" शादी का दिन "
अपनी बहन मुस्कान की जगह मंडप मे बैठी पिया की आँखों से आँशु बह रहे थे लेकिन घुंघट की वजह से कोई उसका चेहरा देख नहीं पा रहा था | गभराहट की वजह से उसके हाथ कंपने लगे थे वो अपनी ही सोच मे थी, " नहीं, मे ऐसा नहीं कर सकती ये गलत है, मे इन्हे धोखा नहीं दे सकती जब इन्हे पता चलेगा की, जिस लड़की से वो शादी के सपने देख रहे थे आज उस लड़की की जगह उनके साथ मंडप मे उसकी बहन बैठी हुई है तब पता नहीं ये क्या करेंगे "
जिस लड़के के बारे मे पिया सोच रही है वो है, आरव कपूर
[ आरव कपूर : AK इंडस्ट्रीज, इंडिया की टॉप 1 कंपनी, उसके मालिक का सबसे बड़ा बेटा और कंपनी का सीईओ, आरव कपूर की शादी बिसनेसमैन मनीष अग्रवाल जी की एकलौती बेटी मुस्कान अग्रवाल के साथ तय हुई थी, भले ही ये अरेंजड मैरिज थी लेकिन आरव पुरे दिल से मुस्कान को चाहने लगा था और इस शादी से बहोत खुश था, ]
दूल्हे के कपड़ो मे मंडप मे बैठा आरव इतना हैंडसम लग रहा था की शादी मे आयी हुई सारी लडकियां उसे देख अपना दिल हार चुकी थी, लेकिन आरव तो अपने ही ख्यालों मैं खोया हुआ था और बहोत खुश लग रहा था इस बात से बेखबर की उसके साथ मंडप मे उसकी मंगेतर नहीं कोई अनजान लड़की बैठी है | क्या होगा जब आरव को पता चलेगा की उसके साथ मंडप मे उसका प्यार नहीं बल्कि कोई और लड़की बैठी है जिससे उसकी शादी हो रही है |
पिया कोई अनजान लड़की नहीं थी | वो मनीष अग्रवाल जी के बड़े भाई संजय अग्रवाल जी की बेटी थी | लेकिन जब piya 15 साल की थी तब संजय जी और उनकी पत्नी का रोड एक्सीडेंट मे देहांत हो गया | तबसे पिया बहोत अकेली पड़ गए थी और ज़्यादातर हॉस्टल मे रहने लगी थी वो बहोत कम ही घर आती थी | क्यूंकि अब उसे उसके घर मे अपनापन महसूस नहीं होता था | मुस्कान और उसकी माँ कविता जी तो वैसे भी मुस्कान को कुछ खास पसंद नहीं करती थी और उसके माता पिता के जाने के बाद तो जैसे वो पिया से पीछा छुड़ाना चाह रहे थे | लेकिन मनीष जी पिया से बहोत प्यार करते थे संजय जी के जाने के बाद उन्होंने पिया का पूरा ख्याल रखा जैसे मुस्कान को प्यार करते थे बस वैसे ही लेकिन फिर भी वो पिया का अकेलापन दूर नहीं कर पाए |
जब मुस्कान की शादी आरव के साथ तय हुई तब भी वो यहाँ नहीं थी | इसी वजह से आरव और पिया एक दूसरे से एकदम अनजान थे, पिया आरव के परिवार वालों से एक दो बार मिली थी जब वो घर आये थे| सब लोग इस शादी से बहोत खुश थे और शादी की तैयारीओ मैं लगे थे लेकिन मुस्कान के मन मे कुछ और ही चल रहा था |
शादी के दिन,
मनीष जी और कविता जी बहोत परेशान से मुस्कान के कमरे मे बैठे थे | मुस्कान वहा नहीं थी, उसके शादी के जोड़े के पास बस एक चिट्ठी मिली थी, उसमे लिखा था की,
