Doodh ka Karj - 5 - Last part in Hindi Fiction Stories by S Sinha books and stories PDF | दूध का क़र्ज़ - 5 (अंतिम भाग)

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दूध का क़र्ज़ - 5 (अंतिम भाग)

अंतिम भाग - 5     दूध का क़र्ज़ 

 नोट - अभी तक आपने पढ़ा कि अमेरिका में तनूजा और कृष की नजदीकियां बढ़ीं और तनूजा प्रेग्नेंट हुई  . वह कृष के बच्चे की माँ बनने वाली थी  . कृष ने उसे कहा कि अभी हमें बच्चा नहीं चाहिए और तुम एबॉर्शन करा लो जिसे सुन कर तनु को बहुत दुःख हुआ  . इसी बीच अचानक एक दिन एक अमेरिकी महिला क्रिस्टीना उसके घर आ कर बताती है कि वह भी कृष के बच्चे की माँ बनने वाली है  . तनूजा क्रोधित हो कर कृष से अलग रहने चली गयी और कृष अपनी एक्स के साथ रहने लगा  .  अब आगे पढ़ें … 

एक महीने के अंदर तनु और मैक साथ रहने लगे . अभी बेटी अनु भी उनके साथ ही थी . कुछ दिनों के बाद मैक ने कहा “ तुम बेटी को इंडिया छोड़ कर आओ तब हमलोग इंगेजमेंट अनाउंस करेंगे और फिर शादी . 
तनु अपनी बेटी को लेकर भारत अपने मम्मी पापा के घर आयी  . उसे  इंडिया से एक महीने वर्क फ्रॉम होम की इजाजत मिली थी इसलिए तनु को छुट्टी नहीं लेनी पड़ी . एक महीने के बाद जब वह अनु को छोड़ कर जाने लगी तब अनु  बहुत रोने लगी  . तनु ने बेटी को सांत्वना देते हुए कहा “ कुछ ही दिनों की बात है फिर मैं खुद तुम्हे लेने आऊंगी . यहाँ नाना नानी तुझे रोज अच्छी अच्छी कहानियां  सुनाएंगे . “ 


अनु की नानी ने कहा “ बेटी , हमलोग कितने दिन इसकी सही देखभाल कर सकते हैं  . जल्द ही तुम इसे अपने पास ले जाना  “ . 


“ हाँ , मम्मी मैं भी यही कोशिश करूंगी  . “ 


बेटी को किसी तरह समझा बुझा कर तनु अमेरिका आयी . तनु और मैक का इंगेजमेंट हुआ . इंगेजमेंट के बाद वे साथ रहने लगे . फिर छह महीने के अंदर दोनों की शादी हुई .पर शादी में तनु के यहाँ से कोई नहीं आया था . उसके मम्मी पापा और बेटी  शादी के  फंक्शन में ज़ूम पर शामिल हुए . 


 हनीमून के लिए दोनों दो सप्ताह के लिए अमेरिका के हवाई आइलैंड गए ..  तनु इंडिया में बेटी और पेरेंट्स से रोज वीडियो चैट किया करती . कभी मैक भी उसमें शामिल होता था . अनु जब मैक को हाय अंकल बोलती तब तनु उसे डैडी बोलने के लिए कहती . पर अनु ने न ‘ ना ‘ कहा न ही मैक को  पापा या डैडी कहा  . कुछ महीने के बाद तनु प्रेग्नेंट हुई  . तनु ने मैक से कहा “ अब हमें अनु को बुला लेना चाहिए उसको भी खेलने के लिए एक भाई या बहन  का साथ मिल जायेगा  . “ 


“ मेरी समझ में अभी उसे बुलाने का सही समय नहीं  है क्योंकि दो दो बच्चों की देखभाल और नौकरी करना अमेरिका में बहुत कठिन काम है  . और फिर समय पर उसने मैक के बेटे को जन्म दिया  . बेटा  एकदम गोरा अमेरिकन अपने पिता की तरह था  . मैक और तनु दोनों बहुत खुश हुए  . बेटे का नाम एडवर्ड  रखा  . दूसरी तरफ अनु अपने  नाना नानी के यहाँ पल रही थी  . जब उसके नाना नानी अनु को अमेरिका ले जाने को कहते तब तनु मैक से रिक्वेस्ट करती और मैक यह कह कर टाल देता कि एडवर्ड को कुछ बड़ा होने दो  . “ 


पर धीरे धीरे मैक अनु के प्रति उदासीन रहने लगा  . न वह खुद अनु से बात करता न ही एडवर्ड को इसके लिए प्रोत्साहित करता  . यह बात तनु और उसके माता पिता से छिपी नहीं थी  . समय का पहिया अपनी गति से घूमता रहा  . साल में अनु एक बार इंडिया आती तब  अनु को अमेरिका ले जाने का प्रॉमिस करती  . पर अमेरिका पहुँचते ही मैक कठोर शब्दों में कहता “ मैं नहीं चाहता मेटे बेटे पर अनु की छाया भी पड़े  . हाँ अगर तुम्हें उसे लाना है तब बेशक ले आओ पर तुम दोनों मेरे घर में नहीं रह सकती हो  . “


