौजूद लोग इस दृश्य से अधिक हैरान नहीं हुए। उन्हें पता था कि यह बीस्ट सिर्फ उड़ने के लिए नहीं बल्कि किसी को भी तड़पा-तड़पा कर मारने के लिए प्रसिद्ध था।आदर्श ने आगे बढ़कर कहा, "मुझे नहीं लगता कि तुम्हें मुझसे लड़ना चाहिए, प्रिंसिपल रंजीत। यही बेहतर होगा कि तुम मेरे रास्ते से हट जाओ। जिसने भी मेरे बेटे पर हाथ उठाया है, वह आज जिंदा नहीं बचेगा।"