" मम्मी पापा, मेने आपसे पहले ही कहा था की मुझे इस शादी मे कोई इंट्रेस्ट नहीं है लेकिन आप लोगो ने मेरी बात नहीं सुनी इसीलिए और कोई रास्ता नहीं था | अब मे जा रही हु मे ये शादी नहीं कर सकती, मुझसे और ड्रामा नहीं होता है, अगर आप लोग पहले ही मेरी बात मान लेते तो आज ऐसा कुछ नहीं होता, हो सके तो माफ़ कर देना "
मुस्कान की चिट्ठी पढ़के मनीष जी के पेरो से मानो ज़मीन खिसक गए वो अपना सर पकड़के वही बैठ गए, जब कविता जी ने बात सुनी तो वो भी परेशान हो गए, आखिर क्यों ना हो, इतना बड़ा नाम और इज्जत थी उनकी समाज मे, लेकिन आज उनकी बेटी की वजह से सब डूबने वाला था |
बारात आ चुकी थी, मनीष जी को समझ नहीं आ रहा था की वो सबको सच कैसे बताये | उन्हें सबसे पहले अविनाश जी और राधा जी से बात करना ठीक समझा |
[ अविनाश कपूर : आरव के पापा
राधा कपूर : आरव की माँ ]
मनीष जी ने हिम्मत करके अविनाश जी को फ़ोन किया और कमरे मे बुलाया, जब अविनाश जी और राधा जी कमरे मे आये तो उन्हें परेशान देख पूछा, " क्या हो गया अग्रवाल साहब?? आज हमारे बच्चो की शादी है इतना ख़ुशी का दिन है और आप यहाँ कमरे मे परेशान बैठे है, ऐसी क्या बात हो गए??"
" हा कविता जी, क्या हुआ है आप दोनों इतने परेशान क्यों है??" राधा जी ने कविता जी के पास बैठते हुए पूछा | उनकी बात सुनके कविता जी रोने लगे | उन्हें रोता देख दोनों गभरा गए की ज़रूर कोई बड़ी बात है | तब मनीष जी ने अविनाश जी के सामने हाथ जोड़े और उन्हें मुस्कान और उसकी चिट्ठी के बारे मे सारी बात बताई |
जब अविनाश जी और राधा जी ने उनकी बात सुनी तो उन्हें ज़टका लगा | " ऐसे कैसे शादी छोडके चली गए वो, क्या ये शादी उसकी मर्ज़ी से नहीं हो रही थी??? लेकिन मुस्कान तो आरव के साथ कितनी खुश नज़र आ रही थी, फिर ये ऐसे घर से चले जाना ये सब क्या है अग्रवाल जी?? " राधा जी लगभग थोड़ा गुस्सा होते हुए बोली, आखिर वो एक माँ थी उन्हें आरव की फ़िक्र होने लगी थी की जब आरव को ये पता चलेगा तो वो क्या करेगा | अविनाश जी ने भी यही सवाल पूछा|
मनीष जी ने बताया की, जब शादी तय हुई तब हमने उससे पूछा था वो पहले शादी नहीं करना चाहती थी कह रही थी की किसीसे प्यार करती है, हमने पूछा था की किस्से पर उसने उस बारे मे कोई बात नहीं की लेकिन बाद मे जब हमने फिर से पूछा आरव के बारे मे तो उसने अपनी मर्ज़ी से हा कहाँ था हमने कोई जोर जबरजस्ती नहीं करी थी उसके साथ फिर पता नहीं उसने ऐसा क्यों किया |
" देखिये अब जो हो गया वो हो गया, लेकिन अब आगे क्या करना है बारात ऐसे ही वापस नहीं जा सकती है, हमारी इज्जत का सवाल है, सब जगह नाम बदनाम होगा सो अलग, कुछ रास्ता तो निकलना पड़ेगा ये शादी ऐसे अधूरी नहीं रह सकती "
अविनाश जी की बात सुनके सब लोग सोच मे पड़ गए की अब इस परेशानी का हल कैसे निकाले |
अब आगे की कहानी next chapter मे, 💙💙💙