तनु को बहुत दुःख होता पर वह लाचार थी  . इधर अनु भी बड़ी हो रही थी , उसे अपनी मम्मी से कोई लगाव नहीं रहा था  .  अपने माता पिता और बेटी से मिलने तनु जब भी इंडिया आती अनु अपने को एक कमरे में बंद कर लेती  . तनु अपनी बेटी को बार बार आश्वासन देती “ जल्द  ही तुम्हें भी अमेरिका बुला लूँगी  . “


बंद कमरे से ही अनु बोलती “ मुझे आपके साथ अमेरिका नहीं जाना है  . जिस समय मुझे आपकी जरूरत थी आपने मुझे अपने से अलग कर दिया , अपनी खुशियों के लिए मेरे बचपन के दिन और खुशियों की बलि चढ़ा दिया  . अब नाना और नानी ही मेरे माता पिता हैं  . “


कुछ वर्षों  के बाद अनु की नानी  चल बसी  . उस समय अनु ट्वेल्थ पास कर चुकी थी  . तनु  माँ के अंतिम संस्कार में  इंडिया आयी थी  . इस बार भी अनु ने अपनी मम्मी से कोई बात नहीं की और उसका नंबर तक  ब्लॉक कर दिया  . उसके जाने के बाद नाना ने उस से कहा “ बेटे अब तुम्हें मम्मी का कहा मान कर अमेरिका जाना चाहिए  . “


“ अगर आप मुझे नहीं रख सकते हैं तो मैं अलग रह कर अपनी देखभाल खुद कर लूंगी  . “


“ छिः , ऐसी बात तुम कैसे सोच भी सकती हो  . तू रहेगी तो मुझे अच्छा ही लगेगा  .  तुम्हारे फ्यूचर की सोच कर तेरे भले के लिए कह रहा था  . तेरे रहने से मुझे ख़ुशी  मिलती ही है साथ में मेरा आत्मबल बढ़ जाता है  .   “


देखते ही देखते लगभग चार साल के बाद अनु ने बी . टेक कर अमेरिका के आई टी कंपनी में नौकरी ज्वाइन किया  . अमेरिका में रहते हुए उसने कभी अपनी मम्मी से संपर्क नहीं रखा  . उधर एक रोड एक्सीडेंट में तनु और मैक दोनों बुरी तरह घायल हुए  . मैक को लकवा मार दिया और तनु व्हीलचेयर के सहारे चला करती  थी . अनु और मैक का  बेटा  माँ बाप को अकेले छोड़ कर घर छोड़ कर चला गया  . वे दोनों किसी तरह सरकारी सहायता पर दिन काट रहे थे  . 


इस बीच तनु ने किसी दूसरे नम्बर से बेटी को फोन कर  के कहा “ बेटे नाना ने तुम्हें हमारे बारे में जरूर बताया होगा  . हमें अब तेरे सहारे की जरूरत है  . “ 


अनु को बहुत देर खामोश देख कर तनु ने  आगे कहा “ तुम सुन रही हो न ?  . “


“ हाँ सुन भी रही हूँ और समझ भी रही हूँ  . “  अनु ने कहा 


“ तब आगे तुमने क्या सोचा है ? “ 


“ मैंने अभी कुछ नहीं सोचा है और फिलहाल मैं इस बारे में कुछ नहीं बोल सकती हूँ  . “  बोल कर अनु ने फोन काट दिया  . 


कुछ देर बाद अनु के नाना ने फोन पर उसे कहा “ अनु बेटे  . तनु के प्रति तुम्हारी नफरत मैं समझ सकता हूँ  . आखिर उसने तुम्हें जन्म दिया है  .”


“ आप इस उम्र में भी अपनी बेटी की सोच रहे हैं और एक आपकी बेटी जिसने मुझे आपके सहारे छोड़ दिया  . आप और नानी नहीं होते तब मुझे अनाथालय में जाना पड़ता  .  “ 


“ जो हुआ उसे भूल जा और अपनी माँ के बारे में सोच  . ?


“ मैं क्यों सोचूं उस माँ के बारे में जिसने मेरे लिए नहीं सोचा ? उन्होंने यह नहीं सोचा कि जो माँ बाप अपने बच्चे को अपने से अलग कर देते हैं उनके बच्चों का विकास और व्यक्तित्व सामान्य नहीं होता है और उनमें आत्मविश्वास की कमी होती है  . मेरा सौभाग्य  है कि मुझे आप जैसे नाना नानी मिले जिसके चलते  मुझे मम्मी पापा की कमी का अहसास नहीं हुआ  . मुझे उनसे कुछ लेना देना नहीं है  . “

 

“ लेना देना कैसे नहीं है ? बेटे तुम्हें तनु के बारे में सोच समझ कर फैसला लेना चाहिए  . उसने  तुझे अपना दूध पिलाया है  . तुम्हारा  भी कुछ फ़र्ज़ बनता है उसके प्रति है कि नहीं ? “ 


“ ठीक है , मैं दूध का फ़र्ज़ अदा  करूंगी  . आपको भी यहाँ आना होगा और मम्मी को भी अपने साथ रख लूंगी पर उस अमेरिकी  का चेहरा देखना मेरे लिए पाप है  . वो मेरा कोई नहीं है   . आप अपनी बेटी को समझा देंगे तभी वो मेरे साथ रह सकती हैं   . “ 


समाप्त 

 

नोट - यह कहानी पूर्णतः काल्पनिक है