Love Complicated - 3 in Hindi Love Stories by Jaimini books and stories PDF | Love Complicated - 3

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Love Complicated - 3

पिया की मर्ज़ी


" क्या.... इसका मतलब यहाँ जो हुआ उस बात का उन्हें कोई अंदाजा तक नहीं है, ये तो गलत हे ना उनका दिल टूट जायेगा मे उनके साथ ऐसा नहीं कर सकती " पिया ने आरव की फ़िक्र करते हुए कहा

पिया आरव की फ़िक्र कर रही थी, वो जानती थी की आरव कभी इस शादी के लिए नहीं मानेगा, क्यूंकि उसकी जगह कोई और लड़का होता तो वो भी किसी अनजान लड़की से शादी के लिए नहीं मानेगा | पिया खुद भी ये शादी नहीं करना चाहती थी लेकिन वो अपने चाचा से बहोत प्यार करती थी और उन्हें मना नहीं कर सकती थी | 

" हम जानते है ये गलत है, लेकिन हम अपने बच्चे की भलाई चाहते है, अगर उसे सच्चाई का पता चला तो वो कभी किसीसे शादी नहीं करेगा, और घुट घुट कर जियेगा, हम अपने बच्चे की ज़िन्दगी ऐसे ख़राब नहीं होने दे सकते | और उसने बहोत मेहनत से कंपनी को इतनी ऊंचाईओ तक पहुंचाया है, अगर शादी नहीं हुए आज तो ना जाने केसी केसी बाते बनेगी और कंपनी को बहोत नुक्सान होगा " पिया की बात सुनकर राधा जी ने अपनी बात कही 


     " हमने तुम्हे देखा है बेटा और बहोत सी बाते सुनी है , हमारे बेटे को तुमसे अच्छी जीवनसाथी और हमें तुमसे प्यारी बहु कोई और नहीं मिल सकती | और हम वादा करते है तुम्हे हमारे घर मे कोई परेशानी नहीं होंगी हम सब तुम्हारा अच्छे से ख्याल रखेंगे, अगर तुम्हे कोई ऐतराज़ ना हो तो क्या......... " अविनाश जी अपनी बात कहते हुए रुक गए शायद वो पिया को सोचनेका वख्त देना चाहते है

पिया सबकी बाते सुनकर बहोत गभरा गए थी, किसी अजनबी से शादी करके ज़िन्दगी उसके साथ बिताना और एक नये परिवार नये माहौल मे जाना ये सब सोच पाना उसके लिए बहोत मुश्किल हो रहा था | पिया मना करना चाह रही थी लेकिन अपने चाचा जी जो उसकी तरफ उम्मीद भारी नज़रो से देख रहे थे उन्हें देखकर वो मना नहीं कर पा रही थी

आख़िरकार बहोत सोचकर उसने शादी करने के लिए हाँ कह दिया और बिना कुछ बोले अपने कमरे मे चली गए

पिया का जवाब सुनकर सब लोगो के चेहरे पर मुस्कान आ गए सिवाय कविता जी के |

मनीष जी ने शादी का जोड़ा कविता जी को देते हुए कहा " कविता, ये लो पिया को देदो और तैयार होने मे उसकी मदद करो " कविता जी उनकी बात मानकर वो जोड़ा लेकर कमरे से बाहर चली गए |

" मेरी बेटी के हिस्से की खुशियाँ आज इस पिया को मिलने जा रही है, सोचा था kapoor फॅमिली मे शादी होंगी तो अब मुस्कान रानी बनकर रहेगी और राज करेंगी लेकिन सब उल्टा हो गया, और अब मेरी बेटी की जगह ये पिया रानी बनने चली है | पता नहीं ऐसी क्या बात आन पड़ी जो मुस्कान घर छोड़ दी एक बार सामने आ जाये उसकी खैर नहीं है " यही सब मन मे बड़बड़ते हुए कविता जी पिया के कमरे मे गए और उसे जोड़ा देकर जल्द से जल्द तैयार होने के लिए बोल दिया 

पिया का कमरा,

पिया उस शादी के जौड़े को देख रही थी, कल तक तो अपनी दुनिया मे मज़े से जी रही थी वो और आज उसकी शादी है, वो भी एक ऐसे लड़के के साथ जिसे उसने कभी नहीं देखा, वो अपनी किस्मत को समझ नहीं पा रही थी की उसे अच्छा कहे की बुरा |

" है भगवान जी, ये सब क्या हो रहा है मेरे साथ?? मे जानती हु मे जो कर रही हूं वो गलत है.. बहोत गलत है!! लेकिन मे चाचा जी को दुखी नहीं कर सकती वो मुझसे बहोत प्यार करते है,मम्मी पापा के जाने के उन्होंने मुझे सब कुछ दिया है, आज जब वो मुसीबत मे है और मेरी मदद चाहते है तो मे अपने मतलब के लिए कैसे उन्हें मना कर दू?? मे उनका दिल नहीं दुखा सकती बस इसीलिए मुझे ये शादी करनी ही होंगी, आगे जो होगा सो होगा " इन्ही सब ख्यालओ मे खोयी हुई पिया आईने के सामने बैठी तैयरी हो रही थी और अपने मम्मी पापा को याद कर रही थी, उसकी आँखे नम हो गए थी |

" मम्मी पापा आप दोनों क्यों मुझे ऐसे अकेला छोड़कर चले गए, मुझे आपकी बहोत याद आती है, अगर आज आप लोग होते तो मे अकेली नहीं होती, हाँ मे जानती हु की चाचा जी भी मुझसे बहोत प्यार करते है और वो कभी मेरा बुरा नहीं चाहेंगे, लेकिन मुझे आप दोनों की बहोत याद आती है, मे ये शादी नहीं करना चाहती जिससे मेरी शादी हो रही है मेने उसे देखा तक नहीं, सारी जिंदगी कैसे रह पाऊँगी उस इंसान के साथ | लेकिन मे चाचा जी को दुखी नहीं कर सकती, हाँ मे जानती हु की अगर मे उन्हें मना कर दू तो भी वो बिना किसी नाराज़गी के मेरी बात मन लेंगे, लेकिन मे अपने स्वार्थ के लिए चाचा जी को तकलीफ नहीं दे सकती, अगर मे ये शादी नहीं करुँगी तो उनकी इतने बरसो की कमाई हुई इज्जत मिट्टी मे मिल जाएगी " पिया को बहोत रोना आ रहा था | 

" मुझे माफ़ कर दीजियेगा, future husaband jii मे जानती हु की आपके साथ बहोत गलत होने जा रहा है, ये मेरी मर्ज़ी नहीं है, लेकिन शायद यही हमारी किस्मत है.... " पिया इन्ही सब ख्यालओ मे खोयी हुई थी | 

तभी कोई दरवाजा खटखटाता है,
" क्या मे अंदर आ जाऊ??.......... "

वो राधा जी थी, जो पिया से मिलने आयी थी

"अरे... क्या हुआ बेटा, तुम्हारी आँखों मे आँशु क्यों है??क्या तुम रो रही थी? तुम इस शादी से खुश नहीं दिख रही | " राधा जी ने जब पिया की नम आँखे देखी तो वो उसके पास गए

     
          "नहीं, नहीं आंटी ऐसी कोई बात नहीं है, शादी तो आज नहीं तो कल होनी ही थी, शायद मेरी किस्मत मे मेरी शादी ऐसे आज लिखी हो, अगर भगवान जी चाहते है की मेरी शादी आज हो आपके घर मे, तो वही सही | " पिया ने जल्दी से अपने आँशु पोंछते हुए कहा

"तो फिर तुम्हारी आँखों मे ये आँशु क्यों??......" राधा जी ने पूछा

" वो.. वो बस... कुछ नहीं वो माँ की बहोत याद आ रही थी | बहोत अकेलापन महसूस हो रहा है, आज मम्मी पापा यहाँ होते तो......... " बोलते हुए पिया की आँखे फिर से नम होने लगी

राधा जी उसकी बात सुनकर कुछ नहीं बोल पाए,  वो पिया का दर्द समझ रहे थे | मा बाप के बिना ज़िन्दगी कितनी मुश्किल होती है ये बात वो जानते थे |

" अरे.... ऐसे रोते नहीं है, और देखो अगर तुम्हारे मम्मी पापा तुम्हे ऐसे रोता हुआ देखेंगे तो उन्हें बहोत दुख होगा, और किसने कहा की तुम अकेली हो, हम सब है तुम्हारे साथ, आज से हम तुम्हारा परिवार है | और हाँ ये मुझे आंटी आंटी मत बोला करो, आज से मे तुम्हारी माँ हूं | आयी बात समझ मे " राधा जी बहोत प्यार से पिया को समझाया |

        उनकी बात सुनकर पिया को बहोत अच्छा महसूस हुआ | वो उनके गले लग गए

" चलो अब रोना बंध करो और जल्दी से तैयार हो जाओ, मेरा बेटा कबसे तुम्हारा इंतज़ार कर रहा है, अगर ज़्यादा इंतज़ार करवाया तो मंडप से उठकर आ जायेगा और उठाके ले जायेगा, उसका गुस्सा तुम जानती नहीं हो | " ये बोलकर राधा जी हसने लगे

उनकी बात सुनकर पिया भी मुस्कुराने लगी | लेकिन मन मे तो,

" लेकिन वो मेरा नहीं अपनी दुल्हन मुस्कान का इंतज़ार कर रहे है.... खैर.... " अपने ख्यालओ को बंध कर वो तैयार होने लगी |

राधा जी भी बाहर चले गए |

                 मनीष जी भी पिया से मिलने आये थे | लेकिन राधा जी को पिया के साथ देखकर बाहर ही रुक गए, उन्होंने उनकी सारी बाते सुन ली थी | वो राधा जी की बाते सुनकर बहोत खुश थे, उन्हें यकीन हो गया था की पिया का रिश्ता इनके साथ करके उन्होंने कोई गलती नहीं की, पिया को भी अब अपना परिवार मिलेगा, जो उसका बहोत ख्याल रखेगा | क्यूंकि उनके घर मे कविता जी और मुस्कान का पिया के प्रति रुखापन भलीभांती जानते थे |


" मुझे माफ़ कर दीजिये भाईसाहब, मेने जो आज किया उसमे मेरा, हम सबका स्वार्थ  था, लेकिन यकीन मानिए पिया उस घर मे बहोत खुश रहेगी, जो प्यार मे उसे इस घर मे नहीं दे सका, पिया को उसके हिस्से की खुशियां ज़रूर मिलेगी | " मनीष जी अपने बड़े भाई और पिया के पापा संजय जी को याद करते हुए ये सब सोच रहे थे, उन्हें याद करते हुए उनकी भी आँखे नम हो गए |

खैर अब पिया ने तो शादी के लिए हाँ कर दी, लेकिन क्या इन्हे आरव को सब सच बता देना चाहिए?? क्या आरव से ये सब छुपाना गलत नहीं है??? और जब आरव को पता चलेगा तो क्या वो कभी पिया को अपनायेगा???? बहोत सारे सवाल है,,  आगे की कहानी जानने के लिए आप सब कहानी से जुड़े रहिये |

आगे की कहानी next chapter मे,


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